नारीवाद मेव वाइली: वेबसीरीज़ ‘सेक्स एजुकेशन’ की एक सशक्त नारीवादी किरदार

मेव वाइली: वेबसीरीज़ ‘सेक्स एजुकेशन’ की एक सशक्त नारीवादी किरदार

मेव वाइली का किरदार नारीवादी चेतना से परिपूर्ण है। मेव अपने 'चयन के अधिकार' को समझती है और उससे समझौता नहीं करती।

मेव वाइली नेटफ्लिक्स पर प्रसारित सीरीज़ ‘सेक्स एजुकेशन’ के प्रमुख व्यक्तित्वों में से एक है। वह जीवन के लगभग हरेक पहलू पर समस्याओं से जूझ रही है लेकिन सैद्धांतिक तौर पर बेहद सशक्त होने के कारण कभी भी समझौता नहीं करती। दरअसल, मेव का संघर्ष समाज की लगभग सभी लड़कियों-महिलाओं का संघर्ष है। औरतें हमेशा से हाशिए पर छोड़ दी जाती हैं। उन्हें समाज पुरुषों से कमतर और पिछड़ा मानता है। वर्गीय विभाजनों में भी वे सबसे नीचे आती हैं। उनकी पीड़ा, उनके मसले मुख्यधारा में शामिल नहीं किए जाते। इन सभी समस्याओं के ख़िलाफ़ बहुत सारी महिलाएं सैंकड़ों सालों से लड़ाई लड़ रही हैं। पढ़ने-लिखने-जीने जैसे कुछ बुनियादी अधिकार भी उनके लंबे संघर्ष का परिणाम है। ऐसे में, इस समाज में एक महिला का किरदार किस तरह का हो सकता है, या होना चाहिए, उसकी प्रतिच्छाया ‘सेक्स एजुकेशन’ की मेव वाइली में ढूंढ़ी जा सकती है।

मेव अकेले रहती है। उसके परिवार में कोई नहीं है। उसका पिता उन्हें बचपन में ही छोड़ चुका है, मां ड्रग अडिक्शन से जूझ रही होती है और उन्हें छोड़कर कहीं और रहती है। उसका भाई सीन भी ड्रग गतिविधियों में संलग्न रहता है और पुलिस से बचने के लिए भागता-फिरता है। मेव एक टीनएजर है जिसके साथ कोई भी नहीं है। वह ट्रेलर पार्क में एक छोटे से डिब्बे जैसे कमरे में रहती है। जीवन यापन और पढ़ाई की सारी जिम्मेदारी उसे ख़ुद ही निभानी है। इतने मुश्किल हालात में उसकी सहयोगी केवल किताबें हैं। अपनी ज़रूरतें पूरी करने के लिए वह इन्हीं किताबों से संचित ज्ञान का इस्तेमाल करती है। मेव मानसिक स्तर पर बहुत मजबूत लड़की है। इन हालातों में भी वह टूटती नहीं क्योंकि उसने जेन ऑस्टेन, झुम्पा लाहिड़ी, वर्जिनिया वुल्फ़, सिल्विया प्लाथ, रोक्सेन गे जैसी लेखिकाओं की किताबें पढ़कर औरतों के लिए समाज, औरतों का इतिहास, संस्कृति के बारे में जान लिया था। असल में, मेव की उम्मीदें इन्हीं किताबों से थी। वह जानती थी कि शिक्षा से ही वह अपना बेहतर भविष्य सुनिश्चित कर सकती थी। समाज में औरतें इसलिए कमज़ोर स्थिति में हैं क्योंकि पुरुषों ने संसाधनों पर कब्ज़ा कर लिया और उन्हें संसाधनविहीन कर दिया। आर्थिक तौर पर मज़बूत होने पर भी सामाजिक मज़बूती की उम्मीद की जा सकती है।

मेव इस दिशा में काम करती है। स्कूल में कोई उसका साथी नहीं है। उसे कॉकबाइटर कहकर परेशान किया जाता है और अफ़वाह उड़ाई जाती है कि वह बहुत सारे लड़कों के साथ यौन संबंध बनाती है। इस पोस्ट मॉडर्न समाज में अभी भी सेक्स एक ‘टैबू’ है। उससे भी अधिक बुरा एक औरत का अपनी इच्छा से अलग-अलग पुरुषों के साथ शारीरिक संबंध बनाना है। पुरुष हमेशा से स्वतंत्र रहा है। वह कितनी भी स्त्रियों के साथ संबंध बनाकर यौन सुख पा सकता है, औरतों के लिए ऐसा नहीं है। औरतों से ‘एकनिष्ठता’ की अपील की जाती है। मेव को लेकर बनाई गई धारणाएं इसी पितृसत्तात्मक सोच का नतीजा थीं। जब भी समाज में एक स्त्री अपने सिद्धांतों पर जीवन जीना शुरू करती है, यह समाज अपनी पारंपरिक धारणाओं के आधार पर उसका चरित्र निर्धारण करता है हालांकि मेव ‘नॉट गिविंग आ फ़क’ वाली प्रतिक्रिया देती है। जब ट्रेलर पार्क में लड़के उसे छोटे कपड़ों के लिए परेशान करते हैं तब वह और छोटे कपड़े पहनकर उनका मुंह बंद करती है, बालों को रंग कर वह पारंपरिक धारणाओं को प्रतीकात्मक अर्थ में चुनौती देती है। असल में, सिविल सोसाइटी के उदय के बाद भी औरतों को लेकर बनाए गए मानकों में कुछ बदलाव नहीं आया। अभी भी औरतों के शरीर के आकार, कपड़ों, रंग व उनकी चाल को लेकर खांचे बनाए गए हैं। उनमें फिट नहीं होने वाली औरतें उपेक्षित की जाती हैं। मेव इन उपेक्षाओं से हताश होने वाली नहीं थी, उसने इन धारणाओं को ध्वस्त किया। 

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समाज सिर्फ़ इतने तक ही नहीं रुकता। वह औरतों को सामूहिक रूप से एकजुट नहीं होने देना चाहता, न ही यह चाहता है कि औरतें पितृसत्तात्मक आवरण से बाहर हटकर अपने विषय में कुछ सोच सकें। इसलिए ऐतिहासिक साज़िश के तहत औरतों को औरतों का दुश्मन बताया जाता है, जबकि ऐसा है नहीं। दुनिया के अलग अलग भौगोलिक भाग में रहने वाली औरतों के बीच भी बहनापे का भाव है। एक समान समस्याओं से जूझते हुए साझा अनुभव हैं। यह कितनी अजीब बात है कि वे औरतें जिन्हें भावनात्मक पुलिंदा कहा जाता है, उनके बीच भावनाओं के स्तर पर खटास हो। यह पितृसत्ता की सोची-समझी चाल है जिसे वे वैचारिकी के स्तर पर अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं। पॉपुलर लिट्रेचर और सिनेमा में हमेशा से औरतों को औरतों को दुश्मन बताया जाता है। हालांकि मेव इस ढांचे को तोड़ती है। ‘सेक्स एजुकेशन’ में जब किसी योनि की तस्वीर ‘वायरल’ हो रही होती है और पूरे स्कूल में ‘स्त्री’ को एक मज़ाक भर बना दिया जाता है, मेव इसके ख़िलाफ़ उठ खड़ी होती है और ‘इट्स माय वजाइना’ कैम्पेन शुरू कर देती है। 

मेव वाइली का किरदार नारीवादी चेतना से परिपूर्ण है। मेव अपने ‘चयन के अधिकार’ को समझती है और उससे समझौता नहीं करती।

इस मुहिम में वह अन्य लड़कियों द्वारा अपने ख़िलाफ़ प्रयोग किये जाने वाले भद्दे शब्दों और उनके बुरे व्यवहार को परे रखकर एक औरत के रूप में दूसरी औरत के साथ समाज मे निहित पितृसत्ता के ख़िलाफ़ खड़ी होती है। आज सभी औरतों को एकजुट होने की ज़रूरत है इसलिए तो ग्लोरिया स्टेनिम आह्वान करती हैं कि वी नीड ऑवर सिस्टरहूड’।

मेव वाइली, तस्वीर साभार: Reddit

मेव बहादुर है। वह अधिकतर समय अपने तक सीमित रहती है लेकिन जब भी किसी को उसकी ज़रूरत होती है, वह मौजूद होती है। स्कूल में एमी गिब्स उसकी एकमात्र दोस्त होती है लेकिन वह भी सबके सामने उससे बात नहीं करती और उसपर अपने ग्रुप के साथ फब्तियां कसती है। बस से स्कूल आते समय जब एक उम्रदराज़ आदमी एमी के ऊपर मस्टरबेट कर उसका शोषण करता है, तब मेव उसे पुलिस स्टेशन जाकर शिकायत करने के लिए प्रोत्साहित करती है। वह इस दौरान हमेशा उसके साथ भावनात्मक सहयोग बनकर मौजूद रहती है। जैक्सन, जो कि कुछ समय तक मेव का बॉयफ्रेंड था, जब वह अपनी माओं की आलोचना करते हुए उनके एफ़र्ट्स को गलत ठहराता है, तब भी मेव उसे उनकी मेहनत और कोशिश के बारे में बताती है और परिवार के न होने पर उसका संघर्ष बताती है। दरअसल, एक संस्था के रूप में परिवार अत्यधिक शोषण व मानसिक संघर्ष का स्थान है। यहां आमतौर पर बहुत सारी समस्याएं होती हैं, जैसा कि सीरीज़ में अलग-अलग परिवारों में होती हैं लेकिन परिवार का कोई विकल्प भी नहीं है इसलिए ही जब मेव की मां उसे शॉपिंग सेंटर पर दिखती है तो वह बहुत कोशिश कर के भी उसे भगा नहीं पाती है। वह अपनी बहन एल्सी से भी भावनात्मक रूप से जुड़ जाती है। इतने लंबे समय से अकेले रहने के बाद मेव के लिए परिवार और लोगों का साथ बहुत महत्व रखता था।

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मेव आत्मनिर्भर लड़की है। वह अपने खर्च की व्यवस्था दूसरों के लेख व उत्तर लिखकर करती थी। वह बहुत ऑब्सर्वेन्ट भी होती है, जब ओटिस ऐडम की यौन समस्या को सुलझा लेता है, मेव उसकी इस क्षमता का प्रयोग ‘सेक्स थेरेपी’ शुरू करने के लिए करती है। वह साहित्यिक रूप से समृद्ध होती है और दूसरों को अपनी बात मनवाने में सक्षम भी, इसी कौशल का इस्तेमाल करके वह ओटिस को इस काम के लिए तैयार कर लेती है और क्लाइंट ढूढ़कर लाती है। इस दौरान मिले पैसों में वह और ओटिस 60:40 की हिस्सेदारी करते हैं। दरअसल, मेव अपनी मेहनत का पारिश्रमिक लेने में देर नहीं करती। हमेशा से औरतों को उनकी मेहनत व श्रम की उचित हिस्सेदारी से विमुख किया गया है। ऐतिहासिक रूप से उनका आर्थिक शोषण होते आया है ऐसे में मेव जो बचपन से ही नारीवादी साहित्य पढ़ती आ रही थी, वह इस बात से भलीभांति अवगत होगी क्योंकि वर्जीनिया वुल्फ़ तो साफ़ तौर पर कहती हैं कि ‘एक औरत को अपने कमरे और धन की ज़रूरत है’ इसलिए ‘स्पेस’ और ‘रुपये’ का महत्व किसी भी स्त्री की बुनियादी ज़रूरत है, यह मेव का व्यक्तित्व स्पष्ट रूप से दर्शाता है।

मेव भावनाओं में उलझकर कठोर निर्णय लेने से चूकती नहीं थी। जब उसे पता चलता है कि उसकी मां एरिन ड्रग्स ले रही है तो इसे वह  अपनी बहन और  मां के लिए खतरा मानते हुए अधिकारियों को सूचित करती है, जबकि वह चाहती तो अपनी मां के साथ रहती और उसे माफ़ कर देती लेकिन वह ऐसा नहीं करती। इसी तरह, जब उसे मालूम होता है कि वह ओटिस से प्यार करती है लेकिन वह नहीं करता तो वह उससे दूरी बना लेती है। वह अपने लिए भी खड़ी होती है, अपने अधिकारों और हितों के लिए मज़बूती से आवाज़ उठाती है, जब उसे स्कूल से निकाला जा रहा होता है, वह प्रिंसिपल और कमेटी के सामने खुलकर कहती है कि वह साहित्यिक रूप से बेहद निपुण है, उसे सार्त्र से लेकर ऑस्टेन तक के सिद्धांतों की जानकारी है, वह अस्तित्ववाद पर बहस कर सकती है और विश्वविद्यालय जाकर बेहतरीन करियर बना सकती है। इस प्रकार, उसे अपनी क्षमताओं की जानकारी होती है और इसी के दम पर वह क्विज़ प्रतियोगिता में स्कूल की जीत सुनिश्चित करती है।

मेव वाइली का किरदार नारीवादी चेतना से परिपूर्ण है। मेव अपने ‘चयन के अधिकार’ को समझती है और उससे समझौता नहीं करती। वह स्त्री मुक्ति के लिए आर्थिक-स्वतंत्रता के महत्व को जानती है और उसके भीतर सहयोगी स्त्रियों के लिए ‘बहनापे’ का भाव था। वह अपनी क्षमताओं को नारीवादी साहित्य पढ़कर विकसित करती है और पित्रसत्तात्मक तंत्र को चुनौती देती है।

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तस्वीर साभार : independent

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