पीरियड्स स्वास्थ्य से जुड़ी एक जैविक प्रक्रिया है पर इस पीरियड्स के लिए हम जिन प्रॉडक्ट्स का इस्तेमाल करते हैं अगर वे ईको-फ़्रेंड्ली नहीं होंगें तो ये पीरियड्स के नेचुरल प्रोसेस को नेचर यानी की हमारी प्रकृति के लिए बेहद हानिकारक बना देंगें। अब बात करें अपने भारत की तो यहां अभी भी अधिकांश लोग बाज़ार में मिलने वाले प्लास्टिक सैनेटरी पैड का इस्तेमाल करते हैं, जो ईको फ़्रेंड्ली नहीं होते हैं। अब सवाल यह है कि हम कौन से प्रॉडक्ट का इस्तेमाल करें जो हमारी पहुंच में भी हो और ईको फ़्रेंड्ली भी हो। ज़वाब है- कपड़े से बने सैनेटरी पैड्स जिन्हें हम क्लोथ पैड्स के नाम से भी जानते हैं।
कपड़े से बननेवाले सैनेटरी पैड पीरियड्स में इस्तेमाल किया जाने वाला एक प्रमुख ईको-फ़्रेंड्ली प्रॉडक्ट है, जिसके लिए हमें सिर्फ़ बाज़ार पर आश्रित होने की ज़रूरत नहीं। अच्छी बात यह भी है कि अगर आपको मूलभूत सिलाई का काम आता है तो आप बेहद आसानी से क्लोथ पैड्स को अपने घर में बना सकते हैं। सूती कपड़ों से बने सैनेटरी पैड को क्लोथ पैड्स या कॉटन सैनेटरी पैड कहते हैं, जिसकी बनावट बाज़ार में मिलने वाले सैनेटरी पैड के जैसी ही होती है या फिर इसे दूसरे फोडेबल डिज़ाइन में भी बनाया जा सकता है।
कैसे करें कपड़े से बने पैड्स का रख-रखाव
कपड़े से बने इन पैड्स की ख़ासियत होती है कि ये पूरी तरफ़ ईको-फ़्रेंड्ली चीजों से बने होते हैं जो हमारे स्वास्थ्य और प्रकृति दोनों के लिए नुक़सानदायक नहीं होते हैं। लेकिन इसके रख-रखाव और इसे दोबारा इस्तेमाल करने के लिए हमें इसकी साफ़-सफ़ाई पर ख़ास ध्यान देना चाहिए। कपड़े से बननेवाले सैनेटरी पैड को हम कपड़े की बनी छोटी थैली में रख सकते हैं। इस्तेमाल किए हुए सैनेटरी पैड को आम कपड़ों की तरह ही डिटेर्जेंट के साथ साफ़ पानी से धोकर उसे एंटिकेप्टिक लिक्विड में थोड़ी देर रखने के बाद खुली धूप में सुखाना ज़रूरी होता है। इस तरह आप कम से कम छह महीने तक एक सैनेटरी पैड का इस्तेमाल कर सकती हैं बल्कि इन्हें हम घर पर भी बना सकते है। कपड़े से बने सैनेटरी पैड न केवल प्रकृति के लिए बल्कि हमारे स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा होता है, क्योंकि इसमें ज़ीरो प्लास्टिक का इस्तेमाल होता है। लेकिन दुर्भाग्यवश हमारे समाज में पीरियड्स से जुड़ी जितनी भ्रांतियां हमारी पितृसत्तात्मक व्यवस्था की देन थी, उतनी ही भ्रांतियां बाज़ारवाद ने कपड़े से बने सैनेटरी पैड्स को लेकर भी फैलाई हैं, जिसकी वजह से कई बार हम कपड़े से बने सैनेटरी पैड के इस्तेमाल से हिचकने लगते हैं। इस लेख में हम बात करेंगे ऐसे ही कुछ मिथ्यों की।
कपड़े से बने सैनेटरी पैड्स न केवल प्रकृति के लिए बल्कि हमारे स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा होता है, क्योंकि इसमें ज़ीरो प्लास्टिक का इस्तेमाल होता है।
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पहला मिथ्य : कपड़े से बने पैड्स हायजीनिक नहीं होते
तथ्य : अक्सर टीवी में दिखाए जाने वाले सैनेटरी पैड के एड में भी कपड़े के इस्तेमाल को बुरा बताया जाता है और कपड़े को कॉटन सैनेटरी पैड समझकर इसे भी बुरा समझ लेते है, पर वास्तव में पहले तो हमें ये पता होना चाहिए कि कि कपड़े के इस्तेमाल और सूती कपड़े से बने पैड के इस्तेमाल में फ़र्क़ होता है और जहां तक रही बात हायजेनिक होने की तो ये बात सिर्फ़ वही इंसान कर सकता है, जिसने कभी भी कॉटन सैनेटरी पैड का इस्तेमाल न किया हो। कॉटन सैनेटरी पैड को हर चार से छह घंटे में बदलना और इसे अच्छी तरह साफ़ करके धूप में सुखाने से इसमें किसी भी तरह की हायजीन की समस्या नहीं होती है।
दूसरा मिथ्य : कॉटन सैनेटरी पैड्स में लीकेज की समस्या होती है
तथ्य : हमें नहीं भूलना चाहिए कि हम कॉटन सैनेटरी पैड्स की बात कर रहे हैं न कि सूती कपड़े की। जब हम किसी सूती साड़ी या कपड़े को दो परत मोड़कर पीरियड्स के दौरान इस्तेमाल करते हैं तो इसमें लीकेज होना लाज़मी है लेकिन कॉटन सैनेटरी पैड को ऐसे मोटे सूती कपड़े और डिज़ाइन के साथ तैयार किया जाता है, जिसमें लीकेज की कोई समस्या नहीं होती है। ये मिथ्य सिर्फ़ और सिर्फ़ प्लास्टिक पैड के व्यापार को बनाए रखने के लिए फैलाया गया है।
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तीसरा मिथ्य : कॉटन सैनेटरी पैड्स को दोबारा इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है
तथ्य : कॉटन सैनेटरी पैड पूरी तरह सूती कपड़ों के बने होते है, जो वॉशेबल होते है। इसलिए कॉटन सैनेटरी पैड को अच्छी तरीक़े से धोकर और खुली धूप में सुखाकर दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है।
चौथा मिथ्य : कॉटन सैनेटरी पैड को साफ़ करना मुश्किल है
तथ्य : अक्सर हमें लगता है कि कॉटन सैनेटरी पैड को दोबारा इस्तेमाल करने के लिए अच्छी तरीक़े से साफ़ करना मुश्किल होता है या फिर इसे साफ़ करने की कोई ख़ास प्रक्रिया होती है। इस्तेमाल किए हुए कॉटन सैनेटरी पैड को साफ़ करने के लिए किसी लैब की ज़रूरत नहीं होती है बल्कि इसे आप साफ़ पानी में वॉशिंग सोप या पाउडर से धोकर डेटोल जैसे किसी एंटी-सेप्टिक लिक्विड को पानी डालकर धो लें और इसे खुली धूप में अच्छी तरीक़े से सूखा लें। इस तरह आपका कॉटन सैनेटरी पैड दोबारा इस्तेमाल करने के लिए तैयार हो जाएगा।
पांचवा मिथ्य : कॉटन सैनेटरी पैड महंगा होता है
तथ्य : भारत में ऑनलाइन स्टोर में कुछ कम्पनियों के कॉटन सैनेटरी पैड उपलब्ध हैं जिनकी क़ीमतें बेशक आम सैनेटरी पैड से ज़्यादा है। ऐसे में अगर आपको बेसिक सिलाई आती है तो ये कॉटन सैनेटरी आप घर में भी बनाकर इस्तेमाल कर सकते है और इसे घर पर बनाने का खर्च बेहद कम होता है।
कॉटन सैनेटरी पैड से जुड़े ये कुछ ऐसे मिथ्य हैं जिन्हें हम इनके इस्तेमाल करनी की आदत से मज़बूती से दूर कर सकते हैं। तो आज से आप भी शूरू करिए कॉटन सैनेटरी पैड का इस्तेमाल, अपनी पीरियड्स के नेचुरल प्रोसेस को अपने लिए और प्रकृति के लिए सेफ़ बनाने के लिए।
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