स्वास्थ्यशारीरिक स्वास्थ्य सेफ़ सेक्स के मुद्दे पर ‘चुप्पी की संस्कृति’ क्यों है नुकसानदायक

सेफ़ सेक्स के मुद्दे पर ‘चुप्पी की संस्कृति’ क्यों है नुकसानदायक

सेक्स के मुद्दे पर 'चुप्पी की संस्कृति' ने हमेशा से इसे ऐसा रहस्यमयी विषय बनाया है, जिसकी वजह से इसके स्वास्थ्य के पहलू तो क्या इससे जुड़ी समस्याओं पर चर्चा भी संकोच का विषय बन गया।

‘सेक्स’ यह शब्द सुनते ही अक्सर हम शर्माने लगते हैं और अगर यह शब्द परिवार या सार्वजनिक जगहों पर बोला जाए तो हम मुंह चुराने लगते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि सेक्स को लेकर हमारा या हमारे समाज का रवैया ऐसा क्यों हैं? ऐसा इसलिए है क्योंकि हमारे समाज में सेक्स के मुद्दे पर कोई बात नहीं की जाती है। यह हम इंसानों की ज़िंदगी का एक ज़रूरी हिस्सा तो है पर इस पर बात करना या चर्चा करना हमारी पितृसत्तात्मक संस्कृति में नहीं है।

सेक्स के मुद्दे पर ‘चुप्पी की संस्कृति’ ने हमेशा से इसे ऐसा रहस्यमयी विषय बनाया है, जिसकी वजह से इसके स्वास्थ्य के पहलू तो क्या इससे जुड़ी समस्याओं पर चर्चा भी संकोच का विषय बन गया। लेकिन हमारे समाज में सेक्स से जुड़ी समस्यायें कितनी गंभीर है इसका अंदाज़ा हम सड़कों के किनारे दीवारें पर रंगे सेक्स संबंधित इलाज के विज्ञापनों से लगा सकते है। वास्तव में सेक्स हमारे स्वास्थ्य से जुड़ा ज़रूरी मुद्दा है, जिस पर ध्यान देना और इसे सेफ़ यानि सुरक्षित बनाना बेहद ज़रूरी है, क्योंकि जब हम सेफ़ सेक्स की बात करते हैं तो यह न केवल हमारी शारीरिक ज़रूरत को पूरा करने में मदद करता है बल्कि हमें सेक्स संबंधित कई बीमारियों से भी बचाता है।

सेफ़ सेक्स क्या है?

सेफ़ सेक्स का मतलब है ख़ुद को और अपने पार्ट्नर को अनवांटेड प्रेगनेंसी, सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज़, इंफ़ेक्शन, एचआईवी या फिर हर्पीस जैसी सेक्स संबंधित बीमारियों से बचाना, जिसके लिए हम अलग-अलग तरह के प्रोटेक्शन का इस्तेमाल करते है। सरल शब्दों में कहें तो सेक्स संबंधित संक्रमण और अनवांटेड प्रेगनेंसी से बचने के लिए ज़रूरी साधनों के साथ सेक्स करना ही सेफ़ सेक्स कहलाता है।

सेफ़ सेक्स के साधन

यूं तो सेफ़ सेक्स के साधनों में पार्टनर की सहमति, शारीरिक स्वच्छता, सालाना जांच, शारीरिक ज़रूरतों की समझ जैसे कई प्रमुख साधन हैं लेकिन इस सबमें सबसे ज़रूरी है सेक्स के दौरान कंडोम का इस्तेमाल। वही कंडोम जिसके विज्ञापन जैसे ही टीवी पर आते हैं आप बच्चों को पानी लेने भेज देते हैं या फिर धीरे से चैनल बदल देते हैं।

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क्या है कंडोम?

आमतौर पर हमारे देश में पतली झिल्ली जैसे रबड़ के बने कंडोम उपलब्ध होते हैं, जिसका इस्तेमाल पुरुष सेक्स के दौरान अपने लिंग पर एक खोल की तरह चढ़ाकर करते हैं। आज कल महिलाओं के लिए भी कंडोम उपलब्ध हैं लेकिन अभी ये हमारे समाज में उतने ज़्यादा चलन में नहीं हैं। इसके साथ ही, गर्भनिरोधक गोलियां, नसबंदी, कॉपर-टी जैसे कई अन्य साधन हैं जिनका इस्तेमाल अनवांटेड प्रेगनेंसी को रोकने में किया जाता है। वहीं, कंडोम का काम अनवांटेड प्रेगनेंसी और सेक्स संबंधित संक्रमण से बचाव करना है पर सेफ़ सेक्स और कंडोम के इस्तेमाल के लिए हमें कुछ ज़रूरी बातों का हमेशा ध्यान रखना चाहिए :

1. सेक्स के लिए हमेशा अपने पार्ट्नर की सहमति लें।

2. सेक्स के दौरान अपने पार्ट्नर की शारीरिक और मानसिक ज़रूरतों को समझें।

3. सेक्स से पहले दोनों पार्ट्नर अपने गुप्तांगों को अच्छी तरह साफ़ करें।

4. कंडोम को हमेशा एक्सपायरी डेट देखकर ही ख़रीदें।

5. कंडोम ख़रीदते समय साइज़ का ध्यान रखें, ढीले कंडोम में अक्सर इसके फटने का डर होता है।

6. हमेशा ल्यूब्रिकेंट कंडोम का इस्तेमाल करें, ये सेक्स में आनंद और सुरक्षा दोनों को बढ़ाता है।

7. सेक्स के बाद पेशाब जाएं और अपने गुप्तांगों को अच्छे से साफ़ करें।

8. साल में एक़बार अपनी शारीरिक जांच ज़रूर करवाएँ।

सेफ़ सेक्स के लिए ये कुछ ऐसी ज़रूरी बातें है जो आपके सेक्स की प्रक्रिया को सुरक्षित बनाती हैं। ये आपके और आपके पार्ट्नर दोनों के लिए ज़रूरी हैं। अगली बार सेक्स के दौरान कंडोम के इस्तेमाल और सेफ़ सेक्स से जुड़ी इन ज़रूरी बातों को याद रखिएगा।

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तस्वीर साभार: गूगल

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