ईस्थर विक्टोरिया अब्राहम अपने दूसरे नाम ‘प्रमिला’ से ज्यादा जानी जाती हैं। वह एक अभिनेत्री, मॉडल, स्टंट वुमन और फिल्म निर्माता भी थीं। इसके साथ ही वह साल 1947 में पहली मिस इंडिया प्रतियोगिता की विजेता भी रही थीं। उनके जीवन के संघर्षों को और उनके मिस इंडिया बनने तक के सफर को आज भी याद किया जाता है। ईस्थर ने मिस इंडिया का खिताब ऐसे समय में जीता था जब भारतीय समाज में महिलाओं के लिए अभिनय, मॉडलिंग का क्षेत्र बिल्कुल भी अच्छा नहीं माना जाता था। फिर भी करियर के रूप में एक कठिन विकल्प चुनकर पितृसत्तात्मक रूढ़िवादी धारणाओं को उन्होंने चुनौती दी थी।
ईस्थर विक्टोरिया अब्राहम का जन्म 30 दिसंबर 1916 में हुआ था। उनका जन्म कलकत्ता के बगदादी-यहूदी मूल परिवार में हुआ था। इनके पिता रूबेन अब्राहम एक बहुत बड़े व्यापारी थे। इनकी माँ का नाम मटिल्डा इसाक था। वह कराची से थी। ईस्थर विक्टोरिया अब्राहम के तीन सौतेले भाई और छह सगे भाई-बहन थे। इन्होंने शुरुआत से ही एक्टिंग, मॉडलिंग, डांस और थिएटर करने का बहुत शौक था।
शिक्षा और शुरुआती करियर
ईस्थर ने कलकत्ता गर्ल्स हाई स्कूल से अपनी पढ़ाई की शुरुआत की थी। बाद में उन्हें सेंट जेम्स सह-शिक्षा वाले स्कूल में स्थानांतरित कर दिया गया। ईस्थर जल्द ही समझ गई थीं कि ऑलराउंडर बनने के लिए उन्हें शिक्षा के साथ-साथ खेलकूद में भी अव्वल आना होगा। वह हर प्रतियोगिता में लड़कों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन करना चाहती थीं। वह हॉकी की एक बेहतरीन खिलाड़ी थीं। उनकी खेलों में भी बहुत अधिक दिलचस्पी थी। वह हमेशा से ही लोगों को यह बताना चाहती थी कि महिलाएं भी पुरुषों से बेहतर हो सकती हैं। उन्होंने खेल प्रतियोगिताओं में बहुत से लड़कों को हराया और यह दर्शाया है कि वह लड़कों से बेहतर हैं। उन्होंने खेल में कई पुरस्कार जीते थे। वह कला की बहुत शौकीन थीं। हाई स्कूल की पढ़ाई के बाद उन्होंने कैम्ब्रिज से कला की डिग्री प्राप्त की।
और पढ़ेंः इशरत सुल्ताना उर्फ़ ‘बिब्बो’ जिनकी कला को भारत-पाकिस्तान का बंटवारा भी नहीं बांध पाया
ईस्थर विक्टोरिया अब्राहम शिक्षा क्षेत्र में भी एक अव्वल दर्जे की छात्रा थी। शुरुआत से ही वह पढ़ाई में भी अच्छी रहीं, जिस तरह वह मॉडलिंग डांस और थिएटर में थीं। उन्हें हमेशा से ही ऑलराउंडर के नाम से भी जाना जाता था। अपनी हाई स्कूल की डिग्री पूरी होने के बाद वह एक किंडरगार्डन शिक्षिका बन गई। हालांकि, बीएड की डिग्री प्राप्त करने के बाद वह पढ़ाना नहीं चाहती थीं। उन्होंने शिक्षिका की पहली नौकरी तमिलनाडु में की। उन्हें हमेशा से ही एक्टर बनना था न कि एक शिक्षक, इसलिए उन्होंने यह नौकरी छोड़कर हिंदी सिनेमा की ओर रुख़ कर लिया।
ईस्थर ने मिस इंडिया का खिताब ऐसे समय में जीता था जब भारतीय समाज में महिलाओं के लिए अभिनय, मॉडलिंग का क्षेत्र बिल्कुल भी अच्छा नहीं माना जाता था। फिर भी करियर के रूप में एक कठिन विकल्प चुनकर पितृसत्तात्मक रूढ़िवादी धारणाओं को उन्होंने चुनौती दी।
ईस्थर विक्टोरिया अब्राहम से प्रमिला बनने तक का सफर
विक्टोरिया अब्राहम के परिवार वाले हमेशा से ही म्यूजिक, डांस से जुड़े हुए थे। इसी वजह से बचपन से ही विक्टोरिया का झुकाव सिनेमा की ओर हो गया था। उनका विवाह एक मारवाड़ी परिवार में कर दिया गया। हालांकि, उनकी पहली शादी टूट गई। उसी दौरान उन्हें मुंबई जाने का एक सुनहरा मौका मिला। वह अपनी चचेरी बहन रोज़ एज़रा से मिली, जिसने विक्टोरिया अब्राहम की जिंदगी बदल दी। मुंबई में उनका कदम रखना उनके भविष्य के लिए एक ज़रूरी मौका साबित हुआ।
रोज एज़रा के घर पर विक्टोरिया अब्राहम आरएस चौधरी से मिलीं। वह एक फिल्म निर्देशक थे। ईस्थर उन्हें अपनी आनेवाली फिल्म के लिए सटीक लगीं और इस तरह उन्होंने ईस्थर को अपनी आनेवाली फिल्म के लिए साइन कर लिया। ‘द रिटर्न ऑफ द तूफान मेल’ नाम की यह फिल्म तो कभी पूरी नहीं हो सकी लेकिन इस फिल्म ने ईस्थर के लिए हिंदी सिनेमा के दरवाज़े खोल दिए। इसके बाद उन्होंने मुंबई में ही रहना शुरू कर दिया और इम्पीरियल कंपनी के साथ काम करना शुरू कर दिया।
साल 1935 में ईस्थर विक्टोरिया इब्राहिम की पहली फिल्म आई जिसका नाम ‘भिखारन‘ था। इसी प्रकार धीरे-धीरे उन्हें काम मिलने लगा और हिंदी सिनेमा में उनका नाम बनने लगा। ईस्थर के काम के बाद सब उन्हें पहचानने लगे। इसी फिल्म के बाद उन्होंने अपना नाम बदल लिया। ईस्थर ने अपना स्क्रीन नाम अब प्रमिला रख लिया था। उन्होंने ‘उल्टी गंगा, बुरा नवाब साहिब, बिजली, शहजादी, जानकार, अवर डॉर्लिंग डॉटर, सहेली, शालीमार बादल और बिजली, महामाया, बहाना, मुराद और थंग‘ जैसी फिल्मों में काम किया। इसके बाद वह फिल्म निर्माता भी बनीं। साल 1942 में उन्होंने सिल्वर प्रॉडक्शन नाम के बैनर तले लगभग सोलह फिल्मों का निर्माण किया। प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के कार्यकाल में इन्हें जाजूसी करने के अपराध में गिरफ्तार कर लिया गया था। बाद में जांच के बाद पता चला था कि वह पाकिस्तान अपनी फिल्म के प्रचार के लिए जाती थीं।
अपने ज़माने की फैशन आइकन
उस जमाने में उन्हें एक फैशन आइकन माना जाता था। वह अपने कपड़े भी अपने अंदाज़ से पहनना पसंद करती थीं। उस जमाने में भी वह साड़ी तो पहनती थीं लेकिन उसे भी एक वेस्टर्न स्टाइल में पहना करती थीं। साड़ी पहने का यह तरीका उनके एक अलग अंदाज को दर्शाता था। वह अपने कपड़े, गहने आदि खुद डिजाइन किया करती थीं। 1930 और 40 के दशक में फैशन पत्रिकाओं के कवर पेज का वह बहुत ही मशहूर चेहरा थीं।
साल 1939 में विक्टोरिया अब्राहम ने सैयद हसन अली के साथ दूसरा विवाह किया। सैय्यद अली का भी यह दूसरा विवाह था। सैय्यद अली से निकाह करने के लिए उन्होंने निकाहनामा के लिए अपना नाम शबनम बेगम अली अपनाया। काम के साथ-साथ उन्होंने अपने परिवार को भी साथ रखा। इस शादी के उनके चार बच्चें, अकबर, असगर, नकी और हैदर थे। वे अपने बच्चों को मुस्लिम और यहूदी दोनों धर्म की शिक्षा देती थीं।
और पढ़ेंः हीराबाई बरोडकर: भारत की पहली गायिका जिन्होंने कॉन्सर्ट में गाया था
मिस इंडिया का खिताब जीतने वाली पहली महिला
ईस्थर विक्टोरिया अब्राहम को एक्टिंग डांस के साथ-साथ मॉडलिंग का भी उतना ही शौक था इसलिए उन्होंने मिस इंडिया की प्रतियोगिता में भाग लिया। मिस इंडिया प्रतियोगिता में भाग लेने के समय वह 31 साल की थी। इसके साथ ही वह गर्भवती भी थीं। इस दौरान उनके पांचवें बच्चे का जन्म होने वाला था। गर्भवती होने के दौरान मॉडलिंग करना उनके लिए आसान नहीं था लेकिन फिर भी उन्होंने उस दौरान प्रतियोगिता में भाग लिया और उसमें जीत भी हासिल की। उस समय बहुत से लोगों द्वारा उन्हें आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। जिस समय उन्होंने यह खिताब जीता उस समय उन्हें खुद यकीन नहीं हो रहा था कि वह प्रतियोगिता जीत चुकी हैं। इस तरह वह पहली मिस इंडिया बनीं।
ईस्थर विक्टोरिया अब्राहम ने अपने पूरे जीवन में बहुत ज्यादा उतार चढ़ाव भी देखें लेकिन अपनी मेहनत से नाम भी कमाया है। उनके पति ने बाद में अपने लखनऊ वाले परिवार के साथ पाकिस्तान बसना चुना लेकिन ईस्थर भारत में ही रहना चाहती थी। वह अपने पांच बच्चों के साथ भारत में ही रहीं। आगे चलकर उन्होंने अपने बच्चों को फिल्मी दुनिया में भी लॉन्च करने का काम किया। इनकी बेटी नकी भी 1967 में मिस इंडिया रह चुकी हैं। यह भारत की इकलौती मां-बेटी की जोड़ी है जो मिस इंडिया रह चुकी हैं। इनके बेटे हैदर अली भी टीवी और फिल्मों में काम कर चुके हैं।
ईस्थर से प्रमिला तक के सफर में उन्होंने बहुत नाम कमाया। अभिनय के प्रति स्नेह होने के कारण उन्होंने औपचारिक रूप से फिल्मों से अलविदा कहने के बाद आमोल पालेकर की मराठी फिल्म ‘थंग’ में अभिनय किया। इस फिल्म में उन्होंने एक दादी की भूमिका निभाई थी। 6 अगस्त 2006 में उनका निधन हो गया। उन्हें मुंबई में चिंचपोकली के यहूदी कब्रिस्तान में दफ़नाया गया।
और पढ़ेंः मूल रूप से अंग्रेज़ी में लिखे गए लेख को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए क्लिक करें