इतिहास के प्रचलित आख्यानों से ऐसा प्रतीत होता है जैसे भारतीय संविधान को बनाने में केवल पुरुषों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। संविधान सभा के कुल सदस्यों में 15 महिलाएं भी शामिल थीं। वे सभी अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़ी हुई थीं। जैसे कोई स्वतंत्रता सेनानी थी, वकील, कोई सामाजिक कार्यकर्ता तो कोई नेता थीं। इन महिलाओं ने संविधान सभा में सभी मुद्दों की चर्चा में हिस्सा लेकर बेहिचक अपनी बात सभा में रखकर संविधान को आखिरी रूप देने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। इन्हीं महिलाओं में से एक नाम हैं एनी मास्कारेने का। एनी एक स्वतंत्रता सेनानी थीं। उन्होंने केरल के तिरुवनंतपुरम क्षेत्र से लोकसभा चुनाव भी जीता था। निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव जीतने वाली वह केरल की पहली महिला सांसद थीं।
शुरुआती जीवन
ऐनी मास्कारेने का जन्म 6 जून 1902 त्रिवेंद्रम में एक लैटिन कैथोलिक परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम गैब्रियल मास्कारेने था। वह त्रावणकोर राज्य में एक सरकारी अफसर थे। साल 1925 में उन्होंने महाराजा कॉलेज, तिरुवनंतपुरम से डबल एमए की डिग्री इतिहास और अर्थशास्त्र में प्राप्त की थी। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद वह श्रीलंका चली गई थीं। वहां उन्होंने एक कॉलेज में प्राध्यापक के तौर पर काम किया। वहां से लौटने के बाद उन्होंने कानून की पढ़ाई की और उसमें डिग्री हासिल की।
स्वतंत्रता संग्राम और राजनीति की ओर झुकाव
ऐनी मास्कारेने ने 40 के दशक में महिलाओं के प्रतिनिधित्व की मांग की और राजनीति में हिस्सा लेकर रूढ़िवादी बाधाओं को तोड़ा। भारतीय स्वंतत्रता संग्राम में हिस्सा लेते हुए उन्होंने नए स्वतंत्र राष्ट्र भारत में त्रावणकोर को एकत्र करने के लिए लड़ाई लड़ी। ऐनी, अक्कम्मा चेरियन और पट्टम थानु पिल्लई जैसे नेताओं के साथ भारतीय रियासतों को एकत्र करने और स्वतंत्र भारत में जोड़ने वाले प्रमुख नेताओं में से एक थीं। साल 1938, फरवरी महीने में राजनीतिक पार्टी त्रावणकोर राज्य कांग्रेस की स्थापना की गई। इस पार्टी में शामिल होनेवाली ऐनी पहली महिला थीं। पार्टी के अध्यक्ष पट्टम थानु पिल्लई थे। पार्टी का मुख्य उद्देश्य त्रावणकोर में एक ज़िम्मेदार सरकार की स्थापना करना था। मास्कारेने को पार्टी की कार्य समिति में नियुक्त किया गया था और साथ में प्रचार समिति की भी ज़िम्मेदारी दी गई थी।
संविधान सभा की सदस्य एनी एक स्वतंत्रता सेनानी थीं। उन्होंने केरल के तिरुवनंतपुरम क्षेत्र से लोकसभा चुनाव भी जीता था। निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव जीतने वाली वह केरल की पहली महिला सांसद थीं।
ऐनी मास्कारेने एक निडर महिला थीं। पार्टी में कार्य समिति में काम करते हुए उन्होंने त्रावणकोर के दीवान के खिलाफ कांग्रेस के आंदोलन का नेतृत्व किया। उन्होंने महाराजा श्री चिथिरा थिरुनल को एक ज्ञापन भेजा, जिसमें उन्होंने सर सीपी रामास्वामी अय्यर की नियुक्ति को खत्म करने की मांग की। उनके दीवान के पद पर रहने के दौरान उनके प्रशासन, नियुक्तियों और वित्तीय मामलों की जांच की मांग की। अय्यर और उनके प्रशंसकों ने उनके खिलाफ जबावी कार्रवाई की।
मास्कारेने ने खुले तौर पर विधायिका, दीवान और सरकार की आलोचना की। उनके बयानों के कारण पुलिस ने भी उन पर हमला किया। उनके घर को तोड़ दिया गया था और सामान को चुरा लिया गया था। उनके ऊपर सरकार के ख़िलाफ़ भाषण देने और लोगों को टैक्स न देने के लिए उकसाने जैसे आरोप लगाए गए थे। तत्कालीन पुलिस अधीक्षक ने भी उन्हें असंतोष फैलाने के लिए ज़िम्मेदार ठहराया था। सामाजिक आंदोलनों में सक्रियता के लिए 1939-1947 के समय में उन्हें कई बार गिरफ्तार कर जेल में डाला गया।
और पढ़ेंः इन 15 महिलाओं ने भारतीय संविधान बनाने में दिया था अपना योगदान
1938 और 1939 में एनी ने त्रावणकोर सरकार के तहत इकॉनामिक डेवलेपमेंट बोर्ड में सेवा दी थी। 1942 में ऐनी मासकारेने भारत छोड़ो आंदोलन से जुड़ी। इसके दो साल बाद वह त्रावणकोर स्टेट कांग्रेस के सेक्रेटरी के पद के लिए चुनी गईं। राजनीति में ऐनी एक प्रमुख वक्ता के तौर पर उभर चुकी थीं। 21 फरवरी 1946 में ऐनी के एक बॉम्बे (मुम्बई) में दिए भाषण के संदर्भ में महात्मा गांधी ने एक पत्र लिखा था।
“वैसे तो मुझे पता है कि आपका अपनी वाणी पर कोई नियंत्रण नहीं है और जब आप बोलने के लिए खड़ी होती हैं, तो जो आपके दिमाग में आता है आप बोल देती हैं। यदि अख़बार में छपी यह रिपोर्ट सही है तो यह भाषण उसी का एक नमूना है। मैं भाई थानु पिल्लई को एक रिपोर्ट भेज रहा हूं। आप इसे पढ़ सकती हैं। इस तरह की अभद्र भाषा न तो आपके लिए बेहतर है और न ही त्रावणकोर के गरीब लोगों के लिए। इसके अलावा, आपने अपने कृत्य से सभी को शर्मसार किया है।” गांधी ने त्रावणकोर राज्य कांग्रेस के अपने सहयोगी पिल्लई को लिखा था कि उम्मीद है कि मास्करेने को उनकी जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया जाएगा।
और पढ़ेंः अम्मू स्वामीनाथन : संविधान बनाने में अहम भूमिका निभाने वाली महिला| #IndianWomenInHistory
जब बनीं संविधान सभा की सदस्य और सांसद
साल 1946 में मास्कारेने संविधान समिति के लिए चुनी गई। वह सभा की 15 महिला सदस्यों में से एक थीं। साल 1948 में वह त्रावणकोर-कोच्चि विधानसभा के लिए चुनी गईं। 1949 में वह स्वतंत्र भारत में त्रावणकोर राज्य में मंत्री के पद पर नियुक्त होने वाली पहली महिला मंत्री बनीं। उन्हें स्वास्थ्य मंत्रालय में मंत्री पद पर नियुक्त किया गया था। कांग्रेस की पुरानी सदस्य रहने के बावजूद उन्होंने पहले आम चुनाव में स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा।
एनी मास्करेने साल 1951 में स्वतंत्र भारत में हुए पहले आम चुनाव में तिरूवंतपुरम लोकसभा क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव जीतकर संसद में पहुंची। वह केरल की पहली महिला सांसद चुनी गई थीं। उन चुनावों में दस महिलाओं में से वह एक थी। हालांकि, 1957 में दूसरे लोकसभा चुनावों में वह चुनाव हार गईं। एनी मास्करेने की मृत्यु 19 जुलाई 1963 में हुई थी। उन्हें तिरुवनंतपुरम के पट्टूर में दफनाया गया था। साल 2013 में केरल की राजधानी में उनकी एक कांस्य प्रतिमा स्थापित की गई थी जिसका अनावरण तत्कालीन उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने किया था।
और पढ़ेंः तारकेश्वरी सिन्हा : बिहार से संसद का सफ़र तय करनेवाली नेता| #IndianWomenInHistory