समाजख़बर ग्लोबल हंगर इंडेक्स: सरकार के खारिज करने से क्या भारत में भुखमरी की समस्या का हल हो जाएगा?

ग्लोबल हंगर इंडेक्स: सरकार के खारिज करने से क्या भारत में भुखमरी की समस्या का हल हो जाएगा?

एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत भुखमरी के मामले में दक्षिण एशिया के अन्य देशों नेपाल, पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्री लंका से भी पीछे है। भारत का स्कोर 29.1 है, जिससे यह गंभीर श्रेणी में आता है।

फरवरी 2022 में उत्तर प्रदेश के उन्नाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि दुनिया में जिस किसी से भी मेरी बात होती है जब उनको पता चलता है कि दो साल से भारत सरकार द्वारा 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन दिया जा रहा हैं तो वे आश्चर्यचकित हो जाते हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की इस बात का दूसरा पहलू यह भी निकलता है कि देश में बड़ी संख्या में लोग गरीब हैं जो अपनी भूख शांत करने के लिए सरकारी योजनाओं पर पूरी तरह निर्भर हैं। लोगों को मुफ्त राशन मुहैया करवाने पर खुद की पीठ थपथपाती सरकार की बात से इतर वैश्विक भुखमरी सूचकांक में भारत की स्थिति छह पायदान नीचे खिसक गई है। 

हाल ही में जारी वैश्विक भुखमरी सूचकांक-2022 में भारत 107वें पायदान पर पहुंच गया है। दुनियाभर में भूख और कुपोषण की स्थिति बतानेवाली इस रिपोर्ट में 121 देशों में भारत को यह रैंक मिली है, जबकि बीते साल भारत 101वें स्थान पर था। भुखमरी के मामले में दक्षिण एशिया में भारत दूसरा सबसे बदतर देश है। अफगानिस्तान 109वें नंबर पर है। दुनिया के 17 देश चीन, टर्की, कुवैत, बेलारूस, लातविया, लुथुआनिया, क्रोएशिया और एस्तोनिया इस सूचकांक में शीर्ष पर हैं।

हाल ही में जारी वैश्विक भुखमरी सूचकांक-2022 में भारत 107वें पायदान पर पहुंच गया है। दुनियाभर में भूख और कुपोषण की स्थिति बतानेवाली इस रिपोर्ट में 121 देशों में भारत को यह रैंक मिली है, जबकि बीते साल भारत 101वें स्थान पर था।

वैश्विक भुखमरी सूचकांक, वैश्विक, क्षेत्रीय और देश के स्तर पर भूख को व्यापक रूप से मापने का एक साधन है। इसकी गणना चार संकेतकों अंडरन्यूट्रिशमेंट, चाइल्ड वेस्टिंग, चाइल्ड स्टंटिंग और बाल मृत्यु दर के आधार पर की जाती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया में युद्ध, जलवायु परिवर्तन, कोविड-19 महामारी जैसे कारणों ने भूख की समस्या को और बड़ा बना दिया है। सूचकांक के मुताबिक वर्तमान में 44 ऐसे देश हैं, जहां भुखमरी गंभीर या खतरनाक स्तर पर है। रिपोर्ट के मुताबिक़ साल 2021 में दुनिया में 828 मिलियन लोगों ने पोषण की कमी का सामना किया।

रिपोर्ट में भारत का प्रदर्शन

तस्वीर साभारः Global Hunger Index

भारत भुखमरी के मामले में दक्षिण एशिया के अन्य देशों नेपाल, पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका से भी पीछे है। भारत का स्कोर 29.1 है, जिससे यह गंभीर श्रेणी में आता है। अफगानिस्तान दक्षिण एशिया का एकमात्र देश है जिसका प्रदर्शन भारत से भी खराब है। लगातार भारत की भुखमरी की रैंक में गिरावट दर्ज की गई है। 2021 में भारत 116 देशों में 101वें स्थान पर था। 2020 में 107 देशों में से 94वें नंबर पर था। 2019 में 117 देशों में भारत 102वें नंबर पर था। रिपोर्ट के अनुसार 2000 के बाद भारत की स्थिति में केवल 3.2 प्रतिशत का सुधार हुआ है। भारत भुखमरी खत्म करने की दिशा में क्या प्रयास कर रहा है यह इसकी लगातार गिरती रैंकिंग से साफ पता चलता है। 

क्या कहती हैं अन्य रिपोर्ट्स

फ्रंटलाइन में प्रकाशित ख़बर में ‘द फूड एंड एग्रीकल्चर ऑगनाइजे़शन’ की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2020 में, भारत में 1,331.5 मिलियन लोगों में से 973.3 मिलियन लोग वे थे जो दक्षिण एशिया में स्वस्थ भोजन का खर्च नहीं उठा सकते थे। पूरे एशिया में 1891.4 मिलियन लोग स्वस्थ आहार का खर्च नहीं उठा सकते थे जिनमें से लगभग आधी संख्या भारत की थी। दूसरी ओर एफएओ ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि भारत की ओर से आवश्यक डेटा साझा नहीं किया गया। रिपोर्ट के मुताबिक़ 2019-21 में भारत के 41 फीसदी लोगों ने खाद्य असुरक्षा का सामना किया। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जारी कई रिपोर्ट में यह कहा जा चुका है कि भारत ने गरीबी, भूख से संबंधित डेटा साझा नहीं किया है। 

भले ही भुखमरी की स्थिति में भारत का ग्राफ साल दर साल नीचे जा रहा हो, मुफ्त राशन योजना पर प्रधानमंत्री समेत लगभग हर मंत्री सरकार की वाहवाही करते दिखते हो लेकिन क्या सभी रिपोर्ट्स गलत हैं। भूख, गरीबी, असमानता और खाद्य सुरक्षा जैसे मुद्दों पर आधारित कई अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट्स में भारत की स्थिति को चिंताजनक बताया जा चुका है। बावजूद इसके भारत सरकार इसे अपने ख़िलाफ़ षड्यंत्र बताती नज़र आती है। अगर किसी अंतररष्ट्रीय रिपोर्ट में भारत की स्थिति को खराब बताया जाता है तो सरकार उसने तुरंत खारिज करती दिखती है।

भारत में गरीबी और महंगाई लगातार बढ़ रही है जिससे लोगों के लिए बुनियादी ज़रूरत भोजन को हासित करने के लिए मशक्त का सामना करना पड़ रहा है। बावजूद इसके सरकार अपने प्रचार तंत्र के माध्यम से ऐसी ख़बरों को गलत साबित कर चुप्पी साध लेती है। आलोचना को साजिश करार देने वाली सरकार आखिर कब तक वास्तविकता से नज़र चुराती रहेगी।

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