ऐतिहासिक तौर पर तकनीक और विज्ञान के क्षेत्र में पुरुषों का वर्चस्व रहा है। तकनीकी सुविधाओं तक भी पहली पहुंच पुरुषों की ही बनी। लेकिन चीजें धीरे-धीरे बदल रही हैं। जहां दुनियाभर में सिसजेंडर पुरुषों से इतर लैंगिक पहचान रखनेवाले लोगों को समान, सुविधाओं और जानकारियों को पहुंचाने का रास्ता तकनीक द्वारा तैयार किया जा रहा है।
फेमटेक क्या है
तकनीक के माध्यम से इस अंतर को खत्म करने के लिए और ख़ासतौर पर स्वास्थ्य से जुड़ी सही जानकारी को देने के लिए ‘फेमटेक’ का इस्तेमाल किया जा रहा है। फेमटेक टर्म से तात्पर्य उन उत्पाद, सेवाओं, सॉफ्टवेयर आदि से हैं जिनमें विशेषतौर पर महिला स्वास्थ्य के मुद्दों को संबोधित किया जाता है। यह फीमेल टेक्नोलॉजी का संक्षिप्त अर्थ है। इसमें डिजिटल मेंन्स्ट्रुअल हेल्थ, यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य, मातृत्व स्वास्थ्य, मेनोपॉज, गर्भनिरोधक, गर्भावस्था और मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर जानकारी और सुविधाएं दी जाती हैं। डिटिजली इन मुद्दों पर काम करने की अवधारणा ज्यादा पुरानी नहीं है।
साल 2016 में सबसे पहले ‘फेमटेक’ शब्द इस्तेमाल करने का श्रेय डेनिश उद्यमी ईडा टिन को जाता है। उस समय डेनिश उद्यमी ने नोट किया कि फेमटेक यानि तकनीक के माध्यम से महिला स्वास्थ्य संबंधी ज़रूरतों को पूरा किया जा सकता है। ईडा मेन्स्ट्रुअल हेल्थ ऐप ‘क्लू’ की सह-संस्थापक हैं। यह ऐप लोगों को उनके वजन, मूड, नींद, स्वाद, ब्लीडिंग आदि को पीरियड्स में ट्रैक करने में मदद करता है।
इससे अलग एक और महिला हैं तानिया बोलर, जिन्होंने इस क्षेत्र को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। तानिया फीमेल हेल्थटेक कंपनी ‘एल्वी’ की संस्थापक और मुख्य निर्देशक हैं। इस कंपनी का पहला उत्पाद पेल्विक फ्लोर ट्रेनर है जो महिलाओं को व्यायाम करवाता है। यह ब्लूटूथ के माध्यम से जुड़कर काम करता है और यह प्रोग्रेस को ट्रैक भी करता है। इसके अलावा कंपनी ने साइलेंट, वायरलेस ब्रेस्ट पंप का निर्माण किया है। यही नहीं सार्वजनिक जगहों में ब्रेस्टफींडिग और पंपिंग के स्टिग्मा को हटाने के लिए लंदन में #FreeTheFeed अभियान शुरू किया था। यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर फेमटेक स्टार्टअप के ज़रिये मेनस्ट्रीम में लाया गया। एक तरह से कहा जा सकता है कि फेमटेक इंडस्ट्री इन विषयों पर संवाद करने और पहले से ज्यादा बेहतर जानकारी पहुंचाने का काम कर रही है।
यह पितृसत्तात्मक दुनिया का व्यवहार है कि यहां कुछ मुद्दों को कलंक बताया जाता है। ख़ासतौर पर महिला के शारीरिक बदलाव और उनकी ज़रूरतो को शर्म का विषय बताया जाता है जिसपर खुलकर बात करना बुरा माना जाता है। फेमटेक कंपनियां स्वास्थ्य के संदर्भ में इस दूरी को खत्म करने में सबसे ज्यादा योगदान दे रही हैं। अपने प्रॉडक्ट के प्रचार में कंपनियां यौन स्वास्थ्य, पीरियड्स के विषय पर सार्वजनिक तौर पर संवाद करने का काम कर रही हैं। फेमटेक ऐप और डिजिटल टेक्नोलॉजी का मकसद स्वास्थ्य से जुड़ी छोटी से छोटी जानकारी और उसमें बदलाव के लिए उन्हें अपडेट रखने में मददगार है।
तकनीक के माध्यम से इस अंतर को खत्म करने के लिए और ख़ासतौर पर स्वास्थ्य से जुड़ी सही जानकारी को देने के लिए ‘फेमटेक’ का इस्तेमाल किया जा रहा है। फेमटेक टर्म से तात्पर्य उन उत्पाद, सेवाओं, सॉफ्टवेयर आदि से हैं जिनमें विशेषतौर पर महिला स्वास्थ्य के मुद्दों को संबोधित किया जाता है।
फेमटेक क्यों ज़रूरी है
फेमटेक विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में पुरुषों के वर्चस्व, उनके ही विचारों को आगे बढ़ाने और केवल एक जेंडर के आधार पर चीजों की कल्पना और विचारों को खत्म करता है। यह उस रूढ़िवादी सोच को भी जवाब है जिसमें कहा जाता है कि तकनीकी क्षेत्र महिलाओं के लिए नहीं है। फेमटेक कंपनियां महिलाओं के लिए तकनीकी जगत में बने पूर्वाग्रहों को खत्म कर प्रतिभाशाली और योग्य महिला तकनीशियनों और वैज्ञानिकों को आगे बढ़ाने का काम करती हैं। साथ ही इस क्षेत्र में उन्हें रोजगार के ज्यादा अवसर देती है। अधिकतर फेमटेक कंपनियां महिलाओं द्वारा स्थापित की गई हैं। इस वजह से ये महिलाओं की आवश्यकताओं और परेशानियों को बेहतर तरीके से समझने और उनके समाधान निकालने की दिशा में ज्यादा संवेदनशील भी दिखती हैं।
सुविधाओं तक सुगम पहुंच
अमेरिका में हुआ एक अध्ययन इस बात की तस्दीक करता है कि युवा महिलाओं को छाती में दर्द की शिकायत के बाद चिकित्सीय सेवा मिलने में पुरुष के मुकाबले ज्यादा समय लगता है। यह तस्वीर केवल अमेरिका की नहीं है बल्कि पूरी दुनिया की है। पुरुषों से इतर लैंगिक पहचान रखने वाले लोगों को हर तरह की सुविधाओं तक उनकी पहुंच का रास्ता कठिन हो जाता है। ऐसे में फेमटेक कंपनियां इस दूरी को कम करने की दिशा में ही काम कर रही है। तकनीक के इस प्रारुप के ज़रिये सबसे पहले सुविधाओं को बेहतर तरीके से सब लोगों तक पहुंचाना है। वर्चुअल क्लीनिक, सीधा उपभोक्ता तक प्रिस्क्रिप्शन की डिलीवरी, अस्पतालों में महिलाओं के लिए सुविधाजनक माहौल बनाना और सब तक स्वास्थ्य संबंधी जानकारी की पहुंच बनाना।
सेल्फ-केयर की सुविधा
फीमेल टेक कंपनियों द्वारा उपलब्ध कराए जाने वाले वियरेबल डिवाइस, हेल्थ केयर ट्रैकर जैसी सुविधाएं महिलाओं को घर पर ही रहकर उनके स्वास्थ्य की निगरानी का काम करती है। ट्रैकर के ज़रिये वे खुद स्वास्थ्य संबंधी डेटा को इकट्टा कर अपनी सेहत का बेहतर तरीके से ख्याल रखने में मदद कर पाती हैं। साथ ही इस बात को भी नहीं नकारा जाता है कि हाल में प्रकाशित कई मीडिया की ख़बरों में ये बात भी सामने आई है कि कैसे पीरियड्स ट्रैकिंग ऐप पर डेटा लीक हो रहा है। अमेरिका में अबॉर्शन के अधिकार पर लगी रोक के बाद इस मामले में कई बाते सामने आई हैं।
साल 2017 और 2019 के बीच फ्लो ऐप पर मेन्स्ट्रुअल साइकल, प्रेगनेंसी से जुड़ी लाखों यूजर के डेटा को गूगल और फेसबुक जैसी कंपनियों को देने का आरोप लगा। साल 2018 में प्राइवेसी इंटरनैशनल ने रिपोर्ट में दावा किया था कि बहुत सी पॉपुलर मेन्स्ट्रुअल ऐप लगातार फेसबुक के साथ डेटा शेयर कर रहे हैं। इसमें 36 ऐप टेस्ट किए गए और 61 प्रतिशत ऑटोमैटिक फेसबुक के साथ डेटा शेयर करते पाए गए।
अमेरिका में बड़ी संख्या में महिलाएं पीरियड्स ट्रैकिंग ऐप को डिलीट कर रही हैं। इसकी एक सीधी वजह ये है कि पूर्व में भी पीरियड्स ट्रैकिंग ऐप पर डेटा लीक करने का आरोप लग चुका है। यहां बड़ी संख्या में महिलाएं इन ऐप का इस्तेमाल करती हैं। द लीफलेट में छपी ख़बर के अनुसार अमेरिकी कांग्रेस ने इस मामले में अबॉर्शन और अन्य प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े संवेदशील व्यक्तिगत डेटा के संग्रह और ब्रिकी की जांच को कहा है। 2019 में ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार गूगल प्ले पर मौजूद 79 प्रतिशत हेल्थ ऐप जो दवाई, जानकारियां देते हैं वे लगातार अपने यूजर्स का डेटा शेयर करते हैं और पारदर्शिता से बहुत दूर हैं।
बाज़ार और अवसर
मुख्य तौर पर फेमटेक कंपनियों की नज़र दुनिया की आधी आबादी कही जानी वाली महिलाओं पर हैं। उनको ध्यान में रखकर उत्पाद बनाने वाली इन कंपनियों का समय के साथ बाजार तेजी से बढ़ रहा है। एक वेबसाइट में छपी जानकारी के अनुसार फेमटेक की वर्तमान बाजार 500 मिलियन यूएस डॉलर से एक बिलियन यूएस डॉलर तक है। इस नंबर को तेजी से बढ़ने के अनुमान भी लगाए जा चुके हैं। डिजिटल हेल्थ पर सभी फेमटेक कंपनियां वर्तमान डिलिजल हेल्थ फंडिंग का तीन प्रतिशत हासिल कर रही है। फोर्ब्स डॉटकॉम के अनुसार 2025 तक फेमटेक इंडस्ट्री 50 बियिलन यूएस डॉलर होने का अनुमान है। साल 2019 में फेमटेक कंपनियां ने 800 मिलियन यूएस डॉलर की फंडिंग मिली थी।
समय के साथ निवेशक, वैज्ञानिक और नेता प्रजनन स्वास्थ से अलग फेमटेक की मूल अवधारणा को बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं। इसमें महिला प्रजनन अंग और अलज़ाइमर और इम्यूनोडेफिशिएंसी जो महिलाओं के स्वास्थ्य को पुरुषों से अलग तरह से प्रभावित करते हैं उन पर ध्यान देने की ज़रूरत है। साथ ही इस पर भी ध्यान देने की बहुत ज़रूरत है कि फेमटेक आंदोलन इंटरसेक्शनल तौर पर आगे बढ़े जहां महिलाओं के साथ-साथ क्वीयर, एलजीबीटी+ समुदाय के लोगों के लिए भी काम हो।
बाजार और मुनाफे के बीच फेमटेक इंडस्ट्री
समय बदल रहा है उसके साथ ही पूर्व के परिदृश्य भी बदल रहे हैं। तकनीक और मोबाइल फोन ने डॉक्टरी सलाह को हर पल इंसान के करीब पहुंचा दिया है। लेकिन कंपनियों के डेटा प्राइवेसी के मुद्दे के सवाल को भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता है। प्रोसपेक्ट मैगजीन में प्रकाशित लेख के अनुसार साल 2017 और 2019 के बीच फ्लो ऐप पर मेन्स्ट्रुअल साइकल, प्रेगनेंसी से जुड़ी लाखों यूजर के डेटा को गूगल और फेसबुक जैसी कंपनियों को देने का आरोप लगा। साल 2018 में प्राइवेसी इंटरनैशनल ने रिपोर्ट में दावा किया था कि बहुत सी पॉपुलर मेन्स्ट्रुअल ऐप लगातार फेसबुक के साथ डेटा शेयर कर रहे हैं। इसमें 36 ऐप टेस्ट किए गए और 61 प्रतिशत ऑटोमैटिक फेसबुक के साथ डेटा शेयर करते पाए गए।
इस पर भी ध्यान देने की बहुत ज़रूरत है कि फेमटेक आंदोलन इंटरसेक्शनल तौर पर आगे बढ़े जहां महिलाओं के साथ-साथ क्वीयर, एलजीबीटी+ समुदाय के लोगों के लिए भी काम हो।
इसी तरह एक अन्य अध्ययन में 2019 में 24 स्वास्थ्य संबंधी जानकारी देने वाले ऐप मे से 67 प्रतिशत किसी तीसरी पार्टी के साथ विज्ञापन के लिए डेटा शेयर करते पाए गए। इस तरह की जानकारी यह भी साफ करती है कि कैसे फेमटेक भी बाजार और मुनाफे वाले रास्ते पर चल कर मूल्यों पर काम करने में असमर्थ पाया जा रहा है। भले ही यह इंडस्ट्री विशेष तौर पर महिलाओं में जागरूकता लाने का काम कर रही हो लेकिन इन बातों को ध्यान रखना भी बहुत ज़रूरी है कि यह डेटा को सुरक्षित रखने में कितनी ईमानदार है। हमें यह ध्यान रखना होगा कि फेमटेक इंडस्ट्री जिस तरह के दावे करती है वह उन पर कितना खरा उतर रही है।
साथ ही अभी एलजीबीटी्क्यू समुदाय को सही और संवेदशील तरीके से एड्रेस करने की इन ऐप्स को बहुत ज़रूरत है। अगर फेमटेक इंडस्ट्री बाजार और मुनाफे पर जोर देकर आगे बढ़ती है तो यह वास्तव में समावेशी मूल्यों के विपरीत है। दूसरी और ये बात भी स्पष्ट है कि अभी इस तरह की तकनीकी स्वास्थ्य सुविधाओं की पहुंच केवल एक सीमित बड़े शहरों में, विशेषाधिकार, शिक्षित लोगों तक ही पहुंच बना रही हैं। सब तक जानकारियां पहुंचाने के लिए इस दिशा में और प्रयास करने बाकी है।
स्रोतः