संस्कृतिख़ास बात मॉडलिंग और मातृत्व की ज़िम्मेदारियों के बीच आदिवासी होने का संघर्ष-अलीशा गौतम उरांव

मॉडलिंग और मातृत्व की ज़िम्मेदारियों के बीच आदिवासी होने का संघर्ष-अलीशा गौतम उरांव

अलीशा अपनीदो बेटियों और पति के साथ झारखंड की राजधानी रांची में रहती है। मॉडलिंग के अलावा अलीशा एक क्लाउड किचन रेस्त्रां चलाने के साथ-साथ उनकी नानी द्वारा संचालित स्कूल में बच्चों को पढ़ाती भी हैं।

“दसवीं  के बाद जब मैं आगे की पढ़ाई के लिए घर से दूर देहरादून गई तो पहले दो महीने तक तो मुझसे किसी ने बात ही नहीं की। मेरे रंग और बनावट को देखकर उन्हें लगता था कि मैं किसी और देश से आई हूं।” यह कहना है झारखंड की एक आदिवासी मॉडल अलीशा गौतम उरांव की। जो हाल ही में एक फैशन शो में अपनी 10 महीने की बेटी को बेतरा (बच्चे को अपने जिस्म से बांधने वाला कपड़ा) में बांधकर रैंप पर चलने के कारण चर्चा में आई। हालांकि, इस फैशन शो का आयोजन झारखंड की राजधानी रांची में अगस्त महीने में हुआ था लेकिन सोशल मीडिया पर दो महीने बाद तस्वीर वायरल होने के बाद से अलीशा चर्चा में आई हैं।

‘नेटिव लुगा फैशन शो’ में अपनी बेटी को सीने से बांधकर चलने के पीछे का कारण उन्होंने बताया, “जब एक मां, बच्चे को लेकर खेतों में रोपा कर सकती है, मज़दूरी कर सकती है, घर के सारे काम कर सकती है तो रैंप वॉक क्यों नहीं? इस फैशन शो के माध्यम से मैं उन सभी महिलाओं को एक संदेश देना चाहती थी कि आप शादी और बच्चे के साथ भी अपने मनचाहे काम को जारी रख सकती हैं। शादी या बच्चे हो जाने के बाद ख़ुद को चार दीवारी में कैद करने की ज़रूरत नहीं है।” उनके इस कदम को लोगों की काफी सराहना मिल रही है, लेकिन साथ ही कई नकारात्मक टिप्पणियां भी सुनने को मिल रही हैं।

अलीशा अपनी दो बेटियों और पति के साथ झारखंड की राजधानी रांची में रहती है। मॉडलिंग के अलावा अलीशा एक क्लाउड किचन रेस्त्रां चलाने के साथ-साथ उनकी नानी द्वारा संचालित स्कूल में बच्चों को पढ़ाती भी हैं। अलीशा से जब हमने पूछा कि घर-परिवार के साथ इतना कुछ मैनेज कैसे करती है तो उन्होंने बताया, “ये सब कुछ अकेले कर पाना थोड़ा मुश्किल है लेकिन घरवालों और पति के साथ से काम थोड़ा आसान हो जाता है। जब मुझे कोई काम होता है तो बच्चों का ख्याल मेरे पति रखते हैं। बच्चों का ध्यान रखने के साथ-साथ वह घर के कामों में भी मेरी काफी मदद करते हैं। लेकिन जब वह मौजूद नहीं होते हैं, तब सारा कुछ मुझे खुद ही करना पड़ता है। चाहे वह बच्चों को देखना हो या रेस्त्रां में खाना बनाना हो। कई बार ऐसा भी हुआ है कि मैं अपनी बेटी को दूध पिलाते हुए खाना बना रही होती हूं। वैसे मैं जब इन सबके बारे में सोचती हूं तो मुझे और ताकत मिलती है।”

बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि किसी भी औरत की ज़िंदगी में उसकी ताक़त उसका पार्टनर होता है। कोई भी रिश्ता एकतरफा नहीं होना चाहिए। जब चीज़ें किसी एक पर निर्धारित कर दी जाती हैं तब रिश्ते में कड़वाहट आने लगती है। कोई भी रिश्ता तब ही बढ़िया चलता जब चीज़ें परस्पर होती हैं।

रैंप पर अपनी बेटी के साथ अलीशा

अलीशा ने अपनी कहानी के दूसरे पहलु पर रोशनी डालते हुए बताया कि आदिवासी होने और उनकी रंग की वजह से उन्हें काफी भेदभाव का सामना करना पड़ा है। यह उनके साथ बचपन से ही होता आ रहा है। उनकी पड़ोसी उन्हें ‘काली बिल्ली’ कहकर बुलाया करती थी। बातचीत के दौरान ही अलीशा ने साल 2021 में राजधानी रांची में आयोजित ‘मिस बाहा ट्राइबल ब्यूटी क्वीन ऑफ़ इंडिया’ नामक एक फैशन शो के एक किस्से का ज़िक्र किया जहां उनके चेहरे की बनावट और रंग को लेकर एक वॉट्सऐप ग्रुप में काफी आपत्तिजनक टिप्पणियां की गई थीं। उन्होंने बताया कि कॉन्टेस्ट के दौरान प्रतियोगियों ने एक वॉट्सऐप ग्रुप बनाया था जिसमें अलीशा को भी जोड़ा गया था। बाद में उन्हें उस ग्रुप से हटा दिया गया।

आदिवासी समुदाय के हालात पर चर्चा करते हुए वह कहती हैं, “सिर्फ आदिवासी समुदाय ही नहीं बल्कि हर वह समुदाय जो आज हाशिये पर है, उन्हें शिक्षा हासिल करनी होगी। शिक्षा ही एक माध्यम है जिससे उनकी हालत सुधर सकती है। दुनिया तेज़ी से आगे बढ़ रही है, भेदभाव मिटाने की बातें हो रही हैं लेकिन फ़ैशन उद्योग मानो इस बदलाव के लिए अभी भी पूरी तरह से तैयार नज़र नहीं आता।

अलीशा ने वॉट्सऐप ग्रुप में की गई बातों का ज़िक्र करते हुए बताया कि वहां कुछ लोगों ने लिखा था,  “न तो उसे (अलीशा) चलना आता है, न तो शक्ल अच्छी है और न ही उसे बोलना आता है। फिर भी कैसे प्रतियोगिता में अगले राउंड के लिए सेलेक्ट हो जाती है और जीत जाती है। ज़रूर इसकी प्रबंधन के साथ कोई सेटिंग होगी या फिर जजों में किसी के साथ कोई चक्कर होगा।”

हैरान करनेवाली बात यह थी कि जो अलीशा के बारे में ऐसी बातें कर रहे थे, उनमें से कई खुद भी आदिवासी समाज से ही वास्ता रखते थे। वह आगे कहती हैं, “एक समय तो ऐसा आया कि मैं आईने के सामने खड़ी होकर खुद से सवाल किया करती थी कि क्या सच में मुझमें कोई कमी है? मैं अपने पति से पूछा करती थी कि क्या मैं अच्छी नहीं दिखती हूं? वह वक़्त मेरे लिए तनाव से भरा हुआ था।”

हमने अलीशा से पूछा कि ऐसे तनाव से उबरने के लिए उन्होंने क्या किया? वह कहती हैं, “ऐसे वक़्त में आपको अपनों की सबसे ज्यादा ज़रूरत होती है, जिनसे आप खुलकर इस बारे में बात कर सकें। मैंने अपनी पति से लेकर अपने माँ-बाप सभी से बात की और उनकी बातों से मुझे काफी ताकत महसूस होती थी। जैसा कि मैंने आपको बताया मैं अपने पति से पूछा करती थी कि क्या मैं अच्छी नहीं दिखती। तब मेरे पति ने मुझे कहा कि लोगों कि बातों पर ध्यान मत दो। हमारे समाज जब कोई महिला कामयाबी की तरफ बढ़ती है तब बहुत से लोग उसे हजम नहीं कर पाते हैं। इसलिए खुद पर यकीन रखना ज़रूरी है।”

बातचीत के दौरान ही अलीशा ने साल 2021 में राजधानी रांची में आयोजित ‘मिस बाहा ट्राइबल ब्यूटी क्वीन ऑफ़ इंडिया’ नामक एक फैशन शो के एक किस्से का ज़िक्र किया जहां उनके चेहरे की बनावट और रंग को लेकर एक वॉट्सऐप ग्रुप में काफी आपत्तिजनक टिप्पणियां की गई थीं। उन्होंने बताया कि कॉन्टेस्ट के दौरान प्रतियोगियों ने एक वॉट्सऐप ग्रुप बनाया था जिसमें अलीशा को भी जोड़ा गया था। बाद में उन्हें उस ग्रुप से हटा दिया गया।

अलीशा आगे कहती हैं, “मैं उन सभी स्त्रियों, जिनके साथ किसी भी तरह का दुर्व्यवहार हो रहा है, उन्हें यह कहना चाहती हूं कि आप बात ज़रूर करें। चाहे जिससे भी करें लेकिन बात करनी ज़रूरी है। बात करने से आप अच्छा महसूस करते हैं और लोगों के सुझाव आपके बहुत काम आते हैं। इन सब से बेहद ज़रूरी है खुद को स्वीकार करना। खुद पर यकीन करना।“

आदिवासी समुदाय के हालात पर चर्चा करते हुए वह कहती हैं, “सिर्फ आदिवासी समुदाय ही नहीं बल्कि हर वह समुदाय जो आज हाशिये पर है, उन्हें शिक्षा हासिल करनी होगी। शिक्षा ही एक माध्यम है जिससे उनकी हालत सुधर सकती है। दुनिया तेज़ी से आगे बढ़ रही है, भेदभाव मिटाने की बातें हो रही हैं लेकिन फ़ैशन उद्योग मानो इस बदलाव के लिए अभी भी पूरी तरह से तैयार नज़र नहीं आता। लेकिन आज फ़ैशन उद्योग से जुड़ी कई काली मॉडल्स सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी आवाज़ बुलंद कर रही हैं। लाइबेरिया की रहने वाली ब्लैक मॉडल डिडे हार्वर्ड ने कुछ वक़्त पहले सोशल मीडिया प्लेटफार्म इंस्टाग्राम पर एक कैंपेन चलाया था। इसमें उन्होंने कुछ ऐसे मशहूर विज्ञापनों को चुना जिनमें गोरी मॉडलों को उस ऐड का हिस्सा बनाया गया था। फिर उन्हीं मॉडलों की तर्ज पर उन्हीं के जैसे पोज़ में फ़ोटो शूट करवाया और उन्हें इंस्टाग्राम पर पोस्ट किया। डिडे ने अपने इस अभियान को ‘ब्लैक मिरर नाम दिया था।” सोशल मीडिया में वायरल होने के बाद से अलीशा को सिर्फ झारखंड में नहीं बल्कि दूसरे राज्यों में भी सराहा जा रहा है। ऐसे में अलीशा उन सभी आदिवासी और शादीशुदा लड़कियों के लिए एक प्रेरणा साबित हो रही हैं।


सभी तस्वीरें अलीशा के फेसबुक वाल से ली गई हैं

Comments:

  1. Ahsanullah says:

    Umda report

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