यूटेरिन फाइब्रॉएड यानी गर्भाशय में गांठें एक नॉन कैंसर स्थिति है। यह एक जेनेटिक, हॉर्मोनल और प्रजनन संबंधी स्थिति है जो अक्सर लोगों को प्रभावित करती है। इस स्थिति में गर्भाशय में ट्यूमर हो जाता है जो गर्भाशय या उसके आसपास वाले क्षेत्र में बढ़ता चला जाता है। मायो क्लीनिक में प्रकाशित जानकारी के अनुसार यह अक्सर बच्चों के जन्म के वर्षों के दौरान होती है। इसे लियोमायोमास या मायोमा भी कहा जाता है। यूटेरिन यानी गर्भाशय फाइब्रॉएड गर्भाशय के कैंसर जोखिम से जुड़े नहीं होते हैं और कभी भी कैंसर में विकसित नहीं होते हैं।
फाइब्रॉएड्स का आकार मनुष्य की आंख से न दिखने वाले छोटे-छोटे बीज से लेकर काफ़ी बड़े आकार तक का हो सकता है। गर्भाशय में फाइब्रॉएड एक या उससे ज्यादा भी हो सकते है। कुछ मामलों में कई फाइब्रॉएड गर्भाशय का इतना विस्तार कर देते हैं कि यह पसलियों तक पहुंच जाता है। इस वजह से उस व्यक्ति का वज़न बहुत बढ़ सकता है। कुछ मामलों में डॉक्टर पेल्विक एग्जाम और प्रसवपूर्व अल्ट्रासाउंड के दौरान संयोग से फाइब्रॉएड का पता चलता है।
क्या गर्भाशय में फाइब्रॉएड बहुत सामान्य है?
क्लीवलैंड क्लीनिक में प्रकाशित जानकारी के अनुसार फाइब्रॉएड बहुत ही सामान्य होनेे वाली स्थिति है। लगभग 40 से 80 प्रतिशत लोग इसका सामना करते हैं। कुछ लोग फाइब्रॉएड होने के बावजूद उनके शरीर में इसके कोई लक्षण सामने नहीं आते हैं। ऐसा अक्सर जब होता है तब फाइब्रॉएड बहुत ही छोटे आकार के होते हैं। ऐसे फाइब्रॉएड को एसिस्टमैटिक कहा जाता है क्योंकि उनके कोई लक्षण नहीं होते है जिस वजह से कुछ असमान्य महसूस होता हो। इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित ख़बर के अनुसार भारत में ग्रामीण आबादी में फाइब्रॉएड का प्रसार 37.65 प्रतिशत और शहरी आबादी में 24 प्रतिशत बताया गया है।
यूटेरिन फाइब्रॉएड यानी गर्भाशय में गांठें एक नॉन कैंसर स्थिति है। यह एक जेनेटिक, हॉर्मोनल और प्रजनन संबंधी स्थिति है जो अक्सर लोगों को प्रभावित करती है।
गर्भाशय में फाइब्रॉएड के लक्षण
फाइब्रॉएड के मामलों में कई बार इसके लक्षण सामने नहीं आते हैं लेकिन हर स्थिति में ऐसा नहीं होता है। गर्भाशय फाइब्रॉएड होने की वजह से पीरियड्स के दौरान हेवी ब्लीडिंग, पीरियड्स का कई दिनों तक चलना, पेल्विक एरिया में दर्द और तनाव, लगातार पेशाब करने की आवश्यकता, पेशाब करने में समस्या, कब्ज़, कमर और पैरों में दर्द, अबॉर्शन जैसी समस्याएं शरीर में होने लगती हैं। नैशनल लाइब्रेरी ऑफ साइंस के अनुसार लगभग 25 से 50 प्रतिशत महिलाओं में फाइब्रॉएड के लक्षण दिखते हैं।
गर्भाशय फाइब्रॉइएड को चार अलग-अलग प्रकार में बांटा गया है। गर्भाशय के अंदर और बाहर दोंनो जगह फाइब्रॉएड होने की संभावना हो सकती है। इलाज के दौरान फाइब्रॉएड की जगह और आकार दोंनो बहुत महत्वपूर्ण रखते हैं। फाइब्रॉएड किस जगह, कैसे बढ़ रहा है और कितने है यह इसके इलाज के लिए बहुत ज़रूरी है। गर्भाशय की अलग-अलग जगह होनेवाले फाइब्रॉए़ड को अलग-अलग नाम भी दिए गए हैं। ये नाम न केवल फाइब्रॉएड की जगह बता पाते हैं बल्कि इसका क्या प्रभाव है यह भी बता पाने में मदद करते हैं।
गर्भाशय फाइब्रॉएड के प्रकार
सबसे पहले सबम्यूकोसल फाइब्रॉएड गर्भाशय की आंतरिक परत पर होते हैं। यह गर्भावस्था के समय जब बच्चा बढ़ रहा होता है तब ये गर्भाशय में बढ़ जाते है। इंट्राम्यूरल फाइब्रॉएड गर्भाशय की मांसपेशियों पर ही जड़े रहते है। ये चित्र में यूटरस की एक दीवार जैसे प्रतीत होते है। सबसेरोसल फाइब्रॉएड गर्भाशय की बाहरी परत पर होते हैं। ये फाइब्रॉएड गर्भाशय की बाहरी जगह से जुड़े होते हैं। पेडुक्युलेटेड फाइब्रॉएड के सबसे हल्के लक्षण होते हैं जब तक वे बहुत बड़े नहीं होते हैं।
क्या फाइब्रॉएड से कैंसर हो सकता है?
फाइब्रॉएड का कैंसर में बदलना बहुत ही दुर्लभ स्थिति है। बहुत ही दुर्लभ केस में फाइब्रॉएड मेलिगेनन्ट ट्यूमर (कैंसर या किसी रोग के कारण बनी गाँठ) बन पाती है। इस तरह का शुरूआत में कोई परीक्षण नहीं है जो कैंसर का पता लगाने की भविष्यवाणी करता हो। लेकिन जिन लोगों में तेजी से गर्भाशय फाइब्रॉएड बढ़ रहे हो, मेनोपॉज के समय बढ़ने वाले फाइब्रॉएड का मूल्यांकन तेजी करना चाहिए। न्यूयार्क स्टेट के डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ की वेबसाइट के अनुसार फाइब्रॉएड कैंसर की वजह नहीं होते हैं। बहुत ही दुर्लभ केस में फाइब्रॉएड की वजह से कैंसर होने की संभावना होती है। फाइब्रॉएड से होने वाला कैंसर लेयोमायोसारकोमा कहा जाता है।
गर्भाशय फाइब्रॉएड की रोकथाम और इलाज
गर्भाशय फाइब्रॉएड का इलाज बहुत हद तक उसके आकार, संख्या और जगह पर निर्भर करता है और साथ ही किस तरह के लक्षण शरीर में पैदा हो रहे हैं। यूएस डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ हेंड ह्यूमन सर्विस की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार अगर आपके फाइब्रॉएड है और हल्के लक्षण भी है तो डॉक्टर से तुरंत परामर्श लेना चाहिए। फाइब्रॉएड के उपचार के तौर पर डॉक्टर की सलाह द्वारा ली गई दवाईयां भी लाभकारी होती है। इसके बाद दूसरे विकल्प के तौर पर सर्जरी को देखा जाता है। अगर मध्यम और बहुत सारे लक्षणों का सामना कर रहे हैं तो डॉक्टर सर्जरी के द्वारा फाइब्रॉएड का उपचार भी करते हैं।
फाइब्रॉएड के मामलों में कई बार इसके लक्षण सामने नहीं आते हैं लेकिन हर स्थिति में ऐसा नहीं होता है। गर्भाशय फाइब्रॉएड होने की वजह से पीरियड्स के दौरान हेवी ब्लीडिंग, पीरियड्स का कई दिनों तक चलना, पेल्विक एरिया में दर्द और तनाव, लगातार पेशाब करने की आवश्यकता, पेशाब करने में समस्या, कब्ज़, कमर और पैरों में दर्द, अबॉर्शन जैसी समस्याएं शरीर में होने लगती हैं।
डॉ. सरिता त्यागी का कहना है, “यह महिलाओं में एक सामान्य होने वाली समस्या है। फाइब्राइड एक नॉन कैंसर बीमारी है लेकिन ऐसा नहीं है कि गांठ हो गई है तो कैंसर हो गया है। लेकिन गर्भाशय के कैंसर किसी ओर वजह से भी हो सकता है। अगर किसी वजह से अल्ट्रासाउंड कराया और उसमें फाइब्रॉएड निकला तो उसे ऐसे भी छोड़े देते है। बिना लक्षणों के फाइब्रॉएड में समय-समय पर अल्ट्रासाउंड कराना और डॉक्टर से सलाह लेना बहुत ज़रूरी है। शुरू में छह महीने के अंतराल पर और फिर एक साल के समय पर अल्ट्रासाउंड करना चाहिए। इसके अलावा साफ लक्षण सामने आ रहे है तो सर्जरी बेहतर विकल्प होता है। जब मरीज की उम्र कम होती है तो हम उनका गर्भाशय निकालने से बचते है जिससे भविष्य में उन्हें प्रेंगनेट होने में परेशानी न हो। मेनोपॉज की उम्र में मरीज को फाइब्रॉएड है और हेवी ब्लीडिंग हो रही है तो फिर गर्भाशय को निकालने का ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है। लक्षण ज्यादा है दर्द बहुत अधिक है फाइब्रॉएड के साथ अन्य कोई परेशानी शरीर में बन जाती है तो फिर सर्जरी ही करनी पड़ती है।”
ये सर्जरी कई तरह की होती है। इसमें मायोमेक्टोमी यानी फाइब्रॉएड को बिना गर्भाशय को नुकसान पहुंचाए निकालना। दूसरा हिस्टेरेक्टॉमी सर्जरी होती है जिसमें गर्भाशय को ही शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है। एंडोमेट्रियल एब्लेशन में हेवी ब्लीडिंग को कंट्रोल करने के लिए गर्भाशय की परत को हटा दिया जाता है या खत्म कर दिया जाता है। इस ट्रीटमेंट कराने के बाद हेवी ब्लीडिंग से निदान मिलता है। दस में से तीन महिलाओं को बहुत हल्की ब्लीडिंग होती देखी गई लेकिन इस सर्जरी के कराने के बाद महिलाएं बच्चे को जन्म नहीं दे सकती। फाइब्रॉएड खत्म करने का एक तरीका मायोलिसिस भी है। इसमें फाइब्रॉएड में एक सुई डाली जाती है। आमतौर पर यह लैप्रोस्कोपी द्वारा की जाती है। फाइब्रॉएड को खत्म करने के तकनीक के सहारे उसे खत्म किया जाता है।
यूरेटिन फाइब्रॉएड एम्बलाईजेशन (यूएफइ) के द्वारा भी फाइब्रॉएड का इलाज कराया जा सकता है। इसमें छोटे सुई के छेद के माध्यम से एक लचीली नली के फाइब्रॉएड में खून की आपूर्ति करने वाली वाहिकाओं में डाला जाता है। इस प्रक्रिया में फाइब्रॉएड में खून के प्रवाह को रोकना है जिससे उसकी ग्रोथ रुक जाती है। यह एक सरल और कम समय में होने वाली प्रक्रिया है। यूएफए उन लोगों के लिए वरदान है जो हेवी ब्लीडिंग का सामना करते हैं। जो हिस्टेकेक्टॉमी नहीं कराना चाहती उनके लिए भी ये विकल्प बेहतर है और भविष्य में बच्चे को जन्म नहीं देना चाहती है। इस तरह के कई विकल्प और डॉक्टर की सलाह पर गर्भाशय के फाइब्रॉएड का इलाज कराया जा सकता है।