स्वास्थ्य वैजिनिज़्मस : सेक्स के दौरान महिलाओं का दर्दनाक अनुभव पर शर्म नहीं बात की ज़रूरत है | नारीवादी चश्मा

वैजिनिज़्मस : सेक्स के दौरान महिलाओं का दर्दनाक अनुभव पर शर्म नहीं बात की ज़रूरत है | नारीवादी चश्मा

वैजिनिज़्मस एक ऐसी कंडीशन है, जिसमें वजाइना की मसल्स में सिकुड़न होने लगती है, कई बार इसमें ऐठन का भी अनुभव होता है।

‘सेक्स के दौरान तो महिलाओं को दर्द होता ही है।‘ – सेक्स को लेकर आपने भी कभी न कभी ये बात ज़रूर सुनी होगी, जिसमें सेक्स के दौरान महिलाओं को होने दर्द को सामान्य बताया जाता है।  अब जैसा की हम जानते है ‘सेक्स’ का मुद्दा अपने समाज में शर्म का है और इस शर्म की वजह से इस मुद्दे पर न तो हमारे समाज में ज़्यादा बात की जाती है, इसलिए सेक्स से जुड़े तमाम पहलुओं पर जागरूकता का स्तर भी बहुत सीमित है। सेक्स पर शर्म का मुख्य कारण है – पितृसत्तात्मक सोच, जो इंसानों (ख़ासकर महिलाओं) के शरीर से जुड़ी प्रक्रियाओं को रहस्यमयी बनाए रखना चाहती है।

इसी वजह से अपने पितृसत्तात्मक भारतीय समाज में सेक्स को हमेशा इंटरकोर्स या पेनिट्रेशन के रूप में ही देखा जाता है, जो महिला-पुरुष के बीच की संभव बताया जाता है और वो भी शादी के बाद। लेकिन पितृसत्ता की इस जेंडर बाइनरी वाली शादी, सेक्स और महिला-पुरुष के बीच क्या आप ये जानते है कि कई बार महिलाओं को इंटरकोर्स या पेनिट्रेशन के दौरान दर्द का सामना करना पड़ता है और इसकी वजह से महिलाएँ कई बार अपने पार्ट्नर से इंटिमेट होने से डरती है। उनके लिए सेक्स सुखद नहीं बल्कि एक दर्दनाक अनुभव बन जाता है। इतना ही नहीं, पीरियड के दौरान मेन्सट्रुअल कप या टेम्पून का इस्तेमाल करना भी इनके लिए मुश्किल होता है। ये कंडीशन वैजिनिज़्मस कहलाती है। टाइम्स ऑफ़ इंडिया में प्रकाशित एक खबर के अनुसार, ‘यूके में हर पाँच सौ महिला में से एक महिला वैजिनिज़्मस की कंडीशन का शिकार होती है।‘ लेकिन इस संदर्भ में भारत में कोई भी सटीक आँकडें उपलब्ध नहीं है, क्योंकि भारत में ऐसी कोई रिसर्च ही नहीं की गयी है। ऐसा क्यों है, कारण साफ़ है – क्योंकि ये सेक्स और ख़ासकर महिलाओं के निजी अंगों यानी की योनि से जुड़ी कंडीशन है, जिसपर बात करना पितृसत्तात्मक व्यवस्था में वर्जित है। जिस वजह से बहुत बार महिलाएँ खुद भी इसके बारे में बात नहीं कर पाती है।

 वैजिनिस्मस क्या है ?

वैजिनिज़्मस एक ऐसी कंडीशन है, जिसमें वजाइना की मसल्स में सिकुड़न होने लगती है, कई बार इसमें ऐठन का भी अनुभव होता है और वजाइना काफ़ी टाइट हो जाता है। इस स्थिति में इंटरकोर्स, मेन्सट्रुअल कप या टेम्पून या फिर डॉक्टर से इंटिमेट पार्ट की जाँच भी बेहद मुश्किल हो जाती है।

वैजिनिस्मस कितने तरह के होते है ?

वैजिनिस्मस को इसकी कंडीशन के आधार पर तीन प्रमुख भागों में बाँटा गया है –

पहला प्राइमरी वैजिनिस्मस

यह कंडीशन तब होती है जब वजाइना में कुछ भी इन्सर्ट करने पर हर बार दर्द होता है। इसे आजीवन वैजिनिस्मस के नाम से भी जाना जाता है।

दूसरा सेकेंडरी वैजिनिस्मस

ये कंडीशन तब होती जब पहले इंटरकोर्स के दौरान महिलाओं को दर्द का अनुभव नहीं होता है, लेकिन कुछ समय के बाद उन्हें दर्द कि अनुभव होने लगता है।

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तीसरा सिचुएशनल वैजिनिस्मस

ये कंडीशन अलग-अलग कंडीशन पर निर्भर करती है जैसे – सेक्स के दौरान दर्द का अनुभव होता है, लेकिन टैम्पोन इंसर्शन या स्त्री रोग संबंधी टेस्ट के दौरान नहीं।

अब ऐसे में सवाल ये आता है कि वैजिनिस्मस होने की वजह क्या है? विशेषज्ञों और अलग-अलग रिसर्च रिपोर्ट में यह पाया गया कि वैजिनिज़्मस होने की वजहों को दो भागों में बाँटा जा सकता है –

साइकोलोजिकल वजहें

  • सेक्स का डर
  • सेक्सुअल असॉल्ट की मैमोरी 
  • पार्टनर के साथ सही सामंजस्य न होना
  • पहले सेक्स का अच्छा अनुभव न होना
  • शर्म और डर का विचार

अपने समाज में सेक्स को पुरुषों के प्लेजर को ध्यान में रखकर देखा, सोचा और समझा जाता है वहीं महिलाओं को समर्पण के भाव से पुरुषों के सेक्स प्लेजर के लिए खुद को समर्पित करना तथाकथित अच्छी पार्ट्नर के लिए ज़रूरी बताया जाता है।

फ़िज़िकल वजहें

  • वजाइना में सूजन
  • वजाइना की स्किन पतली होना
  • प्रेग्नेंसी या मोनोपाज के बाद वजाइना की स्किन में हुए बदलाव
  • इंड्रोमेट्रोसियोसिस की समस्या

वैजिनिज़्मस के सिमटम क्या है?

  • इंटरकोर्स या पेनिट्रेशन में दर्द या जलन महसूस होना
  •  टेम्पून या मेन्सट्रुअल कप के इस्तेमाल के दौरान दर्द महसूस होना
  • इंटिमेट एरिया में लंबे समय तक दर्द का अनुभव होना
  • गायनोलोजिकल टेस्ट के दौरान दर्द होना

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ये तो बात हुई वैजिनिस्मस की वजहों और सिमटम के बारे में। अब अगर हम बात करें इसके इलाज की तो, वैजिनिस्मस का सफ़ल इलाज संभव है। बस इसके लिए ज़रूरी है, सही समय पर डॉक्टर की सलाह लेने और इलाज की शुरुआत करने की।

अपने समाज में सेक्स को पुरुषों के प्लेजर को ध्यान में रखकर देखा, सोचा और समझा जाता है वहीं महिलाओं को समर्पण के भाव से पुरुषों के सेक्स प्लेजर के लिए खुद को समर्पित करना तथाकथित अच्छी पार्ट्नर के लिए ज़रूरी बताया जाता है, जिसके चलते अधिकतर महिलाएँ अपने इंटिमेट पार्ट से जुड़ी किसी भी समस्या को बताने में हिचकती है फिर वो वैजिनिस्मस ही क्यों न हो। पर अब हमें ये समझना होगा कि अगर हम  वैजिनिस्मस जैसी कंडीशन को नज़रंदाज़ करते है तो ये महिलाओं को मानसिक और शारीरिक दोनों स्तर पर प्रभावित करता है। इसलिए ये ज़रूरी है कि सेक्स और महिला शरीर को लेकर समाज में चली आ रही सदियों की चुप्पी भी जो मानसिक स्तर पर इस कंडीशन का प्रमुख कारण बनती है, उसे तोड़ना शुरू किया जाए और महिला शरीर से जुड़े पहलुओं पर चर्चा की जाए।  अगर आपको भी वैजिनिस्मस के सिम्पटम नज़र आ रहे हैं तो इसे बिल्कुल भी हल्‍कें में ना लें और तुरंत अपने डॉक्‍टर से संपर्क करें। और हां अपनी सेक्सुअल हेल्थ को लेकर हमेशा अवेयर रहें।

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तस्वीर साभार : Shreya Tingal for Feminism in India

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