समाजमीडिया वॉच सोशल मीडिया कैसे फास्ट फैशन इंडस्ट्री को आगे बढ़ाने का काम करता है!

सोशल मीडिया कैसे फास्ट फैशन इंडस्ट्री को आगे बढ़ाने का काम करता है!

फॉस्ट फैशन इंडस्ट्री को बढ़ाने में सोशल मीडिया ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सोशल मीडिया से इस तरह की संस्कृति की स्थापना कर दी है जहां लोग अपनी जिंदगी को बेहतर दिखाने के लिए कपड़ों और यात्राओं पर जोर दे रहे हैं। इस धरती को बचाने के लिए आभासी दुनिया के सच से बाहर निकलना होगा। जहां सबकुछ परफैक्ट दिखता है।

23 वर्षीय लवलीन (बदला हुआ नाम) कॉलेज में पढ़नेवाली एक ऐसी स्टूडेंट हैं जो शायद ही ऑनलाइन प्लैटफॉर्म पर किसी एक ड्रेस में दोबारा फोटो लगाती हो। यही वजह है कि अपने जन्मदिन के महीने में उन्होंने कई अलग-अलग ड्रेस खरीदी। इसके लिए उन्होंने कई हज़ार रुपये खर्च किए। वह अपने खरीदे नये-नये कपड़ों में सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर अपनी फोटो पोस्ट करती हैं। पढ़ाई के साथ-साथ यह उनका पसंदीदा काम है। अपनी इस आदत पर उनका कहना है,”मुझे नयी-नयी ड्रेस लेने और उनको पहनने का बहुत शौक है। सोशल मीडिया पर मैं अपने इस शौक को डाक्यूमेंट कर पाती हूं। वैसे भी फैशन की दुनिया में रिपीटिशन बुरा माना जाता है। मैं खुद का एक बड़ा वार्डरोब बनाना चाहती हूं। जहां बहुत सारे कपड़े, जूते और एक्सेसरीज़ हो। मैं अक्सर ऑनलाइन शॉपिग करती हूं। कभी-कभी लगता है कि यह एक लत है लेकिन मुझे ऐसे जीने में खुशी मिलती है। अपनी एक अलग छाप बनाने के लिए हमें ऐसा करना पड़ता है।”

सोशल मीडिया पर लाइक, कॉमेंट्स, फॉलोअर्स, इंडोसर्समेंट और पॉपुलरिटी ने न केवल लोगों का जीवन बदला है बल्कि बाज़ार को विस्तार भी दिया है। इसी वजह से सोशल मीडिया की दुनिया ने फास्ट फैशन इंडस्ट्री को बदल दिया है या यूं कहे कि इसमें तेजी लाने का काम किया है। इंस्टाग्राम, फेसबुक, स्नैपचैट और पिंटरेस्ट जैसे सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म मुख्य रूप से लोगों के लिए फैशन और नयी जीवनशैली के प्रेरणा स्रोत बन गए हैं। सोशल मीडिया ट्रेंड और फास्ट फैशन इंडस्ट्री दोंनो एक-दूसरे के पूरक बन गए हैं। आइए जानते हैं विस्तार से कैसे।

फास्ट फैशन क्या है?

फास्ट फैशन टर्म, नये फैशन रूझानों को पूरा करने के लिए कपड़ों के सस्ते और तेज उत्पादन के लिए इस्तेमाल किया जाता है। फास्ट फैशन ब्रांड कपड़ों का ट्रेडिंग कल्चर है। जो जितना जल्दी आता है उतना जल्दी ही बदल जाता है। बड़े-बड़े सेलिब्रिटी इन्हें पहने दिखते हैं, प्रमोट करते हैं और फिर आम लोगों तक इसकी पहुंच हो जाती है। फास्ट फैशन का मकसद कम दामों में आम लोगों तक सेलिब्रिटी लुक को पहुंचाना है। फास्ट फैशन इंडस्ट्री के विस्तार में सोशल मीडिया बड़ी भूमिका निभा रहा है। 

इंटरनेट के ज़रिये लोगों में फैशन के सामानों की भूख को कंपनियां कपड़ों के नये-नये कलेक्शन जारी कर बनाए रख रही हैं। यह कुछ-कुछ महीनों के अंतराल पर ऐसा करती हैं। कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियां हर हफ्ते बाज़ार में नये आउटफिट ला रही हैं। फास्ट फैशन इंडस्ट्री का पर्यावरण पर बुरा असर पड़ता है। यह इंडस्ट्री दुनियाभर में कपड़ा उद्योग में काम करनेवाले मजदूरों के शोषण का एक ज़रिया बनती जा रही है।

सोशल मीडिया न केवल उपभोक्ताओं को बदलता है बल्कि फैशन पर उनकी समझ को भी बदल दिया है। साथी इसने फैशन तक लोगों की पहुंच को आसान बना दिया है। एक लेख में सर्वे के हवाले से कहा गया है कि सर्वे में शामिल 90 फीसदी लोगों ने कहा कि वे पिंटरेस्ट से प्रभावित होकर, उससे मदद लेकर खरीददारी करते हैं। 

फास्ट फैशन और सोशल मीडिया का रिश्ता

सोशल मीडिया, कंज्यूमर और प्रॉडक्ट के बीच संबंधों को तेज करता है। एच एंड एम, जारा, फॉरएवर 21, गैप, अर्बन आउटफिट, शीन, मैंगो जैसे ब्रैंड फास्ट फैशन के बाजार के वे नाम हैं जो आज लोगों की ज़ुबान पर बने हुए हैं। इसकी एक वजह सोशल मीडिया पर लोगों की मौजूदगी और कंपनियों के आकर्षक विज्ञापन हैं। साथ ही ये फेंकने की संस्कृति (थ्रो-अवे कल्चर) और अधिक खपत को बढ़ाता है। फैशन नेटवर्क डॉटकॉम की ख़बर के अनुसार एक सर्वे में भाग लेने वाले 2000 लोगों में से 10 फीसदी लोग सोशल मीडिया पर किसी मौके पर तीन पोस्ट करने के बाद कपड़े फेंक देते हैं। सोशल मीडिया ने लोगों में तेज़ी से सामान फेंकने के चलन बढ़ाया है जिससे बड़ी मात्रा में फास्ट फैशन वेस्ट पैदा हो रहा है। 

इंटरनेट के माध्यम से फास्ट फैशन कंपनियां मार्केटिंग करती हैं। इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि सोशल मीडिया और कंपनियां एक-दूसरे को सहारा देकर अपने मुनाफे कमा रही है। इंस्टाग्राम और फेसबुक जैसे ऐप्स पर इन्फ्लूएंसर्स के पहनावे से प्रभावित होकर लोग इन्हें खरीदने की ओर बढ़ते हैं। इतना ही नहीं सोशल मीडिया व्यक्ति के डेटा एल्गोरिथम के आधार पर उसे टार्गेट करती है। वे क्या देखते हैं, पसंद करते हैं और स्क्रोल करते हैं उसके आधार पर उन्हें विज्ञापन दिखाई देते हैं। इस आधार पर तेजी से विज्ञापनों के ज़रिये प्रोडक्ट का प्रमोशन किया जाता है। योजना के तहत इंस्टाग्राम और अन्य सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म लोगों में आकर्षण बनाए रखने का काम करते रहते हैं। 

सोशल मीडिया इस तरह से बेहतर ड्रेसअप को बढ़ावा देता है। लोगों को उसमें शामिल कर ट्रेंड का चलन चलाता है। इतना ही नहीं सेलिब्रिटी से आम लोग तक इसमें शामिल होकर इससे जुड़ते है। इस तरह से सोशल मीडिया फैशन की चैन बनाते है। लोग इन्हें सुखद पल मानते हुए उसमें शामिल होने का दबाव या ज़रूरत मानते हैं। इस तरह से सबमें, उसमें शामिल होने की होड़ लग जाती है।

कैसे सोशल मीडिया ने फास्ट फैशन को बदला

एक समय पहले आमतौर पर फैशन इंडस्ट्री और उसके बदलते ट्रेंड तक लोगों की पहुंच ज्यादा नहीं थी। लेकिन आज इंटरनेट और सोशल मीडिया ने फैशन की पहुंच आम लोगों तक में बना दी है। फास्ट फैशन इंडस्ट्री ने चीजों की नकल कर, कम कीमत में उनकी पहुंच को आसान बना दिया है। रोज़ाना नये आइटम पेश करके ये कंपनियां लोगों को इसका आदी बना रही हैं। सोशल मीडिया इसको बनाए रखने में सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। सोशल मीडिया न केवल उपभोक्ताओं को बदलता है बल्कि फैशन पर उनकी समझ को भी बदल दिया है। साथी इसने फैशन तक लोगों की पहुंच को आसान बना दिया है। एक लेख में सर्वे के हवाले से कहा गया है कि सर्वे में शामिल 90 फीसदी लोगों ने कहा कि वे पिंटरेस्ट से प्रभावित होकर, उससे मदद लेकर खरीददारी करते हैं। 

शीन, चीन का अल्ट्रा फास्ट फैशन रिटेलर इस तरह की सोशल मीडिया विज्ञापनों के लिए जाना जाता है। शीन की एडवरटाइजिंग सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर विस्तार से और लगातार बनी हुई है। अगर आप एक बार इसके प्रोडक्ट या पेज से गुजरते उसके बाद दोबारा ऑनलाइन आने पर आप इसके विज्ञापनों को अपने सोशल मीडिया पेज पर ज़रूर पाएंगे। वोक्स डॉटकाम में प्रकाशित लेख के अनुसार टिकटॉक पर #Shein और  # ShienHaul को बिलियन बार लोगों द्वारा देखा गया है। खरीदार नियमित रूप से सैकड़ों डॉलर के कपड़े दिखाते हैं और ब्रांड की फ्री में मार्केटिंग करते हैं।

सोशल मीडिया ने फैशन की पूरी प्रक्रिया को आम लोगों तक पहुंचा दिया है। उत्पादन से लेकर उपभोक्ताओं की मांग को सोशल मीडिया ने तेज कर दिया है। फास्ट फैशन रिटेलर्स की तेजी की एक वजह यह क्योंकि लोग लाइव स्टीमिंग के जरिये फैशन ट्रेंड और शो पर नज़र बनाए रखते हैं। फेसबुक, इंस्टाग्राम, स्नैपचैट, यूट्यूब के लाइव स्ट्रीमिंग की वजह से फास्ट फैशन इंडस्ट्री तेजी का कारण है। लोग जल्दी से और कम दामों में कपड़े हासिल करना चाहते हैं। इसी वजह से कुछ ही हफ्तों में सबकुछ स्टोर तक पहुंचा दिया जाता है। लोग फैशन के मामले में इतंजार नहीं करना चाहते हैं और कंपनियां भी चाहती हैं कि जो जितना जल्दी आए उसे उतनी ही जल्दी बदला भी जाए। बदलाव के चलन को बनाए रखने के लिए सोशल मीडिया टूल को कंपनियां इस्तेमाल करती हैं। 

फास्ट फैशन कंपनियां और हैशटैग

मुख्य रूप से फास्ट फैशन कंपनियां अपने विज्ञापन की लुभावनी नीतियां बनाती हैं जिस वजह से लोग खासतौर पर युवा उससे जुड़ते हैं। शीन, चीन का अल्ट्रा फास्ट फैशन रिटेलर इस तरह की सोशल मीडिया विज्ञापनों के लिए जाना जाता है। शीन की एडवरटाइजिंग सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर विस्तार से और लगातार बनी हुई है। अगर आप एक बार इसके प्रोडक्ट या पेज से गुजरते उसके बाद दोबारा ऑनलाइन आने पर आप इसके विज्ञापनों को अपने सोशल मीडिया पेज पर ज़रूर पाएंगे।

वोक्स डॉटकाम में प्रकाशित लेख के अनुसार टिकटॉक पर #Shein और  # ShienHaul को बिलियन बार लोगों द्वारा देखा गया है। खरीदार नियमित रूप से सैकड़ों डॉलर के कपड़े दिखाते हैं और ब्रांड की फ्री में मार्केटिंग करते हैं। ये युवाओं की खास पसंद बन गए हैं। लेख में एक सर्वे के हवाले से कहा गया है कि नाइकी, अमेरिकन ईगल और लुलुलेमन जैसे स्थापित ब्रांडों के साथ प्रतिस्पर्धा करते हुए शीन और प्रिसेंस पोली जैसे अल्ट्रा-फास्ट फैशन रिलेटल जेन जेड (युवाओं) की सबसे पसंदीदा विकल्प बन गए हैं। 

तस्वीर साभारः SP Jain Blog

फॉस्ट फैशन इंडस्ट्री को बढ़ाने में सोशल मीडिया महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सोशल मीडिया से इस तरह की संस्कृति की स्थापना कर दी है जहां लोग अपनी जिंदगी को बेहतर दिखाने के लिए कपड़ों और यात्राओं पर जोर दे रहे हैं। इस धरती को बचाने के लिए आभासी दुनिया के सच से बाहर निकलना होगा। जहां सबकुछ परफेक्ट दिखता है। वास्तविकता यह है कि फास्ट फैशन की वजह से वैश्विक स्तर पर 2030 तक 63 प्रतिशत अधिक कपड़े की खपत होगी। वर्ल्ड इकोनॉमी फोरम के अनुसार कपड़े और जूतों का सालाना रिटेल कीमत 2030 तक 2.3 ट्रिलियन डॉलर होने की संभावना है। यह बढ़ोतरी विकासशील देशों से आ रही है।

इतना ही नहीं जिन लोगों को फास्ट फैशन और इसके कारोबार के बारे में समझ है, उनके लिए भी कंपनियां ग्रीनवाशिंग का इस्तेमाल करती हैं। कमज़ोर और झूठी सस्टेनेबिलिटी के नाम पर कंपनियां उन्हें अपने प्रॉडक्ट खरीदने पर मजबूर करती हैं। सोशल मीडिया पर फास्ट फैशन की निर्भरता डेटा प्राइवेसी और यह कैसे कंट्रोल की जाती है इस सवाल को सामने लाती है। क्योंकि सोशल मीडिया फास्ट फैशन की भूख को बढ़ाने का सबसे बड़ा कारण है। एल्गोरिदम के सहारे कंपनियां अपने प्रोडक्ट लोगों की नज़र में बनाए रखने का काम करती हैं। इसे कहने में कोई संकोच नहीं है कि अगर सोशल मीडिया न होता तो फास्ट फैशन इंडस्ट्री इतनी आकर्षक न होती। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लोगों की सक्रियता और फास्ट फैशन में लगातार तेजी सब आपसे में जुड़े हुए हैं।


स्रोतः 

  1. Novalhand.com
  2. The Guardian

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