समाजकैंपस बजट 2023: अल्पसंख्यकों से जुड़ी योजनाओं में भारी कटौती, ऐसे कैसे संभव है “सबका साथ सबका विकास”

बजट 2023: अल्पसंख्यकों से जुड़ी योजनाओं में भारी कटौती, ऐसे कैसे संभव है “सबका साथ सबका विकास”

बीती 1 फ़रवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में आम बजट पेश किया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में बड़ी-बड़ी घोषणाएं की, साथ ही अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के बजट पर बड़ी कैंची चला दी। इस तरह सरकार के 'सबका साथ- सबका विकास' नारे का खोखलापन सामने आ गया। 

बीती 1 फ़रवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में आम बजट पेश किया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में बड़ी-बड़ी घोषणाएं की, साथ ही अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के बजट पर बड़ी कैंची चला दी। इस तरह सरकार के ‘सबका साथ- सबका विकास’ नारे का खोखलापन सामने आ गया। 

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, कई अल्पसंख्यकों से जुड़ी छात्रवृत्ति और कौशल विकास योजनाओं के फंड में बड़ी कटौती की गई है। इनमें अल्पसंख्यक समुदायों के छात्रों के लिए पेशेवर और तकनीकी पाठ्यक्रमों के लिए मिलने वाली छात्रवृत्ति भी शामिल है। इस साल इन योजनाओं को मात्र 44 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जबकि पिछले साल इसके लिए 365 करोड़ रुपये का बजट था। अल्पसंख्यक समुदाय के बजट में लगभग 38% प्रतिशत की कटौती की गई है। 

हालांकि, इतनी बड़ी कटौती के बाद भी स्मृति ईरानी, ​​जिनके पास अल्पसंख्यक मामलों का अतिरिक्त प्रभार है, ने बजट के आने के बाद ट्विटर पर केंद्रीय बजट की प्रशंसा करते हुए कहा, “पीएम @narendramodi जी और एफएम @nsitharaman जी को सही मायने में ‘अमृत काल बजट’ के लिए बधाई जो समावेशी विकास का प्रतीक है और आर्थिक बुनियादी बातों को मजबूत करता है।”

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने अल्पसंख्यक मंत्रालय की बजट कटौती पर ट्विटर पर कहा कि – “मोदी सरकार ने अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय का बजट 40% काट दिया। शायद मोदी के हिसाब से ग़रीब अल्पसंख्यक बच्चों को सरकार के “प्रयास” की ज़रूरत नहीं है, “सबका विकास…” जैसे नारे काफ़ी हैं”।

38% की बड़ी कटौती

अल्पसंख्यक मंत्रालय के बजट में इस बार पिछले साल के मुक़ाबले लगभग 38% कटौती की गई है। 2022-23 के वित्त वर्ष में में इस मंत्रालय का बजट लगभग 5020 करोड़ रुपये था (हालांकि 2022-23 में मंत्रालय का संशोधित आवंटन 2,612.66 करोड़ रुपये था) इसे घटाकर इस साल केवल 3097 करोड़ रुपये कर दिया गया है। अल्पसंख्यक मंत्रालय द्वारा चलाई जा रही कई स्कॉलरशिप स्कीमों को पैसा नहीं दिया गया। अल्पसंख्यकों के लिए विशेष योजनाओं के बजट में लगभग 50 फीसदी की कटौती हुई है जिनमें अल्पसंख्यकों के लिए विकास योजनाओं के अनुसंधान, अध्ययन, प्रचार, निगरानी और मूल्यांकन शामिल हैं। इनमें अल्पसंख्यकों की विरासत के संरक्षण और अल्पसंख्यकों की जनसंख्या में गिरावट को रोकने के लिए योजनाएं भी शामिल हैं।

अल्पसंख्यक समुदाय में शिक्षा सशक्तिकरण के लिए पिछले साल बजट में 2,515 करोड़ रुपये का प्रावधान था। जिसे इस साल घटाकर 1,689 करोड़ रुपये कर दिया गया है। अल्पसंख्यकों के लिए अनुसंधान योजनाओं का बजट पिछले साल के 41 करोड़ रुपये से घटाकर 20 करोड़ रुपये कर दिया गया है। अल्पसंख्यक समुदायों के छात्रों के लिए ‘पेशेवर और तकनीकी पाठ्यक्रमों (स्नातक और स्नातकोत्तर)’ के लिए मिलने वाली छात्रवृत्ति के बजट में 87% की बड़ी कटौती की गई है।

विभिन्न कौशल विकास और आजीविका योजनाओं के लिए कुल धनराशि 2022-23 में 491 करोड़ रुपये थी और इस वर्ष यह 64.40 करोड़ रुपये है। इस योजना के अंतर्गत कौशल विकास पहल, नयी मंज़िल, उस्ताद, अल्पसंख्यक महिलाओं के नेतृत्व विकास के लिए योजना आदि योजनाएं शामिल हैं। नयी मंजिल- एकीकृत शिक्षा और आजीविका पहल, उस्ताद- विकास के लिए पारंपरिक कलाओं/शिल्पों में कौशल उन्नयन और प्रशिक्षण जैसे कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए महज 10 लाख-10 लाख रुपये का बजट जारी हुआ है। अल्पसंख्यक महिलाओं के नेतृत्व विकास के लिए योजना को भी महज़ 10 लाख रुपये आवंटित हुए हैं जबकि पिछले साल इस योजना को 47 करोड़ रुपये आवंटित हुए थे। 

स्रोत: MINISTRY OF MINORITY AFFAIRS

अल्पसंख्यक समुदाय में शिक्षा सशक्तिकरण के लिए पिछले साल बजट में 2,515 करोड़ रुपये का प्रावधान था। जिसे इस साल घटाकर 1,689 करोड़ रुपये कर दिया गया है। अल्पसंख्यकों के लिए अनुसंधान योजनाओं का बजट पिछले साल के 41 करोड़ रुपये से घटाकर 20 करोड़ रुपये कर दिया गया है। अल्पसंख्यक समुदायों के छात्रों के लिए ‘पेशेवर और तकनीकी पाठ्यक्रमों (स्नातक और स्नातकोत्तर)’ के लिए मिलने वाली छात्रवृत्ति के बजट में 87% की बड़ी कटौती की गई है। इस साल इन योजनाओं को मात्र 44 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जबकि पिछले साल इसके लिए 365 करोड़ रुपये का बजट था।

‘प्री-मैट्रिक स्कॉलरशिप’ का बजट वित्त मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2023-24 में 900 करोड़ रुपये से अधिक घटा दिया है। पिछले साल के बजट में छात्रवृत्ति राशि 1,425 करोड़ रुपये थी, जिसे इस वर्ष घटाकर 433 करोड़ रुपये कर दिया गया है। वहीं, दूसरी ओर, ‘पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति’ के लिए धनराशि 515 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1,065 करोड़ रुपये कर दी गई है। दूसरी स्कीम के मुक़ाबले इस स्कीम में काफी बढ़ोतरी की गयी है। 

अल्पसंख्यक मंत्रालय के बजट में इस बार पिछले साल के मुक़ाबले लगभग 38% कटौती की गई है। 2022-23 के वित्त वर्ष में में इस मंत्रालय का बजट लगभग 5020 करोड़ रुपये था (हालांकि 2022-23 में मंत्रालय का संशोधित आवंटन 2,612.66 करोड़ रुपये था) इसे घटाकर इस साल केवल 3097 करोड़ रुपये कर दिया गया है।

अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के तहत योजनाएं, जो UPSC, SSC और SPSCs द्वारा आयोजित प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए छात्रों को मदद देती हैं, उन्हें इस वित्तीय वर्ष में वित्त मंत्रालय की ओर से कुछ भी नहीं मिला है। पिछले साल इन योजनाओं के लिए 8 करोड़ रुपये का बजट था। मंत्रालय द्वारा आरम्भ की गयी इस योजना का उद्देश्य संघ लोक सेवा आयोग ओर राज्य लोक सेवा आयोग के ग्रुप ए और बी पदों की प्रारंभिक परीक्षा पास करने वाले उम्मीदवारों को प्रत्यक्ष वित्तीय सहायता देकर सिविल सेवाओं में अल्पसंख्यकों के प्रतिनिधित्व को बढ़ाना है जो वर्तमान में जनसंख्या में अल्पसंख्यकों के अनुपात से बहुत कम है। अल्पसंख्यक समुदाय के बच्चों के लिए ‘मुफ्त कोचिंग और संबद्ध योजनाओं’ का बजट पिछले साल 79 करोड़ रुपये था, जबकि इस साल इसके लिए 30 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इसमें भी इस वर्ष लगभग 60 फीसदी की कटौती की गई है।

मदरसों से जुड़ी योजना में बड़ी कटौती 

मदरसों और अल्पसंख्यकों के लिए शिक्षा योजना में बड़ी कटौती की गई है। इस साल इनको 2023-24 के वित्तीय वर्ष के लिए 10 करोड़ रुपये का आवंटन हुआ है, जो पिछले वित्त वर्ष 2022-23 के मुकाबले 93 फीसदी कम है। पिछले साल इन्हें 160 करोड़ रुपये आवंटित हुए थे। बजट की यह कटौती यह दर्शाती है कि अल्पसंख्यकों की शैक्षिक, सामाजिक और आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए वर्तमान सरकार की कितनी कम दिलचस्पी है। समाज के सभी समुदायों का विकास उस शासन के लिए महत्वहीन प्रतीत होता है जिसका नारा है “सबका साथ, सबका विकास” या यह कहना भी सही रहेगा कि सरकार की नीतियों से यह कहीं नहीं नज़र आता कि अल्पसंख्यक समुदाय शैक्षिक रूप से आगे बढ़ सकें।

पीएमजेवीके का बजट पिछले साल 1,650 करोड़ रुपये था जिसे इस साल घटाकर मात्र 600 करोड़ रुपये कर दिया गया है। अल्पसंख्यकों के विकास के लिए अम्ब्रेला कार्यक्रम में शामिल प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम (पीएमजेवीके) का उद्देश्य चिन्हित अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्रों में लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने और राष्ट्रीय औसत की तुलना में असंतुलन को कम करने के लिए सामाजिक-आर्थिक बुनियादी ढांचे और बुनियादी सुविधाओं का विकास करना है। केंद्र प्रायोजित इस योजना को 2008 में बहु क्षेत्रीय विकास कार्यक्रम (एमएसडीपी) के तौर पर शुरू किया गया था और जून 2013 में इसका पुनर्गठन किया गया था। इस योजना के बजट में भी बड़ी कटौती की गई है। 

इस वर्ष अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के बजट में एक नई योजना ‘प्रधानमंत्री-विरासत का संवर्धन (पीएम विकास)’ जोड़ी गई है। इसके तहत कुल 540 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। अब देखना यह है कि यह योजना इस वित्त-वर्ष में कितनी सफल होती है और अगले वर्ष यह योजना कितना बजट प्राप्त कर पाएगी।

नवंबर 2022 में, केंद्र सरकार ने अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की दो छात्रवृत्तियों को रद्द कर दिया- अल्पसंख्यक समुदायों से संबंधित कक्षा 1 से 8 तक के छात्रों के लिए ‘प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति’ और ‘मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय फैलोशिप (एमएएनएफ)। सरकार ने प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति को रद्द करते हुए कहा कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई अधिनियम) में सभी छात्रों के लिए कक्षा 8 तक अनिवार्य शिक्षा शामिल है और योजना अपने नए रूप में केवल कक्षा 9 और 10 के छात्रों को कवर करेगी। नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा उठाया गया यह कदम अल्पसंख्यक समुदाय के छात्रों, विद्वानों और प्रोफेसर में चिंता का विषय है क्योंकि ये स्कीमें निचले तबके के हज़ारों छात्रों के भविष्य में एक रोशन उम्मीद थी। 

समाज के सभी समुदायों का विकास उस शासन के लिए महत्वहीन प्रतीत होता है जिसका नारा है “सबका साथ, सबका विकास” या यह कहना भी सही रहेगा कि सरकार की नीतियों से यह कहीं नहीं नज़र आता कि अल्पसंख्यक समुदाय शैक्षिक रूप से आगे बढ़ सकें।

अल्पसंख्यक मामलों की केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने लोकसभा में MANF को खत्म करने के सरकार के कदम के बारे में बताते हुए कहा कि, “चूंकि एमएएनएफ योजना सरकार द्वारा लागू उच्च शिक्षा के लिए कई अन्य फैलोशिप योजनाओं के साथ ओवरलैप करती है और अल्पसंख्यक छात्रों को पहले से ही ऐसी योजनाओं के तहत कवर किया गया है, इसलिए सरकार ने 2022-23 से एमएएनएफ योजना को बंद करने का फैसला किया है।” MANF एम.फिल और पीएचडी कार्यक्रमों के लिए छह अधिसूचित अल्पसंख्यक समुदायों- मुस्लिम, बौद्ध, ईसाई, जैन, पारसी और सिख- के छात्रों के लिए पांच साल की वित्तीय सहायता योजना है। यह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा मान्यता प्राप्त सभी विश्वविद्यालयों और संस्थानों को कवर करती है और यूजीसी के माध्यम से अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित की जाती है।

बता दें कि साल 2006 में यूपीए सरकार ने अल्पसंख्यक मंत्रालय का गठन किया था। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय से अलग किया गया था। इस मंत्रालय को अधिसूचित अल्पसंख्यक समुदायों से संबंधित मुद्दों के प्रति अधिक केंद्रित दृष्टिकोण सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया था। मंत्रालय के अधिदेश में अल्पसंख्यक समुदायों के लाभ के लिए विनियामक ढांचे और विकास कार्यक्रमों की समग्र नीति और योजना, समन्वय, मूल्यांकन और समीक्षा शामिल है। 2006 से 2013 तक अल्पसंख्यक मंत्रालय का बजट 144 करोड़ रुपये की शुरुआत के साथ बढ़कर 3531 करोड़ रुपये पर जा पहुंचा था लेकिन उसके बाद से ही इसमें गिरावट देखी गई।


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