इंटरसेक्शनलजाति तथाकथित ऊंची जातियों के वर्चस्व को बनाने के लिए जारी ऑनर क्राइमः रिपोर्ट

तथाकथित ऊंची जातियों के वर्चस्व को बनाने के लिए जारी ऑनर क्राइमः रिपोर्ट

यह रिपोर्ट दलित ह्यूमन राइट्स डिफेंडर्स नेटवर्क ने अन्य संगठनों के साथ मिलकर तैयार की है। रिपोर्ट में 8 राज्यों का विश्लेषण किया गया है जिनमें बिहार, हरियाणा, गुजरात, राजस्थान, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश जैसे राज्य शामिल हैं।

हमारे समाज की एक कठोर वास्तविकता है कि यहां प्रेम और शादी के लिए ब्राह्मणवादी पितृसत्तात्मक नियमों का पालन करना बहुत ज़रूरी है। यही वजह है कि भारत में प्रेम और शादी के बंधन के लिए इन नियमों पर टिक मार्क करके आगे बढ़ना ही बेहतर माना जाता है। प्रेम के रिश्तें के लिए परिवार, रिश्तेदार, जाति, और अन्य सामाजिक ढ़ाचों में फिट होना बहुत ज़रूरी है। अगर प्रेम करके कोई नियमों को चुनौती देता है, जातीय बंधन या अन्य नियम को तोड़ता है तो उसको दंड मिलता है और जिसका परिणाम है ‘ऑनर क्राइम’।

हाल ही में ‘जाति आधारित ऑनर क्राइम’ की ज़मीनी हकीकत का विश्लेषण करते हुए एक रिपोर्ट सामने आई है। यह रिपोर्ट दलित ह्यूमन राइट्स डिफेंडर्स नेटवर्क ने अन्य संगठनों के साथ मिलकर तैयार की है। रिपोर्ट में आठ राज्यों का विश्लेषण किया गया है जिनमें बिहार, हरियाणा, गुजरात, राजस्थान, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश जैसे राज्य शामिल हैं। यह विश्लेषण बताता है कि अपनी पसंद के आधार पर अंतर-जातीय संबंध बनाने पर महिलाओं और पुरुषों के ख़िलाफ़ हिंसा को ज़ारी रखने में जाति एक महत्वपूर्ण कारक है।

क्या है ऑनर क्राइम? 

ऑनर क्राइम एक सामाजिक और सांप्रदायिक मुद्दा है, जिसमें अपनी पसंद से या अंतर जातीय प्रेम करने या विवाह करने पर परिवार/समुदाय/ समाज की इज़्जत के नाम पर लोगों की हत्या कर दी जाती है या उन्हें आत्महत्या के लिए मजबूर किया जाता है। ऑनर क्राइम अक्सर उस परिवार के ‘सम्मान’ के विचारों पर आधारित होते हैं, जिनकी बेटी ने अपनी जाति से बाहर विवाह किया हो। ये अपराध क्रूर और प्रचलित होने के बावजूद भी इनको कम रिपोर्ट किया जाता है। 

क्या कहती है रिपोर्ट? 

“क्राइम इन द नेम ऑफ ऑनरः अ नैशनल शेम” के नाम से जारी इस रिपोर्ट में 24 घटनाओं का विश्लेषण किया गया है जिसमें कुछ मामलों में लड़के और लड़की दोनों को मार दिया गया, कुछ में लड़के को जलाया गया या गंभीर रूप से चोटिल किया गया और एक मामले में तो लड़के की बहन पर हमला कर उसे मार दिया गया। आठ राज्यों से आनेवाले ऑनर क्राइम के अधिकतर मामलों के सर्वाइवर अनुसूचित जाति के थे। हरियाणा के एक मामले में अनुसूचित जाति से आने वाले परिवार को खत्म कर दिया जिसमें सर्वाइवर जोड़े का पुरुष भी शामिल था। रिपोर्ट में डेटा की जांच करते हुए एक पैटर्न सामने आया है कि जो महिलाएं तथाकथित किसी ऊंची जाति की थी उन्हें अपने परिवार से संबंध छोड़ने पर मजबूर किया गया या फिर शादी खत्म करने के लिए कहा गया था। उनकी या तो पढ़ाई बीच में छुड़वा दी गई या फिर वे गायब हो गई। लड़कियों को गंभीर रूप से चोटिल कर घायल किया गया और उनकी हत्या भी की गई।

तस्वीर साभारः DHRD

रिपोर्ट में कहा गया कि अधिकत्तर सर्वाइवर लड़के और लड़कियां पढ़ रहे थे। उनमें से कुछ ने अपनी हायर एजुकेशन पूरी कर ली थी। जो इंटरमीडिएट में पढ़ रहे थे वे सभी (चार लड़के और चार लड़कियां) स्कूल में मिले थे और जिनके आपसी सहमति पर ही संबंध बने थे। सर्वाइवर्स में से 14 पुरुष और 10 महिलाएं हायर एजुकेशन या ग्रेजुएट थे जब वे अपने साथी से मिले थे। डेटा दिखाता है कि जोड़े सोच समझकर जाति के बंधन को तोड़ने और अपनी एजेंसी का इस्तेमाल कर फैसला ले रहे थे जो तथाकथित ऊंची जाति के परिवारवालों को पसंद नहीं था। इसलिए मामलों की बैकग्राउंड जानकारी के आधार पर ऑनर क्राइम में जातिगत अर्थ दिखते हैं। 

जाति अधारित ऑनर क्राइम के खतरनाक रूप

रिपोर्ट के इस भाग में ऑनर क्राइम के कुछ मामलों की पड़ताल की गई है। इसमें घटनाओं में होने वाले बदलाव, उनके परिणामों का विश्लेषण किया गया। इसमें राज्यों के ऑनर क्राइम के पैटर्न देखा गया, अंतर-जातीय रिश्ते, अपराध के पैटर्न आदि को देखा गया। रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश का केवल एक मामला एक्टिविस्ट द्वारा दर्ज किया गया। गोरखपुर के एक गाँव के मामले में लड़का दलित समुदाय से था और लड़की ब्राह्मण जाति की थी। वे ग्राम पंचायत में अलग-अलग स्तर पर करते थे और शिक्षित हुए। उन्होंने अपनी मर्जी से शादी की और जिसका नतीजा यह हुआ कि लड़की के ब्राह्मण जाति वाले परिवार को अपमान महसूस हुआ। उसके परिवार ने लड़के की हत्या कर दी। अब लड़की अपने ससुराल में रहती है, वह परिवार की अकेली कमाने वाली हैं और उन्होंने हाल में ही एक बेटे को जन्म दिया है।  

डीएचआरडी रिपोर्ट में तमिलनाडु के पांच ऑनर क्राइम के दर्ज किए गए। ये केस मदुरै, तिरुपुर, करूर, थूथुकुडी जिले के गांव और डिंडीगुल से रिपोर्ट किए गए थे। ये मामले साल 2016 से 2021 के दौरान दर्ज किए गए। तमिलनाडु में एक मामले मे लड़का अनुसूचित जाति से आता था और लड़की थेवर जाति से थी। इस मामले में लड़की के घर वालों ने लड़के की गर्भवती बड़ी बहन को काट दिया था। लड़की के पिता को लगता था कि उसने अपने भाई और उसकी बेटी की मदद की है।

ठीक इसी तरह रिपोर्ट में हरियाणा के चार मामलों की पड़ताल की गई। हरियाणा में लड़की के घर वालों ने खुद की बेटियों को मारने का पैटर्न भी दिखा। एक मामले में जाट जाति के परिवार ने लड़की को मारने के लिए गुंडों का इस्तेमाल किया। अन्य एक मामले में जाट समुदाय की लड़की को उसके परिवार वालों ने ज़हर खाने के लिए मजबूर किया और उसकी हत्या कर दी गई। लड़के और लड़के के परिवार वालों को मर्डर का एहसास हुआ तो उन्होंने लड़की के परिवार के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया। लेकिन बाद में केस वापस भी ले लिया गया। उन्होंने तर्क दिया कि लड़की की माँ को कैंसर है और अगर उनके परिवार के सभी पुरुष सलाखों के पीछे होंगे तो वह अकेली हो जाएगी।

ऑनर क्राइम का पैटर्न

रिपोर्ट में घटनाओं और डेटा की जांच में एक पैटर्न दिखाई पड़ता है जिन तथाकथित ऊंची जातियों की महिलाओं ने जाति की सीमाओं से परे अपने जीवनसाथी को चुनने की कोशिश की तो उन्हें सजा दी गई। इसमें उन्हें या तो चुप करा दिया गया या फिर उनके परिवार के द्वारा मौत के घाट उतार दिया गया। अगर वे इसमें विफल रहे तो उन्होंने दलित महिलाओं और पुरुषों की हत्या के बर्बर तरीकों का सहारा लिया।   

तस्वीर साभारः NewsClick

ऑनर क्राइम और समाज

भारत में अगर कोई अंतरजातीय संबंध या विवाह करना चाहता है तो उसे बहुत से सामाजिक और सांप्रदायिक नियमों का उल्लंघन करना पड़ता है। वे नियम जो किसी समुदाय विशेष के मुखियाओं ने बनाई हुए हैं, जैसे उत्तर भारत में खाप पंचायतें और तमिलनाडु में कट्टा पंचायतें। ये समुदाय तथाकथित ऊंची जातियों के साथ एक अपनेपन की भावना रखते हैं और नियमों और संहिताओं का पालन कराते है। इनके विरुद्ध जाने पर ये एक व्यक्ति के कार्यों के लिए पूरे परिवार को सजा देने की सोच भी रखते है।  

पी. चौधरी अपने लेख इंफोर्सिंग कल्चरल कोडस्: जेंडर एंड वॉलेंस इन नॉर्दन इंडिया में बताते है, “भारतीय उपमहाद्वीप के लिए जाति सम्मान एक विशिष्ट घटना है।” समाज की तथाकथित ऊंची जातियां जिनका संसाधनों पर स्वामित्व या कब्जा रहा है उनके लिए जातिगत संबंध, पदानुक्रम और मतभेद से किसी में भी परिवर्तन होना एक खतरे के तौर पर देखा जाता है। वे इसे अपने प्रभुत्व की समाप्ति की तरह देखते हैं। इस वजह से भारत में जाति को बहुत बारीकी से संरक्षित किया जाता रहा है। इसकी जिम्मेदारी महिलाओं और उनकी सेक्सुअलिटी के साथ परिवार, जाति, धर्म और राष्ट्रों की रक्त शुद्धता को बरकरार रखने के लिए डाल दी जाती है। इस तरह से किसी महिला की सेक्सुअलिटी को केंद्रीय विषय बनाकर कंट्रोल किया जाता है कि वह किसके साथ संबंध बनाएगी और बच्चे पैदा करेगी। इसे न केवल परिवार बल्कि समुदाय के सम्मान का विषय भी बना दिया जाता है। अंततः एक महिला की यौनिकता को नियंत्रित और निगरानी की वस्तु सिद्ध कर दिया जाता है। 

ऑनर क्राइम और कानून

भारत में सम्मान के नाम पर अपराध की जड़े उतनी ही गहरी है जितनी जाति की है। इसके बावजूद भारत में इसके लिए कोई ठोस कानून नहीं है। सेंटर फॉर लॉ एंड पोलिसी के छपी जानकारी के अनुसार ऑनर क्राइम से निपटने के मौजूदा कानूनी प्रावधान अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत आते हैं, जो दलितों और आदिवासियों के ख़िलाफ़ अत्याचार से संबंधित है। हालांकि, इस तरह के अपराधों को बड़े पैमाने पर भारतीय दंड संहिता में विशेष रूप से धारा 107-11 ( उकसाना), धारा 120A और  120B (आपराधिक साजिश), धारा 299304 (हत्या और गैर इरादतन हत्या) और धारा 307-308 के तहत चलाया जाता है। हालांकि इस पर निरंतर कानून की माँग की जाती रही है पर चर्चा और बहस के लिए सांसदों ने इसे संसद में पेश नहीं किया।

तस्वीर साभारः ALJAZEERA

राष्ट्रीय मानवधिकार आयोग में छपी जानकारी के अनुसार 27 मार्च, 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने शक्ति वाहिनी बनाम भारत संघ और अन्य मामले में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया कि खाप पंचायतों या किसी अन्य द्वारा सहमति से दो व्यस्को को शादी करने से रोकना या रोकने का कोई भी प्रयास अवैध है। अदालत का यह फैसला 2010 में एक गैर-सरकारी संगठन शक्ति वाहिनी द्वारा दायर याचिका पर आया था। याचिकाकर्ता ने ऑनर क्राइम पर रोक लगाने के लिए एक योजना बनाने के लिए राज्यों और केंद्र को निर्देश देने की मांग की थी।

अंतरराष्ट्रीय कानून और घोषणाएं

डीएचआरडी की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2004 में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने सम्मान के नाम पर महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराधों पर अपने पिछले प्रस्तावों को वापस ले लिया और 20 दिसंबर 2004 59/165 के संकल्प को अपनाया, जिसमें महिलाओं और लड़कियों के ख़िलाफ़ अपराधों के उन्मूलन की दिशा में काम किया गया। यह प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा (UDHR) और महिलाओं के ख़िलाफ़ सभी प्रकार के भेदभाव के उन्मूलन पर कन्वेंशन (CEDAW) सहित अन्य अंतरराष्ट्रीय अनुबंधों की पुष्टि के साथ शुरू किया गया। इस संकल्प में यूएनजीए (UNGA) सम्मान के नाम पर महिलाओं और बच्चों के ख़िलाफ़ सभी अपराधों को कानून द्वारा दंडनीय आपराधिक अपराध मानने की आवश्यकता पर बल दिया गया है। यह प्रस्ताव लैंगिक समानता को बढ़ावा देने और लैंगिक रूढ़ियों को खत्म करने में पुरुषों की भूमिका और जिम्मेदारी पर भी जोर देता है।

भारत में सम्मान के नाम पर अपराध की जड़े उतनी ही गहरी है जितनी जाति की है। इसके बावजूद भारत में इसके लिए कोई समर्पित कानून नहीं है। सेंटर फॉर लॉ एंड पोलिसी के छपी जानकारी के अनुसार ऑनर क्राइम से निपटने के मौजूदा कानूनी प्रावधान अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत आते हैं, जो दलितों और आदिवासियों के ख़िलाफ़ अत्याचार से संबंधित है।  

मुख्य सिफारिशें

रिपोर्ट में की गई सिफारिशें तीन पहलुओं पर केंद्रित हैं जिसमें निवारक उपाय, सुरक्षा और पुनर्वास उपाय और निवारण तंत्र शामिल है। इसमें निवारक उपाय में जेंडर को लेकर जागरूकता, जातीय हिंसा, भेदभाव के ख़िलाफ़ जागरूकता और नीतियों का निर्माण हो। सुरक्षात्मक और पुनर्वास के लिए राज्य की जिम्मेदारी है कि वह धमकी और खतरे का सामना करने वाले जोड़ों को सुरक्षित घर दें। उनकी लोकेशन को गुप्त रखा जाए। इसके अलावा सर्वाइवर को सुरक्षा, कानूनी साहयता और अन्य व्यवस्था से निपटने के लिए सहायता की जाए। अंत में एक ऑनर क्राइम पर ठोस कानून की ज़रूरत के साथ-साथ कठोर सजा की आवश्यकता को भी दर्ज किया है। सर्वाइवर के लिए मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं, ट्रामा के लिए परामर्श जैसे प्रावधानों का ज़िक्र किया गया। साथ ही स्पेशल मैरिज ऐक्ट में विवाह पंजीकरण की प्रक्रिया को आसान बनाए जाने की बात कही गई है।


Leave a Reply

संबंधित लेख

Skip to content