स्वास्थ्यशारीरिक स्वास्थ्य आइए जानते हैं, क्या होती है ‘एग फ्रीजिंग’ की प्रक्रिया

आइए जानते हैं, क्या होती है ‘एग फ्रीजिंग’ की प्रक्रिया

मेडिकल साइंस की भाषा में एग फ्रीजिंग को उसाइट क्रायोप्रिजर्वेशन कहा जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान, अंडे को बढ़ाने के लिए दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है। उसके बाद उन अंड़ो को ओवरी से अलग किया जाता है और भंडारण के लिए जमाया जाता है।

वर्तमान की चिकित्सा उपलब्धियों का एक परिणाम ‘एग फ्रीजिंग’ है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसकी सहायता से महिलाएं अपने एग को स्टोर करवा सकती हैं। एग फ्रीजिंग वर्तमान में गर्भवती न होने और भविष्य में गर्भधारण करने की संभावनाओं से जुड़े फैसले लेने के द्वार खोलता है। यह प्रक्रिया महिलाओं को स्वतंत्र रूप से गर्भवती होने का मौका प्रदान करती है न कि सामाजिक दबाव के चलते। इस प्रक्रिया का विस्तार धीरे-धीरे भारत में भी हो रहा है। कामकाजी या जल्दी गर्भधारण न करने की इच्छा रखनेवाली महिलाएं इस विकल्प का इस्तेमाल कर सकती हैं। हालांकि, यह एक महंगी मेडिकल प्रक्रिया है, जिसका लाभ वर्ग विशेष की महिलाओं तक की फिलहाल सीमित है।

क्या है एग फ्रीजिंग प्रक्रिया?

हेल्थलाइन में प्रकाशित जानकारी के मुताबिक़ मेडिकल साइंस की भाषा में एग फ्रीजिंग को उसाइट क्रायोप्रिजर्वेशन (oocyte cryopreservation) कहा जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान, अंडे को बढ़ाने के लिए दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है। उसके बाद उन अंड़ों को ओवरी से अलग किया जाता है। भविष्य में इनका इस्तेमाल गर्भ धारण करने के लिए किया जाता है।

इस प्रक्रिया का पहला चरण अल्ट्रासाउंड और ब्लड टेस्ट होता है। फिर इस विधि में पीरियड्स के दूसरे दिन बुलाया जाता है और हार्मोनल इंजेक्शन दिए जाते हैं जिससे एक साथ कई अंडों का उत्पादन होता है। अंडों को परिपक्व होने में 9-14 दिनों का समय लगता है। दूसरा चरण अंडे निकालने की प्रक्रिया है। इसमें व्यक्ति को बेहोश कर योनि के रास्ते परिपक्व अंडों को सक्शन डिवाइस के माध्यम से बाहर निकला जाता है। उसके बाद प्राप्त परिपक्व अंडों का विश्लेषण किया जाता है और उन्हें जमाया जाता है यह प्रक्रिया विटरीफिकेशन के नाम से जानी जाती है। इसमें बाहर निकाले गए अंडों को फ्रीज़ किया जाता है। अंडों को संग्रहीत एवं सुरक्षित करने के लिए तरल नाइट्रोजन में रखें जाते हैं। जहां इनका दीर्घकालिक भंडारण किया जाता है। 

यह व्यक्ति की इच्छा पर निर्भर करता है कि वह कब एग फ्रीज करवाना चाहता है लेकिन विज्ञान इस प्रक्रिया को अपनाने का सही समय 20 से 30 वर्ष की उम्र के बीच बताता है।

एग फ्रीजिंग के दो प्रकार

एग फ्रीजिंग की प्रक्रिया को दो प्रकार से बांटा गया है। एक है क्लिनिकल एग फ्रीजिंग और दूसरी सोशल एग फ्रीजिंग। यह एग फ्रीजिंग करवाने के कारणों पर बांटे गए हैं। क्लिनिकल एग फ्रीजिंग में डॉक्टरों की सलाह द्वारा या व्यतिगत स्वास्थ्य को नज़र में रखते हुए यह फैसला लिया जाता है। उदाहरण के तौर पर कैंसर जैसी बीमारी का पता चलने पर एग फ्रीज की सलाह डॉक्टरों द्वारा दी जाती है अगर मरीज़ भविष्य में गर्भवती होने की इच्छा रखते हैं।

इसके अलावा अगर किसी के परिवार में जल्दी मेनोपॉज की हिस्ट्री रही है या किसी और गंभीर बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति एग फ्रीजिंग का सहारा लेकर भविष्य में इसका लाभ ले सकता है। सोशल एग फ्रीजिंग को व्यतिगत कारणों से किया जाता है। इसमें मौजूदा समय में गर्भवती न होने की इच्छा, सही पार्टनर न मिलना और गर्भधारण के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से खुद को तैयार न मानना आदि शामिल है।

तस्वीर साभारः NPR

कैसी होती है एग्स रिट्रीव करवाने की प्रक्रिया?

एग्स रिट्रीव अर्थात् अंडों की पुनर्प्राप्ति भी एक जटिल प्रक्रिया है। जब आप गर्भवती होने के लिए तैयार होती हैं तो आईवीएफ विशेषज्ञ अंडों को गर्म कर उनका विश्लेषण करता है। अंडों को प्रयोगशाला में लाकर, शुक्राणुओं अर्थात स्पर्म से फर्टिलाइज किया जाता है। इसके पश्चात, फर्टिलाइज्ड एंब्रियो यानी भ्रूण को गर्भाशय में स्थांतरित किया जाता है। यह एक सर्जिकल प्रक्रिया है तो इसमें दर्द, सूजन और ऐंठन जैसी समस्या हो सकती है। जैसे अंडों को फ्रीज किया जाता है इसी प्रकार भ्रूण को भी फ्रीज किया जा सकता है। इसमें गर्भधारण करने का अनुपात ज्यादा होता है। 

क्या हैं इस प्रक्रिया के लाभ?

औरतों का अस्तित्व केवल बच्चे पैदा करने भर समझने वाले समाज में महिला यह कभी जान ही नहीं पाई कि वह मातृत्व सुख अपनी खुशी और तैयार मन से भी कर रही है या उस पर समाज और परिवार का दबाव है। स्त्रियों को ‘बायोलॉजिकल घड़ी’ का हवाला देकर हमेशा डराया जाता है। इस बायोलॉजिकल घड़ी में हमेशा बताया जाता है कि 30 या 35 वर्ष बाद वह बच्चा पैदा नहीं कर पाएंगी, उनकी प्रजनन क्षमता घट रही है। इसीलिए उन्हें कभी सोचने का मौका ही नहीं मिला कि वह किस समय परिवार नियोजन के बारे में सोचें। न ही उन्हें मानसिक या शारीरिक रूप से तैयार होने का मौका मिला। जो किसी मेडिकल कंडीशन की वजह से कंसीव नहीं कर पाती थी और शोषण का सामना करती थी ऐसे स्थिति में एग फ्रीजिंग प्रक्रिया महिलाओं के लिए एक बेहतर विकल्प साबित हो सकती है। 

क्या है एग फ्रीजिंग प्रक्रिया की लागत?

यह प्रक्रिया आमतौर पर एक महंगी प्रक्रिया है। भारत में इसकी लागत एक लाख से ज्यादा का खर्च आ सकता है। इसमें दवाइयों और इंजेक्शनों का खर्च शामिल नहीं है। इसके अलावा हर वर्ष एग संरक्षित कराने का अलग खर्च होता है। इसमें ₹20,000 से 40,000 तक का खर्च आ सकता है। यह खर्च हर अस्पताल में अलग हो सकता है लेकिन औसतन इतना ही खर्च इस प्रक्रिया की लागत है। यह खर्च बाकी देशों के मुक़ाबले भारत में कम माना गया है।

क्या है एग फ्रीज़िंग प्रक्रिया को लेकर समाज का नज़रिया?

भारतीय पितृसत्तात्मक समाज में एग फ्रीजिंग जैसी प्रक्रिया पर ज्यादा सकारात्मक रवैया नहीं है। हमारे समाज में महिलाओं को मातृत्व से जुड़ा फैसला अभी भी उसके अलावा अन्य लोगों पर निर्भर करता है। एक तरफ तो यह बहुत ही विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग के लिए है। काफी अधिक मंहगा होने और खुद फैसला लेने की स्वतंत्रता की वजह से कुछ विशेष महिलाएं ही एग फ्रीजिंग जैसी सुविधा का इस्तेमाल कर पाती है। भारत में कुछ महिला सेलिब्रिटीज़ की एग फ्रीजिंग कराने की ख़बरे सामने आई है। इन ख़बरो में महिलाओं को करियर पर फोकस करने की वजह से उठाए गए कदम के तौर पर दिखाया गया है। महिला की मां बनने की इच्छा या मानसिक एवं शारीरिक रूप से तैयार न होना जैसे कारणों को मुख्य रूप से उजागर नहीं किया जा रहा है।

औरतों का अस्तित्व केवल बच्चे पैदा करने भर समझने वाले समाज में महिला यह कभी जान ही नहीं पाई कि वह मातृत्व सुख अपनी खुशी और तैयार मन से भी कर रही है या उस पर समाज और परिवार का दबाव है। स्त्रियों को ‘बायोलॉजिकल घड़ी’ का हवाला देकर हमेशा डराया जाता है।

 

क्या यह प्रक्रिया सिर्फ महिलाओं के लिए है? 

एग फ्रीजिंग प्रक्रिया महिलाओं के लिए नए विकल्प खोल रही हैं। वहीं पुरुषों के लिए भी ऐसी ही प्रक्रिया मेडिकल साइंस की देन है। इसे करवाने के कारण भी लगभग एक से ही हैं। यह प्रक्रिया भी एग फ्रीजिंग प्रक्रिया जैसी ही है लेकिन एग फ्रीजिंग प्रक्रिया से किफायती, आसान और जल्दी होने वाली विधि है। लेकिन इस पर कम विचार किया जाता है क्योंकि बच्चा पैदा करने और इससे जुड़े दबाव महिलाओं पर ही डाले जाते है। बच्चा पैदा करना और इससे जुड़ी परेशानियां जेंडर आधारित मानी जाती हैं। इस पूर्वाग्रह से निकलकर हमें स्पर्म फ्रीजिंग को भी बढ़ावा देना चाहिए क्योंकि यह कम खर्च और आसानी से होने वाली प्रक्रिया है। 


सोर्सः

  1. Healthline
  2. Indraivf.com
  3. Parents.com

Comments:

  1. Avinash Singh says:

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