अमेरिका के न्यूयॉर्क सिटी के ग्रीनविच विलेज में स्थित ‘द स्टोनवॉल इन’ शहर के क्वीयर समुदाय के लिए एक लोकप्रिय स्थान था। लेकिन उस दौर में क्वीयर समुदाय का ऐसी जगहों पर एकसाथ इकट्ठा होना गैर-कानूनी था। इसलिए आए दिन उन्हें पुलिस की हिंसा और प्रताड़ना का सामना करना पड़ता था। ऐसा ही एक छापा 28 जून, 1969 को पुलिस ने इस बार पर मारा था। पुलिस बिना कोई जानकारी दिए, वारंट के साथ पुलिस क्लब के परिसर में चली गई और वहां मौजूद लोगों का उत्पीड़न किया। साथ ही कई लोगों को गिरफ्तार भी किया।
इस अचानक पड़े छापे के बाद आस-पास हिंसा भड़क उठी। इसके कारण क्रिस्टोफर स्ट्रीट पर बार के बाहर ओर आस-पास की सड़कों पर छह दिनों तक पुलिसिया हिंसा के ख़िलाफ़ विरोध-प्रदर्शन चलता रहा। इस तरह स्टोनवॉल आंदोलन ने अमेरिका और दुनियाभर में क्वीयर अधिकारों के आंदोलन के लिए प्रेरणा के रूप में काम किया। इस प्रदर्शन में कई क्वीयर एक्टिविस्ट्स की एक अहम भूमिका रही थी। इस लेख के ज़रिये हम ऐसे ही कुछ ऐक्टिविस्ट्स के बारे में जानेंगे।
मार्शा पी. जॉनसन
मार्शा का जन्म 24 अगस्त 1945 को हुआ था। वह एक ब्लैक ट्रांसवुमन थीं जो ब्लैक नागरिकों के अधिकार से जुड़े आंदोलन, युद्ध-विरोधी और विकलांगता अधिकार आंदोलन से जुड़ी हुई थीं। जॉनसन स्टोनवॉल इन में जानेवाली पहली ड्रैग क्वीन्स में से एक थीं। वह 1960 और 1970 के दशक के क्वीयर अधिकार आंदोलन से जुड़ी सबसे प्रमुख व्यक्तियों में से एक थीं। जॉनसन बेघर LGBTQ+ युवाओं के लिए वकालत भी करती थीं जो एचआईवी से प्रभावित थे। जॉनसन मैल्कम माइकल्स सीनियर और अल्बर्टा क्लेबोर्न की पांचवी संतान थीं। जॉनसन को महिलाओं के लिए बने कपड़े पहनना पसंद था और उन्होंने पांच साल की उम्र से ही वह कपड़े पहनना शुरू कर दिए थे। आगे चलकर उन्होंने अपना पूरा नाम मार्शा पी. जॉनसन रख लिया।
जॉनसन के जीवन में बड़ा बदलाव तब आया जब वह स्टोनवॉल आंदोलन से जुड़ीं। स्टोनवॉल पर पड़े छापे ने क्वीयर अधिकारों के आंदोलन को तेज कर दिया। अपने पूरे जीवन में, मार्शा पी. जॉनसन ट्रांसजेंडर और बेघर व्यक्तियों के लिए काम करती रहीं। उन्होंने अपनी दोस्त सिल्विया रिवेरा के साथ स्ट्रीट ट्रांसवेस्टाइट एक्शन रेवोल्यूशनरीज़ (STAR) की स्थापना की, जिसका उद्देश्य बेघर ट्रांसजेंडर का समर्थन करना ओर उनके लिए संसाधन उपलब्ध कराना था। 46 साल की उम्र में जॉनसन की मौत हो गयी। 6 जुलाई 1992 को जॉनसन का शव हडसन नदी में मिला था।
सिल्विया रिवेरा
रिवेरा का जन्म न्यूयॉर्क शहर में साल 1951 में हुआ था। उनका बचपन अपने माता-पिता की गैरमौजूदगी में बीता, जिसके बाद उनकी दादी ने उन्हें पाला। रिवेरा को छोटी उम्र से ही कपड़ों का और मेकअप का शौक था। ऐसा करने के लिए उन्हें पीटा गया और छठी कक्षा में एक स्कूल के मैदान में एक अन्य छात्र द्वारा हमला किए जाने के बाद उन्हें ही एक सप्ताह के लिए स्कूल से निलंबित कर दिया गया। सिल्विया रिवेरा ग्यारह साल की थीं जब उनकी दादी ने भी उनकी लैंगिक पहचान को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था इस कारण उन्हें सड़कों पर भटकना पड़ा। वह भीख मांगकर और सेक्सवर्क के ज़रिये किसी तरह अपना गुज़र-बसर करती थीं। तेरह साल की उम्र में वह मार्शा पी जॉनसन से मिलीं और उनका जीवन हमेशा के लिए बदल गया। मार्शा ने उसे वह स्वीकृति और प्यार दिया जो उनकी दादी उन्हें कभी नहीं दे पाई। सिल्विया अक्सर लोगों को बताया करती थी कि मार्शा ही उनकी असली मां हैं।
रिवेरा ने 1969 में स्टोनवॉल आंदोलन में भाग लिया। उन्होंने न्यूयॉर्क में सेक्सुअल ओरिएंटेशन नॉन-डिस्क्रिमिनेशन ऐक्ट से ट्रांसजेंडर लोगों के बहिष्कार के खिलाफ भी लड़ाई लड़ी। रिवेरा ने 1998 में बताया कि उसने और जॉनसन ने यह तय किया था कि वे दोंनो दूसरे बच्चों की मदद करना चाहती थीं। केवल 19 साल की उम्र में ही, रिवेरा स्टार हाउस के कई निवासियों की माँ बन गई थीं। 1992 में रहस्यमय परिस्थितियों में जॉनसन की मृत्यु के बाद रिवेरा ने वापस एक्टिविज़्म की तरफ अपना रुख किया। साल 2002 में 50 साल की उम्र में सिल्विया की लिवर कैंसर से मौत हो गई।
स्टॉर्म डेलारवेरी
कहा जाता है कि स्टॉर्म डेलारवेरी स्टोनवॉल विद्रोह शुरू करनेवाले पहले सदस्यों में से एक थीं। उनका जन्म साल 1920 में हुआ था। जब वह 18 साल की हुई तो उन्होंने महसूस किया कि वह औरतों को पसंद करती हैं। इस डर से वह शिकागो चली गई, उन्हें डर था कि अगर वह दक्षिणी अमेरिका में रहीं तो उन्हें मार दिया जाएगा। उन्होंने अपने जीवन के कई साल होटलों में गुज़ारे। उन्होंने 2008 में कर्व मैगज़ीन को बताया कि वह स्टोनवॉल की वही अज्ञात लेस्बियन थीं जिसने विद्रोह को उकसाने में मदद की। उन्हें गे समुदाय की ‘रोज़ा पार्क्स’ भी कहा गया। स्टॉर्म स्टोनवॉल आंदोलन के लिए दंगे शब्द के इस्तेमाल के सख़्त खिलाफ़ थीं। उनका मानना था कि यह एक असहयोग आंदोलन था, एक विद्रोह था।
मिस मेजर ग्रिफिन ग्रेसी
मेजर ग्रेसी का जन्म 1940 के दशक में शिकागो में हुआ था। अपनी किशोरावस्था में वह किट्टी नाम की एक ड्रैग क्वीन से मिलीं, उस पल मिस मेजर को अहसास हुआ कि वह एक ट्रांस महिला हैं। कॉलेज से निकाले जाने के बाद, साल 1962 में वह न्यूयॉर्क शहर चली आईं। उन्होंने एक सेक्स वर्कर के रूप में किया। आगे चलकर वह ड्रैग शो में शामिल हो गईं और एक शोगर्ल के रूप में काम करना शुरू कर दिया। उन्हें स्थानीय LGBTQ+ समुदाय समुदाय का साथ मिला।
स्टोनवॉल विद्रोह के समय मिस मेजर के साथ पुलिस ने हिंसा की थी। उन्हें इस दौरान काफी चोटें भी आई थीं। उन्हें गिरफ्तार किया गया और जेल में डाल दिया गया। हिरासत में में भी उनके साथ पुलिस ने हिंसा की। इसके बाद वह सेन डियेगो चली आईं। यहां उन्होंने अपना जीवन उन ट्रांस महिलाओं को समर्पित कर दिया जो कैद में थीं या बेघर थीं। उन्होंने इन महिलाओं के लिए कई सेवाएं स्थापित कीं। इसके साथ ही बतौर एक ड्रैग परफॉर्मर के रूप में काम करना जारी रखा। साथ ही मिस मेजर ने कई ड्रैग परफॉर्मर्स को इस पेशे से जुड़े में मदद की। इसलिए उन्हें ‘मामा मेजर’ के नाम से जाना गया।