समाजखेल स्की जंपिंग में लैंगिक भेदभाव कैसे प्रभावित करता है ओलंपिक में महिला खिलाड़ियों का प्रतिनिधित्व

स्की जंपिंग में लैंगिक भेदभाव कैसे प्रभावित करता है ओलंपिक में महिला खिलाड़ियों का प्रतिनिधित्व

ऐतिहासिक रूप से शीतकालीन ओलंपिक खेलों सहित अन्य स्की जंपिंग प्रतियोगिताओं से महिलाओं के बहिष्कार ने इस खेल को लेकर पुरुष वर्चस्व वाली धारणा बनाने में योगदान दिया। अनेक पूर्वाग्रहों के आधार पर इस बहिष्कार को सही बताया जाता जैसे कि सुरक्षा संबंधी चिंताएं, शारीरिक क्षमता और पारंपरिक लैंगिक भूमिकाओं का पालन करना।

रूढ़िवाद और लैंगिक भेदभाव की वजह से स्की जंपिंग पारंपरिक रूप से पुरुष प्रधान खेल रहा है। कई वर्षों तक प्रतिस्पर्धात्मक और पेशेवर दोनों स्तरों पर स्की जंपिंग में भाग लेने के लिए महिलाओं को केवल जेंडर के आधार पर बाधाओं और प्रतिबंधों का सामना करना पड़ा। शुरुआत में यह खेल मुख्य रूप से पुरुष एथलीटों से जुड़ा था और महिलाओं की भागीदारी सीमित थी। इसे पुरुषों की ताकत तक से जोड़कर देखा जाता था।

साल 1809 में नार्वेजियन सेना में एक लेफ्टिनेंट ने हवा में 9.5 मीटर की दूरी पर छलांग लगाई। वह अपने सैनिकों को दिखाना चाहते थे कि वह कितने साहसी हैं। उस छलांग से इस खेल को एक तरह से मर्दानगी और पुरुषों की ताकत के साथ से जोड़ा गया। स्की जंपिग को लोग भी अपनी मर्दानगी साबित करने के नज़रिये से ही देखने लगे। साथ ही यह कहा जाने लगा कि यह खेल महिलाओं के लिए बेहद खतरनाक है। 

साल 2008 में वैन और छह अन्य देशों की चौदह अन्य महिला स्की जंपर्स ने 2010 में आयोजित होने वाले शीतकालीन ओलंपिक खेलों के लिए वैंकूवर ओलंपिक आयोजन समिति के ख़िलाफ़ ब्रिटिश कॉलंबिया के सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा दायर किया। मुकदमा यह साबित करने में रहा था कि आईओसी लैंगिक भेदभाव करने का दोषी था।

डेडस्पिन.कॉम नामक वेबसाइट में प्रकाशित लेख में एक रूसी स्की जंपिंग कोच ने कहा, “अगर किसी पुरुष को गंभीर चोट लगती है, तो यह उतना घातक नहीं है लेकिन महिला के लिए यह अधिक गंभीर साबित हो सकती है। महिलाओं की और भी जिम्मेदारियां हैं उन्हें बच्चे पैदा करना, घर के काम करना और घर को संवारना होता है।” इतना ही नहीं ऐतिहासिक रूप से शीतकालीन ओलंपिक खेलों सहित अन्य स्की जंपिंग प्रतियोगिताओं से महिलाओं के बहिष्कार ने इस खेल को लेकर पुरुष वर्चस्व वाली धारणा बनाने में योगदान दिया। अनेक पूर्वाग्रहों के आधार पर इस बहिष्कार को सही बताया जाता जैसे कि सुरक्षा संबंधी चिंताएं, शारीरिक क्षमता और पारंपरिक लैंगिक भूमिकाओं का पालन करना।

महिलाओं को आगे बढ़ने से रोका गया

यह खेल 19वीं शताब्दी में अस्तित्व में आया था। महिलाओं के खेल में शामिल होने के बारे में उन्हीं विशिष्ट विचारों को दोहराना शुरू कर दिया जो प्राचीन काल से चले आ रहे थे। उस समय महिलाओं के बारे में सोचा गया था कि महिलाओं के पास ऊर्जा का एक सीमित भंडार है। बहुत अधिक परिश्रम करने से गर्भाशय को स्थिर रखने वाली मांसपेशियां कमजोर हो सकती हैं। स्की जंप रैंप वास्तव में पुरुषों की तुलना में महिलाओं के लिए अधिक लंबा है, क्योंकि महिलाओं के हल्के शरीर को सही मात्रा में गति बनाने के लिए लंबी ट्रेनिंग की आवश्यकता होती है।

लंबे समय तक अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने ओलंपिक में स्की जंपिंग को जोड़ने से इनकार कर दिया था, तर्क दिया गया कि यह बहुत कम प्रतियोगियों वाला एक छोटा खेल है। यह सच है कि महिलाओं की स्की जंपिंग नियमित उच्च-स्तरीय प्रतियोगिता के लिए सीमित बुनियादी ढांचे वाला एक छोटा खेल रहा है। लेकिन इसका एक बड़ा कारण महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य के बारे में एक पुरानी गलतफ़हमी भी है। इसे और अधिक स्पष्ट रूप से कहें तो लोगों का मानना था कि स्की जंपिंग महिलाओं के बच्चे पैदा करने की क्षमता को प्रभावित कर देगा। यह मत विक्टोरियन युग से चला आ रहा है। साल 2005 में इंटरनैशनल स्की फेडरेशन प्रेसिडेंट ने भी कहा था, “महिला स्की जंपिंग चिकित्सीय नज़रिये से भी उचित नहीं लगती है।”  

अनेक प्रयासों के साथ आखिर में 2014 सोची में शुरू होने वाले शीतकालीन ओलंपिक में महिलाओं की स्की जंपिंग को शामिल किया गया। सोची में 12 देशों की 30 महिला स्की जम्पर्स ने अपने देश का प्रतिनिधित्व किया।

महिलाओं के स्की जंपिंग से जुड़े कई मिथक और भ्रांतियां 

महिलाओं का शरीर स्की जंपिंग के लिए नहीं बना है: बात जब भी महिलाओं की खेलों में हिस्सा लेने की आती हैं तो सबसे पहले इसी आधार पर बाहर कर दिया जाता है कि उनमें शारीरिक क्षमता नहीं है। यह मिथक बताता है कि महिलाओं की शारीरिक संरचना स्की जंपिंग के लिए उपयुक्त नहीं है और इससे उनके स्वास्थ्य को खतरा हो सकता है। हालांकि, इस दावे का समर्थन करने के लिए कोई वैज्ञानिक या चिकित्सीय प्रमाण नहीं है। महिला एथलीटों ने उच्च स्तर पर स्की जंपिंग में प्रतिस्पर्धाओं में हिस्सा लेकर और अपने प्रदर्शन कर यह लगातार जाहिर कर रही हैं कि वे किसी रूप में इस खेल को खेलने के लिए फिट नहीं हैं। 

महिलाओं की स्की जंपिंग पुरुषों की तरह रोमांचक नहीं है: यह मिथक इस धारणा पर आधारित है कि महिलाओं के स्की जंपिंग में पुरुषों के स्की जंपिंग के समान कौशल, एथलेटिक्स और मनोरंजन मूल्य का समान स्तर नहीं है। वास्तव में, महिलाओं की स्की जंपिंग प्रतियोगिताएं प्रभावशाली छलांग, तकनीक और एथलेटिक कौशल का प्रदर्शन करती हैं, जो दर्शकों के लिए रोमांचक और आकर्षक प्रदर्शन पेश करती हैं।

महिला स्की जंपिंग लोकप्रिय नहीं है: महिलाओं की स्की जंपिंग के लिए समर्थन का ऐतिहासिक अभाव रहा है, जिसने इस धारणा में योगदान दिया है कि यह लोकप्रिय नहीं है। हालांकि, शीतकालीन ओलंपिक जैसे प्रमुख खेल आयोजनों में शामिल के बाद जागरूकता और समावेशन के साथ महिला स्की जंपिंग, दुनिया भर में अधिक मान्यता और लोकप्रियता प्राप्त कर रही है।

महिलाओं की स्की जंपिंग बहुत खतरनाक है:  इस मिथक के अनुसार पुरुषों की स्की जंपिंग की तुलना में महिलाओं की स्की जंपिंग में चोट आने का खतरा अधिक होता है। हालांकि, इस दावे का समर्थन करने के लिए कोई सबूत नहीं है। स्की जंपिंग, किसी भी अन्य उच्च गति वाले खेल की तरह, अंतर्निहित जोखिम रखता है, लेकिन लैंगिक पहचान की परवाह किए बिना सभी एथलीटों की भलाई सुनिश्चित करने के लिए उचित प्रशिक्षण, उपकरण और सुरक्षा उपायों को लागू किया जाता है।

लिंडसे वैन का स्की जंपिंग में महत्वपूर्ण योगदान

लिंडसे वैन, तस्वीर साभारः Women Fitness

अमेरिकी स्की जम्पर लिंडसे वैन को वास्तव में महिलाओं की स्की जंपिंग में अग्रणी माना जाता हैं। उन्होंने खेल में लैंगिक समानता की वकालत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाईं। शीतकालीन ओलंपिक खेलों में महिलाओं की स्की जंपिंग को शामिल करने के अभियान में योगदान दिया। लिंडसे वैन ने बहुत कम उम्र में ही स्की जंपिंग शुरू कर दी थी और जल्दी ही खेल के प्रति अपनी प्रतिभा और जुनून का प्रदर्शन किया। हालांकि, ओलंपिक सहित प्रमुख प्रतियोगिताओं से महिलाओं की स्की जंपिंग को बाहर करने के कारण उन्हें कई बाधाओं का सामना करना पड़ा। इन बाधाओं को चुनौती देने के लिए वैन ने स्की जंपिंग में लैंगिक समानता की वकालत की और अभियान में जुट गईं।

साल 2008 में वैन और छह अन्य देशों की चौदह महिला स्की जंपर्स ने 2010 में आयोजित होने वाले शीतकालीन ओलंपिक खेलों के लिए वैंकूवर ओलंपिक आयोजन समिति के ख़िलाफ़ ब्रिटिश कॉलंबिया के सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा दायर किया। मुकदमा यह साबित करने में रहा था कि आईओसी लैंगिक भेदभाव करने का दोषी था। अदालत ने आईओसी और वैंकूवर ओलंपिक आयोजन समिति को वैंकूवर में आयोजित खेलों में शामिल होने से रोक दिया था। 

सोची ओलंपिक में पहली बार लिया हिस्सा

तस्वीर साभारः The Mercury News

इस मुकदमे ने इस मुद्दे के बारे में महत्वपूर्ण जागरूकता पैदा की और खेलों में लैंगिक भेदभाव के बारे में चर्चाओं ने तेजी पकड़ी। शुरुआती झटकों के बावजूद, वैन ने स्की जंपिंग में लैंगिक समानता के लिए लड़ाई जारी रखी। अनेक प्रयासों के साथ आखिर में 2014 सोची में शुरू होने वाले शीतकालीन ओलंपिक में महिलाओं की स्की जंपिंग को शामिल किया गया। सोची में 12 देशों की 30 महिला स्की जम्पर्स ने अपने देश का प्रतिनिधित्व किया। इनमें से अधिकत्तर युवा महिला जंपर्स शामिल थीं।महिलाओं के समर्थन में 7,500 सीट का वैन्यू पूरी तरह से दर्शकों से भरा था। जर्मनी की कैरीना वोग्ट ओलंपिक में स्की जंपिंग में गोल्ड जीतने वाली पहली महिला बनीं।

लिंडसे वैन की अग्रणी भूमिका और अन्य महिलाओं की स्की जंपिंग को आगे बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया। वैन के समर्पण ने उन्हें खेल में एक प्रभावशाली व्यक्ति बना दिया। उनकी वकालत और दृढ़ता ने महिला स्की जंपर्स की भावी पीढ़ियों के लिए अपने जुनून को आगे बढ़ाने और उच्च स्तरों पर प्रतिस्पर्धा करने का रास्ता दिखाने में मदद की। स्की जंपिंग में अभी भी महिलाओं की तुलना में अधिक पुरुष प्रतिभागी हैं और इसकी प्रमुख वजह यह भी है कि महिलाओं के खेल को प्रोत्साहन कम दिया जा रहा है। उनके खेल को आगे बढ़ाने के लिए आर्थिक सहयोग की भी भारी कमी है।

स्रोतः

  1. Business insider
  2. Poosugar.com
  3. America.aljazeera.com
  4. Deadspin.com
  5. Washington Post

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