स्वास्थ्यशारीरिक स्वास्थ्य जानें क्रिप्टिक प्रेग्नेंसी क्या है?

जानें क्रिप्टिक प्रेग्नेंसी क्या है?

क्रिप्टिक प्रेगनेंसी के लक्षण सामान्य गर्भावस्था के ही समान है। केवल इतना अंतर है कि उन लक्षणों की पहचान नहीं हो पाती। पीरियड्स का मिस होना गर्भावस्था के शुरुआती लक्षणों में से एक है। लगभग 30 प्रतिशत लोग अनियमित पीरियड्स का सामना करते हैं। इसमें कुछ लोग साल में एक या दो बार ही पीरियड्स का सामना करते हैं।

क्या ऐसा हो सकता है कि कोई व्यक्ति प्रेग्नेंट हो और वह अपनी प्रेग्नेंसी से पूरी तरह से अंजान हो? अपने प्रेग्नेंट होने के सच से तब तक अनभिज्ञ हो जब तक वह बच्चे को जन्म नहीं दे देते? इस सवाल का जवाब है- हां! यह संभव है, ऐसा हो सकता है। जब कोई व्यक्ति इस बात से अनजान हो कि वह प्रेग्नेंट है, इस तरह की प्रेग्नेंसी को ‘क्रिप्टिक प्रेगनेंसी’ जिसे ‘डिनायल प्रेग्नेंसी’ भी कहा जाता है।

क्या है ‘क्रिप्टिक प्रेग्नेंसी’? क्रिप्टिक प्रेग्नेंसी के अंतर्गत आने वाले प्रेग्नेंट व्यक्ति इस बात से अनजान होते हैं कि वह प्रेग्नेंट हैं और वह इससे प्रेग्नेंसी के अंतिम दिनों अथवा डिलीवरी होने तक अनजान होते हैं तथा उनके रिश्तेदार, परिवार, सेक्सुअल पार्टनर तथा डॉक्टर भी उनके प्रेग्नेंट होने की वास्तविकता का पता नहीं चलता। अमेरिकन प्रेंगनेसी एसोसिएशन में प्रकाशित जानकारी अनुसार यह पाया गया है कि प्रेग्नेंसी के हर 475 केसों में से 1 का तब तक पता नहीं चल पाता जबतक गर्भावस्था के 20 सप्ताह का समय पूरा नहीं हो पाता।

क्रिप्टिक प्रेगनेंसी के लक्षण

क्रिप्टिक प्रेगनेंसी के लक्षण सामान्य गर्भावस्था के ही समान है। केवल इतना अंतर है कि उन लक्षणों की पहचान नहीं हो पाती। पीरियड्स का मिस होना गर्भावस्था के शुरुआती लक्षणों में से एक है। लगभग 30 प्रतिशत लोग अनियमित पीरियड्स का सामना करते हैं। इसमें कुछ लोग साल में एक या दो बार ही पीरियड्स का सामना करते हैं। पीसीओएस की वजह से अनियमित पीरियड्स का सामना करते हैं। ऐसे में अगर उसे पता नहीं है कि उसका पीरियड्स मिस हुुआ है तो वह ऐसी स्थिति में प्रेगनेंसी टेस्ट नहीं करते हैं।

दूसरा प्रेग्नेंसी टेस्ट के फॉल्स यानी निगेटिव होने की वजह से भी गर्भावस्था का पता नहीं चल पाता है। प्रेग्रेंसी टेस्ट के कई ऐसे फैक्टर्स हो सकते हैं जिनके कारण प्रेग्नेंसी टेस्ट निगेटिव रिज़ल्ट दिखा सकता है। सबसे सटीक तथा विश्वसनीय प्रेगनेंसी टेस्ट है ‘ब्लड टेस्ट’। जिसमें डॉक्टर्स खून में ‘ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन’ (Human Chorionic Gonadotropin- HCG) की मौजूदगी की जांच करते हैं।

क्रिप्टिक प्रेगनेंसी के तहत चूंकि व्यक्ति अपने प्रेगनेंसी से अनजान होते हैं। प्रेग्नेंसी के दौरान सामान्य प्रेग्नेंट व्यक्तियों की खास तौर-तरीकों से शारीरिक, मानसिक तथा भावनात्मक रूप से होने वाली देखभाल से वंछित रह जाते हैं।

साथ ही क्रिप्टिक प्रेगनेंसी के दौरान होने वाले लक्षण जैसे चक्कर, ऐठन, कमर दर्द जैसे लक्षणों को नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है। इन्हें शरीर में होने वाला आम समस्या की तरह मान लिया जाता है। कुछ लोग अपनी गर्भावस्था के दौरान कई बार स्पॉटिंग का सामना करते हैं जिसे हल्का पीरियड्स होना समझ लिया जाता है। अगर किसी का वजन ज्यादा है तो वह पेट के बढ़ते आकार पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पाते हैं। क्रिप्टिक प्रेगनेंसी में बच्चे के मूवमेंट को महसूस करना मुश्किल हो जाता है। अगर प्लेंसेटा, गर्भाश्य के फ्रंट पर रहता है तो बच्चे के मूवमेंट को समझना कठिन और लंबा हो जाता है। पेट में बच्चे की गतिविधियों को गैस आदि का कारण मान लिया जाता है। अपनी प्रेग्नेंसी की कोई जानकारी नहीं होती इस स्थिति में वे इस बात को मानने से पूरी तरह इंकार कर देते हैं कि वह प्रेग्नेंट हैं, इसलिए भी इसे ‘डिनायल प्रेग्नेंसी’ कहा जाता है।

क्या क्रिप्टिक प्रेगनेंसी द्वारा प्रसव पर कोई असर पड़ता है? 

क्रिप्टिक प्रेगनेंसी के तहत चूंकि व्यक्ति अपने प्रेगनेंसी से अनजान होते हैं। प्रेग्नेंसी के दौरान सामान्य प्रेग्नेंट व्यक्तियों की खास तौर-तरीकों से शारीरिक, मानसिक तथा भावनात्मक रूप से होने वाली देखभाल से वंछित रह जाते हैं। प्रसव पूर्व तथा प्रसव के दौरान डॉक्टर, नर्स तथा शुभचिंतकों की गैरमौजूदगी में अमूमन वह अकेले ही बिना किसी सहायता के बच्चे को जन्म देते हैं। यह स्थिति माँ और बच्चे दोनों के लिए गंभीर परेशानी का कारण बन सकती है। 

उदाहरण के लिए क्रिप्टिक प्रेगनेंसी में बच्चे का जन्म हॉस्पिटल के बाहर और बिना चिकित्सा सुरक्षा के होता है। कई मामलों में बच्चों के जन्म टॉयलेट में भी हुए हैं। इस तरह अप्रत्याशित रूप से, बिना किसी सहायता के बच्चे को जन्म देना आदि से माँ और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य यहां तक कि प्राणों को कई गम्भीर खतरा बन जाता है जैसे- प्रीमैच्योरिटी, छोटे आकार का शिशु, अस्पताल में भर्ती कराने की नौबत। क्रिप्टिक प्रेगनेंसी के तहत जन्में बच्चों में स्टिलबर्थ, शिशु की मृत्यु और उपेक्षा होने की भी संभावनाएं बनी रहती है।  साथ ही अचानक से बच्चे का जन्म होना बहुत ही ट्रामा से भरा अनुभव होता है जो माँ के मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत गहरा असर करता है।

तस्वीर साभारः Verywell Family

बहरहाल, पहले के मुकाबले वर्तमान समय में क्रिप्टिक प्रेगनेंसी पर शोध तथा जानकारियों के प्रचार-प्रसार में कुछ हद तक इज़ाफ़ा हुआ है। लेकिन चिकित्सकों के पास गर्भावस्था का डिटेक्ट करने, पता लगाने हेतु अब लगभग बेहतर संसाधन और विकल्प है। नैशनल लाईब्रेरी ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित क्रिप्टिक प्रेगनेंसी केस स्टडी में कुछ मामलों का ज़िक्र किया गया है।

यह एक 19 वर्षीय लड़की का केस था। वह डॉक्टर की निगरानी में जाने से पहले दिन से कमर के निचले हिस्से में दर्द, पेट दर्द और कब्ज़ की शिकायत का सामना कर रही थी। डॉक्टरों ने उनसे पूछा कि “क्या वह प्रेगनेंट हैं?”  तो लड़की ने उत्तर दिया, “नहीं!” और रिकाउंट करते हुए कहा कि उनके पीरियड्स मिस नहीं हुए हैं, रेगूलर पीरियड्स हैं। जांच करने पर पता चला कि वह गर्भवती है। डॉक्टर ने जांच में पाया था कि वह 36 सप्ताह की गर्भवती है। उस लड़की ने एक बच्ची को जन्म दिया था।

क्रिप्टिव प्रेगनेंसी के दौरान जटिलताएं 

क्रिप्टिक अथवा डिनायल प्रेग्नेंसी में, व्यक्ति को अंतिम हफ़्तों अथवा प्रसव तक प्रैगनेंसी के बारे में जानकारी की कमी रहती है। ध्यान दिया जाना चाहिए कि ‘क्रिप्टिक प्रेगनेंसी’ ‘कन्सीव प्रेगनेंसी’ से अलग है। व्यक्ति अपनी गर्भावस्था से पूरी तरह अवगत नहीं होता है या फिर मनोवैज्ञानिक स्थिति की वजह से उससे अपना नहीं पाता है। क्लीवलैंड क्लीनिक में छपी जानकारी के अनुसार क्रिप्टिक प्रेगनेंसी होने के कारण लोग अपनी जीवनशैली में बदलाव नहीं कर पाते हैं क्योंकि गर्भावस्था के बारे में पता न होने के कारण ध्रूमपान, शराब आदि का सेवन लगातार बना रहता है और उन दवाइयों और स्पलीमेंट का सेवन नहीं रोक पाते हैं जो आमतौर पर गर्भावस्था के दौरान मना है। 

रिसर्च के अनुमान के अनुसार यह पाया गया है कि 475 केसों में से 1 का तबतक पता नहीं चल पाता जबतक गर्भावस्था के 20 सप्ताह का समय पूरा नहीं हो पाता। इतना ही नहीं 2,500 स्लील्थ प्रेंगनेंसी में एक की पहचान तबतक नहीं की जा सकी जबतक वह प्रसव पीड़ा में न चली गई।

क्रिप्टिक गर्भावस्था के दौरान मेडिकल स्थिति का भी अधिक जोखिम रहता है। गर्भावस्था के दौरान होने वाली ज़रूरी चिकित्सीय जांच जैसे गैसटेस्शनल डायबिटीज़ या प्रीक्लेम्पसिया जैसी स्थितियों के लिए आवश्यक निदान और जांच नहीं हो पाती है। इसके अलावा जन्मजात स्थितियों का भी जोखिम रहता है क्योंकि बर्थ डिसॉर्डर से बचने के लिए होने वाले किसी भी तरह का जेनेटिक टेस्ट नहीं हो पाता है।  

प्रेगनेंसी को न जानना एक वास्तविक स्थिति है इसलिए क्रिप्टिक प्रेगनेसी में अपनी गर्भावस्था के बारे में न जानना कुछ भी असमान्य नहीं है। क्रिप्टिक प्रेगनेंसी में एक व्यक्ति बहुत महीनों तक या पूरी गर्भावस्था में इसके बारे में जान नहीं पाता है। इसलिए अगर कोई व्यक्ति सेक्सुअली एक्टिव है और सबसे बेहतर है कि वह गर्भावस्था के लक्षणों को जानें। किसी भी तरह का कोई लक्षण है तो तुरंत डॉक्टरी परामर्श लें। एक प्रेगनेट व्यक्ति और भ्रूण के लिए स्वास्थ्य और सुरक्षा बहुत महत्वपूर्ण है।

स्रोतः

  1. Healthline
  2. Americanpregnancy.org
  3. Cleveland clinic
  4. Webmd.com
  5. Medical News Today

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