समाजविज्ञान और तकनीक युवा महिलाओं को ग्रामीण स्तर पर डिजिटल ट्रेनिंग के ज़रिये नेतृत्व में शामिल करता कार्यक्रम ‘गोल’

युवा महिलाओं को ग्रामीण स्तर पर डिजिटल ट्रेनिंग के ज़रिये नेतृत्व में शामिल करता कार्यक्रम ‘गोल’

इस प्रोग्राम का उद्देश्य अनुसूचित जनजाति की युवा महिलाओं को अपने समुदाय के लिए ग्राम स्तर पर डिजिटल नेतृत्व के लिए तैयार करना है। इसमें 18 से 35 साल की महिलाओं को दो तरह की गतिविधियों में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित किया जाता है।

42 वर्षीय नवती महाराष्ट्र के पालघर जिले के साव्रोली गाँव की रहने वाली हैं। दस साल की उम्र से वह अपने परिवार को आर्थिक तौर पर मदद कर रही हैं। उसके बाद मुंबई आकर भी उन्होंने काम किया लेकिन वह अपने परिवार, गाँव और वर्ली आर्ट को बहुत याद किया करती थी। नवती की वर्ली कला से जुड़े कामों में बहुत रूचि है और वह उससे जुड़े प्रोजेक्ट किया करती थी लेकिन उससे पैसा कमाने में असमर्थ थी। इसके बाद वह डीईएफ के गोल (जीओएएल) प्रोग्राम से जुड़ी। जहां उन्हें हर सप्ताह गोल प्रोग्राम के वीडियो कॉफ्रेंस कॉल से जुड़कर कौशल विकास से जुड़ी जानकारी मिली। इस प्रोग्राम ने नवती को उनकी ताकत और कमजोरियों का एहसास कराया। वहां उन्होंने सिलाई से जुड़ी बेसिक ट्रेनिंग भी हासिल की और अपने मेंटर के साथ मिलकर हर हफ्ते अलग-अलग प्रोडक्ट बनाए। आज वह एक लीडर है और अपनी कला को साझा करते हुए अपने समुदाय की अन्य महिलाओं को ट्रेनिंग देती हैं। गोल और अपने जीवन के अनुभव से उसने आत्मविश्वास हासिल किया और वर्ली कला के अस्तित्व को संवार कर अपना भविष्य बना रही हैं।

नवती जैसी अनेक महिलाओं के जीवन में काम, सम्मान और आत्मविश्वास की नींव रखने में डीईएफ के प्रोग्राम ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। डिजिटल एम्पावरमेंट फाउंडेशन यानी डीईएफ हर क्षेत्र, वर्ग, लिंग और समुदाय के लोगों को सूचना से जोड़ने और उसके माध्यम से आगे बढ़ने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है। इस संस्था का मुख्य काम डिजिटल माध्यमों तक सबकी समान पहुंच तय करना और सूचना माध्यमों से लोग आर्थिक रूप से सबल होकर अपनी जीविका चला सकें। 

अपने लक्ष्य के अनुसार GOAL कार्यक्रम ने ग्रामीण समुदाय की 100 युवा, आदिवासी महिलाएं लाभार्थी हुईं। लाभार्थी जिन्हें अब मेंटीज़ कहा जाता है, उनके 20 मेंटरशिप समूह बनाए गए और पांचों राज्यों में चार मेंटर होते हैं।

GOAL (Going Online As Leaders) प्रोग्राम क्या है?

लोगों को सशक्तिकरण और उनमें नेतृत्व क्षमता बढ़ाने के लिए डीईएफ की ओर से GOAL (Going Online As Leaders) प्रोग्राम चलाया जा रहा है। इस प्रोग्राम का उद्देश्य अनुसूचित जनजाति की युवा महिलाओं को अपने समुदाय के लिए ग्राम स्तर पर डिजिटल नेतृत्व के लिए तैयार करना है। इसमें 18 से 35 साल की महिलाओं को दो तरह की गतिविधियों में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित किया जाता है। पहला, उन्हें 24 सप्ताह की एक लंबी डिजिटल लिटरेसी से जुड़ी ट्रेनिंग दी जाती है। दूसरा, आठ महीनों तक नेतृत्व को बढ़ावा देने के लिए मेंटर्स के साथ पाक्षिक सत्र लिया जाता है। 

तस्वीर साभारः DEF

डिजिटल साक्षरता के लिए ट्रेनर गाँव स्थित सामुदायिक सूचना संसाधन केंद्रों के कर्मचारी है। विभिन्न क्षेत्र की शहरी पेशेवर महिलाओं और अलग-अलग क्षेत्र के उद्यमियों की पहचान कर उन्हें सलाहकार के तौर पर नियुक्त किया जाता है। यह प्रोग्राम डिजिटल एम्पावरमेंट फाउंडेशन और फेसबुक के बीच एक पार्टनरशिप प्रोजेक्ट है। साल 2019 में इसे लॉन्च किया गया था और यह भारत के पांच राज्यों झारखंड, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा और पश्चिमी बंगाल में चलाया गया। शुरू में प्रोग्राम की समाप्ति सीमा दिसंबर 2019 रखी गई थी लेकिन बाद में जुलाई 2020 तक इसकी अवधि बढ़ायी गई। अपने लक्ष्य के अनुसार GOAL कार्यक्रम ने ग्रामीण समुदाय की 100 युवा, आदिवासी महिलाएं लाभार्थी हुईं। लाभार्थी जिन्हें अब मेंटीज़ कहा जाता है, उनके 20 मेंटरशिप समूह बनाए गए और पांचों राज्यों में चार मेंटर होते हैं। प्रत्येंक ग्रुप में पांच मेंटीज़ होते हैं और हर ग्रुप का एक मेंटर होता है। कार्यक्रम में मेंटीज की औसत उम्र 21 साल होती है। इनमें से 63 फीसदी विद्यार्थी होते हैं जो स्नातक की पढ़ाई कर रहे हैं। 14 प्रतिशत कामकाजी हैं।

GOAL 3.0 के माध्यम से अन्य क्षमताओं पर भी ध्यान

GOAL 2019 की सफलता के बाद भारतीय जनजातीय मामलों के मंत्रालय द्वारा इसे अपनाया गया जिन्होंने पिछले कई वर्षो में इस कार्यक्रम का विस्तारित संस्करण लागू किया है। अब डीईएफ द्वारा इस कार्यक्रम के नये संस्करण को लॉन्च करने की तैयार चल रही है। इसबार कार्यक्रम में मेंटरशिप और उच्च गुणवत्ता वाले कौशल ट्रेनिंग के साथ-साथ अंग्रेजी भाषा की क्षमता और ग्लोबल एक्सप्रोजर पर जोर है। यूएस इंडिया पोलिसी इंस्टीट्यूट द्वारा चुने गए अंतरराष्ट्रीय मेंटर्स द्वारा GOAL 3.0 मेंटी के विकास और सहयोग के साथ अपने समुदाय में गेम चेंजर बनाने में आगे बढ़ाता है।   

तस्वीर साभारः DEF

प्रोग्राम के ज़रिये मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला

अर्चना मुंडा रांची जिले के नाउज गांव की रहने वाली हैं। आज अर्चना अपने क्षेत्र में डीईएफ के गोल प्रोग्राम के मेंटीज़ के तौर पर अपने क्षेत्र में काम करती हैं। जीवन में बदलाव को लेकर उनका कहना है कि बचपन से वह दूसरों के घर और खेतों में जाकर काम करती थी। घर में पैसा नहीं था। हम जो भी करते है खुद से करते हैं। पहले भी ऐसे ही करते थे और अब भी करते हैं। पढ़े-लिखे नहीं हैं। अब हमें मोबाइल मिला है और इस मोबाइल से हम जिन चीजों के बारे में जानकारी नहीं मिलती है उससे जानने के लिए दिया गया है। अब इंटरनेट और फेसबुक के ज़रिये हम जानकारी हासिल कर सकते हैं। इतना ही नहीं हम फेसबुर के दफ्तर गए और अपने गाँव की समस्यों के बारे में वहां जानकारी दी। इस कार्यक्रम से जुड़ने के बाद जीवन में बहुत कुछ बदलाव आया है। बहुत कुछ सीखने को मिला है और हम सीख भी रहे हैं। हमारी जो मेडम हैं उनकी कोशिश है कि हम अपना लक्ष्य हासिल कर सकें। हमारी मेंटर बहुत अच्छी हैं। कभी डांट से तो कभी आराम से हमें सिखाती हैं। इस तरह से गांव में प्रोग्राम के ज़रिये बहुत बदलाव आ रहे हैं। 

कार्यक्रम के मुख्य उद्देश्य

आत्मविश्वास पैदा कर समुदाय को आगे बढ़ानाः इस कार्यक्रम के दौरान मुख्य रूप से कौशल विकास में कई बातों पर ध्यान दिया जाता है। सबसे पहले ग्रामीण समुदाय की युवा महिलाओं से जुड़कर उनमें आत्मविश्वास पैदा करने का काम किया जाता है। हमारे समाज में ग्रामीण समाज में महिलाओं और लड़कियों से उम्मीद की जाती हैं कि वे अपने परिवार के आसपास रहे और घर से बाहर निकलकर कोई काम न करें। महिलाओं को शिक्षित करने का कम चलन हैं। अशिक्षा और घर तक सीमित रहने के वजह से इनमें यह विश्वास घर कर जाता है कि वे कम पारंपरिक काम करने में सक्षम नहीं हैं। इस कार्यक्रम में उन्हें सफल महिला व्यवसायी से जोड़कर सही रोल मॉडल से मिलवाया जाता है और आगे बढ़ने के लिए एक सप्रोर्ट सिस्टम बनाया जाता है जिसकी उन्हें बहुत आवश्यकता होती है। खुद में विश्वास पैदा कर उनकी अपने काम के प्रति और रूचि बढ़ती है।

GOAL 2019 की सफलता के बाद भारतीय जनजातीय मामलों के मंत्रालय द्वारा इसे अपनाया गया जिन्होंने पिछले कई वर्षो में इस कार्यक्रम का विस्तारित संस्करण लागू किया है। अब डीईएफ द्वारा इस कार्यक्रम के नये संस्करण को लॉन्च करने की तैयार चल रही है।

डिजिटल सक्षमताः वर्तमान के डिजिटल युग में एक इंसान को आगे बढ़ने के लिए डिजिटल सक्षम होना सबसे बड़ी ज़रूरत है। इस कार्यक्रम में  डिजिटल साक्षरता से अलग डिजिटल माध्यमों द्वारा जीविका अर्जन करने पर जोर दिया जाता है। इसमें आईसीटी ट्रेनिंग के द्वारा डिजिटल सशक्तिकरण और उद्यमिता पर विशेष ध्यान दिया जाता है। 

आजीविका और उद्यमिताः आर्थिक रूप से सक्षम होना ताकत और तरक्की से जुड़ा है। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य मेंटीज की साहयता करना और दुनिया में उसकी खुद की पहचान बनाना है। मेंटीज खुद आर्थिक रूप से मजबूत होकर समाज और अर्थव्यवस्था में योगदान दे सकें।

नेतृत्व विकसित करनाः कार्यक्रम के तहत समाज में कुशल नेतृत्व क्षमता को स्थापित करना भी है जिससे बदलाव के क्रम को बरकरार रखा जा सकें। मेंटीज को समाज मेें परिवर्तन लाने वाला और भविष्य के निर्माता बनने के सक्षम बनाना है। उन विषयों को सामने लाना है जो उनसे जुड़े हुए हैं। डीईएफ और मेंटर्स के साथ मिलकर मेंटीज़ का अपने समुदाय के भीतर सामाजिक-व्यावहारिक, सांस्कृतिक और आर्थिक बदलाव को कायम करना है।


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