एक तरफ दुनिया में मानवाधिकारों का आगे बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है, जेंडर बाइनरी को खत्म कर समावेशी समाज के निर्माण पर आगे बढ़ रहे हैं वहीं इटली ने ट्रांस अधिकारों के क्षेत्र में एक कदम पीछे हटने का फैसला लिया है। हाल ही में मिस इटली सौंदर्य प्रतियोगिता में ट्रांस महिला प्रतियोगियों के भाग लेने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। यह रोक लगाते हुए कहा गया है कि प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए प्रतियोगी को ‘जन्म से एक महिला’ होना चाहिए। यह बयान रिक्की वैलेरी के मिस नीदरलैंड का खिताब जीतने वाली पहली ट्रांसजेंडर महिला बनने के कुछ दिन बाद आया है। बिजनेस टुडे में छपी ख़बर के अनुसार पैट्रीज़िया मिरिग्लिआनी ने रेडियो कुसानो के साथ एक इंटरव्यू में कहा है कि ट्रांस महिला प्रतियोगियों का हिस्सा मुझे निजी तौर पर थोड़ा बेतुका लगता है और यह प्रतियोगिता के मूल्यों के अनुरूप नहीं है।
पैट्रीज़िया मिरिग्लिआनी एक उद्यमी है जो मिस इटली प्रतियोगिता कराने वाली मुख्य संयोजक है। उन्होंने आगे एक स्थानीय समाचार एजेंसी को यह भी कहा कि सौंदर्य प्रतियोगिताएं सुर्खियां बनाने के लिए इस तरह की योजनाओं का इस्तेमाल कर रही है जो मेरी नज़र में एक बेतुका विचार है। जब से मैं पैदा हुई हूं, प्रतियोगिता की हमेशा से यही शर्त रही है जन्म से महिला होना चाहिए। वह 1980 से मिस इटली प्रतियोगिता से जुड़ी हुई है। शायद यह उम्मीद की जा रही है कि सौंदर्य में संशोधन हो रहा है और महिलाएं भी कुछ संशोधन कर सकती है और इसका मतलब है कि आदमी, औरत बन सकता है। उन्होंने आगे कहा, टैटू, पियर्सिंग और एक्सटेंशन वाली महिलाओं को प्रतियोगिता में हिस्सा लेने की अनुमति है लेकिन इससे ज्यादा की उम्मीद अच्छी नहीं है। मिस इटली अपनी प्रतियोगिता के लिए कई मानक लागू करती है। साल 2012 में प्रतियोगिता ने प्लास्टिक सर्जरी को बैन किया था।
मिस इटली के आयोजकों ने ट्रांस समुदाय के प्रतियोगियों पर अपने प्रतिबंध का बचाव किया है। इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर के अनुसार ये नियम इस समय बदल नहीं सकते हैं और ट्रांस समुदाय के लिए कोई रास्ता खुला नहीं है। जबतक मेरी नियम पुस्तिका चलती रहेगी तबतक ऐसा ही रहेगा। मुझे नहीं लगता है कि यह बदलेगा। यह बहुत नाजुक निर्णय है अगर मिल हॉलैंड इस तरह का बदलाव कर रहा है तो हम उनके लिए खुश हूं। यह कहते हुए कहा कि चीजों को कदम दर कदम आगे बढ़ाना होगा। इटली एक नाजुक और विशेष देश है। इसके अलावा फिलहाल केवल दो ट्रांसजेंडरों ने मिस इटली में भाग लेने के लिए अनुरोध किया है लेकिन वर्तमान नियम इसकी अनुमति नहीं देते है।
ट्रांस पुरुष आए विरोध में
मिस इटली की तरफ से लिए गए इस फैसले के बाद से काफी लोग इसका विरोध कर रहे हैं। ट्रांस समुदाय के लोग अपनी अलग-अलग प्रतिक्रियाएं जाहिर कर रहे हैं। ट्रांस पुरुष प्रतियोगिता में भाग लेने वाली ट्रांस महिलाओं के बैन का विरोध कर रहे हैं। इटली के कई ट्रांस पुरुषों ने विरोध स्वरूप प्रतियोगिता में एंट्री की है। मिरिग्लिआनी के बयान के बाद ट्रांसजेंडर एक्टिविस्ट फेडरिको बारब्रोसा ने इसके विरोध में एक अभियान शुरू किया। बारब्रोसा ने अपने डेड नाम के साथ पेजेंट में हिस्सा लेकर ट्रांस महिलाओं पर लगी रोक का विरोध किया है।
एनबीसी न्यूज़ में छपी ख़बर के मुताबिक़ बारब्रोसा ने अपने एप्लीकेशन फॉर्म के स्ट्रीनशॉट सोशल मीडिया पर शेयर किये और साथ में अन्य ट्रांस पुरुषों को यह करने का आह्वान किया था। उनके कैंपेन के वायरल होने के बाद लगभग 100 ट्रांस पुरुष मिस इटली पेजैंट के लिए अप्लाई कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने बताया है कि उन्हें चयन के लिए भी बुलाया गया है, जो देश भर में प्रतियोगियों को खोजने की प्रक्रिया में अगला कदम है। उन्होंने कहा है कि आयोजकों को वास्तव में हर एक आवेदन से गुजरना होगा। उन्हें उम्मीद है कि यह विरोध शायद बेहतर सोचने पर प्रेरित करेगा। बारब्रोसा के बयान पर मिरिग्लिआनी और मिस इटली की तरफ से कोई बयान नहीं आया है।
मिस इटली का यह फैसला बीते कुछ समय में इन प्रतियोगिताओं में ट्रांस महिलाओं के शामिल होने की गति को को धीमा करने वाला साबित हो सकता है। क्योंकि बीते कुछ वर्षों में सौंदर्य प्रतियोगिताओं में ट्रांस महिलाओं का शामिल करना शुरू हो गया है। साल 2018 में एंजेला पोंस मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता में भाग लेने वाली पहली ट्रांस महिला बनीं। फिर 2021 में मिस नेवादा का ताज पहनने के बाद कैटलुना एनरिकेज़ मिस यूएसए प्रतियोगिता में प्रतिस्पर्धा करने वाली पहली ट्रांस महिला बनीं। मेक्सिको और थाईलैंड जैसे कुछ देशों ने भी ट्रांस महिलाओं के लिए अलग से सौंदर्य प्रतियोगिताएं आयोजित की है। भारत में भी ट्रांस सौंदर्य प्रतियोगिताओं के आयोजन हो रहे हैं।
जेंडर के बनाने खांचे को खत्म करने की जद्दोजहत
साल 2012 में मिस यूनिवर्स पेजेंट ने फैसला लिया था कि अब से प्रतियोगिता में ट्रांस समुदाय के लोग भी हिस्सा ले सकेंगे। सीएनएन में छपी ख़बर के अनुसार मिस यूनिवर्स संगठन ने जांच के दायरे में आने के बाद यह प्रतिबंध खत्म किया था। इस संगठन पर साल 2012 में जेना तालाकोवा ट्रांस प्रतियोगी को अयोग्य घोषित करने के बाद महिला अधिकारों की वकील ग्लोरिया एलरेड ने कानूनी कदम उठाने के लिए कहा था। मिस यूनिवर्स ने कनाडा की प्रतियोगी को इसलिए अयोग्य घोषित कर दिया था क्योंकि उन्होंने एक पुरुष के रूप में जन्म लिया था।
ब्यूटी पेजेंट में ट्रांस समुदाय के प्रतियोगियों की एंट्री को लेकर एक मनमाना रवैया जैसा देखा जा सकता है। एक तरफ कुछ संस्थाएं ट्रांस लोगों को शामिल कर रहे हैं तो कुछ बैन कर रहे हैं। दूसरी ओर कुछ मामलों में अदालतें भी ट्रांस कल्याण को ध्यान में रखते हुए कदम नहीं उठा पाई। बीते साल संयुक्त राज्य अमेरिका की एक फेडरल अदालत ने फैसला दिया था कि सौंदर्य प्रतियोगिता कराने वाले संगठन ट्रांस महिलाओं को प्रतियोगिता में हिस्सा लेने से रोक सकते हैं। यह फैसला तब आया था जब ट्रांस ब्यूटी पेजेंट की प्रतियोगी अनीता ग्रीन ने मिस यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका एलएलसी पर उन्हें कम्पीटशन में हिस्सा लेने से मना कर दिया था। अदालत ने कहा था कि अगर ग्रीन को हिस्सा लेने की अनुमति देने के लिए मजबूर किया गया तो पेजेंट बायोलॉजिकल महिलाओं के उत्सव को मनाने में सक्षम नहीं होगा।
जेंडर बाइनरी के चलते ट्रांस समुदाय के लोगों को अपने जीवन में अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ता हैं। उनकी यौनिक पहचान की वजह से जीवन उत्थान के लिए ज़रूरी आवश्यकता शिक्षा, रोजगार में उनकी मौजूदगी न के बराबर रहती है। ऐसे में सौंदर्य प्रतियोगिताएं महज एक मंच है जिन पर ट्रांस लोगों की उपस्थित सार्वजनिक मौजूदगी को बढ़ाने में मददगार है। हालांकि यह प्रतियोगिताएं पितृसत्तात्मक पैमानों के तहत औरतों के शरीर को एक तय पैमाने, आकार को बढ़ावा देती है। लेकिन इस सच को भी नहीं नकारा जा सकता है कि पूंजीवादी दौर में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के बाजार और रोजगार का ऐसी प्रतियोगिताएं एक बड़ा मंच भी है। ऐसे में ट्रांस समुदाय के लोगों का इन प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेना उनकी उपस्थिति को बनाने का एक कदम है।
बीते कुछ समय से ट्रांस महिलाओं की सौंदर्य प्रतियोगिताओं में भागीदारी लगातार देखने को मिल रही है। बीबीसी की ख़बर के अनुसार हाल ही में रिक्की वैलेरी कोले वह नाम हैं जिसने मिस नीदरलैंड का खिताब अपने नाम कर इतिहास में नाम दर्ज करा लिया है। डच पेजेंट के 94 साल के इतिहास में यह पहली बार है जब ट्रांस महिला ने विजयी ताज पहना हैं। इसका मतलब यह भी है कि इस साल दिसंबर में होने वाली मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता में भाग लेने वाली 22 साल की रिक्की दूसरी ट्रांस प्रतियोगी होगी।
साथ ही मिस इंटरनैशनल क्वीन, ट्रांसजेंडर महिलाओं के लिए दुनिया की सबसे बड़ी सौंदर्य प्रतियोगिता है। साल 2004 से थाइलैंड के एक समूह द्वारा इसका आयोजन हो रहा है। इस पेजेंट का मिशन एलजीबीटीक्यू+ समुदाय को लेकर समाज में जागरूकता और कार्यबल में समानता को लाना है। मिस इंटरनैशनल क्वीन जैसी प्रतियोगिताओं के प्रति लोगों का दृष्टिकोण अलग-अलग है। अध्ययनों ने सुझाव दिया है कि कुछ लोग सौंदर्य प्रतियोगिताओं में ट्रांस प्रतियोगी को शामिल होने के पक्ष में है जबकि अन्य का तर्क है कि ट्रांस लोगों को उनके लिए बनाई प्रतियोगिताओं में ही हिस्सा लेना चाहिए।
कही बैन तो कही एंट्री के साथ ट्रांस महिला के सौंदर्य प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के पक्ष-विपक्ष में लंबी बहस लगातार चल रही है। जेंडर आइडेंडिटी से अलग सभी महिलाओं की सौंदर्य प्रतियोगिता में हिस्सेदारी सौंदर्य उद्योग में समावेशिता और प्रतिनिधित्व के बारे में भी हैं। सौंदर्य उद्योग में विविधता स्थापित होने से बाजार का जेंडर बाइनरी को स्थापित करने वाला चेहरा भी बदला जा सकता है।