संस्कृतिसिनेमा समाज में अकेली महिला के साथ होने वाले बर्ताव को बयां करती फिल्म ‘मलेना’

समाज में अकेली महिला के साथ होने वाले बर्ताव को बयां करती फिल्म ‘मलेना’

फिल्म की शुरुआत 1940 के दशक में द्वितीय विश्व युद्ध के समय इटली के सिसिली शहर में रेनाटो नाम के एक किशोर लड़के से होती है| जिसको उसकी जिंदगी की पहली नई साइकिल मिलती है, वह अपने दोस्तों को दिखाने के लिए समुद्र के किनारे दौड़ के आता है।

इटालियन फिल्म “मलेना” जो कि दिखती है कि समाज में रहने वाली एक अकेली महिला के साथ लोग कैसा व्यवहार करते हैं तथा उसकी ज़िंदगी कैसी होती है। साल 2000 में रिलीज़ हुई यह फिल्म एक रोमांटिक ट्रेजेडी ड्रामा है, जिसमें मोनिका बेलुची और ग्यूसेप सल्फ़ारो मुख्य भूमिकाओं में हैं। इसका निर्देशन और लेखन ग्यूसेप टॉर्नटोर ने किया था। फिल्म लुसियानो विन्सेन्ज़ोनी द्वारा लिखित एक कहानी से प्रेरित थी। मलेना ने 2001 के कैबबर्ग फिल्म फेस्टिवल में भी ग्रांड प्रिक्स पुरस्कार जीता था। जबकि इसे अकादमी पुरस्कार  के साथ-साथ गोल्डन ग्लोब पुरस्कार  के लिए भी नामांकित किया गया था।

फिल्म की शुरुआत 1940 के दशक में द्वितीय विश्व युद्ध के समय इटली के सिसिली शहर में रेनाटो नाम के एक किशोर लड़के से होती है| जिसको उसकी जिंदगी की पहली नई साइकिल मिलती है, वह अपने दोस्तों को दिखाने के लिए समुद्र के किनारे दौड़ के आता है। वह सभी नदी के किनारे बैठते है। उन्हें पता चलता है कि आज मलेना यहाँ से गुजरने वाली है, मलेना जो कि पूरे शहर में बहुत ही खूबसूरत औरत हैं और वह यहाँ अकेली रहती है क्योंकि उसका पति आर्मी के काम से अफ्रीका में गया  है।

उसकी राह में वे सब नदी के किनारे उसको देखने के लिए बैठ जाते हैं। जैसे ही वह वहाँ से गुजराती है सब उसी की तरह देख रहे होते हैं। उसे देखकर कोई भद्दी टिप्पणई कर रहा होता है जैसे ही रेनाटो, मलेना को देखता है तो वह वासनपूर्ण हो जाता है और वह अपनी कल्पनाओं में उससे यौन सुख कि प्राप्ति करने की कोशिश करता है। उसके माँ बाप उसे छोटी पैंट पहनने को मजबूर करते हैं पर वह बड़ा दिखना चाहता है ताकि उसे पा सकें। वह एक दिन अपने पिता की पैंट पहन के आ जाता है उसके पिता इस बात पर उसे बहुत पीटते हैं।  

युद्ध तेज होने के साथ ही मलेना के लिए मामला एक मोड़ ले लेता है। लोग उसके प्रति अधिक क्रोधित और नीच हो जाते हैं। उसके पति की मौत की अफवाहें ही उसके प्रति उनके रवैये को तेज करती हैं। वह शहर की महिलाओं द्वारा तिरस्कृत और अलग-थलग कर दी जाती है।

एक तरफ तो शहर युद्ध कि चपेट में है दूसरी तरफ मलेना जब भी घर से बाहर निकलती है शहर के सारे पुरुष तैयार होकर ठीक उसी समय पर अपने घरों को बाहर खड़े हो जाते हैं ताकि उसे देख पाए। इसके साथ-साथ शहर की सारी औरतें उससे इसलिए जलती हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि वह उनके पतियों को उनसे छीन लेगी इस वजह से वह उसे बहुत नुकसान पहुंचना चाहती हैं। 

रेनाटो, मलेना को उसको घर के एक छोटे से छेद से रोज देखता है और उसे इस बात का कोई अंदाजा भी नहीं होता है। वह अपने पति के प्रति बहुत ही निष्ठावान होती है इसके साथ-साथ अकेले में भी वह खुद का भी बहुत ही ख्याल रखती है। एक दिन एक सेना का आदमी उसके घर उसे कुछ दवाई देने आता है, जब वह घर के बाहर निकलता ही तो दूसरा सेना का आदमी वहाँ आ जाता है। उन दोनों का आपस में झगड़ा हो जाता है कि मलेना उसकी है। तभी पुलिस वहाँ आ जाती है और यह बात पूरे शहर में फैल जाती है कि मलेना का एक शादी-शुदा आदमी के साथ नाजायज सम्बन्ध हैं जिसकी वजह से उसे जेल कि सजा भी हो सकती है। अब उन औरतों को उसके ख़िलाफ़ अपना गुस्सा निकालने का एक मौका भी मिल जाता है। 

पूरे शहर उसके ख़िलाफ़ खड़ा हो जाता है और कोई उसके पक्ष में नहीं होता है। एक बूढ़ा वकील बाद में उसके पक्ष में केस लड़ता है तो वह जीत जाती है। वहीं बूढ़ा वकील केस लड़ने के फीस चार्ज के रूप में उसका बलात्कार करता है और बोलता है कि तुम एक सेक्स वर्कर ही हो वो तो मैंने तुम्हें बचा लिया। हमने सामाजिक परिवेश में अक्सर अकेली महिला को इसी तरह प्रताड़ित किया जाता है। फिल्म हर मोड़ पर इस वास्तविकता को दिखाया गया है।

तस्वीर साभारः imdb

युद्ध तेज होने के साथ ही मलेना के लिए मामला एक मोड़ ले लेता है। लोग उसके प्रति अधिक क्रोधित और नीच हो जाते हैं। उसके पति की मौत की अफवाहें ही उसके प्रति उनके रवैये को तेज करती हैं। वह शहर की महिलाओं द्वारा तिरस्कृत और अलग-थलग कर दी जाती है। उसके पास खाने-पीने के पैसे नहीं होते तो वह अपने पिता के यहाँ जाती है पर कोई उसके पिता को खत भेज देता है कि उनकी बेटी का कई पुरुषों के साथ नाजायज संबंध हैं। इसके बाद वह पिता का घर छोड़ने को भी मजबूर कर दी जाती है। फिर कुछ दिन बाद एक प्लेन क्रैश मे उसके पिता की मृत्यु हो जाती है अब वह अकेली रह जाती है। उसके बाद और मुश्किलों से घिर जाती है। बाद में मलेना जीवित रहने के लिए वह बन जाती है जैसा शहर ने हमेशा उसे होने के लिए कहता था। वह एक सेक्स वर्कर के तौर पर काम करना शुरू कर देती है।वह आदमियों के बीच जाकर बैठ जाती है और लोग लाइटर लेकर सिगरेट जलाने के लिए उसे घेर कर खड़े हो जाते हैं।

पूरे शहर उसके ख़िलाफ़ खड़ा हो जाता है और कोई उसके पक्ष में नहीं होता है। एक बूढ़ा वकील बाद में उसके पक्ष में केस लड़ता है तो वह जीत जाती है। वहीं बूढ़ा वकील केस लड़ने के फीस चार्ज के रूप में उसका बलात्कार करता है और बोलता है कि तुम एक सेक्स वर्कर ही हो वो तो मैंने तुम्हें बचा लिया।

हालांकि जब युद्ध समाप्त होता है और जर्मन पीछे हटते हैं और सीसिल पर अमेरिकन का कब्जा हो जाता है। शहर की महिलाओं द्वारा उसे शहर छोड़ने के लिए मजबूर किया जाता है। उसे मानसिक और शारीरिक रूप से अपमानित किया जाता है तथा उसके बाल काट दिए जाते हैं और वह शहर छोड़ के चली जाती है। बाद में उसका पति वापस आ जाता है, वह अपने घर में पत्नी को नहीं पाता है। जब वह अपने दोस्तों से पूछता है, वह उसे धक्का देकर गिरा देते है और बोलते है कि उसकी पत्नी एक सेक्स वर्कर थी। बाद में रेनटो, उसके पति को एक खत में लिखता है और उसे वास्तविकता बताता है कि सब लोग झूठ बोल रहे हैं। इस घटना के बाद उसका पति उसे लेकर उसके शहर में लेकर दोबारा आता है। पति के साथ होने पर सब उसे इज्जत से देखते हैं और बोलते है अभी भी उतनी ही सुंदर है।

मोनिका बेलुची जब भी पर्दे पर चलती हैं तो फिल्म के दृश्य लुभावने होते हैं। फिल्म के अधिकांश हिस्से में शानदार दिखने के अलावा उसके पास करने के लिए कुछ भी नहीं है लेकिन वह बिन बोले ही बहुत कुछ कह जाती हैं। फिल्म के प्रमुख हिस्सों में उनका संवाद भी नहीं है लेकिन खामोशी बहुत गहरी और प्रभावी है। मलेना, फिल्म हर मोड़ पर हमारे समाज के पितृसत्ता के दोहरे मापदंड दिखाती है। औरतों के साथ होने वाले असमानता और दुर्रव्यवहार को बहुत ही सरलता से पर्दे पर रखती है।


Leave a Reply

संबंधित लेख

Skip to content