बॉर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर एक मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या है। यह डिसऑर्डर किसी व्यक्ति की भावनाओं को प्रबंधित करने की क्षमता को गंभीर रूप से प्रभावित करता है। बीपीडी का सामना कर रहे व्यक्ति अक्सर अपने स्वभाव में अस्थिरता का अनुभव करते हैं। साथ ही कई बार उनके लिए अपनी भावनाओं पर नियंत्रण करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
बॉर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर से गुज़र रहा व्यक्ति सामाजिक छवि खराब होने का डर और रिश्तों में अस्थिरता का अनुभव करता है। उदास और तनावग्रस्त स्थितियां इसके लक्षणों का बढ़ाती है। कई अध्ययनों के मुताबिक़ यह समस्या पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में ज्यादा देखने को मिलती है। एक अध्ययन के निष्कर्ष अनुसार बीपीडी लगभग 6.2% महिलाओं और 5.6% पुरुषों को प्रभावित करता है।
बॉर्डरलाइन पर्सनालिटी डिसऑर्डर के साथ कैसा होता है जीवन?
बीपीडी का सामना कर रहे लोग अक्सर खुद को दोषी मानते हैं या अपनी भावनात्मक अस्थिरता को लेकर शर्मिंदा महसूस करते हैं। 21 वर्षीय सौम्या (बदला हुआ नाम) बताती हैं, “मैं पिछले चार महीने से थेरेपी के लिए जा रही हूं। मुझे छोटी-छोटी बातों पर बहुत गुस्सा आता है। आस-पास कुछ अलग या गलत होने पर मुझे एंग्ज़ायटी होने लगती है जिसके लिए मुझे दवाई लेनी पड़ती है । मुझे बीच में बेहतर महसूस होने लगा था, मैंने कुछ दिन दवाई लेनी बंद कर दी थी जिसके बाद मेरी परेशानी बढ़ गई।”
सौम्या आगे कहती हैं, “मेरे घर के माहौल में हर दिन कोई ना कोई अनबन होती रहती है जिससे घर का माहौल टॉक्सिक रहता है। ये सब देखकर मुझे एंग्ज़ायटी भी होती है। मैंने बहुत कोशिश की कि मैंने जो काम चुना है उसे पूरा करूं लेकिन ऐसा करने में मैं हमेशा असफल हो जाती हूं।”
बीपीडी के लक्षण
मायो क्लीनिक के अनुसार बीपीडी का सामना करनेवाले व्यक्ति बाईपोलर डिसऑर्डर या मेजर डिप्रेसिव डिसऑर्डर के मिसडॉयग्नोज का भी समाना कर चुके होते हैं। बीपीडी का सामना करने वाला व्यक्ति किसी को छोड़ने का बड़ा भय, रिजेक्शन और अलगाव से बचने के लिए अत्याधिक उपाय। अस्थिर रिश्तों का पैटर्न, अविश्वास की भावना, सेल्फ आइडेंटिटी में तेजी से बदलाव यानी खुद के लक्ष्यों और मूल्यों में बदलाव। खुद के बारे में नकारात्मक राय रखना, खुद को बहुत बुरा मानना या ऐसे देखना जैसे उसकी कोई पहचान नहीं है। अलगाव या अस्वीकृति की स्थिति में खुद को नुकसान पहुंचाने के ख्याल या सुसाइड के विचार, व्यवहार में बड़े स्तर पर बदलाव जो कुछ घंटों से लेकर दिनों तक चल सकता है। इसमें बहुत खुश रहना, चिड़ना, शर्म आदि शामिल हो सकता है। साथ ही कभी बिल्कुल भावनाहीन हो जाना। गुस्से में अपना आपा खोना और शारीरिक झगड़ा होना आदि।
21 वर्षीय सौम्या (बदला हुआ नाम) बताती हैं, “मैं पिछले चार महीने से थैरेपी के लिए जाती हूं। मुझे छोटी-छोटी बातों पर बहुत गुस्सा आता है। आस-पास कुछ अलग या गलत होने पर मुझे एंग्जायटी होने लगती है जिसके लिए डॉक्टर मुझे दवाई देती हैं। मुझे बीच में बेहतर महसूस होने लगा था, मैने कुछ दिन दवाई लेनी बंद कर दी थी जिसके बाद मेरी परेशानी बढ़ गई।”
महिलाओं को प्रभावित करता बीपीडी
बीपीडी से गुजर रही महिलाओं को अपनी पहचान के लिए संघर्ष करना पड़ता है। वे अक्सर खुद अस्थिर भावना से जूझती हुई पाती हैं। इस बात से अनजान कि वे वास्तव में कौन हैं। उनके लक्ष्यों, मूल्यों और रुचियों में लगातार बदलाव आता है जिससे उनमें भ्रम और असंतोष की गहरी भावना पैदा होती है। उनके लिए व्यक्तिगत पहचान की खोज एक चुनौती बन जाती है, जो जीवन में पूर्णता की समग्र भावना को प्रभावित करती है।
बीपीडी के साथ आने वाला भावनात्मक रोलर कोस्टर बहुत कृष्टदायी होता है क्योंकि तीव्र और तेजी से बदलती भावनाएं निरंतर साथी बन जाती हैं। महिलाएं अक्सर खुद को अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने के लिए संघर्ष करती हुई पाती हैं। बीपीडी की वजह से स्थिति और बिगड़ जाती है और उनके दैनिक जीवन को और चुनौतीपूर्ण बना देती है। बीपीडी से गुजर रही महिलाओं के लिए, रिश्ते एक युद्ध का मैदान बन जाते हैं जहां परित्याग का डर एक केंद्र में आ जाता है। वे अकेले रह जाने के डर का अनुभव कर सकते हैं। आवेगी व्यवहार, महिलाओं में बीपीडी की एक और पहचान बन जाता है। इस वजह से वह जोखिम भरे और आवेगपूर्ण कार्यों में संलग्न होना उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं को नुकसान पहुंचाते हैं, जिसमें उनकी वित्तीय स्थिरता, शारीरिक स्वास्थ्य और व्यक्तिगत सुरक्षा शामिल है।
जेनेटिक हो सकता है बॉर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर
यदि आपके करीबी परिवार में किसी को बीपीडी है तो आपको भी बीपीडी होने की अधिक संभावना है। अनुवांशिक कारक बीपीडी होने में योगदान दे सकते हैं। लेकिन जिस माहौल में हम बड़े होते हैं उसका भी एक बड़ा असर पड़ता है। शुरुआती रिश्ते, वयस्कों के रूप में हमारे सोचने, महसूस करने और व्यवहार करने के तरीके को प्रभावित कर सकते हैं। जेनेटिक्स रूप से बीपीडी विकसित करने के लिए अधिक संवेदनशील बना सकते हैं। जबकि तनावपूर्ण, कठिन या दर्दनाक जीवन के अनुभव इन कमजोरियों को ट्रिगर कर सकते हैं।
बीपीडी की समस्या में एक मजबूत पारिवारिक इतिहास होने की संभावना होती है। एनएएमआई अनुसार अगर माता-पिता, भाई-बहन, बच्चे (फर्स्ट डिग्री रिलेशन) को बीपीडी है तो इसके आप में होने का पांच गुना अधिक जोखिम रहता है। क्योंकि हम अपने माता-पिता, भाई-बहन, बच्चे के साथ आप अपने जीन का औसतन 50 प्रतिशत साझा करते हैं। अगर परिवार या रिश्तों में किसी में भी ऐसे लक्षण दिखाई देते हैं तो उस व्यक्ति को मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी और सेवा के बारें जागरूक करना बहुत आवश्यक है।
स्रोतः
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