जब आप यह लेख पढ़ रहे हैं तो किसी न महिला या लड़की के ख़िलाफ़ लैंगिक हिंसा की घटना घटित हो रही होगी। घर में कोई पुरुष अपने घर की महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा कर रहा होगा, किसी पत्नी को दहेज के लिए उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा होगा, कोई महिला घरेलू हिंसा का सामना कर रही होगी, सड़क पर किसी के साथ दुर्रव्यवहार या यौन उत्पीड़न हो रहा होगा, उनके ख़िलाफ़ अभद्र भाषा का इस्तेमाल हो रहा होगा। यह वास्तविकता वैश्विक समाज की है। हर तीन में से एक महिला ने अपने जीवन में लैंगिक हिंसा का सामना किया है। इसलिए कहा जा सकता है कि महिलाएं और लड़कियों के ख़िलाफ़ हिंसा की संस्कृति इस भूगोल के हर कोने में मौजूद है।
हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के एक राज्य ने घरेलू हिंसा से निपटने के लिए एक नया कदम उठाया है। राज्य ने पुरुषों के व्यवहार में बदलाव के लिए एक आधिकारिक पद पर व्यक्ति नियुक्त किया है। समाज में महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा, घरेलू और पारिवारिक हिंसा के अपराध को रोकने और कम करने के लिए इस कार्यक्रम को चलाया गया है। “मेन्स बिहेवियर चेंज” के नाम से बने इस पद की ऑस्ट्रेलिया में काफी चर्चा हो रही है। यह अपने आप एक ऐसी पहल है जिस पर कई स्तर पर बात हो रही है। द वॉशिंगटन पोस्ट में प्रकाशित जानकारी के अनुसार विक्टोरिया प्रीमियर जैकिंटा एलन ने घोषणा की थी कि राज्य के सासंद टिम रिचर्डसन को इस पर पर नियुक्त किया गया है। यह ऑस्ट्रेलिया में अपनी तरह का एक पहला पद है। बीते कुछ समय पहले ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने अपने एक बयान में कहा है कि महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा राष्ट्रीय संकट बन चुकी है।
मेन्स बिहेवियर कार्यक्रम पुरुषों को उनकी हिंसा को पहचाने के लिए शिक्षित करके और व्यवहार को बदलने के लिए रणनीति विकसित करने में उनकी मदद का काम करते हैं। कार्यक्रम में साथ ही विक्टिम और सर्वाइवर के लिए एक संबद्ध सहायता सेवा भी है।
पुरुषों के व्यवहार में बदलाव के लिए तय किए गए इस पद की भूमिका मुख्य रूप से पुरुषों और लड़कों के महिलाओं के प्रति दृष्टिकोण, सम्मानजनक रिश्ते पर केंद्रित होगी। इसका उद्देश्य महिलाओं और लड़कियों के लिए एक सुरक्षित जगह बनाना और समाज में महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा और उनकी मौत की त्रासदी को खत्म करना है। टिम रिचर्डसन ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा है कि हम जानते है कि महिला के ख़िलाफ़ पुरुषों की हिंसा पर कार्रवाई का समय आ गया है और इसकी शुरुआत पुरुषों और लड़कों से होती है। हम विक्टोरिया को एक सुरक्षित स्थान बनाना चाहते हैं। यह एक आसान काम नहीं है लेकिन एक महत्वपूर्ण काम है और हम इसे संबोधित न करने का जोखिम नहीं उठा सकते हैं।
मेन्स बिहेवियर प्रोग्राम क्या है?
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मेन्स बिहेवियर प्रोग्राम उन पुरुषों की मदद करते हैं जो हिंसक और किसी को कंट्रोल करने वाला व्यवहार करते हैं। इस तरह के प्रोग्राम हिंसक या नियंत्रित व्यवहार करने वाले पुरुषों के इस तरह के व्यवहार को बदलने में मदद करने की दिशा में काम करते हैं। साल 2024 के शुरुआती पाँच महीनों में ऑस्ट्रेलिया में 31 महिलाओं की मौत लैंगिक हिंसा की वजह से हो चुकी है। ऑस्ट्रेलिया में चार में से एक महिला इंटीमेट पार्टनर वायलेंस और अपने किसी परिचित से हिंसा का सामना कर रही हैं। द गार्जियन में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक़ मेन्स बिहेवियर कार्यक्रम पुरुषों को उनकी हिंसा को पहचाने के लिए शिक्षित करके और व्यवहार को बदलने के लिए रणनीति विकसित करने में उनकी मदद का काम करते हैं। कार्यक्रम में साथ ही विक्टिम और सर्वाइवर के लिए एक संबद्ध सहायता सेवा भी है। पुरुषों के साथ समूह सत्रों का आयोजन किया जाता है। कार्यक्रमों में समूह चर्चा और भूमिका निभाने पर बात होती है ताकि पुरुष अपने आस-पास के लोगों पर हिंसा के असर के बारे में सोचें और एक-दूसरे को जवाबदेह ठहराएं।
क्या ये कार्यक्रम हिंसा को रोकने में कामयाब है?
पुरुष व्यवहार कार्यक्रम कितने प्रभावी है या नहीं इस पर अभी जवाब देना बहुत आसान नहीं है। इस दिशा में शोध भी जटिल है और उनमें से कुछ विवादस्पद भी है। ऑस्ट्रेलिया में पुरुषों के व्यवहार में बदलाव कार्यक्रमों की प्रभावशीलता पर तो बहुत कम शोध किया गया है, लेकिन इसी तरह के कार्यक्रम यूके के शोध में पाया गया है कि अधिकांश पुरुष ऐसे कार्यक्रमों में शामिल होकर अपने व्यवहार को बदलने के लिए आगे कदम उठाते हैं, कुछ दूसरों की तुलना में ज्यादा प्रयास करते हैं। द ऐज में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार मोनाश जेंडर एंड फैमिली वायलेंस प्रिवेंशन सेंटर की निदेशक केट फिट्ज गिब्बन कहती हैं, “पुरुषों का व्यवहार बदलाव कार्यक्रम में शामिल करने के लिए क्या कारगर है, भविष्य में यह हिंसा रोकने के लिए कितना काम करता है इस पर सबूत अभी सीमित हैं।” विक्टोरिया में 1990 के दशक के मध्य से पुरुषों के व्यवहार बदलाव के कार्यक्रम चल रहे हैं।
वे 1980 के दशक की शुरुआत में सिनेसोटा में स्थापित डुलुथ मॉडल से काफी प्रभावित थे जो लैंगिक असमानता, शक्ति, नियंत्रण और महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा की नींव के रूप समझाता है। कुछ आलोचकों का तर्क है कि यह एक ऐसा दृष्टिकोण है जो सभी के लिए उपयुक्त है जो पारिवारिक हिंसा की जटिलता को नहीं पहचानता है और पुरुषों को लैंगिक असमानता की सच्चाई को स्वीकार करना होगा। द गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार कहा गया है कि इस तरह के कार्यक्रम के बीच फंडिंग की मांग एक समस्या है। कार्यक्रम को समर्थन करने के लिए ज्यादा सबूतों की ज़रूरत है लेकिन सेवाओं को उस सबूत को बनाने के लिए ज़रूरी दीर्घकालिक अध्ययन करने के लिए पर्याप्त पैसा नहीं दिया जाता है।
ऑस्ट्रेलिया में पुरुषों के व्यवहार में बदलाव कार्यक्रमों की प्रभावशीलता पर तो बहुत कम शोध किया गया है, लेकिन इसी तरह के कार्यक्रम यूके के शोध में पाया गया है कि अधिकांश पुरुष ऐसे कार्यक्रमों में शामिल होकर अपने व्यवहार को बदलने के लिए आगे कदम उठाते हैं, कुछ दूसरों की तुलना में ज्यादा प्रयास करते हैं।
हिंसा को रोकने के लिए अपराधियों के साथ काम करना अपराध को रोकने की दिशा में एक ऐसा प्रयास है जिस पर उतनी चर्चा और शोध नहीं है। मिनिस्टरी फॉर प्रिवेशन ऑफ फेमिली की मंत्री गैब्रिएल विलियम्स का कहना है कि अपराधियों के साथ काम करना आने वाले समय में एक प्राथमिकता है। वह आगे कहती है कि रॉयल कमीशन के पास इस तथ्य पर कुछ दिलचस्प प्रतिक्रियाएं थी कि अपराधी कार्यक्रमों के लिए सबूत आधार वास्तव में ऑस्ट्रेलिया में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में कम है, न के बराबर है। इसकी एक ही रिकमंडेशन है कि यह एक हिस्सा है कि हमें इस क्षेत्र में साक्ष्य आधार बनाने की आवश्यकता है, ताकि हमें इस पर स्पष्ट विचार हो कि क्या यह काम करता है या नहीं। सबूतों को बनाने के लिए इस दिशा में अधिक काम करने की ज़रूरत है। पुरुष का व्यवहार बदलने से जुड़े कार्यक्रमों के संचालन करने वाले कई समूह और विशेषज्ञ इस दिशा में व्यापक शोध की मांग करते है। हालांकि विशेषज्ञ इस बात को कह रहे हैं कि बिहेवियर चेंज प्रोग्राम में हिस्सा लेने वाले पुरुषों के व्यवहार में बिल्कुल बदलाव देखा गया है। इस दिशा में बदलाव के अलग-अलग पहुलओं के बारे में अधिक शोध करने की आवश्यकता है।