समाजख़बर अभिनेता रंजीत का ऑनर क्राइम को माता-पिता का प्यार बताना ब्राह्मणवादी पितृसत्तात्मक मानसिकता है! 

अभिनेता रंजीत का ऑनर क्राइम को माता-पिता का प्यार बताना ब्राह्मणवादी पितृसत्तात्मक मानसिकता है! 

रंजीत ने 9 अगस्त को तमिलनाडु के सलेम में अपनी नवीनतम फिल्म ‘कवुंदमपलायम’ की स्क्रीनिंग के बाद प्रेस से बात करने के दौरान कहा कि जाति-आधारित ऑनर किलिंग हिंसा नहीं है। उन्होंने इस कृत्य का बचाव करते हुए कहा कि ये भावनाओं से उपजती हैं। मैंने अपनी फिल्म में भी इसे संबोधित किया है।

हमारे समाज में महिलाओं के खिलाफ़ अलग-अलग तरीक़े के जघन्य और क्रूर अपराध होते रहते हैं। ऑनर क्राइम ऐसे ही जघन्य अपराधों में से एक है। भारत के कुछ राज्यों में ऑनर क्राइम की घटनाएं ज़्यादा होती हैं। तमिलनाडु इन्हीं में से एक है। तमिलनाडु और पुडुचेरी में दलितों और जनजातीय लोगों के मानवाधिकारों की रक्षा के लिए काम करनेवाले, गैर सरकारी संगठन एविडेंस ने क्षेत्रीय जांच के आधार पर नवंबर 2019 में खुलासा किया कि पाँच सालों में तमिलनाडु में ऑनर क्राइम के 195 मामले सामने आए थे। एक तरफ़ इन अपराधों में कमी न आना चिन्ता का विषय है, तो दूसरी तरफ़ इसी समाज में इन आपराधिक कृत्यों को उचित ठहराने वालों की बड़ी तादाद मौजूद होना चिंतनीय है। समस्या तब और चिंताजनक हो जाती है, जब किसी हिंसा को सही ठहरानेवाले लोग किसी प्रभावशाली दर्जे पर हों और इस बात की परवाह किए बिना कि समाज में लाखों लोग उनका अनुसरण करते हैं और उनकी कही बात को सही मान लेते हैं, अपराध और अपराधियों के पक्ष में बयान दे रहे हों।

तस्वीर साभार:फेमिनिज़म इन इंडिया

अफ़सोस कि ऐसे लोग हमें नेता या अभिनेता के रूप में या फिर किसी और मशहूर हस्ती के रूप में टीवी या न्यूज चैनलों पर नज़र आते रहते हैं। कभी वे किसी लड़की के कपड़ों और उसके देर रात बाहर निकलने को रेप जैसे अपराधों के होने की वजह बताते हैं तो कभी समाज में मौजूद किसी अन्य अपराध को उचित ठहराते हैं। आज सोशल मीडिया का युग है इसलिए उनके द्वारा दिए गए ये आपत्तिजनक बयान तेज़ी से वायरल हो जाते हैं। इसी कड़ी में एक बहुत समस्याजनक और निंदनीय बयान 90 के दशक की शुरूआत से तमिल और मलयालम फ़िल्मों में अपने काम के लिए जाने जानेवाले अभिनेता-निर्देशक रंजीत ने ऑनर क्राइम के पक्ष में दिया है। 

रंजीत ने 9 अगस्त को तमिलनाडु के सलेम में अपनी नवीनतम फिल्म ‘कवुंदमपलायम’ की स्क्रीनिंग के बाद प्रेस से बात करने के दौरान कहा कि जाति-आधारित ऑनर किलिंग हिंसा नहीं है। उन्होंने इस कृत्य का बचाव करते हुए कहा कि ये भावनाओं से उपजती हैं।

अभिनेता रंजीत की मानसिकता को दर्शाता है उनका बयान 

तस्वीर साभार:फेमिनिज़म इन इंडिया

रंजीत ने 9 अगस्त को तमिलनाडु के सलेम में अपनी नवीनतम फिल्म ‘कवुंदमपलायम’ की स्क्रीनिंग के बाद प्रेस से बात करने के दौरान कहा कि जाति-आधारित ऑनर किलिंग हिंसा नहीं है। उन्होंने इस कृत्य का बचाव करते हुए कहा कि ये भावनाओं से उपजती हैं। मैंने अपनी फिल्म में भी इसे संबोधित किया है। जब लोग रिश्तों में प्रवेश करते हैं, तो केवल माता-पिता ही वास्तव में उनके दर्द को समझते हैं। उदाहरण के लिए, यदि आपकी बाइक चोरी हो जाती है, तो क्या आप चोर का पीछा नहीं करेंगे और उन्हें पीटेंगे नहीं? यदि आपका जूता गायब हो जाता है, तो आप इसी तरह की प्रतिक्रिया करेंगे। माता-पिता के लिए, उनके बच्चे उनका जीवन हैं। इसलिए, अगर कुछ ऐसा होता है जो उनके बच्चों के जीवन या भविष्य को प्रभावित कर सकता है, तो माता-पिता की प्रतिक्रिया गुस्से और देखभाल से आती है। यह हिंसा या दंगा नहीं है।

गैर सरकारी संगठन एविडेंस ने क्षेत्रीय जांच के आधार पर नवंबर 2019 में खुलासा किया कि पाँच सालों में तमिलनाडु में ऑनर क्राइम के 195 मामले सामने आए थे। एक तरफ़ इन अपराधों में कमी न आना चिन्ता का विषय है, तो दूसरी तरफ़ इसी समाज में इन आपराधिक कृत्यों को उचित ठहराने वालों की बड़ी तादाद मौजूद होना चिंतनीय है।

जो कुछ भी (ऐसे परिदृश्यों में) होता है, चाहे अच्छा हो या बुरा, वह (माता-पिता की) उनके प्रति देखभाल के कारण होता है। इस प्रकार के बेसिरपैर और पितृसत्तात्मक बयान देने से पहले अभिनेता रंजीत को यह समझना चाहिए कि अगर ऑनर किलिंग को ऑनर किलिंग कहा जाता है तो उसके पीछे कोई वजह है। इस तरह की हत्याओं की जड़ में यह भाव रहता है कि किसी लड़के या लड़की ने अपनी जाति से बाहर प्रेम विवाह करके परिवार की साख पर बट्टा लगा दिया। जाति और धर्म के आधार पर हत्या जैसे जघन्य अपराध को किसी भी तरह से उचित नहीं ठहराया जाता है। दो बालिग व्यक्ति जीवन में किसके साथ शादी या प्रेम करने का विचार करते हैं, ये उनका निजी फैसला होना चाहिए।

यहां ये भी ध्यान देने की जरूरत है कि ऑनर किलिंग के 97 फीसद मामले महिलाओं के लिए होते हैं। हत्या ‘हत्या’ है, प्यार और परवाह जताने के लिए हत्या नहीं की जाती। अगर ऑनर क्राइम करने वाले माता-पिता को अपने बच्चों से इतना ही प्यार होगा तो वे अपने बच्चों को ख़ुद से फ़ैसला ले सकने में सक्षम व्यक्ति के तौर पर देखेंगे और उनके फ़ैसलों  का सम्मान करेंगे, न कि अपनी झूठी शान के लिए उनकी हत्या करेंगे। ग़ौरतलब है कि रंजीत की फ़िल्म जाति-आधारित हिंसा और बच्चों पर माता-पिता के नियंत्रण के बारे में है। यह पहले फ़रवरी में रिलीज होनेवाली थी, लेकिन फिल्म से जुड़े विवादों के कारण इसकी रिलीज को अगस्त तक टाल दिया गया था। 

पहले भी देते रहे हैं विवादित बयान 

तस्वीर साभार:फेमिनिज़म इन इंडिया

अभिनेता रंजीत का विवादित बयानों से पुराना रिश्ता रहा है। अब चूँकि हम देख रहे हैं कि वे इस तरह के बयान बार-बार दे रहे तो हम मान सकते हैं कि वे एक कुत्सित मानसिकता वाले स्त्रीद्वेषी व्यक्ति हैं। इसके पहले भी उन्हें छोटे कपड़े पहनने वाले और सबके सामने नाचनेवाले लोगों को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। रंजीत के इस बयान के सोशल मीडिया पर वायरल होने के साथ ही लोगों ने उनके बयान के विरोध में टिप्पणियां कीं। एक यूज़र ने लिखा कि रंजीत तुमने हद पार कर दी है। ऑनर किलिंग प्यार नहीं बर्बरता है। तुम्हारे शब्द न सिर्फ़ तुम्हारी अज्ञानता दर्शाते हैं, बल्कि वे ख़तरनाक हैं। यह सिर्फ़ माता-पिता का तरीक़ा नहीं है, यह हत्या है। तुम न सिर्फ़ ग़लत हो, बल्कि एक ऐसी ज़हरीली मानसिकता को बढ़ावा दे रहे हो, जिसकी हमारे समाज में कोई जगह नहीं है। एक और यूज़र ने लिखा कि वह ऑनर किलिंग को कैसे उचित ठहराया सकता है, शर्मनाक। एक और यूज़र ने लिखा कि भाई असल ज़िन्दगी का विलेन है।

रंजीत के इस बयान के सोशल मीडिया पर वायरल होने के साथ ही लोगों ने उनके बयान के विरोध में टिप्पणियां कीं। एक यूज़र ने लिखा कि रंजीत तुमने हद पार कर दी है। ऑनर किलिंग प्यार नहीं बर्बरता है। तुम्हारे शब्द न सिर्फ़ तुम्हारी अज्ञानता दर्शाते हैं, बल्कि वे ख़तरनाक हैं। यह सिर्फ़ माता-पिता का तरीक़ा नहीं है, यह हत्या है।

लोगों की प्रतिक्रियाएं आने के बाद रंजीत ने सफ़ाई देते हुए कहा कि वे ऑनर किलिंग का समर्थन नहीं करते और वे हर क़िस्म की हत्या को ग़लत मानते हैं। लोगों के विरोध के बाद मशहूर हस्तियों द्वारा पेश सफ़ाई करना नई बात नहीं है। लेकिन रंजीत ने पहले जो बयान दिया वह साफ़ तौर पर ऑनर किलिंग को भावनाओं में बहकर की गई हत्या घोषित कर रहा है। उनका यह बयान न सिर्फ एक सवर्ण समाज की पितृसत्तात्मक सोच को दर्शाता है बल्कि स्त्रीद्वेषी है। तमिलनाडु में पहले से ही ऑनर किलिंग के मामलों की संख्या काफ़ी ज़्यादा है ऐसे में उनका इस तरह का बयान लोगों पर क्या असर डालेगा इसे समझना मुश्किल नहीं। यह भी ध्यान देने की बात है कि ऑनर किलिंग के ज़्यादातर मामले दर्ज ही नहीं होते और हमें इंटरनेट से जो थोड़े बहुत आँकड़े मिलते हैं, असल स्थिति उससे कहीं ज़्यादा भयावह होती है। 

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