जेंडर, सेक्स, सेक्सुअल ओरिएंटेशन, होमोसेक्शुअल, हेट्रोसेक्सुअल, सिस, ट्रांस,एलजीबीटीक्यूएआई+एक साथ बहुत सारे शब्द हो गए न! तो आज हम इन शब्दों को लेकर आपकी जानकारी बढ़ाने और कंफ्यूज़न को कम करने आए हैं अपने इस वीडियो के ज़रिए। इससे पहले कि हम LGBTQAI+ की डिक्शनरी के पन्ने पलटना शुरू करें।हमें ज़रूरत है कुछ बेसिक कॉन्सेप्ट यानी बुनियादी शब्दों को समझने की तो सबसे पहले हम शुरुआत करते हैं जेंडर से। स्कूल, कॉलेज, नौकरी, अस्पताल कहीं भी जाओ एक कॉलम तो हमें हमेशा दिखता है- अपने जेंडर पर टिक लगाएं लेकिन क्या ये जेंडर का मलतब बस मेल, फीमेल और अन्य तक सीमित है? बिल्कुल नहीं! तो आज इस वीडियो के ज़रिए हम इन शब्दों के बारे में जानेंगे। ऐसा इसलिए भी ज़रूरी है क्योंकि ज़रूरत है हमें इस मुद्दे पर अधिक से अधिक बात करने की, खुद को और दूसरों को जागरूक करने की एक साथी, दोस्त बनकर। इसकी शुरुआत आप अपने घरों से भी कर सकते हैं। तो इस वीडियो को देखें, शेयर करें, संवेदनशील बनें और अपनी डिक्शनरी में भी शामिल करें- LGBTQIA।
वीडियो : आसान शब्दों में जानिए LGBTQIA+ की परिभाषा
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इन 15 महिलाओं ने भारतीय संविधान बनाने में दिया था अपना योगदान
संविधान सभा में हम उन प्रमुख पंद्रह महिला सदस्यों का योगदान आसानी से भुला चुके है या यों कहें कि हमने कभी इसे याद करने या तलाशने की जहमत नहीं की| तो आइये जानते है उन पन्द्रह भारतीय महिलाओं के बारे में जिन्होंने संविधान निर्माण में अपना अमूल्य योगदान दिया है|
हाँ, चरित्रहीन औरतें सुंदर होती हैं!
जो चरित्रहीन होते हैं, सुंदर वही होते हैं। आजाद लोग ही खूबसूरत होते हैं। कोने में, अपनी ही कुठाओं में दबी खामोश चरित्रशील औरत?
पितृसत्ता क्या है? – आइये जाने
पितृसत्ता एक ऐसी व्यवस्था के रूप में परिभाषित किया जाता है जिसमें पुरुषों का महिलाओं पर वर्चस्व रहता है और वे उनका शोषण और उत्पीड़न करते हैं|
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पैड खरीदने में माँ को आज भी शर्म आती है
मासिकधर्म और सैनिटरी पैड पर हमारे घरों में चर्चा करने की बेहद ज़रूरत है और जिसकी शुरुआत हम महिलाओं को ही करनी होगी।
लैंगिक समानता : क्यों हमारे समाज के लिए बड़ी चुनौती है?
गाँव हो या शहर व्यवहार से लेकर काम तक लैंगिक समानता हमारे समाज में मौजूद है, जो हमारे देश के लिए एजेंडा 2030 को पूरा करने में बड़ी चुनौती है|
उफ्फ! क्या है ये ‘नारीवादी सिद्धांत?’ आओ जाने!
नारीवाद के बारे में सभी ने सुना होगा। मगर यह है क्या? इसके दर्शन और सिद्धांत के बारे में ज्यादातर लोगों को नहीं मालूम। इसे पूरी तरह जाने और समझे बिना नारीवाद पर कोई भी बहस या विमर्श बेमानी है। नव उदारवाद के बाद भारतीय समाज में महिलाओं के प्रति आए बदलाव के बाद इन सिद्धांतों को जानना अब और भी जरूरी हो गया है।