गंगूबाई काठियावाड़ी जिनका असली नाम गंगा हरजीवनदास था। वह गुजरात के काठियावाड़ में अपने परिवार के साथ रहती थी। इनके परिवार में ज्यादातर लोग पढ़े-लिखे थे और इनका परिवार काठियावाड़ के नामी परिवारों में शामिल थे। उस दौर में भी इनके परिवार में लड़कियों की शिक्षा को महत्व दिया जाता था। लेकिन गंगा अपने परिवार से बिल्कुल अलग थी। उनका आकर्षण फिल्मी दुनिया की तरफ था। वह हमेशा से मुंबई जाकर फिल्मों में काम करना चाहती थी। पर गंगा यह भी जानतीं थी कि उनका परिवार उन्हें अपने सपनों को पूरा करने की अनुमति कभी नहीं देगा क्योंकि उस समय क्या बल्कि आज तक भी लड़कियों का फिल्मी दुनिया में काम करना इस समाज के द्वारा निंदनीय है।
एक बार गंगा के पिता के पास एक क्लर्क काम करने आया जिसका नाम था रमणिकलाल। वह मुंबई रहकर आया था। धीरे-धीरे गंगा की उससे दोस्ती हो गई और दोस्ती प्यार में बदल गया। फिर गंगा को पता चला कि रमणिकलाल का कुछ निर्देशकों से भी संपर्क है तो वह रमणिकलाल के साथ मुंबई जाने के लिए तैयार हो गई। लेकिन गंगा बिना शादी के एक लड़के के साथ रहने में हिचक रही थीं तो महज़ 16 साल की उम्र में ही उन्होंने काठियावाड़ के ही एक मंदिर में रमणिक से शादी कर ली। फिर दोनों मुंबई के लिए रवाना हो गए। लेकिन जैसे ही गंगा के पैसे खत्म हो गए रमणिक ने गंगा को एक औरत के हवाले करके कहा कि वह उसकी मौसी है और वह उनके पास ही रहे, तब तक वह उनदोनों के लिए एक घर ढूंढेगा। गंगा उस औरत के साथ चली गई इस बात से अनजान कि वह औरत उसकी कोई मौसी नहीं है। बल्कि गंगा के पति ने उसे उस औरत को बेच दिया था। वह औरत गंगा को कमाठीपुरा ले गई।
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वहां जाने के बाद गंगा की पूरी जिंदगी ही बदल गई। उन्हें देह का व्यापार करने के लिए विवश किया जाने लगा और जब वह नहीं मानी तो उनके साथ मारपीट भी किया गया। अंत में उन्होंने सोचा कि वैसे भी अगर वह भागकर वापस अपने घर जाएगी तो उनके घरवाले उन्हें स्वीकार नहीं करेंगे। इसलिए वह देह व्यापार करने के लिए राजी़ हो गईं। वह गंगा हरजीवनदास से अब गंगूबाई बन चुकी थी। इस दौरान उनकी मुलाकात मुंबई के कई कुख्यात अपराधी और माफिया के लोगों से हुई, जो वहां ग्राहक बनकर आते थे। एक दिन शौकत नाम का पठान कमाठीपुरा में आया, आते ही उसने गंगूबाई के साथ बड़ी बेरहमी से बुरा बर्ताव किया। जिन लोगों ने गंगा को बचाने की कोशिश की उसे भी उसने धक्का दे दिया और बिना पैसे दिए चला गया। लेकिन गंगूबाई की शिकायत के बाद भी सबने उनकी बात को नजरअंदाज कर दिया। फिर एक बार वही पठान आया और इस बार उसने गंगू का बलात्कार किया। जिसके बाद गंगू की हालत इतनी बिगड़ गई कि उसे अस्पताल में भर्ती करना पड़ा। इसके बाद गंगू ने मन में ठान लिया कि वह इस आदमी को सजा देकर रहेगी। जानकारी जुटाने के बाद गंगू को पता चला कि उस पठान का नाम शौकत खान था और वह करीम लाला के लिए काम करता था जो एक गैंगस्टर था। इसके बाद गंगू करीम लाला के घर पहुंचीं और चौकीदार के रोकने के बावजूद भी वह सीधे अंदर चली गईं और करीम लाला के पास रुकीं।
वहां खाने के लिए दी गई चीज़ों को गंगू ने हाथ तक नहीं लगाया। करीम के पूछने पर गंगूबाई ने कहा कि अगर उनके आने से उनका घर गंदा हो गया तो उनके रसोई से आए हुए बर्तन को छूने से भी तो उनका बर्तन खराब हो जाएगा। करीम उनके इस बेखौफ जवाब से काफी प्रभावित हुए। फिर गंगू ने उन्हें अपनी पूरी आपबीती सुनाई। करीम लाला ने उन्हें विश्वास दिलाया कि यदि आगे से उनका आदमी उनके साथ ऐसा करेगा तो वह उन्हें जरूर बताएं। करीम लाला से मिलकर उनका समाज में मर्दों का देखने का नजरिया ही बदल गया और उन्हें गंगूबाई ने अपना मुंह-बोला भाई बना दिया। एक बार फिर गंगू के पास वही पठान आया और उनके साथ बदतमीजी करने लगा इस बार उन्होंने यह खबर करीम लाला तक पहुंचा दी। करीम लाला उसी वक्त आकर उस पठान की खूब पिटाई की और सब को चेतावनी दी कि गंगू उसकी राखी-बहन है। इस घटना के बाद गंगू का वर्चस्व पूरे कमाठीपुरा में फैल गया।
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वह जिस घर में रहती थी वहां घर वाली का चुनाव हुआ (ये घरवाली वह रहती थी जो 40-50 कमरे को मैनेज किया करती थी। उनके ऊपर बड़ी घरवाली होती थी जो सारी बिल्डिंग को देखा करती थी) गंगू ने पहले घरवाली पद को हासिल किया और बाद में वह बड़ी घरवाली का पद भी जीत गईं। आस-पास के इलाकों में गंगू का दबदबा हो गया और अब गंगू, गंगू कोठेवाली से गंगूबाई काठियावाड़ी के नाम से मशहूर हो गयी थी। धीरे-धीरे कमाठीपुरा में गंगूबाई ने सेक्स वर्कर्स के हक के लिए लड़ना शुरू किया। गंगूबाई ने तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू से मुलाकात की और उनसे सेक्सवर्क को वैध करने का आग्रह किया।
गंगूबाई ने तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू से मुलाकात की और उनसे सेक्सवर्क को वैध करने का आग्रह किया।
गंगूबाई को अक्सर कई समारोहों में मुख्य अतिथि के रूप में भी बुलाया जाता था। उन्हें “मैडम ऑफ कमाठीपुरा” का टैग भी दिया गया था। सेक्स वर्करस् के लिए उन्होंने जो भी किया उसके लिए वे उन्हें गंगू मां के नाम से बुलाती थी। उन्होंने दोबारा शादी नहीं की थी पर कुछ बच्चे गोद लिए थे जिनकी परवरिश को अकेले करती थी। एक 16 साल की लड़की जो काठियावाड़ी से मुंबई सिर्फ हीरोइन बनने का सपना लेकर आई थी वह सेक्स वर्कर्स के लिए उनकी मां बन गई। फिल्मों के पोस्टर पर तो इनकी फोटो नहीं लग पाई लेकिन कमाठीपुरा के हर कमरे में उनकी फोटो है। गंगूबाई पर संजय लीला भंसाली फिल्म बना रहे हैं। यह फिल्म लेखक हुसैन ज़ैदी की किताब ‘माफिया क्वींस ऑफ मुंबई’ पर आधारित है जिसमें उन्होंने गंगूबाई काठियावाड़ी की जीवनी के बारे में लिखा है। जिसमें आलिया भट्ट गंगूबाई के किरदार में नजर आएंगी। अजय देवगन करीम लाला की भूमिका निभाएंगे। शांतनु महेश्वरी ने रमणिकलाल का रोल अदा किया है। फिल्म में इमरान हाशमी, विजय राज, सीमा पाहवा भी नजर आएंगी। 24 फरवरी 2021 को इस फिल्म का टीजर लॉन्च किया गया था जिसे दर्शकों ने खूब पसंद किया। 30 जुलाई 2021 को यह फिल्म थियेटरों में आ जाएगी। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि कलाकारों ने अपने रोल के साथ कितना न्याय किया है।
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तस्वीर साभार : गूगल