इंटरसेक्शनलजेंडर सामाजिक कुरीतियों के ख़िलाफ़ काम करती छत्तीसगढ़ की ये महिला कमांडो

सामाजिक कुरीतियों के ख़िलाफ़ काम करती छत्तीसगढ़ की ये महिला कमांडो

आज महिला कमांडो गांवों में प्रताड़ना, घरेलू हिंसा ,यौन उत्पीड़न बाल विवाह, जातीय हिंसा के खिलाफ़ लगातार काम कर रहीं हैं। शासन और प्रशासन समय-समय पर सरकारी योजनाओं के लाभों को गांव-गांव तक पहुंचाने में महिला कमांडो का सहयोग ले रहे हैं।

समय रात के करीबन 9-10 बजे एक गांव में सभी वर्ग और उम्र की महिलाएं हाथों में टॉर्च,लाठी और सीटी बजाते रात्रि गस्त पर निकली हुई हैं। यह दृश्य छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में स्थित कमकापार,नगझर,घोटिया और उसके आसपास के ग्रामीण इलाकों का है। इन महिलाओं को यहां पर महिला कमांडो के नाम से जाना जाता है। इनका काम रात में होते असामाजिक तत्वों/कार्यों पर निगरानी रखना। शराबियों, सटोरियों और खनन माफियाओं को समझाना और उन्हें सुधारने का प्रयास करना है। साथ ही गांवों में होती आपराधिक घटनाओं पर लगाम कसना और पुलिस और ग्रामीणों की सहायता से अपराध मुक्त गांव बनाने की दिशा में आगे बढ़ना है।

दरअसल महिला कमांडो का गठन साल 2006 में बालोद के गुंडरदेही में जन्मी पद्मश्री शमशाद बेगम ने अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर किया था। इनका पहला काम साक्षरता मिशन के तहत ग्रामीण इलाकों की महिलाओं को साक्षरता के जरिए आत्मनिर्भर और स्वावलंबी बनाना था। बाद में अपने संगठन को विस्तार देते हुए उन्होंने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर नशा मुक्ति, बालिका शिक्षा और सामाजिक कुरीतियों पर भी काम करके जागरूकता के ज़रिए समाज में बदलाव लाने का भरपूर प्रयास किया। हालिया पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार जब से महिला कमांडो समूह का गठन हुआ है तब से लेकर अब तक की स्थिति में पुलिस रिकॉर्ड की मानें तो 23 प्रतिशत अवैध शराब बिक्री में कमी आई हैं। साथ ही 20 फ़ीसद अन्य आपराधिक गतिविधियों को नियंत्रण करने में महिला कमांडो का हाथ रहा है।

महिला कमांडो की एक बैठक, तस्वीर साभार

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साथ ही सामुदायिक पुलिसिंग के तहत रक्षा टीम और मिशन पूर्ण शक्ति के साथ मिलकर महिला कमांडो ने पहले खुद ही आत्मरक्षा के गुर सीखे और फिर पूरे जिले भर के स्कूलों, गांवों में लड़कियों, महिलाओं को आत्मरक्षा के गुरु सिखाएं हैं। तत्कालीन पुलिस अधीक्षक शेख आरिफ हुसैन ने महिला कमांडो टीम की काफी सराहना की और एक खास समारोह में इस टीम के कुछ सदस्यों को प्रोत्साहन स्वरूप प्रमोट करके एसपीओ (स्पेशल पुलिस ऑफिसर) का दर्जा देकर उनका मान बढ़ाया।

आज महिला कमांडो गांवों में प्रताड़ना, घरेलू हिंसा ,यौन उत्पीड़न बाल विवाह, जातीय हिंसा के खिलाफ़ लगातार काम कर रहीं हैं। शासन और प्रशासन समय-समय पर सरकारी योजनाओं के लाभों को गांव-गांव तक पहुंचाने में महिला कमांडो का सहयोग ले रहे हैं।

यहीं नहीं समाज में अपने अनूठे योगदान के कारण अब प्रदेश सहित पड़ोसी राज्यों में भी महिला कमांडो के काफ़ी चर्चा होती है। अन्य राज्यों में भी इस टीम को खूब सराहा गया। एक बेहतर समाज बनाने के उद्देश्य से महिलाओं की सामाजिक सुरक्षा और हर प्रकार की भागीदारी सुनिश्चित करने, निचले पायदान तक महिलाओं के हक़ अधिकार की बात और उन्हें जागरूक करने के कारण महिला कमांडो के गठन के लिए पद्म श्री शमशाद बेगम सहित अन्य कमांडो को महाराष्ट्र के अलावा अन्य राज्यों में भी बुलाया गया था।

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पद्मश्री शमशाद बेगम , तस्वीर साभार: Twitter

पद्मश्री शमशाद बेगम का नाम बीते वर्ष नोबेल प्राइज के लिए भी जा चुका है। वहीं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महिला कमांडो को एक नई पहचान मिल चुकी है जहां वर्ल्ड पीस कमेटी में 202 देशों के अध्यक्ष और तमाम मेंबर्स ने महिला कमांडो के कार्यों को देखकर उनकी सराहना की थी। बीते कुछ वर्षों से ही महिला कमांडों को संयुक्त देयता समूह से जोड़ा जा रहा है जिसमें छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक द्वारा लोन दिया जाता है। इसका इस्तेमाल खेती-किसानी के लिए होता है। इसमें किसान अपनी पत्नी यानि महिला कमांडो के नाम से उक्त समूह के जरिए लोन ले सकता है ताकि उन्हें साहूकारों के सामने हाथ फैलाने की जरूरत ना पड़े और अधिक ब्याज देने से बचा जा सके। इसके अलावा इस योजना से साहूकारों के सूदखोरी और ब्याजखोरी से भी मुक्ति मिलने की संभावना होती है। साथ ही महिला कमांडो ने गृह उद्योग ,लघु उद्योग स्थापित कर स्वरोजगार के नए आयाम स्थापित किए हैं।

आज महिला कमांडो गांवों में प्रताड़ना, घरेलू हिंसा ,यौन उत्पीड़न बाल विवाह, जातीय हिंसा के खिलाफ़ लगातार काम कर रहीं हैं। शासन और प्रशासन समय-समय पर सरकारी योजनाओं के लाभों को गांव-गांव तक पहुंचाने में महिला कमांडो का सहयोग ले रहे हैं। स्वच्छ भारत अभियान, साक्षरता मिशन, मतदान अभियान, टीकाकरण अभियान के अलावा कोविड-19 के दौरान भी इस टीम ने लगातार अपना काम ज़ारी रखा। पद्मश्री शमशाद बेगम और महिला कमांडो की टीम निरंतर अपने अपने क्षेत्रों में महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक गतिविधियों से जोड़ने का कार्य कर रही है। साथ ही गांव से लेकर शहर तक कई बड़ी रैलियां निकालकर जागरूकता का संदेश देती हैं। फिलहाल छत्तीसगढ़ के 14 जिलों में लगभग 65,000 से अधिक महिला कमांडो विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर अपनी पकड़ मजबूत बनाए हुए हैं और इन पर कार्य कर रहे हैं। असल मायनों में महिला सशक्तिकरण का एक सुंदर उदाहरण इस समाज को शमशाद बेगम और उनकी टीम महिला कमांडो निरंतर अपने कार्यों से देती आ रही हैं।

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तस्वीर साभार : फ़ेसबुक

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