भारतीय सेना में पुरुषों के समान अवसर के लिए महिलाओं का संघर्ष आज भी चल रहा है। सेना के कई हिस्सों में या तो महिलाएं आने वाले समय में सबसे पहली बार शामिल होने वाली हैं या फिर कुछ अवसरों के लिए वे अभी भी इंतजार कर रही हैं। हमारे इतिहास में ऐसी कई महिलाएं हैं जिन्होंने लीक से हटकर काम करना चुना। तमाम चुनौतियों और सवालों को शिकस्त देकर नये रास्तों की नींव रखी। आज का लेख हमारा ऐसी ही एक महिला के बारे में है जिन्होंने अपने सपने को न केवल साकार किया बल्कि देश की अन्य महिलाओं के लिए भविष्य का एक विकल्प भी बना दिया। इस जाबांज़ महिला का नाम है फ्लाइट लेफ्टिनेंट हरिता कौर देओल।
हरिता कौर देओल का जन्म 10 नवंबर 1971 को पंजाब और हरियाणा की राजधानी चंडीगढ़ के एक सिख परिवार में हुआ था। हरिता अपने माता-पिता की इकलौती संतान थीं । उनके पिता आरएस देओल, भारतीय सेना में कर्नल थे। पिता की ही तरह बेटी का भी सेना में शामिल होने का सपना था। हरिता की स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई पंजाब से ही हुई थी। उसके बाद हरिता का वायुसेना अकादमी की प्रारंभिक ट्रेनिंग में चयन हुआ। इस तरह वह भारतीय वायुसेना के सबसे पहले महिला पायलट दल में शामिल हो गई।
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हरिता कौर ने पहली बार वह कर दिखाया था जो अब तक देश में किसी भी महिला पायलट ने नहीं किया था। महज 22 साल की उम्र में हरिता कौर ने एवरो एचएस-784 प्लेन को 10,000 फीट की ऊंचाई में अकेले उड़ाया था।
वायुसेना से कैसे जुड़ीं हरिता
साल 1992 में रक्षा मंत्रालय ने महिलाओं को वायुसेना में शामिल करने का निर्णय लिया गया। महिला वर्ग में कुल आठ पायलट की रिक्तियां आई थीं। उस समय इन पदों के लिए पूरे देश से लगभग 20 हज़ार से भी अधिक महिलाओं के आवेदन आए थे। जिन महिला आवेदकों का आखिर में चयन हुआ था उनमें से एक हरिता कौर देओल भी थीं। साल 1993 में भारतीय वायुसेना के साथ आठ महिला शॉर्ट सर्विस कमिशन ऑफ़िसर्स से जुड़ीं और हरिता कौर देओल भी इसमें शामिल थीं। इन महिला अफसरों की प्रारंभिक ट्रेनिंग हैदराबाद के नजदीक दुंदीगल के एयरफोर्स अकादमी में हुई। आगे की ट्रेनिंग येलहंका, कर्नाटक के वायुसेना स्टेशन में हुई।
आसमान में लिखी नयी इबारत
कड़ी ट्रेनिंग और अपनी मेहनत के बल पर हरिता कौर ने एक कदम और आगे बढ़ाया और भारतीय वायुसेना के इतिहास के पन्नों में अपना नाम हमेशा के लिए दर्ज करा लिया। 2 सितंबर 1994 का दिन भारतीय वायुसेना के इतिहास का वह सुनहरा दिन था जब एक महिला फ्लाइट कैडेट ने पहली बार अकेले आसमान में उड़ान भरी थी। हरिता कौर ने पहली बार वह कर दिखाया था जो अब तक देश में किसी भी महिला पायलट ने नहीं किया था। महज 22 साल की उम्र में हरिता कौर ने एवरो एचएस-784 प्लेन को 10,000 फीट की ऊंचाई में अकेले उड़ाया था। यह कारनामा करने वाली हरिता कौर देश की पहली महिला पायलट बन गयी थी। वह भारतीय वायुसेना में अकेले बिना को-पायलट की सहायता के इतनी ऊंचाई में विमान उड़ाने वाली महिला पायलट बनी थीं।
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एक विमाम हादसे ने छीन ली जान
आसमान की ऊंचाई में उड़ने वाली हरिता की मौत विमान क्रैश होने की वजह से बहुत ही कम उम्र में हो गई थी। 24 दिसंबर 1996 के दिन आंध्र प्रदेश के नेल्लूर के पास एक एयरक्राफ्ट क्रैश हो गया था। इस दुर्घटना में भारतीय वायुसेना ने अपने 24 जवानों को हमेशा के लिए खो दिया था। इनमें से एक नाम हरिता कौर भी शामिल था। बहुत ही कम उम्र में अपने सपनों को साकार करने वाली हरिता कौर देओल का नाम उन बहादुर महिलाओं में से एक हैं जिन्होंने अपने जीवन में जो करने की इच्छा रखी वह करके दिखाया। हरिता कौर ने यह भी साबित कर दिया था कि महिलाएं हर क्षेत्र में काम कर सकती हैं। मेहनत के दम पर वह आसमान की दूरियों को भी नाप सकती हैं।
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तस्वीर साभार : Navrang India