समाजख़बर पत्रकारिता के लिहाज़ से कैसा रहा साल 2021, क्या कहती है रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स की रिपोर्ट

पत्रकारिता के लिहाज़ से कैसा रहा साल 2021, क्या कहती है रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स की रिपोर्ट

भारत, विश्व के उन पांच खतरनाक देशों में शामिल है जहां पत्रकारों के काम करने के लिए सुरक्षित माहौल नहीं है।

दुनिया में सरकारों में बढ़ती तानाशाही प्रवृत्ति के कारण पत्रकारों के लिए स्वतंत्र रूप से काम करना एक बहुत बड़ी चुनौती बन गई है। भारत विश्व के उन पांच खतरनाक देशों में शामिल है जहां पत्रकारों के काम करने के लिए सुरक्षित माहौल नहीं है। मीडिया पर नज़र रखने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था ‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ के मुताबिक पूरी दुनिया में इस साल 488 मीडिया पेशेवर जेल में बंद हैं। पिछले 25 सालों में यह संख्या सबसे ज्यादा है। रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (आरएसएफ) ने हाल ही एक वार्षिक रिपोर्ट पेश की है जिसमें दुनियाभर के मीडिया के पेशेवरों पर हुई घटनाओं का विवरण सामने रखा है। आरएसएफ ने कहा है कि प्रेस की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष लगातार बढ़ रहा है।

साल 2021 में 46 पत्रकारों को अपने पेशे की वजह से जान गंवानी पड़ी। रिपोर्ट में कहा गया है कि पत्रकारों की इन 46 हत्याओं में से 65 प्रतिशत को जानबूझकर निशाना बनाया गया। पिछले बीस सालों में मारे गए पत्रकारों की संख्या इस साल सबसे कम है। मैक्सिको और अफगानिस्तान को पत्रकारों के लिए सबसे खतरनाक देशों में गिना गया है जहां क्रमशः सात और छह पत्रकार मारे गए हैं। वहीं, तीसरे स्थान पर यमन और भारत हैं जहां चार पत्रकारों ने अपने काम की वजह से जान गंवाई।

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जेल जाने वाली महिला पत्रकारों की बढ़ी संख्या

साल 1995 से आरएसएफ लगातार वार्षिक आंकड़े जारी कर रहा है। अपने काम के सिलसिले में हिरासत में लिए गए पत्रकारों की संख्या इस साल सबसे ज्यादा है। इस साल 488 पत्रकारों को गिरफ्तार किया गया है। पिछले एक वर्ष में यह संख्या लगभग 20 प्रतिशत बढ़ी है। म्यांमार, बेलारूस और हांगकांग के कारण मीडिया पर हुई कार्रवाई के कारण इस संख्या में ज्यादा बढ़ोत्तरी देखी गई है। चीन में सबसे अधिक 127 पत्रकारों को जेल में डाला गया हैं। यही नहीं, आरएसएफ अनुसार मीडिया पेशवरों की गिरफ्तारी में महिला पत्रकारों की इतनी अधिक संख्या आज तक नहीं देखी है। इस साल अपने काम की वजह से 60 महिला पत्रकार जेल में बंद हैं। विश्व में चीन में सबसे ज्यादा 19 महिला पत्रकार इस समय जेल में बंद हैं।

बेलारूस में 15 पुरुषों के मुकाबले 17 महिला पत्रकारों को जेल में बंद कर रखा है। म्यांमार में राजनीतिक अस्थिरता के बाद से 53 पत्रकारों को जेल में बंद किया गया, जिसमें से नौ महिलाएं हैं। आरएसएफ के मुताबिक, भारत में इस साल चार पत्रकारों की मौत हुई हैं। जिन पत्रकारों की हत्या की गई है वह स्थानीय संगठित अपराधों को लेकर स्टोरी कर रहे थे। रिपोर्ट में भारत को पत्रकारों को काम करने के लिए सबसे खतरनाक जगह में से एक बताया गया है।

भारत पर क्या कहती है रिपोर्ट

अपनी रिपोर्ट पेश करते हुए आरएसएफ ने भारत के संदर्भ में लिखा है कि यहां पत्रकारों को रिपोर्टिंग के दौरान पुलिस हिंसा, राजनीतिक दबाव और आपराधिक और भ्रष्ट अधिकारियों से धमकी का सामना करना पड़ता है। आरएसएफ द्वारा जारी होनेवाले प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में इस साल 180 देशों में भारत को 142 रैंक मिली है। भारत के संदर्भ में आरएसएफ ने कहा है कि साल 2019 के आम चुनावों के बाद से नरेंद्र मोदी सरकार की हिंदू राष्ट्रवादी लाइन पर चलने का सरकार का ज्यादा दबाव है। हिंदुत्व के विषय से अलग और सरकार की आलोचना करने वाले पत्रकारों को राष्ट्रविरोधी कहा जा रहा है। सोशल मीडिया में उनके खिलाफ अभियान और फोन पर हत्या की धमकियां तक मिल रही हैं। इस तरह का अभियान तब और अधिक उग्र हो जाता है जब आलोचना करनेवाली महिला होती है।

अपनी रिपोर्ट पेश करते हुए आरएसएफ ने भारत के संदर्भ में लिखा है कि यहां पत्रकारों को रिपोर्टिंग के दौरान पुलिस हिंसा, राजनीतिक दबाव और अपराधिक और भष्ट्र अधिकारियों से धमकी का सामना करना पड़ता है।

पत्रकारों को चुप कराने के लिए उन पर राजद्रोह के मामले 124ए को लागू किया जा रहा है। सरकार ने करोना वायरस के दौरान आधिकारिक जानकारी से अलग जानकारी देने वाले पत्रकारों पर भी शिकंजा कसा। पत्रकारिता के लिए कश्मीर में स्थिति देश के दूसरे हिस्सों के मुकाबले और भी ज्यादा चिंताजनक है। जहां पत्रकारों को अक्सर पुलिस के अतिरिक्त सुरक्षाबलों के द्वारा भी परेशान किया जाता है। वहां मीडिया आउटलेट तक को बंद कर दिया जाता है जैसा हमने घाटी के दैनिक समाचार पत्र ‘कश्मीर टाइम्स’ के केस में देखा।

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राजद्रोह को हथियार बनाती भारत सरकार

समूचे भारत में पत्रकारों पर उनकी रिपोर्ट, वीडियो और कुछ केसों में मात्र ट्वीट के कारण ही उन पर पुलिस केस दर्ज हो रहे हैं। वीओए न्यूज में प्रकाशित खबर अनुसार पिछले साल भारत में 60 से अधिक पत्रकारों को पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया, हिरासत में लिया गया और उनके पेशेवर काम के लिए उन्हें नोटिस दिया गया। भारत में इस समय कई पत्रकार जेल में बंद हैं। केरल के पत्रकार सिद्दकी कप्पन को पिछले साल अक्टूबर से उत्तर प्रदेश सरकार ने यूएपीए के तहत उन्हें जेल में डाला हुआ है। कप्पन यूपी में हाथरस में हुए बलात्कार और हत्या की घटना को कवर करने गए थे। उन पर 153ए (समूह के बीच दुश्मनी बढ़ाना), 295ए (धार्मिक भावनाओं को भड़काना), 124ए (देशद्रोह), 120बी साजिश, यूएपीए के तहत केस बनाया हुआ है।

कश्मीर से विशेष राज्य के दर्जा खत्म होने के बाद से घाटी में पत्रकारिता करना बहुत चुनौतीपूर्ण हो गया है। इसी वर्ष अक्टूबर में घाटी के फोटो जर्नलिस्ट मनन गुलज़ार डार को आंतकी साजिश के मामले में एनआईए ने गिरफ्तार किया है। 24 वर्षीय मनन एक स्वतंत्र फोटो पत्रकार हैं। कश्मीर से गिरफ्तारी के बाद उन्हें दिल्ली जेल में रखा हुआ है। दूसरी और 2018 से कश्मीर के ही आसिफ सुल्तान को जम्मू और कश्मीर पुलिस ने हिरासत में लिया हुआ है। पुलिस ने उन पर आंतकवादियों को संरक्षण देने का इल्जाम लगाया हुआ है। हाल में त्रिपुरा में हो रही हिंसा के संबंध में मस्जिदों पर हमले के मामलों को कवर कर रही एचडब्ल्यू न्यूज़ की दो महिला पत्रकारों गिरफ्तार कर लिया था। न्यूजलॉड्री की खबर के अनुसार इसी माह की शुरुआत में असम के पत्रकार अनिबार्न राय चौधरी पर राज्य सरकार ने राजद्रोह का केस दायर किया है। केंद्र में मोदी सरकार के बाद से लगातार सरकार की नीतियों के खिलाफ आवाज़ उठानेवाले पत्रकारों को सबसे ज्यादा निशाना बनाया जा रहा है। इसी साल रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने दुनिया के 37 ऐसे नेताओं की सूची जारी की थी, जो मीडिया पर लगातार हमलावर हैं। इसमें से भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम भी शामिल है।

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तस्वीर साभारः VOA

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