हम साल 2022 में जी रहे हैं फिर भी महावारी यानी पीरियड्स को लेकर समाज में कई गलतफहमियां आज भी बनी हुई हैं। आज भी पीरियड्स को एक बीमारी की तरह ही देखा जाता है। लेकिन दूसरी ओर पीरियड्स को स्वास्थ्य से जुड़ा मुद्दा भी नहीं माना जाता है। पीरियड्स को लेकर बात करने में लोगों में बहुत हिचकिचाहट देखने को मिलती हैं। पीरियड्स को लेकर धार्मिक अवधारणा पर बनी नियमावली के आधार पर इसे एक पेचीदा, कानाफूसी और शर्म का विषय बना दिया जाता है।
पीरियड्स शर्म और धर्म के विषय से आगे एक सामान्य शारीरिक जैविक प्रक्रिया है। पीरियड्स क्या है, यह क्यों होता है? ऐसे ही कुछ सवालों का जवाब हम इस लेख में के ज़रिये जानने की कोशिश करेंगे। लेकिन इससे पहले यह बताना भी बेहद ज़रूरी है कि हर कोई जिसे पीरियड्स होता है उसकी पहचान महिला या लड़की के रूप में ही हो ऐसा होना आवशयक नहीं होता है। ट्रांस पुरुष, क्वीयर, नॉन-बाइनरी के रूप जो लोग खुद की पहचान करते हैं वे भी पीरियड्स से गुज़रते हैं।
पीरियड्स क्या है?
पीरियड्स एक सामान्य प्राकृतिक जैविक प्रक्रिया है। उम्र के साथ-साथ शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं। पीरियड्स भी उसी बदलाव में से एक है। पीरियड्स के दौरान वल्वा से कुछ दिनों के लिए खून और एंडोमेट्रियल टिशू बहता है। यह प्रक्रिया 10 से 15 साल की उम्र में शरीर में होने वाले कुछ बदलावों के साथ शुरू होती है। यह बदलाव लोगों में एक साइकल के तौर पर हर महीने होता है।
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सबसे पहले जानते हैं पीरियड्स में हमारे शरीर के कौन-कौन से अंग शामिल होते हैं।
- ओवरीज़, जो ऐग्स का भंडारण, पोषण और रिलीज यानी बाहर निकालती है।
- यूटरस, जहां ऐग फर्टीलाइज़ होता है और भ्रूण विकसित होता है।
- फैलोपियन ट्यूब जो ओवरी और यूटेरस से जुड़ी होती है।
पीरियड्स कैसे होते हैं?
पीरियड्स प्रक्रिया में हॉर्मोन्स एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह प्रक्रिया एंड्रोक्राइन ग्लैंड्स से शुरू होती है। ये ग्लैंड्स हॉर्मोन का उत्पादन करते हैं। ये हार्मोन तय करते हैं कि पीरियड्स कब शुरू होगा, मेंस्ट्रुअल फ्लो कितना होगा आदि।
हम साल 2022 में जी रहे हैं फिर भी महावारी यानी पीरियड्स को लेकर समाज में कई गलतफहमियां आज भी बनी हुई हैं। आज भी पीरियड्स को एक बीमारी की तरह ही देखा जाता है। लेकिन दूसरी ओर पीरियड्स को स्वास्थ्य से जुड़ा मुद्दा भी नहीं माना जाता है।
हॉर्मोन उत्सर्जन की प्रक्रिया
मस्तिष्क का हिस्सा हाइपोथैलेमस, पिट्यूटरी ग्लैंड्स के द्वारा नर्वस सिस्टम और एंड्रोकाइन से जुड़ा होता है। यह प्रजनन स्वास्थ्य और पीरियड के लिए जरूरी हॉर्मोन को कंट्रोल करता है। इसमें एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन जैसे हॉर्मोन ओवरी से निकलते हैं। यह फीमेल हॉर्मोन हैं। इनसे यूरिटिन लाइनिंग या एंडोमेट्रियम का बनना शुरू होता हैं जो फर्टिलाइज्ड एग को पोषित करते हैं। ये हॉर्मोन ऑव्युलेशन के दौरान किसी एक ओवरी में से एग को बाहर निकालने का काम करते हैं। यह प्रक्रिया फेलोपियन ट्यूब से होती है जो यूटेरिन लाइनिंग से जुड़ जाती है। जो फर्टिलाइज़ेशन के लिए तैयार है। लाइनिंग के बनने, टूटने और निकलने की प्रक्रिया में लगभग 28 दिन का समय लगता है। बहुत सी बार पीरियड साइकिल 21 से 35 दिन के समय का भी होता है।
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मेंस्ट्रुअल साइकिल क्या होता है?
मेंस्ट्रुअल साइकिल पीरियड्स के पहले दिन और अगले पीरियड्स के बीच का समय होता है। माना कि किसी का पीरियड्स 10 मार्च को शुरू हुआ था तो अगला पीरियड्स 8 अप्रैल में आया है। इन तारीखों के बीच का समय मेंस्ट्रुअल साइकिल कहलाता है। इसको चार चरणों में इस तरह से समझा जा सकता है।
- फीमेल बॉडी में यूटेरिन लाइनिंग 28 दिनों में मोटी हो जाती है और पीरियड्स के शुरू होने पर यह टूटने लगती है। पीरियड्स का पहला दिन मेंस्ट्रुअल साइकिल का पहला दिन माना जाता है।
- एक पीरियड्स औसतन 2 से 7 दिन तक चलता है। इस समय यूरेटिन लाइनिंग टूटती है और वजाइना से ब्लीडिंग होना शुरू हो जाती है। जैसे ही पीरियड्स की प्रक्रिया खत्म होती है लाइनिंग दोबारा मोटा होना शुरू हो जाती है।
- लगभग 14 दिन के अंतराल पर ओवरी एक ऐग रिलीज़ करती है। यह प्रक्रिया ओव्यूलेशन कहलाती है। यहां से ऐग यूटेरस के द्वारा यूरेटिन लाइन से जाकर जुड़ जाता है।
- पीरियड्स के दौरान ऐग फर्टिलाइज़्ड नहीं होता है, तो यूटेरस में बनी लाइनिंग टूटती है और पीरियड्स की प्रक्रिया शुरू हो जाती है।
यह प्रक्रिया प्यूबर्टी यानी पीरियड्स शुरू होने से खत्म होने मेनोपॉज़ (पीरियड्स के हमेशा बंद होने की स्थिति) तक हर महीने इसी तरह होती है। हमेशा के लिए पीरियड्स बंद होना जिसे मेनोपॉज़ कहते हैं, इसकी प्रक्रिया 45 से 55 साल की उम्र मानी गई है। जब पहला पीरियड आता है तो मेंस्ट्रुअल साइकिल थोड़े दिनों के लिए अनियमित होता है। शुरुआत के समय में ऐसा होना बिल्कुल सामान्य है क्योंकि पीरियड्स की प्रक्रिया शुरू होने पर शरीर को इसके साथ तालमेल बैठाने में समय लगता है। इस प्रक्रिया के साथ शरीर की सही ताममेल बैठ जाने के बाद पीरियड्स सामान्य रूप से हर महीने आने शुरू हो जाते हैं।
एक पीरियड्स में लगभग 5 से 80 मिलीलीटर तक फ्लो हो जाता है। एक सामान्य पीरियड्स में 35 से 40 मिलीलीटर ब्लीडिंग सामान्य मानी जाती है। इससे अधिक ब्लीडिंग होना हेवी मेंस्ट्रुअल ब्लीडिंग मानी जाती है। अगर लंबे समय तक भारी मात्रा में ब्लीडिंग होती है तो एनीमिया होने का खतरा हो सकता है। इसलिए अधिक समय तक अधिक ब्लीडिंग हो रही है तो तुरंत डॉक्टर का परामर्श लेना ज़रूरी हो जाता है।
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स्पॉटिंग क्या है?
पीरियड्स के दौरान लोगों के शरीर में कई बदलाव होते हैं। पीरियड्स के 3 से 7 दिन के समय से अलग यदि कभी वजाइना से हल्की ब्लीडिंग होती है, तो उसे ‘स्पॉटिंग’ कहा जाता है। यह किसी तरह की बीमारी नहीं होती है। मेंस्ट्रुअल साइकिल में देरी, अनियमितता स्पॉटिंग का एक आम कारण माना जाता है। ध्यान रखने वाली बात यह है कि पीरियड्स की शुरुआत और अंत में हल्की ब्लीडिंग होना स्पॉटिंग नहीं है। मेंस्ट्रुअल साइकिल से अलग ब्लीडिंग होना स्पॉटिंग माना जाता है। हॉर्मोनल कॉन्ट्रसेप्टिव, गर्भावस्था, शारीरिक स्थिति या संक्रमण, ओव्यूलेशन और हार्मोनल बदलाव स्पॉटिंग होने के कुछ महत्वपूर्ण कारण माने जाते हैं।
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तस्वीर साभारः BBC
स्रोत:
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Periods, also known as menstruation, are a natural and normal part of a woman’s reproductive cycle. They typically occur on a monthly basis, although the exact timing may vary from person to person.
Periods, also known as menstruation, are a natural and normal part of a woman’s reproductive cycle.