स्वास्थ्यशारीरिक स्वास्थ्य बाल न धोने से लेकर अचार न छूने तक, कहीं पीरियड्स से जुड़े इन मिथकों पर आप अब भी भरोसा तो नहीं करते!

बाल न धोने से लेकर अचार न छूने तक, कहीं पीरियड्स से जुड़े इन मिथकों पर आप अब भी भरोसा तो नहीं करते!

पीरियड्स से जुड़े मिथक पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ते चले जाते है। मां की मां ने उन्हें जानकारी दी और वह वहीं जानकारी अपनी बिटिया को भी देतीं। उन्हें यह जानकारी नहीं होती कि जो जानकारी वह दे रही हैं वह सही है या गलत। इस तरह पीरियड्स से जुड़े अंधविश्वास कभी खत्म नहीं हो पाते।

पीरियड्स एक ऐसा मुद्दा बन चुका है जिसको लेकर जागरूकता तो बढ़ी है लेकिन इसके साथ ही इसे अंधविश्वास ने भी जकड़ रखा है। समाज में पीरियड्स के दिनों में कई चीज़ों को लेकर लोगों को रोका- टोका जाता है। इस रोक-टोक से मेंस्ट्रुएटर्स के मन में भ्रम पैदा होते हैं। ये भ्रम और मिथ्य फिर पीढ़ी-दर-पीढ़ी आगे बढ़ते रहते हैं। जब हम बड़े होने लगते हैं तो पीरियड्स से जुड़ी जानकारियां पहली बार हमें हमारी माँएं ही देती हैं। लेकिन वे खुद भी पीरियड्स के मुद्दे पर जागरूक नहीं होतीं, वे भी इससे जुड़े मिथ्यों को मानती हैं तो उन्हें खुद समझ नहीं आता कि इस बारे में वे अगली पीढ़ी को कैसे समझाएं।

इस तरह पीरियड्स से जुड़े मिथक पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ते चले जाते हैं। मां की मां ने उन्हें जानकारी दी और वह वहीं जानकारी अपनी बिटिया को भी देती हैं। उन्हें यह पता ही नहीं होता कि जो जानकारी वह दे रही हैं वह सही है या गलत। इस तरह पीरियड्स से जुड़े अंधविश्वास कभी खत्म नहीं हो पाते। भारत में तो कई राज्यों में गांव से बाहर एक ‘गांवकर’ नाम की झोपड़ी हुआ करती थी। ये महिलाएं और लड़कियां गांव से बिल्कुल अलग रहती थीं। इस दौरान कई लड़कियों के साथ यौन उत्पीड़न की घटनाएं भी सामने आती थीं। कई बार उन्हें जंगली जानवरों का भी सामना करना पड़ता है। लेकिन यह अंधविश्वास अभी भी खत्म नहीं हुआ। भारत के कई इलाकों में आज भी इस परंपरा को गांववाले निभाते आ रहे हैं। उन्हें यही लगता है कि पीरियड्स के दौरान लड़कियां और महिलाएं अशुद्ध हो जाती हैं, और उनसे सभी को दूर रहना चाहिए।

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आमतौर पर हमें इस मुद्दे पर जो भी जानकारी मिलती है उसका पहला स्रोत हमारे अपने परिवार की औरतें ही होती हैं जो इन अंधविश्वासों और मिथ्यों को मानती हैं। हालांकि, पिछले कुछ दशकों में, पीरियड्स के बारे में जागरूकता बढ़ी है। इसलिए आज के इस लेख में हम पीरियड्स से जुड़े कुछ ऐसे ही मिथ्यों को दूर कर रहे हैं।

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1- पीरियड्स में न तो बाल धोना चाहिए और न ही नहाना चाहिए

शरीर की सफाई यानी हाइजीन को बरकरार रखने के लिए रोजाना नहाना ज़रूरी है। फिर चाहे उन दिनों आपके पीरियड्स ही क्यों न चल रहे हो। बाल धोने से पीरियड्स के दौरान होनेवाली ब्लीडिंग पर कोई प्रभाव पड़ता है इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं मौजूद है। पीरियड्स के दिनों में साफ-सफाई का और अधिक ख्याल रखा जाना चाहिए वरना इंफेक्शन का खतरा बढ़ सकता है।

2- पीरियड्स एक हफ्ते चलने ही चाहिए

यह धारणा भी मेडिकल नज़रिए से सही नहीं है। पीरियड्स की अवधि वैसे तो सात दिनों तक मानी जाती है लेकिन कुछ लोगों के पीरियड्स सिर्फ तीन-चार दिनों तक ही रहते हैं। यह बिल्कुल सामान्य है।

3- पीरियड्स के दौरान स्विमिंग या व्यायाम नहीं करना चाहिए

पीरियड्स के दौरान स्विमिंग करना बिल्कुल सुरक्षित होता है। यह मिथक उस समय का था जब टैम्पन या मेंस्ट्रुअल कप का विकल्प हमारे पास नहीं था। साथ ही पीरियड्स के दौरान हर इंसान अपनी स्थिति के अनुसार अनुकूल व्यायाम भी आसानी से कर सकता है।

4- पीरियड्स के दौरान निकलने वाला खून गंदा होता है

आज भी हमारा समाज इस बात पर पूरा यकीन करता है कि पीरियड्स का खून गंदा होता है। लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है। इस भ्रम को तोड़ने की जरूरत है। पीरियड्स का खून गंदा नहीं होता है और ना ही शरीर के किसी भी तरह के टॉक्सिन्स को बाहर निकालता है। जो लोग इसे गंदा कहते हैं उन्हें समझना चाहिए कि यह एक शारीरिक प्रक्रिया है जिसके बारे में बात करने में किसी को शर्म नहीं आनी चाहिए।

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5- पीरियड्स में खट्टी चीजों को खाने और छूने से मना करना

पीरियड्स के दिनों में खट्टी चीजें खाने और छूने से मना किया जाता है। उदाहरम के तौर पर कहा जाता है कि पीरियड्स में अचार छूने से अचार खराब हो जाते हैं। हालांकि, इन चीजों से परहेज जैसी कोई बात नहीं है। खट्टी चीजें विटामिन सी से भरपूर होती हैं जो इम्युनिटी बढ़ाने में मदद करती हैं तो फिर ये कैसे नुकसानदेह साबित हो सकती हैं।

6- पीरियड्स के दौरान आप प्रेग्नेंट नहीं हो सकते

यह पूरी तरह से सच नहीं है। संभोग के दौरान अगर स्पर्म वजाइना के अंदर रह जाए तो सात दिनों तक जिंदा रहता है यानी प्रेग्नेंसी की संभावना बनी रहेगी। इसलिए पीरियड्स के दौरान भी गर्भनिरोधक का इस्तेमाल बेहद ज़रूरी होता है।

7- पीरियड्स मिस मतलब महिला गर्भवती 

यह सच है कि गर्भधारण करने के बाद पीरियड्स नहीं होते हैं, लेकिन पीरियड्स नहीं होने के पीछे सिर्फ यही एक कारण नहीं है। मतलब गर्भवती होने के अलावा भी कई कारण हैं जब पीरियड्स नहीं होते या मिस हो जाते हैं। जैसे- स्ट्रेस, खराब डाइट, कोई दूसरी बीमारी या हार्मोनल चेंजेस की वजह से भी कई बार पीरियड्स मिस हो जाते हैं।

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8- मंदिर, किचन और घर की बाकी जगहों से दूर रहना

लोगों का आज भी कहना है कि जब पीरियड्स होते हैं तब मंदिर, किचन और घर के बाकी हिस्सों में नहीं जाना चाहिए इससे कमरे अशुद्ध हो जाते हैं लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है। जब आप सेनेटरी पैड सही तरीके से इस्तेमाल कर रहे हैं और अपनी साफ-सफाई रखते हैं तो आप कहीं भी कुछ भी कर सकते हैं। इसमें किसी प्रकार की गंदगी की संभावना नहीं होती। यह सिर्फ समाज की दकियानूसी पितृसत्तात्मक सोच है जो आज भी मौजूद है।

पीरियड्स से जुड़े ये मिथक अभी भी बेहद प्रचलित हैं। पीरियड्स को लेकर हर मिथक के पीछे का सच जानना हर मेंस्ट्रुएटर के लिए बेहद जरूरी है। एक बार बेहतर जानकारी मिलने के बाद ही वे अपना बेहतर ख्याल रख पाएंगे और दूसरे को भी जागरूक कर पाएंगे।

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तस्वीर साभार: MFine

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