संस्कृतिमेरी कहानी पीरियड्स लीव ने कैसे मेरी कामकाजी ज़िंदगी को आसान बनाया

पीरियड्स लीव ने कैसे मेरी कामकाजी ज़िंदगी को आसान बनाया

बचपन से पीरियड्स पर मिली यह चुप रहनेवाली सीख इतनी मज़बूत थी कि हम सहेलियां तक इसके बारे में बात करने से कतराती थीं। अगर किसी सहेली के पीरियड्स आ जाए तो ऐसे दिखावा करते जैसे हम लोग पीरियड्स के बारे में कुछ जानते ही नहीं।

पीरियड्स को लेकर हम लोगों बचपन से ही चुप रहना सिखाया गया। जब पहली बार मेरे पीरियड्स शुरू हुए तो मैं बहुत रोई थी। ऐसा लगा था कि जैसे कोई गंभीर बीमारी हो गई हो। लेकिन फिर मेरी एक रिश्तेदार ने मुझे पीरियड्स के बारे में बताया कि लड़कियां जब बड़ी होती हैं तो ये सभी लड़कियों को होता है। इसके लिए कपड़े का इस्तेमाल करो और किसी पूजा-पाठ वाली जगह पर मत जाना। इसके साथ ही, इस विषय पर किसी से कोई बात न करने की सलाह दी। जब मेरी माँ को मेरे पीरियड्स के बारे में पता तो चला तो उन्होंने कहा कि अब यह हर महीने आएगा पर ध्यान रखना कि किसी को पता न चले, पूरी साफ़-सफ़ाई से रहना। उनके कहने का मतलब था कि पीरियड्स के दौरान मेरे कपड़े में दाग न लगे इसका पूरा ध्यान रखना है। बचपन से पीरियड्स पर मिली यह चुप रहनेवाली सीख इतनी मज़बूत थी कि हम सहेलियां तक इसके बारे में बात करने से कतराती थीं। अगर किसी सहेली के पीरियड्स आ जाए तो ऐसे दिखावा करते जैसे हम लोग पीरियड्स के बारे में कुछ जानते ही नहीं।

पीरियड्स को लेकर ये माहौल शहर-गाँव में आम है। ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी पीरियड्स को लेकर चुप्पी पहले जैसी ही है। चूंकि बचपन से ही पीरियड्स को एक समस्या के रूप में देखा जाता है, जिसका एकमात्र उपाय कपड़ा या सेनेटरी पैड लेकर दाग से बचना होता है। पर पीरियड्स वास्तव में क्या है? पीरियड्स के दौरान हम लोगों को अपने खानपान और साफ़-सफ़ाई में किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? पीरियड्स से जुड़ी हुई बीमारियां कौन सी? जैसे कई ज़रूरी सवालों पर कभी कोई बात नहीं होती, क्योंकि पीरियड्स आज भी हमारे समाज में शर्म का विषय है।

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शुरू में मुझे यह बहुत अजीब लगता था कि पीरियड्स लीव कौन देता है? इसके लिए छुट्टी की क्या ज़रूरत? ये छुट्टी देने से क्या बदलाव आएगा? वग़ैरह-वग़ैरह। ये सवाल हर नए साथियों के मन में उठते थे पर धीरे-धीरे मुझे इसका प्रभाव समझ आने लगा, जब पीरियड्स को लेकर जानकारी बढ़ी।

मुझे याद है कि एक बार मेरे गाँव में पीरियड्स के मुद्दे को लेकर मुहीम नाम की संस्था की तरफ़ से महिलाओं और लड़कियों के साथ ट्रेनिंग कार्यक्रम रखा गया था, जिसमें पीरियड्स से जुड़ी ज़रूरी बातों के बारे में बताया गया। उस ट्रेनिंग में जब महिलाओं और लड़कियों से उनके पीरियड्स के अनुभव और जानकारी के बारे में पूछा गया तो किसी ने कोई ज़वाब नहीं दिया और सिर्फ़ मैंने अपने अनुभव बताए और बताया कि कैसे पहली बार पीरियड्स शुरू होने पर मुझे चुप रहने की सलाह दी गई। मेरी इस बात की वजह से घर पर मुझे बहुत ज़्यादा डांट पड़ी और सभी ने मुझे एक सुर में बेशर्म कहा। मुझे अच्छे से याद है कि मेरी माँ ने मुझे डांटते हुए कहा था, “तुमने पूरी गाँव की लड़कियों और महिलाओं के सामने पीरियड्स पर बात करके अपनी और परिवार की इज़्ज़त तो उछाल दी पर इससे तुम्हें कोई मेडल नहीं मिलने वाला।” यह बुरी तरह हताश करने वाला अनुभव था।

इसके कुछ समय बाद, मुझे मुहीम संस्था के साथ जुड़कर काम करने का मौक़ा मिला और मैंने अपने काम की शुरुआत की। संस्था में सभी महिला साथियों को पीरियड्स लीव दी जाती है, शुरू में मुझे यह बहुत अजीब लगता था कि पीरियड्स लीव कौन देता है? इसके लिए छुट्टी की क्या ज़रूरत? ये छुट्टी देने से क्या बदलाव आएगा? वग़ैरह-वग़ैरह। ये सवाल हर नए साथियों के मन में उठते थे पर धीरे-धीरे मुझे इसका प्रभाव समझ आने लगा, जब पीरियड्स को लेकर जानकारी बढ़ी।

हर महीने पीरियड्स लीव लेते-लेते कब पीरियड्स पर चर्चा करना और बोलना सहज हो गया यह पता ही नहीं चला। इस बदलाव का प्रभाव हम लोगों के काम पर भी पड़ा कि अब हम लोग गाँव में बिना डरे और शर्म के महिलाओं और किशोरियों के साथ पीरियड के मुद्दे पर बात कर पाते हैं।

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पीरियड के दौरान महिलाओं को पौष्टिक खानपान और आराम की ज़रूरत होती है, इसलिए पीरियड्स लीव हर कामकाजी मेंस्ट्रुएटर के लिए ज़रूरी है। इसके साथ ही, एक बड़ा बदलाव जो मैं खुद महसूस कर पाती हूं वह यह कि मेरी तरह संस्था की सभी महिला साथी आपस में भी पीरियड्स के मुद्दे पर कोई बात नहीं करते थे। पर हर महीने पीरियड्स लीव लेते-लेते कब पीरियड्स पर चर्चा करना और बोलना सहज हो गया यह पता ही नहीं चला। इस बदलाव का प्रभाव हम लोगों के काम पर भी पड़ा कि अब हम लोग गाँव में बिना डरे और शर्म के महिलाओं और किशोरियों के साथ पीरियड के मुद्दे पर बात कर पाते हैं।

पीरियड्स लीव जैसी पहल सुनने में भले ही अजीब और ग़ैर-ज़रूरी लगे, लेकिन वास्तव में यह बेहद सहयोगी है। ये पीरियड्स के जुड़ी शर्म को सहज तरीक़े से तोड़ने में भी काम करती है। कई बार कुछ लोग पूछते हैं कि पीरियड्स के लिए काम से छुट्टी करने पर घर के काम से छुट्टी थोड़े ही मिलेगी? तो मैं उन्हें अक्सर ज़वाब देती हूं कि ये छुट्टी हम लोगों के ऊपर काम के भार को कम करने में सहायक है और इसका प्रभाव ये भी हो रहा है कि परिवार में भी ये समझ धीरे-धीरे बन रही है कि पीरियड्स के दौरान महिलाओं को आराम करने का मौक़ा दिया जाए। घर की व्यवस्था में बदलाव होने में समय लगेगा, पर होगा ज़रूर।

मुझे नहीं मालूम कि कितनी कंपनियों, संस्थाओं और सरकारी दफ़्तरों में पीरियड्स लीव दी जाती है, पर अपने अनुभव से मैंने ये पाया है कि अगर हम वास्तव में पीरियड्स को लेकर जागरूकता फैलाना चाहते हैं और सालों पर पीरियड्स पर चर्चा करने या इस शब्द को बोलने पर लगी हुई चुप्पी को तोड़ना चाहते हैं तो इसके लिए पीरियड्स लीव जैसी पहल बेहद प्रभावी है। पीरियड्स लीव पीरियड्स की इस प्राकृतिक प्रक्रिया को समाज की मुख्यधारा में बिना संकोच सहज रूप से जोड़ने का काम करती है। जब महिलाओं को गर्भावस्था में छुट्टी देने का प्रावधान है तो हमें पीरियड्स के दौरान भी मेंस्ट्रुएटर्स को छुट्टी देने के बारे में सोचना चाहिए। 

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तस्वीर साभार: CNN

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