विज्ञान और तकनीक का क्षेत्र पुरुषों का माना जाता रहा है। यही वजह है कि आज भी विज्ञान के क्षेत्र में महिलाएं अपने प्रतिनिधित्व, शोधकार्य, और उपलब्धियों के लिए संघर्ष कर रही हैं। वर्तमान में भी विज्ञान के क्षेत्र की संस्थाओं में कई पदों पर आज तक महिला वैज्ञानिक नियुक्त नहीं हुई हैं या पहली बार हो रही हैं। वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के 80 साल के इतिहास में पहली बार किसी महिला वैज्ञानिक को महानिदेशक के पद पर नियुक्त किया गया है।
डॉ. नल्लथंबी कलईसेल्वी ने विज्ञान के कार्यक्षेत्र में एक और बाधा पार करते हुए सीएसआईआर के महानिदेशक के ओहदे को संभाल कर इतिहास में अपना नाम दर्ज करवा लिया है। इस पद पर पहुंचने वाली वह पहली महिला हैं। वह 38 प्रयोगशालाओं और लगभग 4,500 वैज्ञानिकों का नेतृत्व करेंगी। केंद्रीय मंत्रालय द्वारा जारी पत्र के अनुसार वह इस पद पर दो साल के लिए नियुक्त की गई हैं।
सीएसआईआर की महानिदेशक के रूप में वह केंद्रीय विज्ञान मंत्रालय के वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग की सचिव की भूमिका भी निभाएंगी। डॉ. नल्लथंबी इससे पूर्व 2019 में सीएसआईआर की सेंट्रल इलेक्ट्रोकैमिकल रिसर्च इंस्ट्यूट का नेतृत्व करने वाली पहली महिला वैज्ञानिक थीं। इस पद तक पहुंचने से पहले उन्होंने करीब 25 साल का समय लगा। उन्होंने इस संस्थान के साथ अपने करियर की शुरुआत प्रांरभिक स्तर पर की थी। साल 1942 में स्थापित सीएसआईआर, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान की दिशा में काम करने वाला एक संस्थान है।
उन्होंने सीएसआईआर-सीईसीआरई के साथ अपने करियर की शुरुआत एंट्री लेवल वैज्ञानिक के तौर पर की थी। साल 1997 में वह सीईसीआरई से जुड़ी थी। इससे जुड़ने से पहले उन्होंने तीन साल तक एक प्राइवेट कॉलेज में अध्यापन कार्य किया।
डॉ. एन. कलईसेल्वी तमिलनाडु के तिरुनेलवेली जिले के अंबासमुद्रम की रहनेवाली हैं। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा एक तमिल मीडियम स्कूल से पूरी की है। स्कूल के समय में ही उनका रूझान विज्ञान विषय में अधिक था। स्कूल के बाद उन्होंने आगे विज्ञान के विषयों में ही अपनी पढ़ाई की। पढ़ाई पूरी होने के बाद इसी दिशा में आगे अपना करियर बनाने का फैसला किया। उन्होंने सीएसआईआर-सीईसीआरई के साथ अपने करियर की शुरुआत एंट्री लेवल वैज्ञानिक के तौर पर की थी। साल 1997 में वह सीईसीआरई से जुड़ी थीं। इससे जुड़ने से पहले उन्होंने तीन साल तक एक प्राइवेट कॉलेज में पढ़ाा ङी। डॉ. सेल्लवई ने अन्नामलई यूनिवर्सिटी, चिंदबरम से पीएचडी की डिग्री हासिल की थी। कलईसेल्वी ने अपना ध्यान मुख्य रूप से एनर्जी स्टोरेज डिवाइस पर केंद्रित रखा।
डॉ. एन. कलईसेल्वी लिथियम-आयन बैटरियों पर शोध के विशेषज्ञ के तौर पर जानी जाती हैं। इन बैटरियों का इस्तेमाल मोबाइल फोन से लेकर इलेक्ट्रिक वाहनों में किया जाता है। वह इलेक्ट्रोकेमिकल पावर सिस्टम और इलेक्ट्रोड मैटिरयल के डेवलपमेंट की दिशा में भी काम करती हैं। वर्तमान में वह सोडियम-आयन/लिथियम-सल्फर बैटरी और सुपरकैपेसिटर को विकसित करने में शामिल हैं।
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इलेक्ट्रिक मोबिलिटी पर अपना ध्यान केंद्रित करने के बाद से डॉ. कलईसेल्वी ने साल 2015 से भारत के ई-मोबिलिटी के क्रियान्वयन के लिए कई प्रोजेक्ट और मीटिंग में हिस्सा लिया। उन्होंने नवीन और नवीनीकरण उर्जा मंत्रालय के मोबिलिटी मिशन कॉन्सेप्ट नोट में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसके अलावा नैशनल मिशन फॉर इलेक्ट्रिक मोबिलिटी (एनएमईएम) की टेक्निकल रिपोर्ट के संकलन में सीएसआईआर-सीईसीआरआई की ओर से मुख्य भूमिका निभाई है। यह उनकी एक बड़ी उपलब्धियों में से एक हैं। हाल ही में उन्होंने जून 2022 में सीएसआईआर-नैशनल एयरोस्पेस लेबोरेटरीज (सीएसआईआर-एनएएल) के निदेशक के पद का अतिरिक्त प्रभार भी संभाला है।
डॉ. कलईसेल्वी ने एक के बाद एक शोध कर विज्ञान और तकनीक के माध्यम से कई नये आयाम स्थापित किए हैं। उन्होंने विज्ञान से जुड़े शोध के 125 से अधिक पेपर लिखे हैं। उनके नाम छह पेटेंट भी हैं। उनके लिखे रिसर्च पेपर नीदरलैंड स्थित एक एकेडमिक पब्लिशिंग कंपनी एलशेवियर के टॉप 25 आर्टिकल में शामिल हो चुके हैं। उनके मार्गदर्शन में आठ रिसर्चर ने अपनी पीएचडी की डिग्री भी हासिल की है।
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उन्हें विज्ञान के क्षेत्र में योगदान के लिए कई पुरस्कारों ने भी नवाज़ा गया है। डॉ. कलईसेल्वी को मैटिरियल रिसर्च की दिशा में काम करने के लिए एमआरएसआई मेडल से भी सम्मानित किया जा चुका है। वह सीएसआईआर की ओर से रमन रिसर्च फेलोशिप भी हासिल कर चुकी हैं। इसके अलावा आईएनएसए-एनआरएफ एक्सचेंज अवार्ड, ब्रेन पूल फेलोशिप ऑफ कोरिया और सबसे प्रेरणादायक महिला वैज्ञानिक का पुरस्कार से भी सम्मानित हो चुकी हैं। साल 2017 में इंटरनेशनल साइंटिस्ट ऑफ द ईयर की ओर से जारी शीर्ष सौ वैज्ञानिकों की सूची में भी उनका नाम शामिल हो चुका है।
अपने वैज्ञानिक कार्यों के अलावा उन्होंने तमिल भाषा में विज्ञान को लोकप्रिय बनाने के लिए तमिल भाषा में निकलने वाली मासिक वैज्ञानिक पत्रिका ‘अरिगा अरिवियाल’ के संपादक के तौर पर भी काम किया है। वह कई स्वतंत्र प्रोजेक्ट पर भी काम कर चुकी हैं। रमन फेलोशिप के तहत उन्होंने टेक्सस यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की थी। कलईसेल्वी एक कुशल वक्ता भी हैं। वह तमिल और अंग्रेजी भाषा में अच्छी पकड़ रखती हैं। वह क्षेत्रीय ऑल इंडिया रेडियो के कार्यक्रमों में सक्रिय होकर भाग लिया करती थी।
डॉ. कलईसेल्वी का सीएसआईआर का महानिदेशक के शीर्ष पर पर पहुंचा भारत में विज्ञान के क्षेत्र में महिलओं को और आगे बढ़ने की प्रेरणा का काम करेगा। विज्ञान के क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं को विशेष रूप से कई चुनौतियों का समाना करना पड़ता है। महिला नेतृत्व का बढ़ना विज्ञान जगत में भविष्य बनाने की इच्छुक महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित कर सकता है। अन्य क्षेत्रों की तरह विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में काम करने की इच्छुक महिलाओं को असमानताओं का सामना करना पड़ता है। लैंगिक असमानता को खत्म करने के लिए अधिक-अधिक महिलाओं का नेतृत्व में प्रतिनिधित्व बढ़ाया जाना चाहिए।
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तस्वीर साभारः The Quint
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