समाजख़बर भारत में सर्वाइकल कैंसर की वैक्सीन के निर्माण के बाद कितनी बदलेगी तस्वीर

भारत में सर्वाइकल कैंसर की वैक्सीन के निर्माण के बाद कितनी बदलेगी तस्वीर

सर्वाइकल कैंसर ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) के पुराने संक्रमण के कारण होता है। पेपिलोमावायरस एक यौन संचारित वायरस है। सर्वाइकल कैंसर गर्भाशय ग्रीवा की कोशिकाओं में फलता फूलता है। गर्भाशय ग्रीवा, गर्भाशय का सबसे निचला हिस्सा होता है।

दुनियाभर में महिलाओं में चौथा सबसे ज्यादा होने वाला कैंसर, सर्वाइकल कैंसर है। भारत में महिलाओं में कैंसर से होने वाली मौतों का सबसे अधिक जिम्मेदार सर्वाइकल कैंसर को माना गया है। वैसे तो सर्वाइकल कैंसर से बचाव और इलाज दोंनो संभव हैं लेकिन भारत में इसके प्रति जागरूकता की कमी के चलते उन्हें सही जानकारी उपलब्ध नहीं हो पाती है।

सर्वाइकल कैंसर ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) के संक्रमण के कारण होता है। पेपिलोमावायरस एक यौन संचारित वायरस है। सर्वाइकल कैंसर गर्भाशय ग्रीवा की कोशिकाओं में फलता-फूलता है। गर्भाशय ग्रीवा, गर्भाशय का सबसे निचला हिस्सा होता है। लेकिन राहत की बात ये है कि टीकाकरण के जरिए अब इस वायरस को फैलने से रोका जा सकेगा।

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वैक्सीन से किस हद तक खतरे होंगे कम 

एक रिसर्च के अनुसार, एचपीवी के टीके एचपीवी वायरस की वजह से होने वाले सर्वाइकल कैंसर को रोकने में लगभग 100 प्रतिशत प्रभावी बताए गए हैं। इसी दिशा में भारत में एक पहला स्वदेशी रूप से विकसित टीका CERAVAC, इस साल के अंत तक उपलब्ध होने के लिए तैयार है। इस टीके के एक शॉट की कीमत ₹200-400 हो सकती है।

भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी द्वारा Ceravac वैक्सीन का निर्माण किया जाएगा। इससे पहले भारत में सर्वाइकल कैंसर के लिए Cervarix और Gardasil के टीके मौजूद हैं। भारत निर्मित Ceravac वैक्सीन के मुकाबले इन दोंनो की कीमत में काफी अंतर है। भारत में सर्वाइकल वैक्सीन का मंहगा होना भी इसका सब तक पहुंच न होने की एक बड़ी वजह है।

एक रिसर्च के अनुसार, एचपीवी के टीके एचपीवी वायरस की वजह से होने वाले सर्वाइकल कैंसर को रोकने में लगभग 100 प्रतिशत प्रभावी बताए गए हैं। इसी दिशा में भारत में एक पहला स्वदेशी रूप से विकसित टीका CERAVAC, इस साल के अंत तक उपलब्ध होने के लिए तैयार है।

द मिंट में प्रकाशित लेख में नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्यूनाइजेशन (एनटीएजीआई) के कोविड वर्किंग ग्रुप के चेयरपर्सन डॉ एन. के. अरोड़ा ने कहा है, “मैं बहुत खुश हूं और मैं कहना चाहूंगा कि अब हमारी बेटियां और पोतियां बहुप्रतीक्षित वैक्सीन पाने में सफल होंगी। अब से भारतीय वैक्सीन उपलब्ध होगी और हमें उम्मीद हैं कि इसे 9 से 14 साल की उम्र की सभी लड़कियों के लिए राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के तहत उपलब्ध कराया जाए।”

साथ ही उन्होंने बताया कि सर्वाइकल कैंसर के लिए बहुत प्रभावी और सुरक्षा प्रदान करने के लिए बहुत असरदार है क्योंकि 85 फीसदी से 90 फीसदी तक सर्वाइकल कैंसर के केस इस वायरस की वजह से होते हैं और यह वैक्सीन इन वायरस के ख़िलाफ़ है।  

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भारत में महिलाओं में कैंसर से होने वाली मौतों का सबसे अधिक जिम्मेदार सर्वाइकल कैंसर को माना गया है। वैसे तो सर्वाइकल कैंसर से बचाव और इलाज दोंनो संभव हैं लेकिन भारत में इसके प्रति जागरूकता की कमी के चलते उन्हें सही जानकारी उपलब्ध नहीं हो पाती है।

क्या होता है सर्वाइकल कैंसर?

सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में सर्विक्स की कोशिकाओं को प्रभावित करता है। सर्विक्स यूटरस के निचले भाग का हिस्सा है जो वजाइना से जुड़ा हुआ होता है। सर्वाइकल कैंसर इस हिस्से की कोशिकाओं को प्रभावित करता है। सर्वाइकल कैंसर के अधिकतर मामले ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) के अलग-अलग तरह के एचपीवी स्ट्रेन्स की वजह से होते हैं। धीरे-धीरे ये सर्वाइकल कोशिकाओं को कैंसर कोशिकाओं में परिवर्तित कर देता है। 

अधिकतर मामलों में सर्वाइकल कैंसर हाई रिस्क ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) की वजह से होता है। आम तौर पर  महिला के शरीर का इम्यून सिस्टम एचपीवी के संपर्क में आने पर उस वायरस को किसी भी तरह का नुकसान करने से रोकता है। हालांकि, कुछ महिलाओं का इम्यून सिस्टम उस वायरस को खत्म करने में असमर्थ होता है और बहुत ज्यादा समय तक हाई रिस्क एचपीवी के संपर्क में रहने से सर्वाइकल कैंसर का खतरा हो जाता है। महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर होने का खतरा ज्यादा तब रहता है जब उनकी  इम्यूनिटी कमज़ोर हो जाती है या वो किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित होती हैं।

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वहीं, उत्तर प्रदेश के सोनभद्र की रहने वाली नजरानी का कहना है कि उन्हें सर्वाइकल कैंसर की वैक्सीन के बारे में जानकारी नहीं है। उनके गांव में बस एक कम्यूनिटी हेल्थ ऑफिसर है। पिछड़ा इलाका होने के कारण यहां की महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर की कोई जानकारी नहीं है। ऐसे में बस गांव में आशा वर्कर्स हैं जो इस पर जागरूकता फैला रही हैं।

सर्वाइकल कैंसर को लेकर WHO का आंकड़ा

साल 2020 में दुनियाभर में सर्वाइकल कैंसर के 6 लाख से ज्यादा मामले सामने आए थे और इससे होनेवाली मौतों का आंकड़ा 3.42 लाख था। हैरानी की बात तो यह है कि इनमें से 90% मामले कम और मध्य आय वाले देशों से आए थे। विश्व स्वास्थ्य संगठन की इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (IARC-WHO) के अनुसार, भारत में हर साल सर्वाइकल कैंसर के 1.23 लाख मामले सामने आते हैं। इससे हर साल 67 हज़ार महिलाओं की मौत होती है। सर्वाइकल कैंसर के मामले में भारत दुनियाभर में 5वें नंबर पर है।

सर्वाइकल वैक्सीन के बारे में कितनी है जागरूकता

फेमिनिज़म इन इंडिया से बातचीत करते हुए मीडिया में काम रही वृंदा ने बताया, “मुझे इस वैक्सीन की जानकारी है और यह वैक्सीन महिलाओं में होने सर्वाइकल कैंसर को रोकने के लिए कारगर बताई जा रही है। वैक्सीन कितनी प्रभावी होगी इसका अंदाजा तो हम नहीं लगा सकते लेकिन हां ये जरूर कह सकते हैं कि इस वैक्सीन के आने से हम लड़कियों में एक उम्मीद जगी है कि हम सर्वाइकल कैंसर से निजात पा सकते हैं। अधिकतर महिलाएं ऐसी भी हैं जिन्हें इस वैक्सीन के बारे में शायद पता भी नहीं होता है।” 

वहीं, उत्तर प्रदेश के सोनभद्र की रहने वाली नजरानी का कहना है कि उन्हें सर्वाइकल कैंसर की वैक्सीन के बारे में जानकारी नहीं है। उनके गांव में बस एक कम्यूनिटी हेल्थ ऑफिसर है। पिछड़ा इलाका होने के कारण यहां की महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर की कोई जानकारी नहीं है। ऐसे में बस गांव में आशा वर्कर्स हैं जो इस पर जागरूकता फैला रही हैं।

और पढ़ेंः सर्वाइकल कैंसर और एचपीवी वैक्सीन के बारे में जानना ज़रूरी क्यों है?| नारीवादी चश्मा

साल 2020 में दुनियाभर में सर्वाइकल कैंसर के 6 लाख से ज्यादा मामले सामने आए थे और इससे होनेवाली मौतों का आंकड़ा 3.42 लाख था। हैरानी की बात तो यह है कि इनमें से 90% मामले कम और मध्य आय वाले देशों से आए थे।

फेमिनिज़म इन इंडिया ने जब चिरंजीवी अस्पताल की स्त्री और प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉक्टर जयंती चौधरी जी से पूछा कि क्या नई एचपीवी वैक्सीन से कुछ लाभ होगा तो उन्होंने कहा कि वैक्सीन के होने से फायदा ज़रूर होगा। अगर लोग इसके बारे में जागरूक होंगे तो इससे सर्वाइकल कैंसर से होनेवाली मौतें कम होंगी। इसके लिए एक जागरूकता अभियान तो होना ही चाहिए, जो कभी नहीं होता है। डॉक्टर होने के नाते हम भी महिला दिवस पर बातें कर लेते हैं ब्रैस्ट कैंसर और सर्वाइकल कैंसर की लेकिन लोग जागरूक नहीं होते हैं। लोगों में इन मुद्दों को लेकर जागरूकता की बेहद कमी है। आगे वह कहती हैं कि अगर जागरूकता होगी तो लोगों को यह पता चलेगा कि एचपीवी टीका लगवाने की उम्र तो 9 साल से ही शुरू हो जाती है।

हमने जब उनसे भारत में दो कंपनियों की वैक्सीन होने के बावजूद लोगों द्वारा इसे न लगवाने की वजह पूछी तो उन्होंने बताया डॉक्टर वैक्सीन का सुझाव तभी देंगे जब मरीज़ को इसमें दिलचस्पी होगी। जब सामने वाले पेशेंट को डॉक्टर समझाते हैं, मैं तो खुद स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ हूं। जब मैं पेशेंट को कहती हूं कि 35 साल के होने पर सर्वाइकल कैंसर के लिए एक टेस्ट होता है उसे एक बार करा लें। तो यही जवाब मिलता है कि इसकी ज़रूरत क्या है? पेशेंट इसके लिए तैयार ही नहीं होता है। क्यों करवाएं, बेवजह खर्चा होगा, मुझे कोई ऐसी दिक्क्त नहीं है, ऐसा कहकर लोग इससे बचते हैं। थोड़े बहुत पढ़े-लिखे लोग ये टेस्ट करवा लेते हैं।”

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सर्वाइकल कैंसर से कैसे करें बचाव  

डॉ. जयंती चौधरी ने सर्वाइकल कैंसर से बचाव पर बात करते हुए कहा कि मुझे लगता है कि HPV वैक्सीन को अनिवार्य कर दिया जाना चाहिए। यदि आपकी बेटी 9 साल की है तो उसे 9 साल में ये वैक्सीन लगनी ही चाहिए। किसी भी औरत को जब पेल्विक एरिया में दर्द हो तो डॉक्टर को दिखाएं। दर्द को लोग गंभीरता से नहीं लेते हैं। वाइट डिस्चार्ज है, उसे भी लोग नजरअंदाज करते हैं। इसे नार्मल बीमारी कहते हैं। साफ-सफाई का ध्यान रखें। अगर इंटर कोर्स के दौरान दर्द होता है तो उसे तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए। वजाइना से रिलेटेड कोई भी दर्द या समस्या होने पर डॉक्टर से सलाह और इलाज जरूरी है। बेवजह ब्लीडिंग हो तब भी उसे गंभीरता से लेना चाहिए। आपस में चर्चा करने मात्र से समय खत्म नहीं होगी। इलाज और बचाव दोंनो जरूरी है। 

बता दें कि सर्वाइकल कैंसर और कोशिकाओं के बढ़ने का पता लगाने में स्क्रीनिंग टेस्ट से मदद मिलती है। साथ ही लक्षणों के आधार पर पुष्टि करने के लिए डॉक्टर द्वारा एचपीवी डीएनए टेस्ट कराने की भी सलाह दी जा सकती है। कई कारकों पर सर्वाइकल कैंसर का उपचार निर्भर करता है, जैसे कि कैंसर की अवस्था, अन्य स्वास्थ्य समस्याएं आदि। उसके बाद डॉक्टर की सलाह से सर्जरी, रेडिएशन और कीमोथेरेपी जैसी तकनीक का उपयोग किया जा सकता है।

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