समाजख़बर #MeToo: भारतीय वाइल्डलाइफ़ कंजरवेशन क्षेत्र में यौन उत्पीड़न के मामले

#MeToo: भारतीय वाइल्डलाइफ़ कंजरवेशन क्षेत्र में यौन उत्पीड़न के मामले

विज्ञान और प्रकृति के क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं ने इंस्टाग्राम के वीमन ऑफ द वाइल्ड इंडिया हैंडल पर ‘टर्टल सर्वाइवल एलाइंस इंडिया’ (टीएसए इंडिया) में अपने अनुभवों के बारे में लिखा।

हाल ही में #MeToo के कई मामले भारत के वाइल्डलाइफ कंजरवेशन (वन्यजीव संरक्षण) क्षेत्र से सामने आए हैं। ये सभी आरोप सोशल मीडिया पर लगाए गए हैं। ये मामले विज्ञान और प्रकृति के क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं ने इंस्टाग्राम के वीमन ऑफ द वाइल्ड इंडिया हैंडल पर ‘टर्टल सर्वाइवल एलाइंस इंडिया’ (टीएसए इंडिया) में अपने अनुभवों के बारे में लिखा। हिंदुस्तान टाइम्स में छपी ख़बर के मुताबिक़ 16 मार्च को एक अज्ञात शख्स ने हिस्ट्री ऑफ सेक्सुअल हैरासमेंट के साथ टीएसए के डॉ. शैलेन्द्र सिंह पर आरोप लगाए। 

सबसे पहले एक मामले में शैलेन्द्र सिंह पर आरोप लगाया गया, उसके बाद तीन अन्य महिलाओं ने भी अपने साथ हुए उत्पीड़न के अनुभवों को लिखा। सिंह पर लगे आरोपों वाली पोस्ट में अन्य लोगों ने भी यौन उत्पीड़न के अनुभव सामने रखे। इनमें महिला-विरोधी कामकाजी माहौल के बारे में विस्तार से बताया गया। शैलेन्द्र सिंह, भारत के शीर्ष वन्यजीव संरक्षणवादी है।

कई महिलाओं ने लगाए आरोप

शैलेन्द्र सिंह पर लगे आरोपों में कई लोगों ने उनके ख़िलाफ़ यौन उत्पीड़न, असजहता की बात कही है। न्यूज़ मिनट में प्रकाशित ख़बर के मुताबिक़ एक मामले में सर्वाइवर, शैलेन्द्र सिंह और अन्य टीम के साथ घाघरा नदी के फील्ड वर्क पर थी। टीम उस समय शैलेन्द्र सिंह के पैतृक घर पर तैनात थी। पुरुष छत पर सोते थे। वह ग्राउंड फ्लोर पर मच्छरदानी में सोती थी। सर्वाइवर के मुताबिक शैलेन्द्र सिंह उस रात उनके टेंट में घुस आए थे और उनका यौन उत्पीड़न किया था। उनके अनुसार, “मैं स्तब्ध रह गई थी लेकिन मैं जानती थी कि मेरे साथ क्या हो रहा है।” 

एक दूसरे मामले में शैलेन्द्र सिंह पर उनके घर लखनऊ में यौन उत्पीड़न के आरोप लगाया गया है। इस मामले में संगठन के कुछ कर्मचारियों के लिए उनके कार्यालय में रहने की व्यवस्था की गई। जब अन्य कर्मचारी यात्रा पर थे तब शैलेन्द्र सिंह ने उन्हें घर पर आमंत्रित किया। सर्वाइवर के मुताबिक वह पहली बार यात्रा कर रही थीं और अकेले ऑफिस में रहने में सहज नहीं थी। शैलेन्द्र सिंह ने उन्हें कहा था कि वह उनके घर आ सकती हैं। उनके घर में 16-17 साल का एक घरेलू कामगार भी था। दूसरे व्यक्ति की मौजूदगी को देखते हुए उन्होंने प्रस्ताव स्वीकार किया था। उसके बाद जब वह उनके स्थान पर गई तो उनका गेस्ट रूम में रुकने का इंतज़ाम किया गया था। लेकिन थोड़ी देर बाद शैलेन्द्र सिंह ने उन्हें काम के बहाने अपने कमरे में बुलाया और उनके सामने अपने कमरे में सोने का प्रस्ताव रखा। उस रात सिंह ने उन्हें कई तरह से उत्पीड़ित किया।

शैलेन्द्र सिंह पर लगे आरोपों में टीएसए के पूर्व इंटर्न ने भी अपने अनुभव साझा किए हैं। एक वालंटियर ने सिंह पर नये साल की पार्टी के दौरान अभद्रता करने की बात की है। सिंह महिलाओं को फोन पर मैसेज करके भी परेशान किया करते थे। साल 2020 में एक कर्मचारी ने उनके ख़िलाफ़ हेड ऑफिस में शिकायत दर्ज भी की थी।

साल 2021 में वीमन ऑफ द वाइल्ड इंस्टाग्राम पेज ने संगठन के लिए समीक्षाएं मांगी थी। उस समय चार महिलाओं ने यौन उत्पीड़न की बात को रखा था और छह ने टाक्सिक वर्क एनवायरमेंट और मानसिक उत्पीड़न की शिकायत की थी। 

मीडिया में छपी जानकारी के मुताबिक़ टीएसए इंडिया में आंतरिक शिकायत कमिटी के तहत शिकायत दर्ज की गई। डॉ. सिंह को बदलने के लिए दो अंतरिम डायरेक्टर नियुक्त किए गए। टीएसए इंडिया ने इंस्टाग्राम पोस्ट पर नये नेतृत्व को लेकर घोषणा की। लेकिन इसमें सिंह पर लगे आरोपों का कोई ज़िक्र भी नहीं मिला। इस मामले के जोर पकड़ने के बाद टीएसए इंटरनैशनल ने भी आरोपों के बारे में जांच करने का आधिकारिक बयान जारी किया है। उन्होंने भारत में होने वाली जांच पर नज़र बनाए रखने की बात की। 

शिकायत दर्ज होने के बावजूद नहीं हुई कार्रवाई

शैलेन्द्र सिंह का नाम सामने आने से पहले भी वाइल्डलाइफ कंजरवेशन सोसायटी में यौन उत्पीड़न की शिकायतें सामने आ चुकी थीं। जानने के बावजूद इस तरह के मामलों पर चुप्पी साधी रखी गई। स्क्रोल में छपी ख़बर के अनुसार साल 2021 में वीमन ऑफ द वाइल्ड इंस्टाग्राम पेज ने संगठन के लिए समीक्षा की मांग की थी। उस समय चार महिलाओं ने यौन उत्पीड़न की बात को सामने रखा था और छह ने टॉक्सिक वर्क एनवायरमेंट और मानसिक उत्पीड़न की शिकायत की थी। 

तस्वीर साभारः The Wire

इन शिकायतों में एक समीक्षक ने इंस्टाग्राम पर आरोपी का नाम लिए बिना टिप्पणी में कहा था कि कार्यालय में उनके साथ जबरदस्ती हुई। उनकी मर्जी के बगैर उन्हें चूमने और गले लगाने की कोशिश की गई। आगे जब उसने यह बात अपने मैनेजर को बताने की कोशिश की तो उन पर ही आरोप लगाया गया। दूसरे मामले में एक अनाम यूज़र ने कहा था कि एक पुरुष कर्मचारी ने उन्हें पार्टी के दौरान उत्पीड़ित किया। डब्ल्यूसीएस ने इस पर बयान जारी करते हुए कार्रवाई करने के लिए भी कहा था।

कंजरवेशन के क्षेत्र में पुरुषों का एकाधिकार

भारत में इकोलॉजिकल कंजरवेशन के क्षेत्र में पुरुषों का एकाधिकार है। इस पेशे में पुरुषों के वर्चस्व की वजह से महिलाओं के लिए कार्यस्थल पर सहजता और सुरक्षा की भारी कमी है। महिलाएं जब फील्ड वर्क पर सेंचुरी, नैशनल पार्क जैसी दूर-दराज की जगहों पर जाती हैं तो उन्हें उचित आवास की जगह न होने की वजह से पुरुष सहयोगियों के साथ स्थान साझा करने के लिए मजबूर किया जाता है। उनमें से बहुत से शीर्ष पदों वाले होते हैं। महिलाओं के लिए कार्यालय में अलग से शौचालय नहीं होने की वजह से उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता है। पावर का यह स्ट्रक्चर महिलाओं के ख़िलाफ़ है। ख़ासतौर पर जो महिलाएं अपने करियर के शुरू में होती हैं उनको केंद्र में रखा जाता है।

शैलेन्द्र सिंह पर लगे आरोपों में टीएसए के पूर्व इंटर्न ने भी अपने अनुभव साझा किए हैं। एक वालंटियर ने सिंह पर नये साल की पार्टी के दौरान अभद्रता करने की बात की है।

साल 2008 में मीटू अभियान शुरू होने के बाद से अलग-अलग क्षेत्रों में काम करनेवाली महिलाओं ने कार्यस्थ्ल पर होनेवाले यौन उत्पीड़न के मामले को सामने रखा था। बॉलीवुड में काम करनेवाली महिलाओं से हुई इस शुरुआत के बाद कई क्षेत्रों की महिलाओं ने अपने अनुभवों को बताया। भारत में कार्यस्थल में महिलाओं की सुरक्षा के लिए कानून होने के बावजूद महिलाएं वर्षों तक हिंसक और दुर्व्यवहार भरे माहौल का सामना करती हैं। इससे अलग कार्रवाई और कानूनी प्रक्रिया की जटिलता और नौकरी गंवाने की वजह से महिलाएं आगे आने में हिचकती हैं। 

ख़ासतौर पर जब सरकारी अधिकारी, शीर्ष पद या सरकार में बैठे लोगों के ख़िलाफ़ यौन उत्पीड़न के मामले सामने आते हैं तो स्थिति और भी चिंताजनक हो जाती है। पूरी व्यवस्था के सहयोग की वजह से आरोपी को जांच में क्लीन चिट देकर सर्वाइवर को ही ठगा हुआ साबित कर दिया जाता है। आरोपियों का ही समर्थन करनेवाले इस माहौल की वजह से अधिकतर सर्वाइवर्स यौन उत्पीड़न के ऐसे मामलों में चुप रहना चुनते हैं क्योंकि हिंसा के ख़िलाफ़ बोलने का पहला ख़तरा उनकी नौकरी जाने का रहता है।


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