स्वास्थ्यमानसिक स्वास्थ्य आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के आधार पर मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं कितनी कारगार?

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के आधार पर मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं कितनी कारगार?

एआई बोट्स के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाता है। एआई बहुत ध्यान से आपकी बात सुनता है, आपके व्यवहार, भावनाओं की तेजी को देखते हुए उचित प्रतिक्रिया देने में सक्षम है। 

‘आप कैसा महसूस कर रहे हैं?’ यह सवाल अक्सर हम अपने आसपास में किसी इंसान से उसके हालचाल जानने या संवेदना जाहिर करते हुए इस्तेमाल करते हैं। लेकिन तकनीक के युग में अब इस तरह के संवाद के लिए मशीनों का इस्तेमाल किया जा रहा है। ख़ासतौर पर मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं का सामना करने वाले व्यक्ति की आवश्यकता को ध्यान में रखकर इस दिशा में प्रयास हो रहे हैं। कहने का मतलब यह है कि मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए आवश्यक थेरेपी को आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस के द्वारा भी उपलब्ध कराया जा रहा है। 

आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस का प्रभाव लगातार हर क्षेत्र में विकसित होता जा रहा है। विज्ञान एवं तकनीक की प्रगति से मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी स्तिथि अवसाद के लक्षणों, चिंता को दूर करने के लिए इसकी साहयता ली जा रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया में हर आठ में से एक व्यक्ति मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी चुनौतियों को का सामना कर रहा है। ख़ासतौर पर कोविड-19 महामारी के बाद से मानसिक स्वास्थ्य की समस्या का सामना करने वाले लोगों की संख्या में तेजी हुई हैं। चिकित्सक, थेरेपिस्ट और रिसर्चर तेजी से यह पता लगा रहे हैं कि आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) मानसिक स्वास्थ्य के देखभाल में कैसे मदद कर सकता है और यह कितना प्रभावशाली है। 

साइंटिफिक अमेरिकन में प्रकाशित जानकारी के रोबोट थेरेपिस्ट की अवधारणा कम से कम 1990 से मौजूद है। कंप्यूटर प्रोग्राम ने कॉग्नेटिव बिहेवियर थेरेपी के आधार पर मनोवैज्ञानिक हस्तक्षेप की शुरुआत की थी।

हालांकि भविष्य में एआई द्वारा पारंपरिक चिकित्सा को पूरी तरह से प्रतिस्थापित करने की संभावना नहीं है लेकिन मानसिक स्वास्थ्य देखभाल के लिए एआई की क्षमता में बहुत संभावनाएं बताई जा रही है। मानसिक स्वास्थ्य की समस्या वैश्विक स्तर पर बढ़ी है। लगभग 10 फीसदी जनसंख्या इससे प्रभावित है जिनमें से 15 फीसद युवा इससे गुजर रहे हैं। 15 से 29 साल के बीच के युवाओं के बीच सुसाइड से मौत होने की चौथी बड़ी वजह है। मानसिक बीमारियों के रोगियों की संख्या और मृत्यु की वजह से साल 2010 से 2030 के बीच दुनिया की अर्थव्यवस्था के 16 ट्रिलियन यूएस डॉलर नुकसान होने का अनुमान है। 

मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में एआई की कार्यप्रणाली

दुनिया में बड़ी संख्या में युवा मानसिक स्वास्थ्य की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। साथ ही, मानसिक स्वास्थ्य के लिए देखभाल बहुत सीमित है। मेंटल हेल्थ अमेरिका ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 30 मिलियन अमेरिकन युवा मानसिक स्वस्थ्यता के लिए  में किसी तरह की चिकित्सीय सेवा नहीं ले पाते हैं। मानसिक स्वास्थ्य साहयता और चैटबॉट थेरेपिस्ट ऐप्स के द्वारा मानसिक स्वास्थ्य के लिए भावनात्मक साहयता के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। एआई बोट्स के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाता है। एआई बहुत ध्यान से आपकी बात सुनता है, आपके व्यवहार, भावनाओं की तेजी को देखते हुए उचित प्रतिक्रिया देने में सक्षम है। 

स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में एआई का इस्तेमाल वर्तमान में कुछ नियमित कामों को करने के लिए किया जा रहा है। हालांकि कई लोग मानसिक स्वास्थ्य देखभाल को विशेष रूप से भावनात्मक और मानवीय क्षेत्र मानते है। ऐसे में मानसिक स्वास्थ्य के लिए एआई पहले से ही क्लिनिकल प्रैक्टिस पर अपनी पकड़ बना रहा है। मशीन लर्निंग (एमएल) और डीप लर्निंग (डीएल) जो मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति की सटीकता को तय करने और मरीज के लिए बेहतर आवश्यकता पर ध्यान देने के लिए हैं। इसमें कम्प्यूटर विजन के माध्यम से चेहरे के भाव, हाव-भाव, आंखों की टकटकी और ह्यूमन पोज़ के माध्यम से तस्वीरों से डाटा का विश्लेषण करता है। नैचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग के माध्यम से स्पीच रेकग्निशन और टेक्स्ट का विश्लेषण करके चैटबॉट कंप्यूटर प्रोग्राम के माध्यम से बातचीत को समझकर क्लीनिक दस्तावेज तैयार किए जाते हैं। 

तस्वीर साभारः AL Jazeera

अलज़रीरा में प्रकाशित लेख के अनुसार मानसिक स्वास्थ्य के लिए एआई Wysa, Heyy और Woebot जैसे ऐप्स के ज़रिये काम कर रहा है। जब ये ऐप थेरेपी प्रोसेस शुरू करते है तो ये कुछ सवाल-जवाब सेट करते हैं जो लोग खुद चुनते हैं न कि चैटजीपीटी और अन्य एआई प्लेटफॉर्म। ऐप्स संज्ञात्मक (कॉगनेटिव) व्यवहार थेरेपी से प्रेरित हैं। यह चिंता और अवसाद के उपचार का एक स्टैंडर्ड मानक है जो रोगी के सोचने और व्यवहार करने के तरीके बदलने पर केंद्रित है। 

साइंटिफिक अमेरिकन में प्रकाशित जानकारी के मुताबिक़ रोबोट थेरेपिस्ट की अवधारणा कम से कम 1990 से मौजूद है। कंप्यूटर प्रोग्राम ने कॉग्नेटिव बिहेवियर थेरेपी के आधार पर मनोवैज्ञानिक हस्तक्षेप की शुरुआत की थी। वर्तमान में ये ऐप्स एआई की एडवांस एल्गोरिदम को अपनाकर यूजर के साथ उनकी चिंताओं के बारे में बातचीत कर सकते है।  Wysa और Woebot कंपनियों को दावा है कि उनके ऐप्स दस लाख से अधिक डाउनलोड किए जा चुके हैं। यू.के. नैशनल हेल्थ सर्विस के कई मानसिक सेवा देने वाले कुछ बीमारियों के निदान के लिए कुछ कंपनियों के चैटबॉट का इस्तेमाल करते हैं।

एआई द्वारा मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर कैसे कर रही है 

एआई तकनीक के द्वारा मानसिक स्वास्थ्य के उपचार को कैसे बेहतर बनाया जा सकता है उसके लिए कई तरीके बताए जा रहे हैं। जैसे सेवाओं की बढ़ती मांग और कार्यभार के साथ मानसिक स्वास्थ्य क्लीनिक चिकित्सक क्वालिटी को कंट्रोल और उस पर निगरानी के लिए ऑटोमेटिक तरीकों से जांच कर रहे हैं। एआई डॉक्टरों को मानसिक बीमारी का पता लगाने और उसके इलाज की योजनाओं के लिए सटीक विकल्प चुनने में मदद कर रहा है।  रिसर्चर का मानना है कि वे डाटा का इस्तेमाल कर अधिक सफल थेरेपी सेशन कर सकते हैं और यह पता बेहतर तरीके से लगा सकते है कि किस प्रकार की थैरेपी किसी व्यक्ति के लिए सबसे अच्छा काम करेगी।

एआई की बदौलत मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी सेवा लेने वाले व्यक्ति के प्रोग्रेस पर ज्यादा बेहतर तरीके से मॉनिटर किया जा रहा है। साथ ही मानसिक स्वास्थ्य इको सिस्टम के भीतर एआई बेहतर तरीके से बदलाव कर सकता है। तकनीक के सहारे मानसिक स्वास्थ्य को लेकर लोगों को उपचार कराने की झिझक को दूर कर सकती है। जेएएमए मनोवैज्ञानिक में प्रकाशित शोध में पाया गया है कि उपचार की एक विधि के रूप में सीबीटी की प्रभावशीलता को मान्य करने के लिए गहन शिक्षण का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसमें संभावित रूप से कुछ रोगियों को दवाई लिखने की आवश्यकता खत्म हो सकती है।

चुनौतियों को नहीं किया जा सकता है नज़रअंदाज

एआई के मानसिक स्वास्थ्य की सेवाओं के क्षेत्र में निदान के लिए मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं की भविष्यवाणी करने, व्यक्तिगत उपचार, योजना बनाने करने में कई फायदेमंट होने से अलग चुनौतियां भी है। फोर्ब्स में प्रकाशित लेख के अनुसार सबसे पहले एआई एक पूर्वाग्रह का मुद्दा भी है जो डेटा के आधार पर एल्गोरिदम के सहारे सामाजिक पूर्वाग्रह को भी बढ़ा सकता है। उदाहरण के लिए अगर डेटा के आधार पर स्वास्थ्य देखभाल तक कम पहुंच वाले समूहों के बीच मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे का निदान नहीं होने की संभावना है तो इस डेटा पर निर्भर एल्गोरिदम भी उन मुद्दों के इलाज में कम सटीक है। एआई तकनीक में पूर्वाग्रह और पक्षपात से भरे डेटा को खत्म करने और जांच करने की बहुत ज़रूरत है। 

मानसिक स्वास्थ्य के लिए एआई Wysa, Heyy और Woebot जैसे ऐप्स के ज़रिये काम कर रहा है। जब ये ऐप थेरेपी प्रोसेस शुरू करते है तो ये कुछ सवाल-जवाब सेट करते हैं जो लोग खुद चुनते हैं न कि चैटजीपीटी और अन्य एआई प्लेटफॉर्म।

शारीरिक स्वास्थ्य की तुलना में मानसिक स्वास्थ्य के लिए अक्सर डॉक्टरों की ओर से अधिक सब्जेक्टिव फैसलों की आवश्यकता होती है। ऐसे में मशीनों और डेटा के बजाय सेवा लेने वाली स्व-रिपोर्ट की गई भावनाओं और अनुभवों के आधार पर निर्णय लेना होगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एआई के मानसिक स्वास्थ्य उपचार और चुनौतियों पर अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस क्षेत्र में एआई  को कैसे लागू किया जाता है इस पर हमारी समझ में अभी ‘महत्वपूर्ण अंतर’ है। एआई स्वास्थ्य देखभाल एप्लीकेशन में डेटा को कैसे संसाधित किया जाता है इसमें खामियां हैं। 

एआई और मानसिक स्वास्थ्य देखभाल के लिए महत्वपूण चिंताओं में से एक निजता की भी है। यह व्यक्तिगत स्वास्थ्य डाटा को हासिल करना उनकी गोपनीयता में दखल देना है। डाटा के लेकर तकनीकी गड़बड़ियां होने की सम्भावनाएं डाटा सुरक्षा का सवाल भी खड़ा करती है। भारत उन देशों में शामिल है जहां अभी भी मजबूत डाटा सुरक्षा कानून नहीं हैं, ख़ासकर वे कानून जो एआई को ध्यान में रखकर बने हों। स्वास्थ्य सेवाओं को बाजार और मुनाफ़े से अलग हटकर बुनियादी ढ़ांचे और इसके काम करने के सवालों के इन पहलूओं को ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता है। 


स्रोतः

  1. Itrex.com
  2. World Economic forum
  3. Scientific American

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