20 साल की रिया कहती हैं, “हम दोनों कॉलेज में एक साथ थे और सेकेंड ईयर में एक-दूसरे को डेट करने का फैसला किया। हमारा फ्रेंड सर्कल एक ही था। शुरुआती कुछ दिन तो अच्छे बीते। लेकिन फिर वो मेरे ऊपर बंधन लगाने लगा। मेरे पहनावे और हर तौर-तरीके से उसे दिक्कत होने लगी। उसके बिना मेरे दोस्तों से मिलने और उनके साथ समय बिताने पर वह नाराज हो जाता था। ऐसी बातों पर हमारे खूब झगड़े होने लगे। दोस्तों के सामने उसने मुझे कई बार अपमानित किया और बाद में सॉरी बोलता पर इस तरह वह मुझे गैसलाइट कर देता।”
वह आगे कहती है, “पहले मुझे लगता था कि वो गुस्सैल किस्म का इंसान है और मेरे लिए बहुत सुरक्षात्मक नज़रिया रखता है। इसलिए, मैं उसे माफ़ करती चली गई और उसे बढ़ावा मिलता चला गया। मेरी सबसे अच्छी दोस्त ने मुझे समय रहते आगाह करने की कई कोशिशें की। लेकिन उस वक्त मैं उसपर इतना विश्वास करती थी कि मैंने उससे भी लड़ाई कर ली। इस रिश्ते ने मुझे मानसिक रूप में बहुत प्रभावित किया। मैंने इसकी वजह से अपने कॉलेज के सुनहरे दिनों का आनंद नहीं ले सकी।” रिया जैसे कई लोग हैं जो डेटिंग हिंसा का सामना कर रहे हैं।
क्या होती है डेटिंग में हिंसा
जब दो लोग एक-दूसरे को पसंद करते हैं और एक-दूसरे को समझने के लिए साथ समय गुजारते हैं, तो इसे ‘डेटिंग’ कहा जाता है। अक्सर भारतीय सामाजिक परिवेश में ऐसे रिश्ते परिवार और समाज के संज्ञान के बिना पनपते हैं। खासकर तब जब लोग छोटे शहर, कस्बों या गांवों में रह रहे हों। डेटिंग में हिंसा होने की संभावना उतनी ही रहती है जितनी अन्य रिश्तों में होती है। लेकिन किसी के संज्ञान में न होने की वजह से सर्वाइवर अक्सर लंबे समय तक चुपचाप हिंसा का सामना करता है। यही बात हिंसा को पुख्ता करती चली जाती है और हिंसा को बढ़ावा भी देती है।
श्रुति कहती हैं, “हम दोनों में बहुत कम समय में अच्छी दोस्ती हो गई। हम काफी बातें करने लगे थे और बातें करते हुए बहुत ज़्यादा दिन भी नहीं हुए थे। फिर वह लड़का मुझसे मेरी निजी तस्वीरें मांगने लगा। जब मैं ऐसा करने से मना करती, तो वह मुझे भावनात्मक रूप से ब्लैकमेल करता था।”
क्या बताते हैं आंकड़े
भारतीय पितृसत्तात्मक समाज में शादी से अलग किसी स्त्री-पुरुष के रिश्ते को हमेशा गलत नज़र से देखा जाता है। यह बड़ी वजह है कि डेटिंग कर रहे लोग इस बारे में ज्यादा खुलकर बात नहीं कर पाते हैं जिसकी प्रमुख वजह लोगों द्वारा किया जाने वाला चरित्र हनन भी है। डेटिंग के दौरान भी लोग हिंसा का सामना करते हैं। द इंटरनैशनल जर्नल ऑफ इंडियन साइकोलॉजी में बेंगलुरू पर हुए अध्ययन में हुए सर्वेक्षण में पाया गया कि अधिकांश प्रतिभागियों (45.1 फीसद) ने माना कि 10 डेटिंग रिश्तों में कम से कम 1-3 मामलों में डेटिंग हिंसा शामिल थी। वहीं उनमें से 43.6 फीसद का मानना था कि 10 डेटिंग रिश्तों में से 4-6 मामले अपमानजनक थे। 6.1 फीसद प्रतिभागियों ने महसूस किया कि 10 रिश्तों में 7-9 ऐसे मामले थे, जबकि 5.2 फीसद लोगों का मानना था कि डेटिंग हिंसा का मामला नहीं था। इस सर्वेक्षण में 69.8 फीसद प्रतिभागी महिलाएं थीं।
क्या है डेटिंग हिंसा?
एक-दूसरे को डेट कर रहे दोनों पार्टनर के बीच होने वाला किसी तरह का दुर्व्यवहार और हिंसा डेटिंग में हिंसा कहलाती है। दुर्व्यवहार करने वाला या अपराधी वह व्यक्ति होता है जो भय पैदा करता है, अपमान करता है और दूसरे पर अपना नियंत्रण रखता है। वहीं सर्वाइवर वह होता है जो ऐसी हिंसा का सामना करता है। यह हिंसा किसी भी प्रकार की हो सकती है। इसमें मौखिक, शारीरिक, मानसिक, मनोवैज्ञानिक या यौन हिंसा शामिल हैं। ऐसा देखा गया है कि ऐसी हिंसा अक्सर किशोरावस्था और युवा वयस्कता में अपने चरम पर पहुंचती है। स्कूल और कॉलेज के बच्चे आमतौर पर इसकी चपेट में आते हैं। डेटिंग हिंसा का सामना करने वालो में स्त्री, पुरुष या अन्य लैंगिक पहचान रखने वाला कोई भी हो सकता है। लेकिन अनेक शोध में अध्ययन करने के दौरान पाया गया है कि ज्यादातर सर्वाइवर्स महिलाएं होती हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि पुरुषवादी समाज में लड़कियों को रिश्तों में एडजस्ट करने और चुप रहना सिखाया जाता है। भले ही पार्टनर हावी हो रहा हो या दुर्व्यवहार कर रहा हो।
डेटिंग में हो सकती है भावनात्मक हिंसा
22 वर्षीय श्रुति पेशे से इंजीनियर हैं। किशोरावस्था में अपने साथ हुई डेटिंग हिंसा के अनुभवों को साझा करते हुए वह बताती है, “साल 2016-17 के दौरान जब वह 10वीं में थी तो स्मार्टफोन में गाना गाने के लिए एक ऐप्स जो नया-नया प्रचलन में आया था, उसे इस्तेमाल करती थी। इस ऐप के माध्यम से कई लोगों से जुड़ा जा सकता था। ऐसे ही वह एक लड़के से जुड़ी। वह मुझसे उम्र में 2-3 साल बड़ा भी था। थोड़ी दिनों बात कर के ही हम दोनों एक-दूसरे को पसंद करने लगे।”
श्रुति आगे बताती है, “हम दोनों में बहुत थोड़े समय में अच्छी दोस्ती हो गई और हम काफी बाते करने लगे थे। बातें करते हुए बहुत ज़्यादा दिन भी नहीं हुए थे कि वो लड़का मुझसे मेरी निजी तस्वीरें मांगने लगा। जब मैं ऐसा करने से मना करती तो वह मुझे भावनात्मक रूप से ब्लैकमेल करता था। बाद में बहुत कहने पर मैंने अपनी तस्वीरें उसके साथ साझा भी की थी। लेकिन आगे चल कर वीडियो कॉल, अश्लील और भद्दी बातें करने का चलन बढ़ गया। उसे नज़रअंदाज करने पर वह मुझे गालियां और धमकियां देता था। मैं उम्र में काफी छोटी थी और इस तरह की परिस्थिति से कैसे निपटना है मुझे नहीं पता था। इस बारे में किससे बात की जाए ये भी नहीं जानती थीं। करीब दो महीनों तक मेरे साथ ये मौखिक और मानसिक हिंसा चलती रही। बहुत मुश्किल से मैं इन सब से निकल पाई। आज भी मैं वह समय याद करके बहुत दुखी होती हूं और उस वजह से जल्दी से लोगों पर विश्वास नहीं कर पाती हूं।” श्रुति के अलावा ऐसे कई युवा हैं जो डेटिंग और खास तौर पर ऑनलाइन डेटिंग हिंसा का सामना करते हैं।
जब कोई व्यक्ति किसी अपमानजनक रिश्ते में शामिल होता है, तब भी साथी के प्रति अत्यधिक प्यार के कारण वे उसमें बने रहते हैं। इस तथ्य के बावजूद है कि उसका स्वभाव अपमानजनक है। श्रुति का कहना है, “अगर कोई व्यक्ति सही समय पर काउंसलिंग करे और ऐसे व्यवहार गलत होते उससे अवगत करवाए तो बहुत हद तक भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक नकुसान से बचा जा सकता है।” एक सर्वेक्षण के अनुसार केवल दो प्रतिशत सर्वाइवर ही अपमानजनक रिश्तों से बाहर निकल पाते हैं। अपने रिश्ते के एक साल बाद में, 18 फीसद युवाओं ने शारीरिक शोषण का अनुभव किया, 60 फीसद ने मनोवैज्ञानिक हिंसा का अनुभव किया और 18 फीसद ने यौन हिंसा का सामना किया। तकनीकी विकास के इस दौर में, युवाओं में डेटिंग हिंसा का विस्तार न केवल शारीरिक बल्कि मनोवैज्ञानिक शोषण को बढ़ावा दे रहा है।
डेटिंग हिंसा के विभिन्न रूप
- शाब्दिक या मौखिक हिंसा
एक सर्वेक्षण के अनुसार लगभग 79 फीसद लोगों ने शाब्दिक या मौखिक हिंसा का सामना किया है। ऐसी हिंसा सबसे ज्यादा पाई गई। नियंत्रित करना, हावी होना, बातें छुपाना, अपने साथी की रूचियों और पसंदों का मज़ाक उड़ाना, जान-बूझकर के तंज कसना, अनुचित शब्दों और नामों का उपयोग कर उन्हें ठेस पहुंचाना, पार्टनर से तेज आवाज़ में बात करना, शक करना, ब्लैकमेल, कमेंट्स, मजबूर करना, ताने मारना ऐसे कुछ तरीके हैं जो डेटिंग में मौखिक हिंसा को दर्शाते हैं।
- शारीरिक हिंसा
शारीरिक हिंसा में जरूरी नहीं कि हिंसा दर्दनाक हो। कई बार यह चोट छोड़ जाता है जिससे सर्वाइवर के लिए उबरना मुश्किल होता है। पार्टनर को डराने के लिए वस्तुएं फेंकना, जब आवश्यक हो तब चिकित्सा सहायता से इनकार करना, पार्टनर के ख़िलाफ़ हथियार का उपयोग करना, जबरन खिलाना-पिलाना या खाने से रोकना, हानिकारक ड्राइविंग करना जिसमें किसी को चोट पहुंचाने का इरादा हो, दांत काटना, स्क्रैच करना, धक्का देना, मुक्का मारना, थप्पड़ मारना, गला घोंटना, बिना कॉन्सेंट के यौन संबंध, नींद को बाधित करना, चीखना ऐसे कुछ तरीके हैं जो डेटिंग में शारीरिक शोषण को दर्शाते हैं।
- आर्थिक हिंसा
लगभग 60 फीसद लोगों ने डेटिंग हिंसा में आर्थिक रूप से शोषण का अनुभव किया है। पैसे उधार लेना और वापस नहीं करना, खर्च पर नियंत्रण रखना, सामान्य खर्च में हिस्सा नहीं देना, बिना साझा किये आर्थिक निर्णय लेना, पार्टनर के नाम पर कर्ज बढ़ाना, पार्टनर के मना करने पर पैसे लेना, पार्टनर को कमाने नहीं देना ऐसे तरीके हैं जो डेटिंग में आर्थिक शोषण को दर्शाते हैं।
- सामाजिक हिंसा
पार्टनर को समाज या परिवार से अलग करने की कोशिश, परिवार से संपर्क को नियंत्रित करना, पार्टनर के दोस्तों और परिवार की लगातार आलोचना करना, सबके सामने शर्मिंदा करना, अफवाहें फैलाना, स्थिति की निगरानी करना, पार्टनर के फोन की जांच, पार्टनर की सामाजिक आवश्यकताओं को कमजोर करना, एक जासूस को पार्टनर की निगरानी के लिए रखना, पार्टनर की दोस्तियों को तोड़ना ऐसे कुछ तरीके हैं जो डेटिंग में सामाजिक तौर पर हिंसा को दर्शाते हैं।
- मानसिक या भावनात्मक हिंसा
धमकी, अपमान, मानहानि, अत्यधिक संदेश भेजना या फोन करना, अपमानित करना, धमकी देना या पीछा करना सभी मानसिक या भावनात्मक शोषण के उदाहरण हैं जिनमें शारीरिक संपर्क शामिल नहीं है। यह व्यक्ति को परेशान कर सकता है या उनके मानसिक स्वास्थ्य को कमजोर कर सकता है। पार्टनर को भावनाओं के मद्देनजर नीचा दिखाना, उन्हें नकार देना या मान्यता न देना, पार्टनर की आवश्यकताओं और अपेक्षाओं के प्रति अनुकूलित होने के लिए अनिच्छुक रहना, अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पार्टनर से सब कुछ न्योछावर करने की आशा रखना, असहमति पर गुस्सा करना, अपनी गलतियों के लिए पार्टनर को दोषी ठहराना, कभी भी गलत होने की योग्यता न मानना और निजी या न्यूड तस्वीरे मांगना या सहमति के बिना कुछ शेयर करना ऐसे कुछ तरीके हैं जो डेटिंग में भावनात्मक शोषण को दर्शाते हैं।
- यौन हिंसा
यौन हिंसा किसी को उसकी सहमति के बिना यौन गतिविधियों में शामिल होने के लिए मजबूर करना है। सहमति के बिना यौन संबंध को रिकार्ड करना, यौन संबंध के माध्यम से चोट पहुंचाना और अपमान करना, पार्टनर को उनकी जानकारी के बिना असुरक्षित सेक्स करने में मजबूर करना, पार्टनर को किसी अन्य व्यक्ति के साथ यौन संबंध के लिए मजबूर करना, अनुचित स्पर्श जिससे पार्टनर को असहज महसूस हो, पार्टनर को पॉर्नोग्राफी देखने में मजबूर करना, अपने पिछले यौन संबंधों के बारे में जानकारी छुपाना, सहमति वापस लेने पर भी यौन संबंध जारी रखना ऐसे कुछ तरीके हैं जो डेटिंग में यौन शोषण के अंतर्गत आते हैं।
ऑनलाइन डेटिंग हिंसा
हिंसा का ऑनलाइन रूप संदेश भेजने के माध्यम से होता है जो सर्वाइवर को असहज महसूस कराता है। इसमें ऑनलाइन स्टॉक करना, धमकाना इत्यादि शामिल हैं। ऑनलाइन डेटिंग काफी प्रचलन में है। कई ऑनलाइन डेटिंग वेबसाइट्स हैं जो लोगों को पार्टनर खोजने में मदद करते हैं और इन ऐप्स के माध्यम डेटिंग के दौरान लोग हिंसा का भी सामना करते हैं। ऑस्ट्रेलियन इंस्टिट्यूट ऑफ क्रिमिनालजी के अध्ययन में दावा किया गया है कि पिछले पांच वर्षों में डेटिंग ऐप्स का उपयोग करने वाले 75 प्रतिशत से अधिक लोगों ने किसी न किसी प्रकार का यौन हिंसा का सामना किया है। सर्वेक्षण में आगे पाया गया कि हेट्रोसेक्सुअल प्रतिभागियों की तुलना में समलैंगिक पुरुषों और महिलाओं के मामले में यौन हिंसा अधिक देखी गई है। हेट्रोसेक्सुअल उत्तरदाताओं में, 79 प्रतिशत महिलाओं के तुलना में 61 प्रतिशत पुरुषों ने किसी न किसी प्रकार की ऑनलाइन हिंसा की सूचना दी।
डेटिंग हिंसा के कारण और समाज का नजरिया
डेटिंग हिंसा कई जटिल कारकों से उत्पन्न होती सकती है। यह पहचानना महत्वपूर्ण है कि अपमानजनक व्यवहार के लिए कभी भी किसी रिश्ते में कोई औचित्य नहीं होता है। पितृसत्ता और रूढ़िवादी विचार इस तरह की हिंसा को जन्म देने का एक बड़ा कारण हो सकते हैं। हिंसा करने वाला अक्सर अपने साथी पर अपना नियंत्रण बनाए रखने के लिए हिंसा का सहारा लेता है। ब्राह्मणवादी पितृसत्तात्मक सोच औरतों को हमेशा पुरुषों से नीचे रखती है। भले ही वो रिश्ता प्रेम या डेटिंग का ही क्यों न हो। हिंसा या शोषण के पीछे जेंडर एक बड़ी भूमिका निभाता है। ईर्ष्या, असुरक्षा, स्वाभिमान की कमी आदि डेटिंग हिंसा का कारण बनती हैं।
भारतीय समाज शादी से इतर किसी भी प्रेम संबंध को दोहरी नज़र से देखता है। ऐसे में डेटिंग को मान्यता कम ही मिलती है। जब डेटिंग की जानकारी परिवार को नहीं होती है या कई बार होती भी है, तो भी उन्हें ऐतराज होता है। अगर इस रिश्ते में हिंसा होती है तब परिवार या समाज सर्वाइवर, जो अधिकतर महिलाएं होती है, उनपर उंगली उठाने से कभी पीछे नहीं हटता। ऐसे में डेटिंग में हिंसा का सामना करते हुए लोग अकेले पड़ जाते हैं। हिंसक रिश्ते से बाहर निकलने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है।
डेटिंग हिंसा का प्रभाव
नकारात्मक, अपमानजनक या हिंसक व्यवहार का किसी भी व्यक्ति कि मनोस्थिति पर बुरा असर पड़ता है। इन समस्याओं से अकेले जूझना भी काफ़ी प्रभाव डालता है। डेटिंग हिंसा से सर्वाइवर्स को भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। वे खुद पर संदेह कर सकते हैं। नकारात्मक शारीरिक छवि विकसित कर सकते हैं, आस-पास के लोगों से खुद को अलग कर सकते हैं, चिंता या डिप्रेशन में भी पड़ सकते हैं। भविष्य में इन्हें अपने पार्टनर पर भरोसा करने में कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है। डेटिंग हिंसा के सर्वाइवर्स को एक वयस्क के रूप में अपनी पहचान स्थापित करना, एक सकारात्मक व्यक्ति के रूप में समाज के साथ घुलना-मिलना, एक नए रिश्ते में प्रवेश करना मुश्किल हो सकता है। हिंसा किसी भी रूप में जायज़ नहीं है। प्रेम का रिश्ता सम्मान, सहजता और समानता का होता है। अगर रिश्ते में हिंसा हो रही है तो वो रिश्ता आपके मानसिक, शारीरिक स्वास्थ्य, आत्म-सम्मान और आत्म विश्वास के लिए कहीं से भी सही नहीं हो सकता है। इसलिए किसी भी रिश्ते में हिंसा से बचने के लिए छोटी से छोटी गलत व्यवहार या बातों को नज़रअंदाज नहीं करना चाहिए।