हमारे देश में जातिवाद मौजूदा सामाजिक पदानुक्रम का आधार है। भले जातिवाद के खिलाफ कथित रूप से विभिन्न मुहिम चल रही हो, लेकिन जातिवादी व्यवस्था और इसके दंश से हम निकल नहीं पाए हैं। जाति के नाम पर कभी हिंसा तो कभी भेदभाव; हाशिये पर रह रहे लोगों का सामान्य जीवन कठिन तो बनाती ही है, साथ ही यह सीधे तौर पर मानवाधिकार का हनन है। भारत में दलित और बहुजन समुदायों की लड़ाई सिर्फ मौलिक अधिकारों तक सीमित नहीं, बल्कि यह इनके आगे बढ़ने के रास्ते, जीवन जीने का स्तर, जीवनकाल, स्वास्थ्य सुविधाओं और शिक्षा तक पहुंच, जमीन पर अधिकार जैसे चीजों को भी प्रभावित करती है। इस साल ऐसी अनेकों जातिवादी घटनाएं हुई जो खबरों की सुर्खियों में बनी रही। ऐसी ही कुछ घटनाओं की बात इस लेख में करेंगे जहां हाशिये पर रह रहे समुदायों के साथ हिंसा हुई और उनके मानवाधिकारों का उल्लंघन हुआ।
1. दलित महिलाओं पर ठाकुर समुदाय का भयानक हमला
उत्तर प्रदेश के अयोध्या में, सितंबर महीने में दलितों के खिलाफ हिंसा की एक भयावह घटना सामने आई थी। सोशल मीडिया पर सामने आए इस वीडियो के अनुसार पाया गया कि कुछ दलित महिलाओं पर ठाकुर समुदाय के पुरुषों द्वारा भयानक हमला किया गया था। इस घटना के जवाब में, पुलिस ने ट्विटर पर कहा था कि उन्होंने कानूनी कार्यवाही शुरू कर दी है और सक्रिय रूप से उचित कार्रवाई कर रही है। हालांकि हमले की गंभीरता के बावजूद, इस घटना का कवरेज ज्यादातर सोशल मीडिया और वैकल्पिक मीडिया तक ही सीमित रहा।
2. यूपी के कौशांबी में दलित परिवार के तीन लोगों की हत्या
उत्तर प्रदेश के मोहिदीनपुर गांव भारत में एक दलित परिवार के तीन सदस्यों की कथित रूप से हत्या कर दी गई जब वे अपनी झोपड़ी में सो रहे थे। मूकनायक की रिपोर्ट अनुसार 62 वर्षीय किसान, उनकी 22 वर्षीय बेटी और उनके 26 वर्षीय पति सभी इस हत्याकांड में मारे गए। ऐसा कहा जा रहा था कि यह घटना किसान परिवार और उसके पड़ोसियों, जो अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणी से हैं, के बीच लीज़ की संपत्ति को लेकर हुए विवाद का नतीजा था।
3. तमिलनाडु में एक ही हफ्ते में दलितों पर दो हमले
मदुरै जिले में दो लोगों ने सात वर्षीय लड़के सहित पांच दलित व्यक्तियों पर चाकुओं से हमला किया। एक अन्य मामले में, नवंबर में इरोड जिले में लगभग 20 लोगों के एक समूह ने दो दलित पुरुषों पर कथित रूप से हमला किया और उन पर पेशाब किया। दो दलित पुरुषों को निर्वस्त्र करने और उन पर पेशाब करने के आरोप में अति पिछड़े समुदाय के छह लोगों को गुंडा अधिनियम के तहत हिरासत में लिए जाने के बाद भी ये दोनों घटनाएं सामने आईं।
4. सबरीमाला उन्नीयप्पम टेंडर जीतने वाले दलित व्यक्ति पर हमला
केरल में, चर्चित सबरीमाला मंदिर में चढ़ाई जाने वाली मिठाइयां उपलब्ध कराने का टेंडर हासिल करने के लिए एक दलित व्यक्ति को कथित रूप से थप्पड़ मारा गया और उसके साथ दुर्व्यवहार किया गया। एक दलित व्यक्ति पर कथित तौर पर उसके टेन्डर हासिल करने पर हमला किया गया, जातिसूचक गालियां दी गई और चेहरे पर थूका गया। त्रावणकोर देवास बोर्ड ने आगामी तीर्थयात्रा सीजन में सबरीमाला मंदिर में तैयारी के लिए टेन्डर आमंत्रित किया था। आरोपी ने यह कहते हुए व्यक्ति के साथ हिंसा की कि नीची जाति वाले लोगों को दिवस होम टेंडर में तब तक भाग लेने की अनुमति नहीं है जबतक कि सभी उच्च जाति के लोग पृथ्वी से समाप्त नहीं हो जाते। दलितों के साथ अक्सर उनके व्यवसायों को लेकर हिंसा होती है और उन्हें बाधाओं का सामना करना पड़ता है। भारतीय समाज में मौजूदा हालात में जाति को लेकर पूर्वाग्रह के कारण दलितों के लिए काम करना और सम्मान के साथ जीना मुश्किल है।
5. यूपी के सुल्तानपुर में मजदूरी मांगने पर दलित युवक की हत्या
उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में एक 18 वर्षीय दलित युवक की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई, क्योंकि उसने कथित तौर पर जिले के बारामदपुर गांव के एक खेत में चार दिनों की मेहनत के लिए दी गई मजदूरी की मांग की थी। मामले में अखंडनगर पुलिस स्टेशन में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 (हत्या) और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी। घटना सामने आने के बाद इलाके के करीब 300 दलितों ने आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन भी किया था।
6. दलित महिला के साथ सामूहिक बलात्कार और ब्लैक्मैल
उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में दो मुस्लिम पुरुषों ने कथित रूप से एक दलित महिला के साथ बलात्कार किया और उसे नशीला पदार्थ खिलाकर जबरदस्ती गोमांस खिलाने की कोशिश की। सर्वाइवर की एक मुस्लिम महिला दोस्त भी अपराध में शामिल थी। महिला ने सर्वाइवर को एक होटल में बुलाया था जहां उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया।
7. सोनभद्र में दलित व्यक्ति को जूता चाटने को किया गया मजबूर, हुई मारपीट
उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में एक संविदा बिजली कर्मचारी को एक दलित व्यक्ति पर कथित तौर पर हमला करने और उससे अपने जूते चटवाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। सोशल मीडिया पर सामने आए एक वीडियो में आरोपी 21 वर्षीय दलित व्यक्ति के साथ के साथ मारपीट और दुर्व्यवहार करते हुए दिखाई दे रहे हैं और दूसरे व्यक्ति से वीडियो रिकॉर्ड करने और इसे एक समूह में साझा करने के लिए कह रहे हैं। दूसरे वीडियो में सर्वाइवर आरोपी के जूते चाटते और कान पकड़कर उठक-बैठक करता नजर आ रहा है। उत्तर प्रदेश पुलिस ने आरोपी पर भारतीय दंड संहिता की धारा 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान), 506 (आपराधिक धमकी), और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम और अनुसूचित जाति के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया था।
8. राजस्थान में कैम्पर से पानी पीने पर दलित छात्र को शिक्षक ने पीटा
राजस्थान के भरतपुर जिले में एक सरकारी स्कूल के शिक्षक को पुलिस को 7वीं कक्षा में पढ़ने वाले एक दलित छात्र के साथ कथित तौर पर मारपीट करने के आरोप में गिरफ्तार किया। आरोपी ने बच्चे के साथ हिंसा इसलिए की क्योंकि बच्चा स्टाफ के वाटर कूलर से पानी पीता था। कथित तौर पर लड़के को जातिसूचक गालियां भी दी गई। यह घटना इस छात्र द्वारा स्टाफ के लिए आरक्षित कंटेनर से पानी पीने के बाद हुई।
9. दलित विद्यार्थियों को सेप्टिक टैंक साफ करने के लिए किया गया मजबूर
कर्नाटक के कोलार जिले में स्थित एक आवासीय विद्यालय के 7वीं से 9वीं कक्षा के 5-6 दलित विद्यार्थियों से सेप्टिक टैंक साफ़ करवाने के मामले में प्रिंसिपल और एक शिक्षक को निलंबित किया गया। मामले में चार अन्य कर्मचारियों को भी बर्खास्त किया गया। मिंट की रिपोर्ट के अनुसार सोशल मीडिया पर सामने आए एक वीडियो में शिक्षक ने विद्यार्थियों को शारीरिक ‘दंड’ दिया, इसमें 19 छात्राओं सहित 243 छात्र मौजूद थे। रिपोर्ट के अनुसार शिक्षक ने ‘सज़ा’ के तौर पर स्कूल के कम से कम चार विद्यार्थियों को सेप्टिक टैंक में चढ़कर उसे अपने हाथों से साफ़ करने को कहा। रिपोर्ट के अनुसार राज्य संचालित कर्नाटक आवासीय शैक्षणिक संस्थान सोसायटी में सामाजिक कल्याण विभाग के अधिकारियों ने व्यक्तिगत रूप से पाया कि स्कूल के शिक्षक विद्यार्थियों के साथ अक्सर शारीरिक हिंसा करते हैं।
10. दलित व्यक्ति के चेहरे पर लगाया गया मलमूत्र
मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में एक दलित व्यक्ति ने आरोप लगाया कि उसके संपर्क में आने वाली दूसरी जाति के एक व्यक्ति ने कथित रूप से उसके चेहरे पर मानव मल लगा दिया है। यह घटना तब हुई जब वह छतरपुर जिला मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर दूर बिकौरा गांव में पंचायत के लिए नाली के निर्माण कार्य में लगे हुए थे। वहीं मध्य प्रदेश के एक और घटना में एक स्थानीय भाजपा नेता बताए जा रहे एक व्यक्ति का वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया जहां आरोपी कथित रूप से राज्य के सीधी जिले में एक आदिवासी व्यक्ति पर पेशाब करते हुए पाए गए। वीडियो के वायरल होने के बाद व्यक्ति के गिरफ्तारी की मांग भी की गई।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों से पता चलता है कि दलित महिलाओं के मामले में साल 2015 और 2020 के बीच दलित महिलाओं से जुड़े बलात्कार के मामलों में 45 फीसद की वृद्धि हुई है। डेटा यह भी बताता है कि इस अवधि के दौरान भारत में प्रतिदिन दलित महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ बलात्कार की औसतन 10 घटनाएं दर्ज की गईं। वहीं मार्च 2023 में, भारत सरकार ने संसद को सूचित किया कि साल 2018 से चार साल की अवधि के दौरान दलितों के खिलाफ अपराध के 1.9 लाख से अधिक मामले दर्ज किए गए थे। सामाजिक पदानुक्रम में ऊंचे बने रहने, ऊंची जाति का अहंकार अक्सर हिंसा की घटनाओं को अंजाम देते हैं। बुनियादी सुविधाएं और हिंसामुक्त जीवन के लिए हाशिये पर रह रहे समुदाय आज भी हर दिन लड़ाई लड़ रहे हैं।