समाजकार्यस्थल वर्कप्लेस में ‘मैनस्प्लेनिंग’ को पहचानना और उसके ख़िलाफ़ आवाज़ उठाना है ज़रूरी 

वर्कप्लेस में ‘मैनस्प्लेनिंग’ को पहचानना और उसके ख़िलाफ़ आवाज़ उठाना है ज़रूरी 

मैनस्प्लेलिंग एक पुरुषवादी समाज की वास्तविकता है। यह पारंपरिक रूप से पुरुषों द्वारा लैंगिक रूप से किया जाने वाला एक व्यवहार है जिसमें वे खुद को श्रेष्ठ मानते हुए महिलाओं से बात करते समय महिलाओं को कमत्तर आंकना, अधिक या कम समझाना के रूप में चीजों का वर्णन करते हैं।

कल्पना कीजिए कि आप किसी मीटिंग में हैं और आपका पुरुष सहकर्मी आपको बीच में टोकता है, आपकी बात को काटता है, आपको समझाने लगता है कि वह आपसे ज्यादा जानता है, उस स्पेस में आपकी आवाज़ को पीछे करते हुए खुद बोलना शुरू कर देता है, आपकी जगह वह खुद बोलता रहता है। ठीक इसी तरह अगर किसी ऑफिस की मीटिंग में पुरुष सहकर्मियों से तो इनपुट लिए जाते है लेकिन महिला सहकर्मियों की किसी भी जानकारी को नज़रअंदाज कर दिया जाता है। इस दौरान अक्सर महिला कर्मचारियों को सुनने को मिलता है, “मैं तुम्हें बाद में समझाऊंगा, तुम नहीं समझोगे।” “यह थोड़ा कठिन है, मुझे समझाने दीजिए।” हमारे पितृसत्तात्मक समाज में किसी महिला के ऐसे अनुभव आम है, उसे अपने जीवन में कदम-कदम पर इस तरह की स्थितियों का सामना करना पड़ता है। ख़ासतौर पर कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ उनके साथी पुरुषकर्मी ऐसा करते हैं। इस तरह के व्यवहार को ‘मैनस्प्लेनिंग’ कहते है। 

मैनस्प्लेनिंग क्या है?

मैनस्प्लेलिंग एक पुरुषवादी समाज की वास्तविकता है। यह पारंपरिक रूप से पुरुषों द्वारा लैंगिक रूप से किया जाने वाला एक व्यवहार है जिसमें वे खुद को श्रेष्ठ मानते हुए महिलाओं से बात करते समय महिलाओं को कमत्तर आंकना, अधिक या कम समझाना के रूप में चीजों का वर्णन करते हैं। पुरुष अपना वर्चस्व बनाते हुए उस स्पेस को छोड़ना नहीं चाहते हैं। विशेषकर महिलाओं के स्पेस को वह इसी तरह खत्म करते है। मरिमय एंड वेबस्टर डिक्शनरी के अनुसार, “किसी महिला को किसी बात को इस तरह से समझाना कि मानो उसे उस विषय के बारे में कोई जानकारी ही नहीं है।” 

फार्चून में प्रकाशिच रिपोर्ट में एक स्टडी के हवाले से कहा गया है शॉर्ट टर्म के लिए मैनस्पेलिंग महिला कर्मचारियों को अपमानित महसूस कराती है। लेकिन अगर लंबे वक्त तक इसके असर की बात करे तो इसका असर महिलाओं के करियर पर पड़ता है।

पुरुषों के द्वारा बीच में टोकना वैज्ञानिक तौर पर सिद्ध मुद्दा है और यह तब होता है जब किसी महिला को कोई पुरुष सिर्फ इसलिए बाधित करता है क्योंकि वह एक महिला है। कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी सांता बारबरा के एक अध्ययन में पाया गया है कि एक मिक्स्ड जेंडर कनवरसेशन में 48 में से 47 व्यवधानों में पुरुषों द्वारा महिलाओं की बातचीत को बाधित करना शामिल है। एक अन्य शोध में सामने आया है कि पुरुषों द्वारा एक महिला की तुलना में तीन गुना अधिक बाधा डालने की संभावना है। इसी शोध से पता चला है कि पुरुषों द्वारा बैठकों में महिलाओं पर हावी होकर आक्रमक होकर बात करने की संभावना होती है, जिससे कमरे में बाकी सभी लोग कमरे में चुप हो जाते हैं। 

ऐसा नहीं है कि प्रत्येक पुरुष मैनस्पेलिंग करता है या फिर वह जानबूझकर करता है। परंपरागत तौर पर पुरुष को बेहतर मानने वाले व्यवहार की वजह से और इस तरह के माहौल में रहने की वजह से छोटे लड़कों में ही इस तरह के प्रवृत्ति को समाज द्वारा स्थापित कर दिया जाता है। दरअसल इस तरह का व्यवहार एक सांस्कृतिक मुद्दा हैं जिसे विशेष रूप से कार्यस्थल पर संबोधित करने की आवश्यकता है। कार्यस्थल पर महिलाओं से जुड़ी समस्याओं के संदर्भ में मैनस्पेलिंग और हेपीटिंग ( जब कोई पुरुष किसी विचार को दोहराता है जो पहले महिला ने सुझाया हो) ऐसी समस्याएं है जिसपर बातचीत और जानकारी होनी आवश्यक है। इस तरह के नकारात्मक व्यवहार को खत्म करने के लिए काम करना बहुत ज़रूरी है इससे तुरंत बदलाव ज़रूरी है। 

लंबे समय तक ऐसा व्यवहार करता है महिलाओं के करियर को प्रभावित

मैनस्पेलिंग जेंडर स्टीरियोटाइप को वर्कप्लेस पर बनाए रखता है जिसका महिला कर्मचारियों पर कई तरह से असर पड़ता है।  मिशीगन स्टेट यूनिवर्सिटी, कोलरार्डो स्टेट यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों द्वारा इस विषय पर अध्ययन किया गया है कि मैनस्पेलिंग पर पुरुष और महिलाओं की प्रतिक्रिया किस तरह अलग है। यह व्यवहार वर्कप्लेस में महिलाओं के काम को कई स्तर पर प्रभावित करता है। फार्चून में प्रकाशिच रिपोर्ट में एक स्टडी के हवाले से कहा गया है शॉर्ट टर्म के लिए मैनस्पेलिंग महिला कर्मचारियों को अपमानित महसूस कराती है। लेकिन अगर लंबे वक्त तक इसके असर की बात करे तो इसका असर महिलाओं के करियर पर पड़ता है। इस तरह का लगातार व्यवहार महिलाओं को सेल्फ इव्लैयूएशन पर केंद्रित कर देता है वह इस वजह से प्रतिस्पर्धा और पैसा कमाने में पीछे छूट जाती है। 

सबसे पहले खुद के लिए होना है खड़ा 

महिलाओं को अपराध होने पर तुरंत उसी समय बोलने की ज़रूरत है। जिस तरह अमेरिका की उप राष्ट्रपति कमला हेरिस ने पूर्व राष्ट्रपति पेंस को तुंरत मौके पर बोलकर किया था। सीनेटर कमला हैरिस ने कहा, मिस्टर उपराष्ट्रपति, मैं बोल रही हूं।” जब उपराष्ट्रपति पेंस ने उनसे बात करना जारी रखा तो उन्होंने मुस्कुराते हुए एक बार फिर दोहराया कि मैं बोल रही हूं। स्थिति को तुरंत संभालने से दूसरे व्यक्ति को उसके व्यवहार के बारे में पता चलता है। उसे खुद के व्यवहार के बारे में जानने में मदद मिलती है। खुद के लिए खड़ा होने से खुद को स्थापित करने में मदद मिलती है और यह संदेश औरो तक जाता है कि आप खुद का सम्मान करते हैं और खराब व्यवहार के अधीन नहीं होंगे। तुरंत न बोलने से दूसरे व्यक्ति को यह पता ही नहीं चलता है कि उसका व्यवहार अपमानजनक है और वह इसे कभी बदलेगा। 

बोलना है ज़रूरी

तस्वीर साभारः Patricia Gestoso

किसी भी समय आपको इन व्यवहारों के सामने चुप नहीं बैठना चाहिए। अपनी राय व्यक्त करने रहें और चुनौती देते रहें। विचार करते रहें। जब भी ऐसा लगे कि आपके ऑफिस में आपके स्पेस को किसी पुरुष क्लीग के द्वारा खत्म किया जा रहा है तो वहां बोलना बहुत ज़रूरी है। अक्सर महिलाएं खुद में स्थिति से परिचित होने के बावजूद बोलना नहीं चाहती है और इस वजह से स्थिति खराब हो जाती है। आप जबतक अपने लिए बोलेंगी नहीं आपकी आवाज़ को सुनने के लिए कोई तैयार ही नहीं होगा। आत्मविश्वास से खुद की विशेषज्ञा को रखें। जब हम किसी विषय पर काम कर रहे होते हैं तो हम उसके अनके पहलुओं को जानते हैं। ऑफिस में मैनस्पेलिंग की स्थिति में आप बताएं कि आप किस बारे में बात कर रहे हैं। क्यों आपने यह रिसर्च की है। अपनी शिक्षा और अनुभव को आत्मविश्वास के साथ सबके सामने रखें। 

आपके प्रयास से ही चीजें बदलेंगी

वर्कप्लेस में मैनस्पेलिंग एक सामान्य व्यवहार है इसलिए जब भी आप ऑफिस में इसका समाना करती है तो विनम्रता से हस्तक्षेप करते हुए कहें, “मैं इस विषय से परिचित हूं” या “मैं अपनी बात रखने के बाद आपका दृष्टिकोण जानना चाहूंगी।” किसी भी बदलाव के लिए व्यधान करना बहुत ज़रूरी है इसलिए ऑफिस में महिलाएं खुद से अपनी बातों को रखने की कोशिश करे और जो स्पेस उन्हें मिला उसे यूज करें। क्योंकि पुरुषों की बनाई दुनिया में स्पेस क्लेम करना बहुत आवश्यक है। अगर आपकी बाद दब गई है तो आप अपनी बात को दोबारा बताकर सामने रखें। सामने वाली की बात सुनते हुए विनम्रता से दोबारा अपनी बात को रखें आपके प्रयास से ही चीजें बदलेंगी।

कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी सांता बारबरा के एक अध्ययन में पाया गया है कि एक मिक्स्ड जेंडर कनवरसेशन में 48 में से 47 व्यवधानों में पुरुषों द्वारा महिलाओं की बातचीत को बाधित करना शामिल है। एक अन्य शोध में सामने आया है कि पुरुषों द्वारा एक महिला की तुलना में तीन गुना अधिक बाधा डालने की संभावना है।

बस रिडायरेक्ट करना है

शोध से यह पता चलता है कि महिलाएं बैठकों में केवल 25 प्रतिशत समय ही बोलती हैं जबकि पुरुष शेष 75 प्रतिशत समय बोलते हैं। पुरुष न केवल विचारों को अधिक साझा करते हैं, बल्कि वे अन्य पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक बार बाधित करते हैं। कुछ महिलाओं ने एक-दूसरे की मदद करते हुए एक साथ मिलकर काम करना शुरू किया है ताकि वे अधिक समय तक स्पेस क्लेम कर सकें। यह रणनीति महिलाओं को ऊपर उठाने के साथ-साथ अपने स्वयं के बिंदुओं को साबित करने में भी मदद कर सकती है। जब मैनस्प्लेन किया जा रहा हो या बात की जा रही हो तो महिलाएं किसी अन्य महिला की ओर रीडायरेक्ट कर सकती है। उदाहरण के तौर पर वह मीटिंग में खुद के बाद बोलने के लिए किसी महिला को आमंत्रित करें। अगर कोई पुरुष सहकर्मी बीच में बोल रहा है तो उन्हें रूकने को कहें। यह स्पेस में खुद की आवाज़ को अधिक समय तक रखने का एक तरीका है।

कॉल आउट

अंत में कभी-कभी आप सब कुछ आज़मा सकते हैं और फिर भी मैनस्पेलिंग  या बात करना बंद नहीं होता है। ऐसे में आप उसे अनदेखा कर सकते हैं। फोब्से में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार ज्यादातर समय पुरुषों को एहसास नहीं होता है कि वे ऐसा कर रहे हैं और उनका व्यवहार को कॉल आउट करने से समझ बढ़ती है। यह एक निजी आमने-सामने की बैठक है जिसमें बताया जाता है कि क्या हो रहा है और यह आपकी क्षमता को कैसे प्रभावित कर रहा है। इसे सामने लाने का सीधा-साधा काम धारणा को बदलने के लिए काफी हो सकता है और आपके विकास को बढ़ा सकता है।  


स्रोतः 

  1. Forbes
  2. How Mansplaining Is Negatively Impacting Your Workplace

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