पेरिस ओलंपिक 2024 पहला ओलंपिक है, जिसमें महिला और पुरुष एथलीटों ने समान संख्या में भाग लिया। हालांकि पेरिस ओलंपिक 2024 में खेलों में कोचिंग करने वाली महिलाओं और पुरुषों की संख्या संतुलित नहीं है। टोक्यो 2020 में, केवल 13 प्रतिशत कोच महिलाएं थीं। पेरिस ओलंपिक में लैंगिक समानता, सम्मान और न्यायसंगत व्यवहार के साथ ऐसे मुद्दे भी रहे हैं जो लैंगिक समानता के प्रगति पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। पेरिस ओलंपिक लैंगिक समानता के दावों के बावजूद, विभिन्न विवादों से घिरा रहा। अल्जीरियाई मुक्केबाज इमान खलीफ़ से जुड़ा विवाद इस बात की कड़वी याद दिलाता है कि संख्या में लैंगिक समानता से लोगों के अनुभव में समानता नहीं आती।
खलीफ़, जिन पर इतालवी मुक्केबाज एंजेला कैरिनी के साथ मुकाबले के बाद पुरुष होने के बेबुनियाद आरोप लगे थे, उन्हें ट्रांसफोबिया और स्त्रीद्वेष का सामना करना पड़ा। ओलंपिक शुरू होने के सातवें दिन जब खलीफ़ अपना पहला मुकाबला खेलने उतरीं तो उनका सामना इटली की एंजेला कैरिनी से हुआ। कैरिनी ने मैच शुरू होने के 46 सेकेंड के भीतर ही मुकाबला छोड़ने का फैसला ले लिया। बाद में उन्होंने प्रेस को बयान दिया कि उन्हें अपने पूरे करियर में इतना ताकतवर मुक्का नहीं पड़ा है। उनका कहना था कि वो जान बचाकर इस मुकाबले से बाहर आई थीं। वहीं खलीफ़ ने तीन राउंड तक चले क्वार्टर फाइनल मुकाबले में हंगरी की मुक्केबाज अन्ना लुका हमोरी को हराकर सेमीफाइनल में जगह बना ली और विवाद के बीच स्वर्ण पदक भी जीता।
दरअसल अल्जीरिया बॉक्सर ईमान खलीफ़ ख़ुद की पहचान एक महिला के तौर पर करतीं हैं परंतु उनमें क्रोमोज़ोम पुरुषों के समान (XY) है, और साथ ही उनमें मेल हॉर्मोनम टेस्टेस्टेरोन की मात्रा भी अधिक है। लेकिन ईमान न तो पुरुष हैं ना ट्रांसजेंडर। असल में वो एक ख़ास तरह के डिसऑर्डर से ग्रसित हैं जिसे डिफरेंसेस ऑफ सेक्स डेवलपमेंट कहते है। 2023 में होने वाले इंटरनेशनल बॉक्सिंग एसोशिएशन ने ईमान खलीफ़ को जेंडर टेस्ट में फेलकर के मुकाबले से बाहर कर दिया था। वहीं पेरिस ओलम्पिक में उन्हें क्वालीफाई कर दिया गया। लेकिन, अपने पहले मुकाबले के बाद से ही वो विवादों से घिरी रहीं।
ओलंपिक में लैंगिक समानता
ओलंपिक में लैंगिक समानता हमेशा से एक मुद्दा रहा है। ओलंपिक में खिलाड़ियों में मेल या फीमेल हॉर्मोन का स्तर जांचा जाता है। साइंटिफिक अमेरिकन की एक रिपोर्ट के अनुसार खेलों में सेक्स टेस्टिंग पॉलिसी सौ सालों से भी ज़्यादा पुरानी है। पेरिस ओलंपिक में जेंडर से जुड़ा ये विवाद तब सामने आया जब संगठन कहती है कि एक शताब्दी बाद ओलंपिक में महिलाओं की भागीदारी पुरूषों के बराबर है। पेरिस ओलंपिक में 5630 पुरुष और 5416 महिलाएं भग ले रहे हैं। इसलिए, अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) ने 2024 के पेरिस खेलों को #GenderEqualOlympics नाम दिया है। ओलंपिक में लगातार बढ़ रही खिलाड़ियों की संख्या जब टोक्यो 2020 में बढ़कर 11,000 से अधिक हो गई थी, तब से आईओसी ने खेलों को 10,500 एथलीट स्पॉट तक सीमित कर दिया है, जिनमें से आधे पुरुषों के लिए और आधे महिलाओं के लिए निर्धारित हैं। इस साल के खेल में प्रतिदिन आयोजित होने वाले महिला और पुरुष आयोजन की संख्या, समय और मीडिया कवरेज को भी संतुलित करने की कोशिश की गई है।
ओलंपिक में सराहनीय कदम के बावजूद हुई समस्याएं
हालांकि ओलंपिक 2024 में वास्तव में कुछ सकारात्मक कदम उठाए गए हैं, जो सराहनीय हैं। जैसेकि स्तनपान कराने वाली एथलीटों को निजी कमरे और साइट पर नर्सरी का प्रबंध किया गए। लेकिन, खेलों के शुरू होने के कुछ ही दिन बाद से ही लिंग समानता का टैग धुंधलाता नज़र आया। पीबीएस न्यूज़ में छपे एक लेख के अनुसार ब्रॉक विश्वविद्यालय में खेल प्रबंधन की एसोसिएट प्रोफेसर मिशेल डोनेली ने कहा कि पेरिस में एथलीटों की संख्या पुरुषों और महिलाओं के बीच लगभग बराबर विभाजित होगी। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि ओलंपिक में लैंगिक समानता होगी और इस बात में कोई शक नहीं।
ओलंपिक के शुरू होने से पहले ही अप्रैल में ट्रैक और फील्ड को कवर करने वाली वेबसाइट सिटियस मैग द्वारा पेरिस ओलंपिक के लिए अमेरिकी ट्रैक और फील्ड टीमों के लिए नाइकी द्वारा निर्मित पुरुष और महिला किट की पहली झलक जारी की गई थी। इसमें पुरुषों के लिए टैंक टॉप और शॉर्ट्स थे। वहीं महिलाओं के लिए यह किट हाई-कट बिकिनी लाइन के साथ एक लियोटार्ड था। इस पोशाक की वजह से महिला एथलीटों में नाराजगी देखी गई।
महिला एथलीटों को फिल्माने का स्त्रीद्वेषी तरीका
वहीं ओलंपिक संचालकों ने खुद भी यह स्वीकार किया है कि महिलाओं की स्पर्धाओं के कवरेज में अक्सर असमानता होती है, जिसमें पुरुषों की तुलना में महिला एथलीटों की क्लोज-अप तस्वीरें अधिक बार दिखाई जाती हैं। ओलंपिक ब्रॉडकास्टिंग सर्विसेज (OBS) के प्रमुख यियानिस एक्सार्चोस ने कहा कि अधिकांश कैमरा ऑपरेटर पुरुष हैं और भविष्य में इस क्षेत्र में समानता बढ़ाने में मदद करने के लिए पिछले साल महिला कैमरा ऑपरेटरों के लिए एक प्रशिक्षण सत्र आयोजित किया गया था। एक प्रेस ब्रीफिंग में एक्सार्चोस ने कहा था कि खेलों को किस तरह से दिखाया जाता है, इस पर प्रयास करना बहुत महत्वपूर्ण है। दुर्भाग्य से, कुछ इवेंट में महिलाओं को अभी भी इस तरह से फिल्माया जा रहा है कि आप पहचान सकते हैं कि रूढ़िवादिता और लैंगिक भेदभाव अभी भी बना हुआ है। यहां तक कि जिस तरह से कुछ कैमरा ऑपरेटर पुरुष और महिला एथलीटों को अलग-अलग तरीके से फ्रेम कर रहे हैं, उससे भी लैंगिंक भेदभाव का पता चलता है।
महिला खिलाड़ियों को उनके खेल के लिए मिले सम्मान
एक्सार्चोस ने कहा कि महिला एथलीट वहां इसलिए नहीं हैं कि वे अधिक आकर्षक या सेक्सी हैं या कुछ और। वे वहां इसलिए हैं क्योंकि वे श्रेष्ठ एथलीट हैं, वो अपने खेल प्रदर्शन के लिए वहां हैं, उन्हें उसी तरह प्रदर्शित किया जाना चाहिए। इसी तरह की एक और घटना में एक निजी फ्रांसीसी-मोनेगास्क रेडियो स्टेशन आरएमसी के एक टेनिस कमेंटेटर ने फ्रांस की कैरोलिन गार्सिया और डायने पैरी तथा इटली की सारा इरानी और जैस्मीन पाओलिनी के बीच महिला युगल मैच के दौरान अभद्र टिप्पणी की, जिसके लिए उन्हें आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। कमेंटेटर ने कहा था कि बाईं ओर सारा ईरानी हैं, जो बॉस हैं। वह सब कुछ करती हैं- बर्तन धोना, खाना बनाना, पोछा लगाना। इस टिप्पणी को लेकर सोशल मीडिया पर काफी नाराजगी देखी गई। इसके बाद फ्रांसीसी महिला खेल पत्रकार संघ और फ्रांस में खेल पत्रकारों के संघ ने एक संयुक्त बयान जारी किया और ‘बराबरी के खेल’ में की गई टिप्पणियों की निंदा की और कहा कि हम आपको याद दिलाते हैं कि लैंगिक भेदभाव और महिलाओं के प्रति द्वेष वाली टिप्पणियों का अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में कोई स्थान नहीं है।
यह घटना यूरोस्पोर्ट कमेंटेटर बॉब बैलार्ड की ऑस्ट्रेलियाई महिलाओं के 4×100 मीटर फ्रीस्टाइल रिले तैराकी टीम के खिलाफ की गई टिप्पणी के कारण बर्खास्त किए जाने के कुछ ही दिनों बाद हुई। जब ऑस्ट्रेलियाई एथलीट अपनी जीत का जश्न मना रहे थे, तब कॉमेंटेटर ने उन्हें जल्दी करने का संकेत दिया। बैलार्ड ने पूरे महाद्वीप में लाखों लोगों से कहा कि ठीक है, महिलाएं अभी-अभी अपना खेल खत्म कर रही हैं। आप जानते हैं कि महिलाएं कैसी होती हैं… इधर-उधर घूमती रहती हैं, अपना मेकअप करती हैं। इसके बाद बैलार्ड ने इस सेक्सिएस्ट टिप्पणी को हंसी में उड़ाने की कोशिश की। पर उनकी साथी कॉमेंटेटर लिजी सिमंड्स ने तुरंत उन्हें आड़े हाथों लेते हुए टिप्पणी को ‘अपमानजनक’ बताया था। इसके बाद फ्रांसीसी महिला खेल पत्रकार संघ और फ्रांस के खेल पत्रकार संघ दोनों ने बैलार्ड को निलंबित करने के निर्णय का स्वागत किया।
कैसे महिला खिलाड़ी ऑनलाइन ट्रोलिंग का शिकार होती हैं
ऐसा लगता है जैसे लैंगिंक भेदभाव और महिला विरोधी टिप्पणी 2024 ओलंपिक के समानांतर चलती रही हैं। खेलों के पहले सप्ताह से सोशल मीडिया पर खूब सक्रिय रहने वाली अमेरिकी महिला रग्बी खिलाड़ी इलोना माहेर को उनके रूप-रंग को लेकर तीखी आलोचनाओं और टिप्पणियों का सामना करना पड़ा। लोगों ने सवाल उठाया कि क्या वह स्टेरॉयड ले रही थीं। यहां तक कि कुछ लोगों ने उन्हें सीधे तौर पर ‘पुरुष’ कह दिया। इलोना माहेर ने फैनगर्ल स्पोर्ट्स नेटवर्क के इंस्टाग्राम पेज पर एक भावनात्मक वीडियो को साझा करते हुए कहा था कि किसी को भी यह तय करने या तय करने की कोशिश न करने दें कि आप अपने बारे में क्या महसूस करते हैं। यह आपको तय करना है। लोग महिलाओं को एक बॉक्स में रखते हैं, और उन्हें लगता है कि महिलाओं को नाजुक, और छोटी, और शांत और नम्र होना चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं है। महिलाएं मजबूत हो सकती हैं और वे अपनी जगह ले सकती हैं।
इन घटनाओं को देखते हुए कहा जा सकता है कि ओलंपिक जैसे प्रतिष्ठित खेलों में भी महिला खिलाड़ियों को पुरुष खिलाड़ियों की तुलना में कई तरह के भेदभाव का सामना करना पड़ता है, जिनमें वेतन असमानता, प्रायोजकों और मीडिया कवरेज की कमी या दुर्व्यवहार, भेदभावपूर्ण चयन प्रक्रिया, और पुरस्कार असमानता जैसी चुनौतियां शामिल हैं। इसके अलावा, महिला खिलाड़ियों को कठोर ड्रेस कोड , उनकी शारीरिक बनावट और रंग-रूप को लेकर भी आलोचना सहना पड़ता है। खेलों में लिंग आधारित भेदभाव अभी भी गहराई से व्याप्त है। केवल #GenderEqualOlympics जैसे हैशटैग चला देने से परिवर्तन नहीं आएगा। जेंडर इक्वलिटी प्राप्त करने के लिए ज़मीनी स्तर पर प्रयास करने की ज़रूरत है।