बॉलीवुड में पुनर्जन्म और हॉरर कॉमेडी फिल्मों को बनाने का चलन हमेशा से रहा है। ऐसी फिल्में खूब पसंद की जाती हैं। हॉरर कॉमेडी और सस्पेंस से भरी ऐसी ही फिल्म भूल भुलैया-3 दर्शकों को थिएटर तक खींचने में सफल हुई है। ‘भूल भुलैया 3’ इस लोकप्रिय फ्रेंचाइज़ी की तीसरी कड़ी है, लेकिन यह पिछली फिल्मों का जादू फिर से पैदा करने में नाकाम रहती है। जहां पहले भाग ने हॉरर और कॉमेडी के एक दिलचस्प मिश्रण के साथ दर्शकों को बांधे रखा, वहीं यह फिल्म न तो डराने में सफल होती है और न ही हंसाने में।
फिल्म की कहानी न केवल कमजोर है, बल्कि इसके पात्र और उनके संवाद भी कोई गहराई नहीं रखते। हॉरर सीक्वेंस सपाट और प्रभावहीन लगते हैं, और कॉमेडी के प्रयास बनावटी और उबाऊ लगता है। भूल भुलैया फ्रेंचाइजी की यही तीसरी कड़ी क्लाइमैक्स में खुलासा करती है कि असली मंजुलिका आखिर कौन है? यही फिल्म का आधार है। फिल्म का निर्देशन अनीस बज्मी ने किया है। लेखक के रूप में आकाश कौशिक हैं। फिल्म में मुख्य भूमिका में विद्या बालन, कार्तिक आर्यन, तृप्ति डिमरी है। इसके अलावा फ्रेंचाइची वाले किरदारों में राजपाल यादव, विजय राज, संजय मिश्रा, अश्वनी कलेकर, राजेश शर्मा और अश्वनी कुशवाह ने अभिनय किया है। फिल्म में कैमियो में माधुरी दीक्षित अहम भूमिका में हैं। बात अगर फिल्म की करे तो यह कॉमेडी और हॉरर कम है और इसमें सस्पेंस ज्यादा है।
सबसे पहले फिल्म की कहानी
फिल्म कलकत्ता शहर से शुरू होती है जहां रूह बाबा (कार्तिक आर्यन) नाम का एक ढोंगी बाबा है। यह बाबा दावा करता है कि वह भूतों को भगाता है। इस बात का खुद उसे भी पता है और लोगों को भी कि वो फ्रॉड है। यही सर्विस देना उसका काम है। ऐसे में एक दिन मीरा (तृप्ति) नाम की राजकुमारी उसे अपने गाँव रक्तघाट ले जाती है। मीरा के परिवार का मानना है कि उनकी पुश्तैनी हवेली में मंजुलिका नाम की भूतनी है। यही कारण है कि न वो हवेली में रह पाते हैं और न ही उसे बेच सकते हैं। मीरा भूत-प्रेतों में विश्वास नहीं करतीं है, इसलिए वो एक प्लान बनाती हैं। वह फर्जी भूत को भगाने के लिए रूह बाबा के रूप में फर्जी बाबा लेकर हवेली जाती है।
हवेली में दाखिल होने के बाद कहानी इधर-उधर घूमती रहती है। फिल्म में राजपाल यादव, विजय राज, संजय मिश्रा, अश्वनी कलेकर भी हंसाने की कोशिश करते हैं लेकिन कामयाब नहीं हो पाते है। ऐसा लगता है कि इन्हें फिल्म में सिर्फ इसलिए रखा गया है कि ये सब फ्रेंचाइजी का हिस्सा रहे हैं। खैर, सवा दो घंटे के बीच उबाऊ कॉमेडी और पकाऊ सॉन्ग्स फिल्म को नीरस बना देते हैं। इसके बाद फिल्म का क्लाइमैक्स आता है, जो एकदम से दर्शकों को नींद से उठाता है और जोर का झटका देता है। क्लाइमैक्स इतना जानदार है कि यह किसी ने सोचा भी नहीं होगा। ऊबते दर्शकों में सवाल दौड़ने लगता है कि मंजुलिका कौन है? विद्या बालन या माधुरी दीक्षित। फिल्म मेकर्स ने इस लाइन में एक नाम और जोड़कर फिल्म के अंत को काफी रोमांचक बना दिया है।
पुनर्जन्म और हॉरर कॉमेडी
यह सच है कि देश में हॉरर कॉमेडी फिल्में देखने वालों की संख्या बहुत है। यही कारण है कि ‘मुंज्या’ और ‘शैतान’ जैसी फिल्में खूब पसंद की गईं। वहीं, पुनर्जन्म पर आधारित कहानियां हमेशा से ही पसंद की जाती हैं। चाहे उनमें ‘ओम शांति ओम’ का नाम लें या फिर फिल्म ‘कारण अर्जुन’ हो। भूल भुलैया-3 में भी पुनर्जन्म को कहानी का आधार बनाया गया है। इसकी कहानी 300 साल के अंतराल के बीच घूमती रहती है। फिल्म में दर्शक दो ही सवालों का पीछा करते हैं। पहला यह कि मंजुलिका आखिर है कौन और दूसरा कि रूही बाबा की पूरी टोली मिलकर मंजुलिका को हवेली से बाहर निकाल पाएंगे या नहीं।
फिल्म की खूबियों के बारे में बात करे तो वीएफएक्स दमदार हैं। फिल्म को विद्या बालन और माधुरी दीक्षित की एक्टिंग ने बचा लिया है। कार्तिक आर्यन फिल्म के सेकेंड हॉफ के बाद अपने अवतार में दिखते हैं। ‘आमी जे तोमार’ गाने को नए रंग में कानों तक पहुंचाया है जो सुकून देता है। विद्या और माधुरी का डांस परफॉर्मेंस तालियां बटोरने वाला है। इसके अलावा अन्य गाने फिल्म में अतिरिक्त लगते हैं। आमी जे तोमार गाने को छोड़कर बाकी सभी गाने फिल्म को बीच में ही रोकने का काम करते हैं। इनका न ही फिल्म की कहानी से कोई मतलब जान पड़ता है और न ही समय के अंतराल में फिट बैठ पाते हैं।
फिल्म पहले एक घंटे में जितनी उबाऊ है, आखिर का एक घंटा उसे समेटने की अच्छी कोशिश करता है। तृप्ति डिमरी की एक्टिंग औसत है। फिल्म में कुछ सीन बोर करते हैं और जरूरत से ज्यादा लंबे हो गए हैं। जो दर्शक देखना चाहते हैं वह कम है और जो डायरेक्टर दिखाना चाहते हैं वह ज्यादा है। देखा जाए तो फिल्म में मुख्य किरदारों में अधिकतर महिलाएं हैं। माधुरी दीक्षित, विद्या बालन और तृप्ति डिमरी। फिर भी फिल्म का क्लाइमैक्स देखकर उसमें से पुरुषवाद हावी हो जाता है। फिल्म में विद्या और माधुरी दोनों बहनें हैं जो चालाकी से अपने भाई को मरवा देती हैं। यह काल्पनिकता भले ही हो, लेकिन अतिरेक हो गया है। इस पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।
जिस तरह रूही बाबा को एक फर्जी बाबा के रूप में दिखाया गया है। आज के समय में यह भारत में कॉमन बात हो गई है। गांव से लेकर बड़े महानगरों में फर्जी बना अपनी दुकान खोले बैठे हैं जो लोगों को कर्म कांड में फंसाकर लूटने का काम करते हैं। आए दिन इस तरह के फर्जी बाबाओं का पर्दाफाश किया जाता है। फिल्म में मेकर्स ने यह तो क्लियर किया कि इन बाबाओं में फर्जी बाबाओं की भी एक भीड़ है। भूल भुलैया 3’ में न तो कोई नई बात है और न ही कोई ऐसा तत्व जो इसे यादगार बनाए। यह एक कमजोर प्रयास है, जो दर्शकों को न तो मनोरंजन देता है और न ही उन्हें डराने में सफल होता है। कुल मिलाकर, यह फिल्म अपने नाम के साथ न्याय करने में असफल रहती है।