समाजख़बर महिलाओं के लिए ‘घर’ सबसे असुरक्षित जगहः यूएन रिपोर्ट

महिलाओं के लिए ‘घर’ सबसे असुरक्षित जगहः यूएन रिपोर्ट

रिपोर्ट के अनुसार साल 2023 में 85,000 महिलाओं और लड़कियों को जानबूझकर पुरुषों के द्वारा मारा गया है। इसमें से 60 फीसदी (51,00) हत्याएं किसी करीबी द्वारा की गई है। आंकड़े दिखाते हैं कि वैश्विक स्तर पर, महिलाओं के लिए सबसे खतरनाक जगह उनका अपना घर है, जहां ज्यादातर महिलाओं की उनके परिचित पुरुषों द्वारा हत्या की जाती है।

पितृसत्ता के मुताबिक़ महिलाओं के लिए सबसे सुरक्षित जगह घर है। वह घर जहां उसका परिवार, माता-पिता, रिश्तेदार रहते हैं लेकिन इन्हीं अपनों के बीच यह जगह उनके लिए सबसे असुरक्षित भी होती है। परंपराओं के नज़रिये से देखे तो घर की चाहरदीवारों के भीतर लैंगिक भूमिकाओं के चलते महिलाओं को दोयम दर्ज का माना जाता है। हर स्तर पर उन्हें पीछे रखने का काम किया जाता है। वहीं सुरक्षा के नज़रिये से भी बात करे तो महिलाओं को अपने घरों में सबसे ज्यादा हिंसा का सामना करना पड़ता है। महिलाओं को बचपन से ही यह सिखाया जाता है कि “अनजान खतरों” से डरना चाहिए। इसी कारण, जब वे अजनबी पुरुषों से अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करना सीखती हैं, तो परिचित पुरुषों से होने वाले खतरे का जोखिम और भी बढ़ जाता है। हाल में जारी संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक़ साल 2023 में प्रतिदिन लगभग 140 महिलाओं और लड़कियों की मौत इंटीमेट पार्टनर (पति या साथी) और नज़दीकी रिश्तेदार की द्वारा की गई। यानी, इन महिलाओं को मारने वाला उनका अपना परिचित रहा है। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक़ दुनिया में महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित जगह उनका ‘घर’ है। 

संयुक्त राष्ट्र के द्वारा फेमिसाइडस इन 2023ः ग्लोबल इस्टिमेट ऑफ इटिमेंट पार्टनर/ फैमिली मेंबर फेमिसाइडस के नाम से जारी रिपोर्ट के अनुसार साल 2023 में 85,000 महिलाओं और लड़कियों को जानबूझकर पुरुषों के द्वारा मारा गया है। इसमें से 60 फीसदी (51,00) हत्याएं किसी करीबी द्वारा की गई है। आंकड़े दिखाते हैं कि वैश्विक स्तर पर, महिलाओं के लिए सबसे खतरनाक जगह उनका अपना घर है, जहां ज्यादातर महिलाओं की उनके परिचित पुरुषों द्वारा हत्या की जाती है। रिपोर्ट यह भी उजागर करती है कि बीते पाँच वर्षों में फेमिसाइड (महिलाओं और लड़कियों की लैंगिक हिंसा से जुड़ी हत्याएं) की रिपोर्टिंग करने वाले देशों की संख्या में 50 प्रतिशत की कमी आई है। 

साल 2023 में वैश्विक स्तर पर हुई हत्याओं के कुल सर्वाइवरों में 80 फीसदी पुरुष थे, लेकिन इन हत्याओं में से केवल 12 फीसदी घातक पारिवारिक हिंसा से जुड़ी थीं, जबकि महिलाओं के मामले में यह आंकड़ा 60 प्रतिशत था।

सयुंक्त राष्ट्र के द्वारा जारी वैश्विक फेमिसाइड के आंकड़ों ने 2022 में 89,000 महिलाओं और लड़कियों की जानबूझकर हुई हत्याओं में समग्र कमी दर्ज की, लेकिन अंतरंग साथी और परिवार के सदस्यों द्वारा हत्याओं में बढ़ोत्तरी देखी गई है। यूएन के आंकड़ों के अनुसार साल 2023 में अफ्रीका ने अंतरंग साथी और परिवार से जुड़ी फेमिसाइड की सबसे अधिक दर दर्ज की गई, जिसमें अनुमानित 21,700 सर्वाइवर शामिल थे, इसके बाद अमेरिका और फिर ओशियानिया का स्थान रहा। यूरोप और अमेरिका में अधिकांश महिलाओं की हत्या उनके अंतरंग साथी द्वारा की गई, जबकि अन्य क्षेत्रों में मुख्य अपराधी करीबी परिवार के सदस्य थे।

यूएन वीमेन के अनुसार तीन देशों फ्रांस, दक्षिण अफ्रीका और कोलंबिया के उपलब्ध आंकड़ें दिखाते है कि अंतरंग साथी द्वारा मारी गई महिलाओं का एक “महत्वपूर्ण हिस्सा” पहले किसी न किसी प्रकार की हिंसा की शिकायत कर चुका था। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि पुरुष और महिलाएं दोनों ही अंतरंग साथी या पारिवारिक हिंसा का सामना करते हैं। साल 2023 में वैश्विक स्तर पर हुई हत्याओं के कुल सर्वाइवरों में 80 फीसदी पुरुष थे, लेकिन इन हत्याओं में से केवल 12 फीसदी घातक पारिवारिक हिंसा से जुड़ी थीं, जबकि महिलाओं के मामले में यह आंकड़ा 60 प्रतिशत था। महिलाएं इस प्रकार की हिंसा से पुरुषों की तुलना में अधिक प्रभावित होती हैं। घरों के भीतर स्त्री और पुरुषों के भीतर संबंधों के बीच असंतुलन और असमानता हिंसा का बड़ा कारण है। यूएनओडीसी के मुताबिक महिला हत्या सर्वाइवरों की वैश्विक दर प्रति 1,00,000 महिला आबादी पर लगभग 1.3 है। अध्ययन में पाया गया कि अफ्रीका और अमेरिका वे क्षेत्र हैं जहां महिलाएं अंतरंग साझेदारों या परिवार के सदस्यों द्वारा मारे जाने के सबसे अधिक जोखिम में हैं।

तस्वीर साभारः फेमिनिज़म इन इंडिया के लिए रितिका बनर्जी

दुनिया भर के तमाम आंकड़ें दिखाते है कि महिलाओं के लिए हिंसा का खतरा जितना घर के बाहर होता है उतना ही घर के अंदर भी बना रहता है। हिंसा करने वाले में उनके परिचित और साझेदार ज्यादा होते हैं। दिल्ली की रहने वाली वनिता (बदला हुआ नाम) घरेलू हिंसा सर्वाइवर है। घरों में हिंसा के माहौल के बारे में बोलते हुए उनका कहना है कि लगभग दो साल तक मैंने अपने साथी के द्वारा हिंसा का सामना किया। स्थिति जब इतनी बुरी हो गई कि मेरी जान पर खतरा आ गया तब जाकर मैं उस रिश्ते से बाहर निकल पाई। तमाम तरह के उत्पीड़न को सहन के करने के बाद भी मुझे लगता था कि सब ठीक हो जाएगा, इस वजह से मैं इतने लंबे समय तक हिंसा से भरे रिश्ते में रही। अगर उस वक्त अलग होने का कदम नहीं लिया होता तो शायद अब मैं अबतक जिंदा नहीं बचती। सच कहूं तो मुझे आज तक समझ नहीं आया कि मेरा पार्टनर क्यों हर बात पर इतना वायलेंट होता था। हर छोटी बात पर मुझ पर हाथ उठाना, थप्पड़ माना हमारे रिश्ते में रोज की बात हो गई थी। इन सबके बीच खुद के लिए एक रास्ता चुनना मेरे मुश्किल था लेकिन मुझे उस समय यह महसूस होने लगा था कि अगर मैं वहां रहूंगी तो बचूंगी नहीं।

31 वर्षीय मानसी का कहना है, “हमें वाकई इस बात पर सोचना नहीं पड़ता है कि औरतों के लिए घर भी सेफ नहीं है। जब मैं स्कूल में पढ़ती थी, लगभग 16 साल की उम्र में मेरे घर में एक रिश्तेदार ने मेरा यौन उत्पीड़न किया था। मैं किसी सड़क पर नहीं थी, ना ही मैं किसी भीड़ मैं थी। मैं अपने घर में अपने कमरे में थी। इस बात के बारे में किससे बात करू यह तक समझ नहीं आया था। घर के बाहर तब आपके साथ कोई बदतमीजी करता है तो आप तुरंत रिएक्ट भी कर पाते है लेकिन घर में स्थिति बहुत बुरी हो जाती है। एक बार चुप रहने पर वह इंसान आपको दोबारा मोलेस्ट करता है। उस घटना के बाद मेरा खुद की सुरक्षा को लेकर नज़रिया घर और परिवारों के बीच बिल्कुल बदल गया था।” 

तमाम आंकड़े इस पितृसत्तात्मक धारणा को तोड़ते है कि महिलाओं के लिए घर सुरक्षित जगह है। घर के सुरक्षित होने की बात के आधार पर महिलाओं और लड़कियों को कई मौके जैसे शिक्षा, रोजगार आदि को गंवाना पड़ता है। घर हो या बाहर हर जगह महिलाओं और लड़कियों के ख़िलाफ़ हिंसा की जाती है। निजी और सार्वजनिक हिंसा एक-दूसरे को पूरा करती हैं और मजबूत बनाती हैं। दोनों तरह की हिंसा के आपसी संबंध से पितृसत्तात्मक सामाजिक ढांचे को मजबूत किया जाता है। 

वैश्विक फेमिसाइड के आंकड़ों ने 2022 में 89,000 महिलाओं और लड़कियों की जानबूझकर हुई हत्याओं में समग्र कमी दर्ज की, लेकिन अंतरंग साथी और परिवार के सदस्यों द्वारा हत्याओं में बढ़ोत्तरी देखी गई है।

घर महिलाओं और लड़कियों के लिए “सबसे खतरनाक स्थान” है, यह अत्यंत महत्वपूर्ण जानकारी है। यह सुरक्षा योजना बनाने और महिलाओं और लड़कियों की लैंगिक हिंसा और हत्याओं (फेमिसाइड) की रोकथाम के लिए उपयोगी हो सकती है। सरकार, पुलिस और अदालतों को निजी स्तर पर होने वाले दुर्व्यवहार, शारीरिक हिंसा, मानसिक हिंसा, यौन हिंसा के बारे में बताना चाहिए। सार्वजनिक जगहों पर ही केवल हिंसा होती है इस बात को स्थापित करके हम महिलाओं को उनके स्थान पर बने रहने की बात पर जोर देते है लेकिन यह जगह भी यानी घर भी अक्सर हिसा और दुर्व्यवहार से भरा होता है इस पर बात करनी भी ज़रूरी है। महिलाओं के लिए उनका घर सबसे सुरक्षित है इस वजह से उन्हें अक्सर उसी स्थान पर बंद या सीमित कर दिया जाता, जिसे उनके लिए सबसे खतरनाक माना गया है।

सयुंक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में यह बात स्पष्ट तौर पर कही गई है कि फेमिसाइड के मामलों को बड़ी संख्या में अभी भी दर्ज नहीं किया जाता है। इस साल तुर्की, केन्या, भारत और मेक्सिको सहित कई देशों में महिलाओं ने फेमिसाइड के बढ़ते मामलों के ख़िलाफ़ सड़कों पर प्रदर्शन किया है। इसके साथ ही, दुनिया भर में अधिक से अधिक सरकारें नई नीतियों और कानूनों को लागू करने का वादा कर रही हैं ताकि बढ़ती संख्या में अपनी जान गंवाने वाली महिलाओं के मामलों को पहचाना और उनका समाधान किया जा सके। महिलाओं और लड़कियों की सभी प्रकार की लैंगिक हिंसा से संबंधित हत्याओं की बेहतर समझ विकसित करके ही हम रोकथाम को मजबूत कर सकते हैं और प्रतिक्रियाओं में सुधार ला सकते हैं।


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