इंटरसेक्शनलजेंडर मेटा, गूगल और अमेज़न पर महिला स्वास्थ्य सामग्री क्यों हो रही है सेंसर?

मेटा, गूगल और अमेज़न पर महिला स्वास्थ्य सामग्री क्यों हो रही है सेंसर?

गूगल पर विशेषकर महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़ी सामग्रियों को प्रतिबंधित किया गया है। जैसे- 66 प्रतिशत विज्ञापनों को अस्वीकृत कर दिया गया, जिन्हें अक्सर उनकी ‘यौन सामग्री’ या ‘अनुचित सामग्री’ नीति के तहत वर्गीकृत किया गया। 58 प्रतिशत को महिलाओं के स्वास्थ्य के बारे में शैक्षिक वीडियो पर आयु-गेटिंग और मुद्रीकरण सीमाओं का सामना करना पड़ा, जबकि पुरुषों के स्वास्थ्य के बारे में सामग्री अप्रतिबंधित रही।

हाल ही में जारी हुए सेंटर ऑफ इंटिमेसी जस्टिस (सीआईजे) की एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट से पता चलता है कि मेटा, टिकटॉक, अमेज़न और गूगल जैसी बड़ी तकनीकी कंपनियां महिलाओं के लिए यौन और प्रजनन संबंधी स्वास्थ्य संबंधी सामग्री को व्यवस्थित रूप से दबा रही हैं, जबकि पुरुषों के लिए वैसी ही जानकारी को बिना किसी रुकावट के साझा करने की अनुमति दे रही हैं। रिपोर्ट के अनुसार, मेनोपॉज़, पीरियड्स स्वास्थ्य, एंडोमेट्रियोसिस और महिलाओं के यौन और प्रजनन स्वास्थ्य के अन्य पहलुओं जैसे विषयों के बारे में जानकारी साझा करने का प्रयास करते समय इन पर काम करने वाले संगठनों को महत्वपूर्ण बाधाओं का सामना करना पड़ता है। रिपोर्ट में विस्तार से बताया गया है कि प्रमुख प्लेटफ़ॉर्म पर सामग्री मॉडरेशन प्रथाएं महत्वपूर्ण स्वास्थ्य जानकारी तक कैसे असमान पहुँच बनाती हैं।

साल 2025 में जारी की गयी ‘डिजिटल गैग: सुप्रेश्न ऑफ सेक्शुअल एण्ड रिप्रोडक्टिव हेल्थऑन मेटा, टिकटॉक, अमेज़ॅन एण्ड गूगल’ नामक रिपोर्ट में 180 से अधिक देशों में लोगों की सेवा करने वाले 159 गैर-लाभकारी संगठनों, व्यवसायों और सामग्री निर्माताओं के अनुभवों का विश्लेषण किया गया है। इस रिपोर्ट को डिजिटल सेंसरशिप के मुद्दे पर ‘आज तक की सबसे व्यापक, सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जांच’ के रूप में वर्णित किया गया है। शोध ने ऑनलाइन प्लेटफार्म के इन पक्षपाती नियमों के कारण महिला स्वास्थ्य संगठनों पर हो रहे आर्थिक प्रभावों का खुलासा किया। शोध के अनुसार गैर-लाभकारी संगठनों, व्यवसायों और सामग्री निर्माताओं ने सोशल मीडिया पर महिला स्वास्थ्य सम्बन्धी काम को करने में कई चुनौतियों का सामना किया।

मेटा पर 84 फीसद महिला स्वास्थ्य व्यवसायों और 76 फीसद गैर-लाभकारी संस्थाओं को विज्ञापन अस्वीकृति का सामना करना पड़ा। वहीं, 63 फीसद ने ऑर्गेनिक सामग्री को हटाने का अनुभव किया।

कैसे मेटा खारिज कर रही है उचित विज्ञापन

मेटा पर 84 फीसद महिला स्वास्थ्य व्यवसायों और 76 फीसद गैर-लाभकारी संस्थाओं को विज्ञापन अस्वीकृति का सामना करना पड़ा। वहीं, 63 फीसद ने ऑर्गेनिक सामग्री को हटाने का अनुभव किया। उदाहरण के लिए, पहला विज्ञापन पुरुषों के लिए BlueChew कंपनी की ओर से है जो एक ऑनलाइन टेलीमेडिसिन प्लेटफ़ॉर्म है जो आपको पुरुषों के इरेक्शन बढ़ाने वाली दवाओं के नुस्खों तक पहुंच प्रदान करने के लिए लाइसेंस प्राप्त चिकित्सा प्रदाताओं से जोड़ता है। वहीं, दूसरा विज्ञापन महिलाओं के यूटीआई उपचार के लिए है जो कि WISP नामक कंपनी का बनाया गया है। हालांकि पहले विज्ञापन को स्वीकृत किया गया लेकिन दूसरे को स्वीकृति नहीं मिली। विज्ञापन में लिखा था BlueChew की चबाने योग्य गोलियों के प्रभावों का आनंद लें! हमारे साथ अपने पहले महीने के लिए चेकआउट करने के लिए कोड JENNY20 का उपयोग करें। विज्ञापन में एक महिला “ही च्वीव्स इट वी डू इट” टैगलाइन के साथ दिखाई जाती है। लेकिन, वहीं दूसरे विज्ञापन में ‘क्या आप जानते हैं कि 30 में से 1 यूटीआई किडनी संक्रमण बन जाएगा? संक्रमण को जल्दी से ठीक करने के लिए डॉक्टरों द्वारा विश्वसनीय यूटीआई उपचार प्राप्त करें।

फेमिनिज़म इन इंडिया के लिए श्रेया टिंगल

बीमा या अपॉइंटमेंट के बिना उसी दिन दवाएं- बस वही देखभाल जो आपको चाहिए, जब आपको इसकी आवश्यकता हो’ लिखा गया था। विज्ञापन में दी गई तस्वीर में लिखा थ, ‘सबसे तेज़ यूटीआई उपचार’ लेकिन इस विज्ञापन को स्वीकृति नहीं मिली। रिपोर्ट के अनुसार कई बार जब ऐसे विज्ञापनों को जब खारिज किया गया, तो 31 प्रतिशत को इसकी वजह भी नहीं बताई गई। कई बार, मेटा ने विज्ञापन ख़ारिज करने के पीछे का कारण साझा किया, तो उन्हें ‘वयस्क सामग्री’, ‘अवैध उत्पाद या सेवाएं’ और ‘प्रतिबंधित सामान और सेवाएं’ जैसे दिशा-निर्देशों के तहत फ़्लैग किया गया। इस मनमानी सेंसरशिप के बारे में गैर लाभकारी संस्था @TheSexTalkArabic की संस्थापक फात्मा इब्राहिम जोकि सामग्री निर्माता, फेसबुक, इंस्टाग्राम और टिक-टॉक की उपयोगकर्ता भी हैं, कहती हैं, “यही बात इन प्लेटफ़ॉर्म के बारे में काफ़ी निराशाजनक है, कि सेंसरशिप काफ़ी अचानक और मनमाने तरीके से होती है। वे हमें चेतावनी भी नहीं देते। यह वैसा ही है जैसे कभी-कभी मैं टीम के संदेशों से जान पाती हूं कि अकाउंट हटा दिया गया है, या वे हमें (मॉडरेटर) अकाउंट में लॉग इन करने से रोक देते हैं, या बस हमारी सामग्री हटा देते हैं।”

रिपोर्ट के अनुसार कई बार जब ऐसे विज्ञापनों को जब खारिज किया गया, तो 31 प्रतिशत को इसकी वजह भी नहीं बताई गई। कई बार, मेटा ने विज्ञापन ख़ारिज करने के पीछे का कारण साझा किया, तो उन्हें ‘वयस्क सामग्री’, ‘अवैध उत्पाद या सेवाएं’ और ‘प्रतिबंधित सामान और सेवाएं’ जैसे दिशा-निर्देशों के तहत फ़्लैग किया गया।

गूगल पर कैसे हुई कार्रवाई

गूगल, गूगल ऐड्स और यूट्यूब के ज़रिए, कंटेंट को हटाने और सेंसर करने का सिलसिला जारी रहा। रिपोर्ट के मुताबिक कभी-कभी तो यह ‘एज-गेटिंग’ भी करता है, जिसका मतलब है कि प्लैटफ़ॉर्म द्वारा निर्धारित एक निश्चित आयु सीमा से कम उम्र के लोगों तक कंटेंट की पहुंच को सीमित करना। जेनिफर डॉव होलोवे, गैर-लाभकारी संस्थान आईपीएएस की संचार निदेशक और  गूगल/यूट्यूब उपयोगकर्ता कहती हैं, “वे वास्तव में हमें सेंसरशिप करके और यह दावा करके कि हम खतरनाक जानकारी फैला रहे हैं, लोगों के जीवन को खतरे में डाल रहे हैं और लोगों की शारीरिक स्वायत्तता का प्रयोग करने की क्षमता को रोक रहे हैं। इसका मतलब है कि अपने शरीर को नियंत्रित करने में सक्षम होना, अपने और अपने स्वास्थ्य के बारे में निर्णय लेने में सक्षम होना। इसलिए, यह भी आश्चर्यजनक नहीं है कि अबॉर्शन या प्रजनन अधिकार और न्याय, एलजीबीटीक्यू+ लोगों के लिए जानकारी, और ट्रांसजेंडर स्वास्थ्य सेवा के बारे में जानकारी पर सेंसरशिप किया जा रहा है।”

फेमिनिज़म इन इंडिया के लिए श्रेया टिंगल

गूगल पर विशेषकर महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़ी सामग्रियों को प्रतिबंधित किया गया है। जैसे- 66 प्रतिशत विज्ञापनों को अस्वीकृत कर दिया गया, जिन्हें अक्सर उनकी ‘यौन सामग्री’ या ‘अनुचित सामग्री’ नीति के तहत वर्गीकृत किया गया। 58 प्रतिशत को महिलाओं के स्वास्थ्य के बारे में शैक्षिक वीडियो पर आयु-गेटिंग और मुद्रीकरण सीमाओं का सामना करना पड़ा, जबकि पुरुषों के स्वास्थ्य के बारे में सामग्री अप्रतिबंधित रही। गैर-लाभकारी संस्था लव मैटर्स इंडिया की आरती शुक्ला कहती हैं, “गूगल शैक्षिक सामग्री और अश्लील सामग्री के बीच भेद नहीं करता है। एल्गोरिदम कोई भेद नहीं करते हैं, क्योंकि ये प्रथाएं कीवर्ड-आधारित हैं। कीवर्ड प्रतिबंध बहुत व्यापक हैं।”

गूगल पर विशेषकर महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़ी सामग्रियों को प्रतिबंधित किया गया है। जैसे- 66 प्रतिशत विज्ञापनों को अस्वीकृत कर दिया गया, जिन्हें अक्सर उनकी ‘यौन सामग्री’ या ‘अनुचित सामग्री’ नीति के तहत वर्गीकृत किया गया। 58 प्रतिशत को महिलाओं के स्वास्थ्य के बारे में शैक्षिक वीडियो पर आयु-गेटिंग और मुद्रीकरण सीमाओं का सामना करना पड़ा, जबकि पुरुषों के स्वास्थ्य के बारे में सामग्री अप्रतिबंधित रही।

क्या लोगों को गुमराह करने की कोशिश हो रही है

वास्तव में, गूगल ‘सेक्स में दर्द’ या ‘सेक्स के दौरान दर्द’ के बजाय ‘वैजिनिस्मस’ जैसे चिकित्सकीय शब्दों का उपयोग करने की भी सलाह देता है। दर्द में कोई गूगल पर क्या खोजेगा? यहां तक कि डेटा से पता चला है कि ‘सेक्स में हुए दर्द’ के लिए खोज ‘वैजिनिस्मस’ से पांच गुना अधिक थी। ऐसा लगता है कि जैसे आम लोगों को चिकित्सकीय शिक्षा की कमी के लिए दंडित किया जा रहा है, जो उन्हें उनके स्वास्थ्य के बारे में और अधिक अंधेरे में रखती है। जब सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर मददगार सामग्री को दबाते हैं, तो वे मदद मांगने वाले लोगों को अलग-थलग कर देते हैं। यह महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवा उत्पादों और जानकारी तक पहुंच से पूरी तरह इनकार है।

गैर-लाभकारी संस्था कैराफेम की संस्थापक स्टेसी कावाकामी खुद गूगल/यूट्यूब, इंस्ट्राग्राम, टिकटॉक उपयोगकर्ता भी हैं। वह कहती हैं, “एक समय पर, गूगल ने वाशिंगटन डी.सी. क्षेत्र में हमारे स्वास्थ्य केंद्र के लिए गूगल मैप्स पर लोकेशन पेज हटा दिया था। लोग अपनी अपॉइंटमेंट्स पर नहीं जा पा रहे थे और (लोकेशन पेज) का बैकअप लेना और उसे चलाना बहुत मुश्किल था। यह न जानना निराशाजनक है कि ये निर्णय क्यों लिए जाते हैं। मुझे उम्मीद है कि गूगल जानता होगा कि उनके निर्णयों का वास्तविक जीवन में स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है।”

किस तरह अमेज़न पर हो रहा है सेंसरशिप

अमेज़न स्वास्थ्य उत्पादों के सबसे बड़े बाज़ारों में से एक है। रिपोर्ट के मुताबिक इस पर भी पक्षपात करने का आरोप लगाया गया है। 64 प्रतिशत व्यवसायों ने उत्पाद लिस्टिंग हटा दी थी, जिन्हें अक्सर ‘वयस्क’ या ‘एक्सप्लीसिट’ के रूप में लेबल किया गया था। वहीं 34 प्रतिशत को खाता निलंबन का सामना करना पड़ा, जिससे उनके राजस्व स्रोत अवरुद्ध हो गए और उन उत्पादों को खरीदारों के लिए अनुपलब्ध कर दिया गया। सीआईजे की ओर से जब अमेज़न पर महिला और पुरुष संबंधी स्वास्थ्य सुझाव को खोजा गया तो एक खोज पूर्वाग्रह भी पाया गया। अमेज़न ने ‘इरेक्टाइल डिसफंगक्शन (स्तंभन दोष)’ की तुलना में ‘वजाइनल हेल्थ’ जैसे शब्दों के लिए काफी कम सुझाव दिए। जब किसी उत्पाद पर ‘एडल्ट फ्लैग’ का लेबल लगा होता है, तो वह अमेज़ॅन के होमपेज पर खोजे जाने योग्य नहीं रह जाता। उपयोगकर्ता उत्पाद की सूची तक केवल उत्पाद के सीधे लिंक के माध्यम से, या गूगल खोज के माध्यम से, या अमेज़ॅन के ‘सेक्सुअल वैलनेस’ उपखंड पर नेविगेट करके पहुंच सकते हैं। लेकिन यह बहुत दुर्लभ है।

टिकटॉक भी इससे अछूता नहीं

टिकटॉक जो अपनी वायरल पहुंच और भरोसेमंद कंटेंट के लिए जाना जाता है, महिलाओं की स्वास्थ्य सेवा से जुड़ी सामग्री को दबाने में समान रूप से शामिल है। टिकटॉक का उपयोग करने वाले 97 यौन और प्रजनन स्वास्थ्य समूहों में से 66 फीसद व्यवसायिक हैं, 19 फीसद व्यक्तिगत सामग्री निर्माता हैं और 20 फीसद गैर-लाभकारी संगठन हैं। रिपोर्ट के मुताबिक टिकटॉक पर भी 55 प्रतिशत समूहों की ऑर्गेनिक सामग्री हटा दी गई। 48 प्रतिशत को विज्ञापन अस्वीकृति का सामना करना पड़ा, जिनमें से कई को ‘सामुदायिक दिशा-निर्देशों’ का हवाला देते हुए प्लेटफ़ॉर्म द्वारा अस्पष्ट कारण दिए गए। 52 प्रतिशत क्रिएटर्स का मानना ​​है कि उनकी सामग्री पर शैडोबैन लगाया गया था। लेकिन, उन्हें कभी इसका कारण नहीं पता चला।

फेमिनिज़म इन इंडिया के लिए श्रेया टिंगल

साथ ही, टिकटॉक पर ‘संवेदनशील’ लेबल स्वचालित रूप से पहुंच को सीमित करता है, और इस पर अपील भी नहीं की जा सकती। 39 प्रतिशत की सामग्री पर ऐसा लेबल लगा था। कंटेंट क्रिएटर, शेल्बी गुडरिच एकार्ड, पीसीओएस सपोर्ट गर्ल इस बारे में कहती हैं, “अगर आप किसी चीज़ को फ़्लैग करने जा रहे हैं, तो स्पष्ट करें कि मैं किसका उल्लंघन कर रही हूं ताकि मैं भविष्य में बेहतर कर सकूं। मैं इस तरह के शिक्षात्मक कंटेंट को बनने में बड़ी मेहनत करती हूं ताकि यह लोगों की मदद कर सके। लेकिन इस सेंसरशिप (बिना कारण बताए) के कारण हम जैसे लोग हतोत्साहित होते हैं।”

सीआईजे की ओर से जब अमेज़न पर महिला और पुरुष संबंधी स्वास्थ्य सुझाव को खोजा गया तो एक खोज पूर्वाग्रह भी पाया गया। अमेज़न ने ‘इरेक्टाइल डिसफंगक्शन (स्तंभन दोष)’ की तुलना में ‘वजाइनल हेल्थ’ जैसे शब्दों के लिए काफी कम सुझाव दिए। जब किसी उत्पाद पर ‘एडल्ट फ्लैग’ का लेबल लगा होता है, तो वह अमेज़ॅन के होमपेज पर खोजे जाने योग्य नहीं रह जाता।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के दोहरे मापदंड

बिग टेक प्लेटफॉर्म के सामग्री को नियंत्रित करने के तरीके में स्पष्ट दोहरा मापदंड सामने आता है। रिपोर्ट इस असमानता के विशिष्ट उदाहरणों पर प्रकाश डालती है। उदाहरण के लिए, अमेज़ॅन ‘इरेक्टाइल डिसफंगक्शन’ के लिए व्यापक खोज सुझाव प्रदान करता है, लेकिन ‘योनि स्वास्थ्य’ या ‘योनि में दर्द’ के लिए कोई सुझाव नहीं देता है। उसने महिलाओं के स्वास्थ्य संबंधी आवश्यक उत्पादों की कई लिस्टिंग हटा दी है। गूगल को महिलाओं के स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों के विज्ञापनों में संबंधित भाषा के उपयोग को प्रतिबंधित करते हुए पाया गया, जिसमें ऐसे नैदानिक ​​शब्दों की आवश्यकता होती है जिन्हें कम खोजा जाता है, जिससे प्रभावी पहुंच में बाधा आती है। इसी तरह, मेटा ने ‘वयस्क उत्पादों’ को रोकने की आड़ में महिलाओं के जरूरी स्वास्थ्य उत्पादों के विज्ञापनों को अस्वीकार कर दिया है, जबकि इसके साथ ही पुरुषों के सेक्शुअल स्वास्थ्य उत्पादों को बढ़ावा देने वाले अत्यधिक यौनिक विज्ञापनों को अनुमति दे दी है।

रिपोर्ट में सार्वजनिक स्वास्थ्य गैर-लाभकारी पेशेवर एमिली विग्नोला कहती हैं, “सेंसरशिप ने सोशल मीडिया पर व्यापक दर्शकों तक पहुंचने की हमारी क्षमता को प्रभावित किया है, जो लोगों को संभावित रूप से जीवन-रक्षक यौन स्वास्थ्य जानकारी और शिक्षा प्राप्त करने से रोक रहा है।” सेंटर फॉर इंटिमेसी जस्टिस के संस्थापक और सीईओ जैकी रोटमैन के अनुसार, “हमारे निष्कर्षों में इस बात की गहन जांच की जरूरत है कि एल्गोरिदम संबंधी पूर्वाग्रह किस तरह से ऑनलाइन उपलब्ध जानकारी को आकार देते हैं। खास तौर पर महिलाओं और विभिन्न जेंडर के लोगों के लिए यौन और प्रजनन स्वास्थ्य के बारे में। तकनीकी प्लेटफ़ॉर्म के लिए ऐसी सामग्री मॉडरेशन प्रथाओं को लागू करने की तत्काल आवश्यकता है जो इस आवश्यक स्वास्थ्य जानकारी को दबाने के बजाय उसका समर्थन करें।” पहचानी गई डिजिटल बाधाएं न केवल महत्वपूर्ण स्वास्थ्य संसाधनों तक पहुंच को सीमित करती है, बल्कि महिलाओं के स्वास्थ्य उद्यमिता में नवाचार और वित्तीय समानता को भी बाधित करती है।

इस सेंसरशिप के कारण वित्तीय नुकसान भी कम नहीं हुआ है। इन स्वास्थ्य समूहों में से 85 प्रतिशत के लिए, फण्ड रेजिंग एक कठिन लड़ाई बन गई है क्योंकि प्लेटफ़ॉर्म उनकी पहुंच और जुड़ाव को नुकसान पहुंचाकर उनकी विश्वसनीयता को खत्म कर रहे हैं।

राजस्व की हानि और फंडिंग पर प्रभाव

इस सेंसरशिप के कारण वित्तीय नुकसान भी कम नहीं हुआ है। इन स्वास्थ्य समूहों में से 85 प्रतिशत के लिए, फण्ड रेजिंग एक कठिन लड़ाई बन गई है क्योंकि प्लेटफ़ॉर्म उनकी पहुंच और जुड़ाव को नुकसान पहुंचाकर उनकी विश्वसनीयता को खत्म कर रहे हैं। मेटा के मनमाने ढंग से विज्ञापन हटाने के कारण व्यवसायों ने 20,000 से 5 मिलियन अमरीकी डॉलर (प्रति कंपनी) तक के वार्षिक राजस्व घाटे की सूचना दी, जबकि अमेज़न के अनियमित उत्पाद प्रतिबंधों से दूसरों को सालाना 1 मिलियन डॉलर (प्रति कंपनी) तक का नुकसान हुआ। इवनलीब्रेस्ट कंपनी की केट टेलर कहती हैं, “यह राजस्व उत्पन्न करने, जागरूकता फैलाने और महिलाओं के स्वास्थ्य के बारे में शर्म को खत्म करने की हमारी क्षमता को सीमित करता है।”

फेमिनिज़म इन इंडिया के लिए रितिका बैनर्जी

इस रिपोर्ट के साफ है कि कैसे बड़े तकनीकी प्लेटफॉर्म महिलाओं और एलजीबीटीक्यू+ समुदाय के यौन और प्रजनन स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी को दबा रहे हैं। विज्ञापन नीतियों, कंटेंट मॉडरेशन, और एल्गोरिदम में पक्षपात के कारण महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां आम लोगों तक नहीं पहुंच पा रही हैं। यह न केवल डिजिटल सेंसरशिप का गंभीर उदाहरण है, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य और समानता के लिए भी खतरा है। सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफार्मों पर यह दोहरा रवैया केवल सूचनाओं की पहुंच को बाधित नहीं करता, बल्कि आर्थिक रूप से भी महिला स्वास्थ्य संगठनों और उद्यमों को नुकसान पहुंचाता है। रिपोर्ट इस बात को भी उजागर करती है कि पुरुषों के लिए सेक्शुअल हेल्थ उत्पादों का प्रचार बेरोकटोक जारी रहता है, जबकि महिलाओं से जुड़ी स्वास्थ्य सामग्रियों पर सेंसरशिप लागू कर दी जाती है। तकनीकी कंपनियों के लिए यह आवश्यक है कि वे अपनी नीतियों की समीक्षा करें और एल्गोरिदम में मौजूद पूर्वाग्रहों को दूर करें। पारदर्शी कंटेंट मॉडरेशन और विज्ञापन नीतियों के बिना, डिजिटल स्पेस में महिलाओं और एलजीबीटीक्यू+ समुदाय के स्वास्थ्य अधिकारों की रक्षा नहीं हो सकती।

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