“किसी समाज को समझने के लिए ज़रूरी है हम उस समाज में मर्द और औरत के रिश्ते को समझें।”
-एंजेला डेविस
एंजेला डेविस मौलिक नारीवाद (रैडिकल फेमिनिज़म) और अमेरिकन वामपंथी राजनीति की पृष्ठभूमि का एक मशहूर नाम हैं। एक अध्यापिका होने के साथ वह एक मानवाधिकार, राजनीतिक कार्यकर्ता, लेखिका, और दार्शनिक भी हैं। वे उन चुनिंदा ब्लैक महिलाओं में से हैं जिन्होंने पूंजीवादी व्यवस्था और समाज में पनपती नस्लवादी हिंसा को कड़ी चुनौती दी है और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक क्रांतिकारी के तौर पर अपने आप को साबित किया है। यहां हम उन्हें और उनके काम को थोड़ी करीबी से समझने की कोशिश करेंगे।
एंजेला डेविस का जन्म 26 जनवरी 1944 को अलबामा राज्य के बर्मिंगहम में एक ब्लैक परिवार में हुआ था। पिता एक पेट्रोल पंप के मालिक थे और मां स्कूल में पढ़ाती थी। अपने मां-बाप और तीन भाई-बहनों के साथ एंजेला बर्मिंगहम के जिस इलाके में रहती थी, उसे ‘डायनमाईट हिल’ कहते थे क्योंकि वहां व्हाइट नस्लवादी संगठन ‘कू क्लक्स क्लैन’ द्वारा किए गए बम विस्फोट ने हज़ारों ब्लैक परिवारों की जानें ली थी। इस तरह नस्लवाद और नस्लभेदी हिंसा के बारे में एंजेला को बहुत छोटी उम्र में ही पता चल गया था। एंजेला की मां ब्लैक अधिकार संगठन ‘नैशनल एसोसिएशन फ़ॉर द एडवांसमेंट ऑफ़ कलर्ड पीपल’ (एनएएसीपी) की सदस्य थी। वे वामपंथी पार्टी से प्रेरित ‘सदर्न नीग्रो यूथ कांग्रेस’ में पदाधिकारी भी थी। एंजेला का पूरा बचपन वामपंथी चिंतकों के सान्निध्य में गुज़रा और उन्हें वामपंथी विचारधारा आकर्षित करने लगी।
शुरुआत की पढ़ाई एंजेला ने बर्मिंगहम में ही ब्लैक छात्रों के लिए बने स्कूलों से की थी। यह ज़माना था ‘सेग्रगेशन’ का, जब ब्लैक और व्हाइट व्यक्तियों के लिए अलग स्कूल, चर्च, सार्वजनिक परिवहन वगैरह हुआ करते थे। इस दौरान एंजेला ‘गर्ल स्काउट्स’ की हिस्सा थी और एक गर्ल स्काउट के तौर पर उन्होंने ‘सेग्रगेशन’ के खिलाफ़ कई विरोध-प्रदर्शन आयोजित किए थे।
एक होनहार छात्रा होने के नाते उन्हें ‘अमेरिकन फ़्रेंड्स सर्विस कमिटी’ नाम के एक संगठन से स्कालर्शिप मिली। यह संगठन ब्लैक छात्रों को अलाबामा के बाहर ऐसे स्कूलों में पढ़ने के लिए भेजता था जहां ब्लैक और व्हाइट छात्र एक साथ पढ़ते थे। इसी तरह एंजेला ने हाई स्कूल की पढ़ाई एलिज़ाबेथ अरविन हाई स्कूल से की, जहां वे ‘एडवांस’ नाम के वामपंथी छात्र संगठन की हिस्सा बन गईं।
एंजेला डेविस मौलिक नारीवाद (रैडिकल फेमिनिज़म) और अमेरिकन वामपंथी राजनीति की पृष्ठभूमि का एक मशहूर नाम हैं।
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हाई स्कूल खत्म होने के बाद एंजेला को मैसचुसेट्स के ब्रैंडीज़ यूनिवर्सिटी में पढ़ने का अवसर मिला। वे अपनी कक्षा की तीन ब्लैक छात्राओं में से एक थी। इसी दौरान उनकी मुलाकात हुई दार्शनिक और अध्यापक प्रोफ़ेसर हर्बर्ट मार्क्यूस से। उनके भाषणों से प्रभावित होकर एंजेला ने उनसे उनकी छात्रा होने की गुज़ारिश की। इस समय उन्होंने कॉलेज में फ्रेंच पढ़ना भी शुरू कर दिया था और जल्द ही उन्हें हैमिल्टन कॉलेज की तरफ़ से एक एक्सचेंज प्रोग्राम के लिए चुना गया, जिसके तहत उन्हें कॉलेज का एक साल फ़्रांस में पूरा करना था।
एक साल वे फ़्रांस में रहीं जहां उन्होंने पहले बियारिट्ज़ शहर में और बाद में यूनिवर्सिटी ऑफ़ पैरिस में पढ़ाई की। वे बियारिट्ज़ में थी जब उन्हें साल 1963 के बर्मिंगहम चर्च बम विस्फोट के बारे में पता चल। ‘कू क्लक्स क्लैन’ ने यह बम विस्फोट एक ब्लैक चर्च में किया था, जिसमें चार ब्लैक लड़कियां मारी गई थी। इस घटना ने एंजेला को बुरी तरह से आहत किया क्योंकि वे इन सभी लड़कियों को जानती थी। कॉलेज खत्म करने के बाद उन्होंने जर्मनी के फ्रैंकफर्ट यूनिवर्सिटी से प्रोफ़ेसर मार्क्यूस के मार्गदर्शन में दर्शनशास्त्र में पोस्ट-ग्रेजुएशन की पढ़ाई की। अपने दोस्तों के साथ इस समय उन्होंने सोशलिस्ट जर्मन स्टूडेंट्स यूनियन (एसडीएस) की गतिविधियों में भाग लिया। उनके मुताबिक जर्मनी सामाजिक भेदभाव और फासीवादी विचारधाराओं का मुकाबला अमेरिका से बेहतर कर रहा था।
फ्रैंकफर्ट यूनिवर्सिटी से प्रोफ़ेसर मार्क्यूस यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफोर्निया, सान दिएगो आ गए तो एंजेला भी उनके साथ आ गईं। अमेरिका वापस आकर वह अमेरिका की वामपंथी पार्टी की ब्लैक शाखा, चे-लूमुंबा क्लब की हिस्सा बन गईं। इस क्लब का नाम दो वामपंथी नेताओं, चे गुएवारा और पेट्रीस लूमुंबा के नाम पर रखा गया था। अपनी मास्टर्स की डिग्री एंजेला ने यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफोर्निया से हासिल की और इसके बाद ही उन्होंने पूर्वी बर्लिन के हमबोल्ट यूनिवर्सिटी से पीएचडी की डिग्री ली।
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अध्यापन और क्रांतिकारी गतिविधियां
साल 1969 में एंजेला यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफोर्निया, लॉस ऐंजेलिस (यूसीएलए) के फिलॉसफ़ी विभाग में असिस्टेन्ट प्रोफ़ेसर बन गईं। अब तक वह एक नारीवादी चिंतक, मानवाधिकार कार्यकर्ता, वामपंथी पार्टी और ब्लैक पैंथर पार्टी सदस्य के तौर पर मशहूर हो गईं थी। उन्होंने कई जगह भाषण भी दिए थे जिनमें अपने उग्र नारीवादी और कट्टर वामपंथी विचार उन्होंने प्रकट किए थे।
प्रोफ़ेसर के तौर पर काम शुरू करने के कुछ महीनों में ही उन्हें यूसीएलए से निकाल दिया गया क्योंकि वामपंथियों को नौकरी देना यूनिवर्सिटी के नियमों के खिलाफ़ था। उन्हें दोबारा नियुक्त किया गया क्योंकि स्थानीय अदालत के जज ने यह राय दी थी कि उन्हें सिर्फ़ वामपंथी होने की वजह से नहीं निकाला जा सकता। इसके बावजूद उन्हें 1970 में फिर से निकाल दिया गया उनके उग्र भाषणों की वजह से जिनमें से एक में उन्होंने पुलिसकर्मियों को ‘सूअर’ कहा था। इसी दौरान वे एफ़बीआई की नज़र में आ गईं क्योंकि अपने भाषणों में उन्होंने सोलडैड बंधुओं का खुला समर्थन किया था। ‘सोलडैड बंधु’ सोलडैड जेल के दो ब्लैक कैदी थे जिन्होंने जेल से भागने की कोशिश में एक चौकीदार की हत्या कर दी थी। एंजेला को कैलिफोर्निया से भागना पड़ा और उनका नाम एफ़बीआई के सबसे खतरनाक आतंकियों की सूची में आ गया।
13 अक्टूबर 1970 में एंजेला एफबीआई द्वारा पकड़ीं गईं तो देखा गया कि उनके पास भी वही बंदूकें हैं जिनका इस्तेमाल सोलडैड बंधुओं ने किया था। उन्हें जेल हो गई। 16 महीने के कारावास के बाद उन्हें छोड़ दिया गया क्योंकि अदालत ने राय दी कि सिर्फ़ बंदूकें रखने से यह साबित नहीं हो सकता कि सोलडैड घटना में उनका हाथ था। उन्हें निर्दोष घोषित किया गया। जेल से बरी होने के बाद साल 1972 में वे एक अंतर्राष्ट्रीय यात्रा पर निकलीं जिसके तहत उन्होंने विभिन्न देशों में भाषण दिए। वे क्यूबा भी गईं और यह देखकर बहुत प्रभावित हुईं कि वहां नस्लवाद की समस्या का मुकाबला बहुत अच्छे से किया जा रहा है। उनका विश्वास था कि समाजवाद ही सामाजिक भेदभाव को खत्म कर सकता है।
साल 1975 में उन्होंने क्लेयरमंट ब्लैक स्टडीज़ सेंटर में पढ़ाना शुरू किया। उन्हें छिपकर पढ़ाना पड़ा क्योंकि क्लेयरमंट कॉलेज समूह के पुराने छात्र नहीं चाहते थे कि उनके बच्चों को कोई वामपंथी पढ़ाए। इसलिए वे अपने क्लास सिर्फ़ शुक्रवार की शाम और शनिवार को लेती थी, जब कैंपस खाली होता था। साल 1979 में यूएसएसआर में उन्हें लेनिन शांति पुरस्कार से नवाज़ा गया। आनेवाले सालों में उन्होंने सैन फ्रांसिस्को स्टेट यूनिवर्सिटी, रटजर्स यूनिवर्सिटी, वैसर कॉलेज और यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफोर्निया, सैंटा क्रूज जैसे कई संस्थानों में पढ़ाया। लंबे समय तक अध्यापन करने के बाद वे यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफोर्निया, सैंटा क्रूज से रिटायर हुई हैं।
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पुस्तकें
कई किताबों का लेखन और संपादन करनेवाली एंजेला डेविस की कुछ उल्लेखनीय कृतियां हैं “विमेन, रेस ऐंड क्लास” (1981) जो नारीवादी दृष्टिकोण से नस्लभेद और वर्ग-संघर्ष की एक आलोचना है।साल 1990 में प्रकाशित “विमेन, कल्चर, ऐंड पॉलिटिक्स’” राजनैतिक और सांस्कृतिक भूमि पर महिलाओं के स्थान के विषय में है। उन्होंने साल 2003 की अपनी किताब “आर प्रिज़न्ज़ ऑबसोलीट?” में इस शासन-व्यवस्था की कठोर आलोचना की है जो कैदियों को सुधारने से ज़्यादा उनके दमन और अत्याचार पर केंद्रित है। साल 2005 की किताब “ऐबलिशन डेमोक्रेसी: बीयॉंड प्रिज़न्ज़, टॉर्चर ऐंड एम्पायर” भी इसी विषय पर है। अमेरिकन शासन व्यवस्था के नस्लवाद और पुलिसकर्मियों द्वारा ब्लैक व्यक्तियों के उत्पीड़न का पुरजोर विरोध करती एंजेला डेविस नस्लभेद, वर्ग-वैषम्य और पितृसत्तात्मक सामाजिक व्यवस्था के खिलाफ़ एक मज़बूत आवाज़ हैं। 76 की उम्र में भी वह सक्रिय हैं और युवा पीढ़ी के लिए एक बड़ी प्रेरणा हैं।
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तस्वीर साभार: wbur.org