समाजख़बर जोमैटो की पीरियड्स लीव पॉलिसी और लैंगिक समानता पर छिड़ी बहस

जोमैटो की पीरियड्स लीव पॉलिसी और लैंगिक समानता पर छिड़ी बहस

जोमैटो ने अपनी महिलाओं कर्मचारियों के लिए साल में दस दिनों की पेड एच्छिक पीरियड्स लीव की पॉलिसी घोषित की है।

पीरियड्स के दौरान हर लड़की और महिला का अनुभव एक जैसा नहीं होता। जहां कुछ के लिए यह एक बहुत ही सामान्य बात होती है, वहीं कुछ महिलाओं के लिए पीरियड्स बहुत ही दर्द भरा अनुभव होता है। इसलिए यह बहुत ज़रूरी है कि एक कामकाजी महिला के पास अपनी इच्छानुसार पीरियड्स के लिए छुट्टी यानी पीरियड्स लीव लेने का अधिकार होना चाहिए। हाल ही में जोमैटो ने अपनी महिलाओं कर्मचारियों के लिए दस दिनों की पेड पीरियड्स लीव की पॉलिसी की घोषणा की है। इस नयी पॉलिसी के तहत पीरियड्स के दौरान महिला कर्मचारी पूरे साल भर में अधिकतम 10 छुट्टियां ले सकती हैं। इस पॉलिसी पर कई अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं और इसने फिर से वह बहस खड़ी कर दी है कि महिलाओं को पीरियड्स लीव मिलनी चाहिए या नहीं।

पीरियड्स लीव का विरोध क्यों हो रहा है ?

महिला कर्मचारियों को पीरियड्स लीव दिए जाने के जोमैटो के फैसले के विरोध के पक्ष में निम्नलिखित तर्क दिए जा रहे हैं :

  • अगर कार्यस्थल पर भी लिंग के आधार पर पॉलिसी बनाई जाएगी तो फिर जिस प्रकार का काम पुरुषों को दिया जाता है वह महिलाओं को नहीं दिया जाएगा। 
  • इस प्रकार की छुट्टियों की वजह से महिलाओं को पुरुषों की तरह कार्यस्थल पर बढ़ने के बराबर अवसर नहीं मिलेंगे।
  • पीरियड्स लीव देने की जगह जो महिलाएं पीरियड्स के दौरान बहुत ही कष्टदायी दर्द से गुजरती हैं, वे मेडिकल लीव ले सकती हैं। 
  • इस प्रकार की छुट्टियों की वजह से कार्यस्थल पर महिलाओं के खिलाफ भेदभाव और बढ़ेगा जैसे कि कम तनख्वाह, कम महिला कर्मचारियों का प्रमोशन, आदि। 

यह भी कहा जा रहा है कि जब कार्यस्थल पर महिलाओं को हर चीज़ में बराबरी चाहिए फिर वह तनख्वाह हो, प्रमोशन हो तो फिर छुट्टियों में भी उन्हें बराबरी क्यों नहीं चाहिए। पीरियड्स के लिए अतिरिक्त छुट्टियां क्यों चाहिए। यह बराबरी के नाम पर धोखा है। यह भी कहा जा रहा है कि इस वजह से कार्यस्थल पर महिलाओं को एक कमजोरी और बोझ की तरह देखा जाएगा। 

और पढ़ें : पीरियड्स के दौरान क्यों होता है दर्द और इससे कैसे बचें

महिलाओं के लिए पीरियड्स लीव क्यों ज़रूरी है ?

इस प्रकार की पॉलिसी की वजह से पीरियड्स के चारों और जो चुप्पी है वह टूटेगी। यह भी माना जा रहा है कि इससे पीरियड्स को कार्यस्थलों पर सामान्य समझना शुरू किया जाएगा। इस मुद्दे पर खुलकर बातचीत भी बढ़ेगी। महिलाएं खुलकर अपने दर्द को अभिव्यक्त कर पाएंगी। जोमैटो की 10 दिन की ये छुट्टियां महिलाओं के इस कष्टकारी दर्द को पहचानते हुए एक ऐसा कार्यस्थल बनाने की कोशिश करती हैं जो महिलाओं के प्रति सवंदेनशील हो। जोमैटो की यह पॉलिसी बताती है कि यह कंपनी वास्तव में यह स्वीकारती है कि दफ्तर में सिर्फ पुरुष नहीं बल्कि महिलाएं भी आती हैं। यह नीति कार्यस्थल में विविधता और समावेश को भी बढ़ावा देती है।

इस पॉलिसी के पक्ष में जो लोग हैं वे कई सारे आंकड़ों का हवाला दे रहे है यह बताने के लिए के पीरियड्स के दौरान कुछ महिलाएं वास्तव में बहुत ही कष्टदायक पीड़ा से गुजरती हैं। पीरियड्स क्रैम्प्स कोई बहाना नहीं है। ऐसे में महिलाओं के लिए यह पॉलिसी बहुत ही मददगार साबित होगी।     

और पढ़ें : एमेनोरिया: पीरियड न आने की एक वजह

मशहूर पत्रकार बरखा दत्त का पीरियड्स लीव के मुद्दे पर कहना है कि इस प्रकार की पॉलिसी की वजह से महिलाएं फाइटर जेट नहीं उड़ा पाएंगी, स्पेस में नहीं जा पाएंगी, वॉर की रिपोर्टिंग नहीं कर पाएंगी, आदि। लेकिन पीरियड्स लीव का समर्थन करने वाले लोगों का कहना है कि क्या औरतों से आगे बढ़ने का मौका सिर्फ इसलिए छीन लिया जाना चाहिए क्योंकि वे पीरियड्स के दौरान छुट्टी ले सकती हैं?

इतना ही नहीं, इस पॉलिसी के खिलाफ यह भी तर्क दिया गया है कि इस प्रकार की पॉलिसी की वजह से महिला कर्मचारियों को कमज़ोर समझा जाएगा। इस तर्क का जवाब कुछ इस तरीके से दिया जा रहा है, ‘अगर पीरियड्स के कष्टदायी दर्द की वजह से किसी महिला को 1 या 2 दिनों की छुट्टी लेनी पड़े, तो उससे यह कैसे साबित होता है कि वह महिला कमज़ोर है?’ अन्य मुद्दों की तरह, इस मुद्दे पर कोई एक मत हो, जरुरी नहीं। मेरी समझ में जोमैटो की यह पॉलिसी नारीवाद-विरोधी नहीं है। बराबरी का मतलब यह नहीं है कि बायॉलॉजिकल स्तर पर पुरुष और महिलाओं को एक समान रूप से देखा जाए। पीरियड्स के दर्द से महिलाएं गुज़रती है न कि पुरुष, बच्चे महिलाएं पैदा करती है न कि पुरुष। ऐसी में अगर कार्यस्थल पर इन जैविक अंतरों को पहचानते हुए महिलाओं के साथ थोड़ा अलग व्यवहार किया जा रहा है तो वह महिला या पुरुष विरोधी नहीं बल्कि लैंगिक रूप से न्यायसंगत है।    

भारतीय संविधान में अनुच्छेद 14 के तहत लिंग के आधार पर किसी भी भेदभाव के लिए मना करता है। लेकिन अगले ही अनुच्छेद 15 में संसद को महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए विशेष कदम उठाने की मंजूरी देता है। महिलाओं के लिए ख़ास कदम उठाने की यह मंजूरी क्या नारीवाद विरोधी नहीं है क्योंकि संविधान बनाने वाले यह समझते थे कि बराबरी का मतलब दोनों लिंगों के बीच में समान व्यवहार करना नहीं होता। कभी कभी, समान से कुछ ज्यादा होता है ताकि जो लिंग काफी वर्षों से पीछे छूट गया है वह भी आगे बढ़ पाए। ऐसी में जोमैटो की यह पीरियड पॉलिसी कैसे गलत है? पीरियड्स महिलाओं के लिए एक विकल्प नहीं है। वे चाहे या न चाहे, उन्हें इससे गुजरना ही पड़ता है और अगर इस वजह से वे अपने काम में अपना पूरा योगदान नहीं दे पा रही, तो ऐसे में पीरियड्स के लिए छुट्टियां लेना गलत नहीं है।

और पढ़ें : मेंस्ट्रुअल लीव: क्या पीरियड्स के दौरान काम से छुट्टी एक अधिकार है ?


तस्वीर साभार : zomato

Leave a Reply

संबंधित लेख

Skip to content