भारत एक ऐसा देश जहां अभी भी वैवाहिक बलात्कार अपराध नहीं है। यहां अभी भी बलात्कार पर सजा दिलाने लिए लंबी लड़ाई लड़नी पड़ती है, वहां स्टेल्थिंग जैसे मुद्दे पर कानून बनाना दूर की बात लगती है। स्टेल्थिंग को अगर साफ़ शब्दों में कहे तो इसका मतलब है शारीरिक संबंध के दौरान अपने साथी की जानकारी या सहमति के बिना कॉन्डम हटाना। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो स्टेल्थिंग का मतलब सेक्स के दौरान साथी को बिना बताए कॉन्डम हटा लेने और उसे अपने आनंद के लिए जानबूझकर हटाने से है। इससे दूसरे साथी के गर्भवती होने या यौन संचारित रोगों से संक्रमित होने का ख़तरा रहता है। अमेरिका जैसे विकसित देश में इस कानून को लाने में चार साल लग गए तो हमारा पुरुष प्रधान देश जहां खुलकर सेक्स, कॉन्डम, पीरियड्स पर बात करना इस पितृसत्तात्मक समाज के अहम् पर चोट है वहां इस कानून को लाने में कितनी लड़ाईयां और समय लगेगा ये कहना आसान नहीं है I
कैलिफ़ोर्निया से डेमोक्रेटिक पार्टी की सदस्य क्रिस्टीना गार्सिया पिछले चार सालों से स्टेल्थिंग पर कानून बनाने का प्रयास कर रही थीं। वह कहती हैं, “अब साफ़ है कि कैलिफ़ोर्निया में ऐसा करना अपराध है। यह बिल हमें हमारे घरों और हमारे स्कूलों और हमारे रिश्तों में सहमति के बारे में चर्चा करने की इजाज़त दे रहा है।” गार्सिया ने गुरुवार को ट्वीट किया और कहा, “खुशी है कि ‘क्या आप शादीशुदा नहीं हैं?’ पीड़ितों से अब कोई इस तरह सवाल नहीं पूछे जाएंगे, बलात्कार,बलात्कार है।” साथ ही उन्होंने कहा कि शादी का लाइसेंस समाज के सबसे हिंसक और दुखद अपराधों में से एक को करने का छूट नहीं देता है।
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बीते 7 अक्टूबर को अमेरिका के कैलिफ़ोर्निया राज्य की सरकार ने स्टेल्थिंग पर प्रतिबंध लगा दिया है। स्टेल्थिंग का क़ानून बनाने के लिए क्रिस्टीना गार्सिया साल 2017 से काम कर रही थीं। वह कहती हैं कि यह अपनी तरह का देश का पहला क़ानून है। साथ ही उन्होंने देश क बाक़ी के राज्यों से भी यह अनुरोध किया है कि वह इस पर कानून बनाए।
भारत में जहां वैवाहिक बलात्कार यानी ‘मैरिटल रेप’ कानून की नज़र में अपराध नहीं है, वहां स्टेल्थिंग जैसे मुद्दों पर समझ विकसित करना और उस पर कानून बनाना टेढ़ी खीर नज़र आता है।
कैलिफ़ोर्निया के गवर्नर कार्यालय ने ट्वीट कर बताया कि इस विधेयक को पारित कर वह सहमति के महत्व को रेखांकित कर रहे हैं। इस विधेयक के अनुसार, बिना सहमति के कॉन्डम निकालने वाले आरोपी के खिलाफ सिविल कोर्ट के तहत मामला दर्ज किया जा सकेगा और पीड़ित हर्जाने के लिए मुकदमा भी दर्ज करवा सकते हैं। इस कानून का उल्लंघन करनेवाले आरोपी के खिलाफ अभी किसी तरह की सजा का प्रावधान इस विधेयक में नहीं पारित किया गया है। इस कानून में सिर्फ जुर्माने की बात ही कही गई है।
गार्सिया इस पर भी कहती हैं कि उन्हें लगता है कि इस कानून को दंड संहिता में शामिल होना चाहिए। उन्होंने यह सवाल भी किया कि अगर सहमति नहीं ली गई है या बिना जानकारी के ऐसा किया गया है, तो क्या यह बलात्कार या यौन हमले की परिभाषा नहीं है? इस पर कानूनी जानकारों ने बताते हैं कि भले ही यह कानून दंड संहिता में शामिल नहीं है, फिर भी अगर सहमति नहीं ली गई है तो इसे बलात्कार माना जा सकता है। साल 2019 में नैशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित एक रिपोर्ट में बताया गया कि 12 फ़ीसद महिलाओं ने कहा कि उन्होंने स्टेल्थिंग का सामना किया है। उसी साल एक और रिपोर्ट में पाया गया कि 10 फ़ीसद पुरुषों ने अपने साथी की सहमति के बिना सेक्स के दौरान अपना कॉन्डम निकालना स्वीकार किया।
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कैलिफ़ोर्निया के इतर कई और देश है जहां यह मुद्दे उठाए गए
जर्मनी के एक पुलिस अधिकारी को अपने साथी की सहमति के बिना कॉन्डम निकालने के लिए यौन उत्पीड़न का दोषी ठहराया गया था। अदालत से उन्हें आठ महीने के निलंबन और जेल की सज़ा मिली थी। साथ ही सर्वाइवर के यौन स्वास्थ्य की जांच के लिए 96 यूरो (8,300 रुपए) और हर्जाने के रूप में 3,000 यूरो (2.62 लाख रुपए) का जुर्माना भी लगाया गया था। न्यूज़ीलैंड में तीन साल से लेकर नौ महीने की जेल की सज़ा सुनाई जाती है। ब्रिटेन में भी स्टेल्थिंग को बलात्कार माना जाता है।नीदरलैंड्स, फ़िनलैंड, स्विट्ज़रलैंड और स्लोवेनिया सहित कई देश अपने क़ानूनों को बदलने की सोच रहे हैं। वहीं, स्पेन ने पिछले साल यौन हिंसा के लिए एक विधेयक लाने की घोषणा की थी। अमेरिका में स्टेल्थिंग को ‘बलात्कार के क़रीब’ माना जाता है।
हालांकि, भारत जैसे देश में स्टेल्थिंग का मुद्दा उठाना अपने आप में एक बड़ा कदम है क्योंकि यहां सेक्स ही एक वर्जित विषय है। भारत में कानून व्यवस्था केवल सहमति और गैर-सहमति से मिलती है, यह व्यवस्था जितनी ही काली उतनी ही सफेद है। भारतीय कानून में कोई ऐसा प्रावधान नहीं है जो इस तरह के कृत्य को दंडनीय बना सके। भारत में जहां वैवाहिक बलात्कार यानी ‘मैरिटल रेप’ कानून की नज़र में अपराध नहीं है, वहां स्टेल्थिंग जैसे मुद्दों पर समझ विकसित करना और उस पर कानून बनाना टेढ़ी खीर नज़र आता है। भारत में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की 2019 की रिपोर्ट के अनुसार यहां लगभग 70 फीसद महिलाएं घरेलू हिंसा का सामना करती हैं।
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तस्वीर साभार : Rolling Stone