समाजख़बर दुनियाभर में पांच करोड़ से अधिक लोग आज भी हैं आधुनिक गुलामी के शिकार

दुनियाभर में पांच करोड़ से अधिक लोग आज भी हैं आधुनिक गुलामी के शिकार

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनिया भर से वर्ष 2021 में लगभग पांच करोड़ लोग आधुनिक गुलामी की गिरफ्त में थे।

मजदूर सबसे अधिक मेहनत करता है लेकिन सबसे अधिक बदहाल स्थिति भी मजदूर की ही है। दुनिया का ऐसा एक भी देश नहीं है जहां मजदूरों की स्थिति में सुधार आया हो। यह हम नहीं बल्कि सयुंक्त राष्ट्र की श्रम एजेंसी इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन की ताजा रिपोर्ट बता रही है। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनिया भर से वर्ष 2021 में लगभग पांच करोड़ लोग आधुनिक गुलामी की गिरफ्त में थे।

इस रिपोर्ट को अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) ने अंतरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (आईओएम) और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार समूह वॉक फ्री की मदद से तैयार किया है। रिपोर्ट का शीर्षक ‘द ग्लोबल एस्टीमेट्स ऑफ मॉडर्न स्लेवरी’ दिया गया है। ILO की रिपोर्ट के अनुसार आधुनिक गुलामी के शिकार रहे पांच करोड़ लोगों में से करीब 2.8 करोड़ लोग जबरन मजदूरी में और करीब 2.2 करोड़ जबरन विवाह में फंस गए।

रिपोर्ट के आंकड़े बताते हैं कि पिछले पांच सालों में आधुनिक गुलामी का जीवन जी रहे लोगों की संख्या में तेजी से वृद्धि देखी गई है। वहीं वर्ष 2016 के वैश्विक अनुमानों की तुलना में साल 2021 में 1 करोड़ लोग से ज्यादा लोग आधुनिक दासता के शिकार रहे। आईएलओ का कहना है कि सच्चाई हमारे समक्ष है लेकिन चीजें पहले से भी बदतर हैं जो हैरान करने वाला है।

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ILO की रिपोर्ट के अनुसार आधुनिक गुलामी के शिकार रहे पांच करोड़ लोगों में से करीब 2.8 करोड़ लोग जबरन मजदूरी में और करीब 2.2 करोड़ जबरन विवाह में फंस गए।

क्या है आधुनिक गुलामी?

आधुनिक गुलामी या दासता का अर्थ उन परिस्थितियों से है जहां शोषित व्यक्ति धमकी, हिंसा, दबाव, धोखे या शक्ति के दुरुपयोग के चलते ना तो काम से इनकार कर पता है और ना ही उस काम से पीछा छुड़ा पाता  है। उसे मजबूरी में वह काम करते रहना पड़ता है और वह किसी से इसकी शिकायत भी नहीं कर पाता है। 

वॉक फ्री संस्था के फाउंडर-डायरेक्टर ग्रेस फॉरेस्ट के अनुसार आधुनिक गुलामी की परिभाषा वो है जहां एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति का आर्थिक या स्वंय के लाभ के लिए शोषित करता हो और किसी की आजादी को स्टेप वाइस अंत की ओर ले जाता है। इसी परिभाषा को वॉक फ्री एंटी-स्लेवरी ऑर्गनाइजेशन द्वारा भी आधुनिक गुलामी की परिभाषा माना गया है। 

दुनिया के सभी देशों की सरकार मजदूरों के हित के लिए कई योजनाएं और सुविधाएं देने की बातें करती हैं लेकिन धरातल पर कोई काम नहीं होता है जिसके चलते दशकों बाद भी मजदूरों की स्थिति में सुधार नहीं हो पाता है। दुनिया के हर देश में आधुनिक गुलामी और जबरन विवाह की घटनाएं होती रहती हैं। आधे से अधिक (52 प्रतिशत) बंधुआ मजदूरी और जबरन विवाह का एक चौथाई हिस्सा उच्च-मध्यम आय या उच्च आय वाले देशों में पाया जा जाता है।

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आधुनिक गुलामी या दासता का अर्थ उन परिस्थितियों से है जहां शोषित व्यक्ति धमकी, हिंसा, दबाव, धोखे या शक्ति के दुरुपयोग के चलते ना तो काम से इनकार कर पता है और ना ही उस काम से पीछा छुड़ा पाता  है। उसे मजबूरी में वह काम करते रहना पड़ता है और वह किसी से इसकी शिकायत भी नहीं कर पाता है। 

86 फीसदी मामले प्राइवेट सेक्टर से संबंधित

जारी रिपोर्ट के अनुसार जबरन मजदूरी के 86 फीसदी मामले प्राइवेट सेक्टर से संबंधित हैं। पैसे के लेनदेन से जुड़े यौन शोषण के अलावा अन्य क्षेत्रों में जबरन श्रम, ऐसे कुल मामलों का करीब 63 प्रतिशत था। वहीं, पैसे के लेनदेन से जुड़े यौन शोषण के लिए विवश किए जाने वाले मामले, कुल जबरन श्रम से जुड़े मामलों के 23 फीसदी थे। इनमें हर पांच में से चार पीड़ित महिलाएं या लड़कियां थीं।

हालात इतने भयावह है कि कुल संख्या में से खुद सरकार द्वारा ही जबरन श्रम के लिए मजबूर किए जाने वाले लोगों की संख्या करीब 14 फीसदी है। वहीं जबरन मजदूरी के हर आठ में से एक मामले का शिकार बच्चा था। जिनकी कुल संख्या करीब 33 लाख है। वहीं बंधुआ मजदूरी के हर आठ मामलो में से एक मामले में कोई एक बच्चा शामिल होता था। रिपोर्ट में आधुनिक दासता को दो तरह से परिभाषित किया गया है एक जबरन श्रम और दूसरा जबरन विवाह। दोनों ही सिचुएशन में शोषण किया जाता है।

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जबरन विवाह

जबरन विवाह पर भी रिपोर्ट में प्रकाश डाला गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2021 में जबरन विवाह का आंकड़ा लगभग 2.2 करोड़ था। वर्ष 2016 की तुलना में यह आकंड़ा 66 लाख अधिक है। जानकारों का मानना है कि रिपोर्ट के वर्तमान अनुमानों की तुलना में कहीं अधिक होने की संभावना है। उनके अनुसार, 16 वर्ष या उससे कम उम्र के बच्चों की स्थिति सबसे अधिक खराब है। बाल विवाह को एक तरह से जबरन शादी ही कहा जाता है क्योंकि एक बच्चा कानूनी रूप से शादी के लिए सहमति नहीं दे सकता है। 

गौरतलब है कि जबरन विवाह लंबे समय से स्थापित पितृसत्तात्मक दृष्टिकोण और प्रथाओं के चलते आज तक करवाया जा रहा है। जबरन विवाह के ज्यादातर मामले पारिवारिक दबाव के पाए जाते हैं। 85 प्रतिशत से अधिक मामलों में पारिवारिक दबाव जबरन विवाह का कारण था। रिपोर्ट के अनुसार, क्षेत्रीय आधार पर आकलन किया जाए तो दो-तिहाई (65 प्रतिशत) जबरन विवाह के मामले एशिया प्रशांत क्षेत्र में पाए जाते हैं। वहीं सबसे अधिक जबरन विवाह अरब देशों में कराए जाते हैं। यहां हर 1 हजार में से 4.8 लोगों का विवाह जबरन होता है। 

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जबरन विवाह पर भी रिपोर्ट में प्रकाश डाला गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2021 में जबरन विवाह का आंकड़ा लगभग 2.2 करोड़ था। वर्ष 2016 की तुलना में यह आकंड़ा 66 लाख अधिक है।

अधिक जोखिम में प्रवासी मजदूर 

रिपोर्ट के अनुसार, सबसे अधिक जबरन मजदूरी की तलवार प्रवासी मजदूरों पर लटकती है। सामान्य श्रमिकों की तुलना में प्रवासी श्रमिकों के जबरन श्रम में होने की संभावना तीन गुना अधिक होती है। हालांकि, श्रमिकों के प्रवास से उनके परिवारों, समुदायों और समाज पर काफी हद तक अच्छा प्रभाव देखने को मिलता है।  लेकिन इसके चलते प्रवासी मजदूर सबसे अधिक इन समस्याओं को झेलता है।  

रिपोर्ट में कहा गया कि कोरोना काल के कारण प्रत्येक क्षेत्र में जबरन शादी का जोखिम बढ़ा है। मौजूद आंकड़ों के मुताबिक, बाल विवाह और जबरन विवाह के मामलों में वृद्धि अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भारत, इंडोनेशिया, सूडान, मिस्र, यमन, जॉर्डन, सेनेगल, युगांडा और कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में देखी गई है। 

संयुक्त राष्ट्र श्रम एजेंसी के महानिदेशक गाय राइडर ने कहा कि यह बेहद चौंकाने वाला है कि आधुनिक दासता की स्थिति में सुधार नहीं हो रहा है। उन्होंने आगे कहा कि बुनियादी मानवाधिकारों से साथ इस तरह का व्यवहार कोई भी सही नहीं ठहरा सकता है। गाय राइडर की ओर से रिपोर्ट पर सबसे मिलकर काम करने का आह्वान किया गया है और इसमें उन्होंने ट्रेड यूनियन, नियोक्ता समूह, नागरिक समाज और आम लोग, सभी को महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने के लिए कहा।

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रिपोर्ट के अनुसार, सबसे अधिक जबरन मजदूरी की तलवार प्रवासी मजदूरों पर लटकती है। सामान्य श्रमिकों की तुलना में प्रवासी श्रमिकों के जबरन श्रम में होने की संभावना तीन गुना अधिक होती है।

रिपोर्ट में दिए गए सुझाव 

रिपोर्ट में कई सुझाव दिए गए हैं जिससे सभी देश एक साथ मिलकर तेजी से आधुनिक दासता को समाप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा सकते हैं। इनमें श्रम कानूनों और श्रम निरीक्षणों को सुधारना और अच्छे से लागू करना शामिल है। साथ ही सरकार द्वारा थोपे गए जबरन श्रम को खत्म करना, व्यापार और आपूर्ति श्रृंखलाओं में जबरन श्रम और तस्करी से निपटने के लिए मजबूत उपाय; सामाजिक सुरक्षा का विस्तार करना, और कानूनी सुरक्षा को मजबूत करना,  शादी की कानूनी उम्र को बढ़ाकर 18 करना शामिल है। अन्य उपायों में प्रवासी श्रमिकों के लिए तस्करी और जबरन श्रम के बढ़ते जोखिम को कम करने के प्रयास, महिलाओं, लड़कियों और कमजोर व्यक्तियों के लिए अधिक समर्थन की अपील शामिल है।

दासता और दास प्रथा दशकों से खत्म होने के बाद भी वर्तमान में खत्म नहीं हो पा रही है। यह आज आधुनिक दासता के रूप में हम सबके सामने है और समाज के कमजोर तबके के लिए अभिशाप समान है।

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