दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा आज भी एक गंभीर सामाजिक मुद्दा बना हुआ है। देश की राजधानी होने के नाते दिल्ली केवल राजनीतिक और आर्थिक गतिविधियों का केंद्र नहीं है, बल्कि यहां की सामाजिक संरचना पूरे देश को प्रभावित करती है। इसके बावजूद महिलाओं के खिलाफ़ अपराध की घटनाएं अक्सर सुर्खियों में रहती हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के साल 2022 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2021 की तुलना 2022 में महिलाओं के प्रति अपराध में 4 फीसद बढ़ोतरी हुई है। देश में अपराध के 58 लाख से ज्यादा मामले दर्ज किए गए, जिनमें महिलाओं के प्रति अपराध के करीब साढ़े चार लाख मामले थे।
मतलब हर घंटे करीब 51 एफआइआर दर्ज हुए। यह भी पाया गया कि महिलाओं के साथ होने में अपराध करने वाले अधिकतर लोगों में उनके पति या रिश्तेदार शामिल थे। रिपोर्ट के अनुसार शहरों में हुए अपराध के मामलों में दिल्ली पहले नंबर पर है। इसका सीधा असर महिलाओं की आजादी और गतिशीलता पर पड़ता है। हालांकि, समय-समय पर सरकार और सामाजिक संगठनों ने महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कई पहलें की हैं। इनमें महिला हेल्पलाइन नंबर, जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे लगाना, बसों में मार्शलों की तैनाती और अब ‘राइडर दीदी’ जैसी नई पहल शामिल है।
एनसीआरबी के साल 2022 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2021 की तुलना 2022 में महिलाओं के प्रति अपराध में 4 फीसद बढ़ोतरी हुई है। देश में अपराध के 58 लाख से ज्यादा मामले दर्ज किए गए, जिनमें महिलाओं के प्रति अपराध के करीब साढ़े चार लाख मामले थे।
दिल्ली की सड़कों पर महिला सुरक्षा की नई पहचान
राइडर दीदी एक नई लेकिन बेहद अहम पहल है। इस पहल की शुरुआत दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (डीएमआरसी) ने की है। इस योजना के तहत प्रशिक्षित महिला ड्राइवरों को ‘राइडर दीदी’ के रूप में नियुक्त किया जाता है, जो खासकर रात के समय काम से लौट रही महिलाओं को सुरक्षित उनके घरों तक पहुंचाने का काम करती हैं। हालांकि अभी बहुत सी महिलाओं को इसके बारे में जानकारी नहीं है। लेकिन यह एक प्रभावशाली योजना के रूप में उभरती दिख रही है। अभी यह सेवा दिल्ली मेट्रो के विश्वविद्यालय, करोलबाग और द्वारका स्टेशन पर सीमित रूप से संचालित हो रही है। यह सेवा न सिर्फ एक परिवहन माध्यम है, बल्कि एक भरोसेमंद साथी और सुरक्षा की प्रतीक बन चुकी है। राइडर दीदी का किरदार संरक्षक, साथी और प्रेरणा का स्रोत है। यह पहल महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ रोजगार भी प्रदान करती है।

दिल्ली की रहने वाली ममता यह 30 वर्ष की हैं और राइडर दीदी के रूप में कार्यरत हैं। वह कहती हैं, “जिस दिन मुझे राइडर दीदी योजना में काम करने का मौका मिला, उस दिन ऐसा लगा जैसे मैं कोई सामाजिक काम कर रही हूं। इससे पहले मैंने दो कंपनियों में सुपरवाइज़र का काम किया है और बाइक चलाना मुझे हमेशा से पसंद रहा है। दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सफर करते वक्त कई बार बहुत असहजता महसूस होती है। रात में यदि आपने कोई ऑटो बुक किया है, तो बहुत कम ही ऐसे ड्राइवर मिलते हैं जिनके साथ सुरक्षित महसूस हो। ऐसे में राइडर दीदी योजना में काम करना मेरे लिए न सिर्फ रोजगार ही नहीं है, बल्कि यह सामाजिक योगदान भी है। मुझे विश्वास है कि यह पहल महिलाओं का सफर और जीवन दोनों आसान बना सकती है।”
रात में यदि आपने कोई ऑटो बुक किया है, तो बहुत कम ही ऐसे ड्राइवर मिलते हैं जिनके साथ सुरक्षित महसूस हो। ऐसे में राइडर दीदी योजना में काम करना मेरे लिए न सिर्फ रोजगार ही नहीं है, बल्कि यह सामाजिक योगदान भी है। मुझे विश्वास है कि यह पहल महिलाओं का सफर और जीवन दोनों आसान बना सकती है।
डीडब्ल्यू के अनुसार भारत में महिलाओं की यौन हिंसा के मामले आए दिन देखने को मिलते रहते हैं। साल 2022 में भारत में पुलिस ने यौन हिंसा के 31,516 मामले दर्ज किए। साल 2021 की तुलना में यह संख्या 20 फीसद ज्यादा थी। साल 2012 में दिल्ली सामूहिक बलात्कार मामले के बाद देश में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर खूब प्रदर्शन हुए। उन प्रदर्शनों के बाद यौन हिंसा के मामलों की तेज सुनवाई के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाए गए और कड़ी सजा के प्रावधान भी किए गए।
पितृसत्ता को चुनौती देती एक नई पहल

यह योजना न केवल रोजगार का अवसर है, बल्कि सामाजिक न्याय की दिशा में भी एक मजबूत कदम है। महिलाओं को ड्राइवर के रूप में प्रशिक्षण देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का अवसर दिया जा रहा है, जिससे उनके लिए नए रोजगार के रास्ते खुलते हैं। खासकर उन महिलाओं के लिए, जिनके पास सीमित संसाधन हैं और जो पारंपरिक नौकरियों तक नहीं पहुंच पातीं।यह पहल लैंगिक समानता की दिशा में भी एक अहम प्रयास है। यह सार्वजनिक परिवहन को न सिर्फ महिलाओं के लिए सुरक्षित बनाता है, बल्कि सामाजिक चेतना और संवेदनशीलता को भी प्रोत्साहित करता है।
डीडब्ल्यू के अनुसार भारत में महिलाओं की यौन हिंसा के मामले आए दिन देखने को मिलते रहते हैं। साल 2022 में भारत में पुलिस ने यौन हिंसा के 31,516 मामले दर्ज किए। साल 2021 की तुलना में यह संख्या 20 फीसद ज्यादा थी।
उड़ीसा की रहने वाली 35 वर्षीय विना इस योजना के तहत एक राइडर के रूप में काम कर रही हैं। वह बताती हैं, “इससे पहले मैं पेट्रोल पंप पर काम करती थी। जब मुझे इस योजना के बारे में जानकारी मिली, तो मैंने इसमें काम करने की इच्छा जाहिर की। आज जब महिलाओं की सुरक्षा एक गंभीर चिंता का विषय है, ऐसे समय में यह पहल आशा की किरण बनकर सामने आई है। एक महिला के रूप में यदि मैं राइडर दीदी के रूप में काम करती हूं, तो मैं अन्य महिलाओं को सुरक्षित सफर की सुविधा देने के साथ-साथ यह संदेश भी देना चाहती हूं कि महिलाएं अब दूसरों पर निर्भर नहीं, बल्कि एक-दूसरे की ताकत बन रही हैं।”
दिल्ली की रहने वाली 30 वर्षीय सुजाता बताती हैं, “इस योजना में काम करना मेरे लिए आत्मसम्मान, गर्व और प्रेरणा का कारण है। यह मेरी पहली नौकरी है और मैं एक सिंगल माँ भी हूं। इसलिए, अपने काम को लेकर उत्साहित और जिम्मेदारी भरा महसूस कर रही हूं। क्या पता मेरी एक छोटी-सी भूमिका किसी महिला के लिए बड़ा सहारा बन जाए। अगर यह पहल सफल होती है और ज्यादा से ज्यादा जगहों पर फैलाई जाती है, तो महिलाओं का सफर न सिर्फ सुरक्षित होगा, बल्कि सशक्तिकरण की दिशा में एक नया अध्याय भी शुरू होगा। यह कहना पूरी तरह सच है कि जब मैं पहले खुद यात्रा करती थी, तो मन में यह सवाल उठता था कि महिलाएं भी पुरुषों के बराबर इस पेशे में क्यों नहीं हैं।”
यह कहना पूरी तरह सच है कि जब मैं पहले खुद यात्रा करती थी, तो मन में यह सवाल उठता था कि महिलाएं भी पुरुषों के बराबर इस पेशे में क्यों नहीं हैं। अगर महिलाएं भी इस क्षेत्र में होतीं, तो दूसरी महिलाओं के पास विकल्प होता कि वे उसी के साथ यात्रा करें, जिसके साथ वे सहज महसूस करें। ऐसे में राइडर दीदी एक छोटा लेकिन बेहद महत्वपूर्ण प्रयास है।
वह आगे कहती हैं, “अगर महिलाएं भी इस क्षेत्र में होतीं, तो दूसरी महिलाओं के पास विकल्प होता कि वे उसी के साथ यात्रा करें, जिसके साथ वे सहज महसूस करें। ऐसे में राइडर दीदी एक छोटा लेकिन बेहद महत्वपूर्ण प्रयास है। यह अभी कम प्रचलित है, लोगों को रोककर समझाना पड़ता है, कई बार तो लोग सुनते भी नहीं हैं। लेकिन मुझे विश्वास है कि यह एक दिन बहुत बड़ा बदलाव लाएगा।” आज भी जब गाड़ी चलाने की बात आती है तो अक्सर यही सुनने को मिलता है कि केवल पुरुष ही अच्छी ड्राइविंग कर सकते हैं।

लेकिन साल शोध बताते हैं महिलाएं पुरुषों की तुलना में अधिक सुरक्षित ड्राइवर हैं। साल 2020 में 75 फीसद घातक दुर्घटनाओं में पुरुष चालक शामिल थे। गंभीर दुर्घटनाओं में महिला चालकों की मृत्यु दर पुरुषों की तुलना में अधिक होती है हर 100 मिलियन मील की यात्रा में पुरुषों की दुर्घटना दर 2.1 है , जबकि महिलाओं की दुर्घटना दर 1.3 है। महिलाओं की तुलना में पुरुषों के दुर्घटनाग्रस्त होने की संभावना 61 फीसद अधिक है। पुरुष महिलाओं की तुलना में 62 फीसद अधिक वाहन चलाते हैं और वाहन दुर्घटनाओं में 59फीसद हिस्सा उनका होता है।
जहां ई-रिक्शा चालक विश्वविद्यालय पहुंचाने के लिए 15 रुपये लेते हैं, वहीं राइडर दीदी मात्र 7 रुपये में यह सेवा देती हैं। इससे न सिर्फ किराया कम होता है, बल्कि महिलाओं की भागीदारी और आत्मनिर्भरता को भी बढ़ावा मिलता है।
आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं के लिए अवसर

राइडर दीदी सेवा निश्चित रूप से भविष्य में महिलाओं के लिए एक बेहतर और भरोसेमंद परिवहन व्यवस्था के रूप में साबित हो सकता है। यह योजना आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की महिलाओं के लिए भी लाभकारी है। यह उन्हें केवल एक सुरक्षित रोजगार ही नहीं देती, बल्कि आत्मनिर्भरता और सम्मानजनक जीवन की ओर भी मार्ग प्रशस्त करती है। समाज के उस वर्ग की महिलाएं जो पारंपरिक नौकरियों तक नहीं पहुंच पातीं, उनके लिए राइडर दीदी एक सशक्त माध्यम बन सकती है। जो महिलाएं इस सेवा का उपयोग कर चुकी हैं, वे कहती हैं कि राइडर दीदी के साथ सफर करना उन्हें किसी अपने के साथ होने जैसा लगता है। उन्हें डर या असहजता महसूस नहीं होती, बल्कि यह भरोसा होता है कि उन्हें समझने वाली कोई उनके साथ है। राइडर दीदी पहल पर महिला पैसेंजर्स की प्रतिक्रिया उत्साहजनक और भावनात्मक रूप से जुड़ी हुई है।
यह योजना उनके लिए केवल एक परिवहन सेवा नहीं, बल्कि सुरक्षा और आत्मविश्वास का प्रतीक बन चुकी है। यह पहल विशेष रूप से छात्राओं और कामकाजी महिलाओं के लिए बहुत उपयोगी साबित हो रही है। कम खर्च, सुविधाजनक सेवा और महिला चालकों की उपस्थिति इसे महिलाओं के बीच लोकप्रिय बना रही है। दिनेश कौल दिल्ली की रहने वाली हैं जो एक स्कूल में शिक्षिका हैं और यह राइडर दीदी की एक पएसेन्जर भी हैं। वह कहती हैं, “राइडर दीदी एक सुंदर पहल है। एक तो इसमें किराया कम लगता है, दूसरा यह वाहन मेरे घर के पास तक छोड़ती है, जिससे समय की बचत होती है। एक महिला ड्राइवर के साथ सफर करते समय आत्मीयता और सुरक्षा का अनुभव होता है। महिला होने के नाते, महिला चालक से बात करना आसान होता है। अपनी परेशानी या रास्ते की जानकारी मैं बिना किसी संकोच के साझा कर सकती हूं।”
एक महिला ड्राइवर के साथ सफर करते समय आत्मीयता और सुरक्षा का अनुभव होता है। महिला होने के नाते, महिला चालक से बात करना आसान होता है। अपनी परेशानी या रास्ते की जानकारी मैं बिना किसी संकोच के साझा कर सकती हूं।
इसपर विषय पर दिल्ली विश्वविद्यालय की शोधार्थी रश्मि कहती हैं, “मैंने अभी तक राइडर दीदी के साथ कुछ ही बार सफर किया है। लेकिन, यह पहल महिलाओं के लिए विशेष रूप से सराहनीय है। यह न केवल महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करती है, बल्कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की लड़कियों के लिए भी राहतभरी है। जहां ई-रिक्शा चालक विश्वविद्यालय पहुंचाने के लिए 15 रुपये लेते हैं, वहीं राइडर दीदी मात्र 7 रुपये में यह सेवा देती हैं। इससे न सिर्फ किराया कम होता है, बल्कि महिलाओं की भागीदारी और आत्मनिर्भरता को भी बढ़ावा मिलता है।” दिल्ली जैसे महानगर में जहां आज भी महिलाओं की सार्वजनिक परिवहन में भागीदारी सीमित है, वहां राइडर दीदी जैसे प्रयास एक नयी सोच को जन्म दे रहे हैं। यह पहल एक ऐसा मंच बनती जा रही है जहां महिलाएं केवल सवार नहीं होतीं, बल्कि खुद सवारी की नियंत्रण सीट पर होती हैं।
राइडर दीदी योजना सिर्फ एक नई परिवहन सेवा नहीं, बल्कि सामाजिक बदलाव की दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है। यह पहल महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने का अवसर देती है और पितृसत्ता से लड़ने की एक ज़मीन भी तैयार करती है। जब महिलाएं खुद वाहन चलाकर दूसरी महिलाओं को सुरक्षित घर पहुंचाती हैं, तो वह न केवल एक सुरक्षित सफर सुनिश्चित करती हैं, बल्कि यह संदेश भी देती हैं कि महिलाएं अब सुरक्षा पाने वाली नहीं, बल्कि सुरक्षा देने वाली बन रही हैं। राइडर दीदी सेवा उन महिलाओं के लिए भी आशा की किरण बन रही है, जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं और मुख्यधारा से जुड़ना चाहती हैं। दिल्ली जैसे शहर में, जहां महिला सुरक्षा को लेकर अब भी कई सवाल हैं, वहां यह योजना एक सकारात्मक हस्तक्षेप के रूप में सामने आई है। यह उम्मीद की जा सकती है कि आने वाले समय में यह पहल और व्यापक रूप लेगी और देश के अन्य हिस्सों में भी महिलाओं के लिए एक सशक्त मॉडल बनकर उभरेगी।