इंटरसेक्शनल पीएमएस में महिलाओं को होती है मूड स्विंग की परेशानी आखिर क्या है वजह

पीएमएस में महिलाओं को होती है मूड स्विंग की परेशानी आखिर क्या है वजह

माहवारी में एक महिला अनेकों मानसिक और स्वास्थ्य संबंधित बदलावों से गुज़रती है, जिसमें से एक है पीएमएस जो एक हार्मोनल बदलाव है।

हम में से अधिकतर महिलाओं को पीरियड होने से पहले मूड में कई तरह के बदलाव होते हैं, जिससे मन बेचैन सा लगता रहता है। पीरियड आने के पहले और आने के बाद भी शरीर में कई तरह के बदलाव होते रहते हैं, जिसका असर आंतरिक और बाहरी में भी साफ दिखाई देता है। हर महीने आने वाली माहवारी एक महिला अनेकों मानसिक और स्वास्थ्य संबंधित बदलावों से गुज़रती है, जिसमें से पीएमएस यानी कि Pre Menstrual Syndrome (PMS) महिलाओं के अंदर हार्मोनल बदलाव के रुप में देखा जाता है, इसे प्रागार्तव भी कहा जाता है। इसके कुछ अन्य कारण भी हैं, जैसे-

  • प्रोस्टाग्लैंडिन की असामान्य एक्टिविटी।
  • न्यूरॉन्स को प्रभावित करने वाले हार्मोन में बदलना।
  • पीरियड्स से ठीक पहले प्रोजेस्टेरोन लेवल का गिरना।
  • विटामिन बी की कमी। यह बॉडी में एस्ट्रोजेन के अतिरिक्त लेवल की ओर जाता है और प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन के बीच अनुपात में असामान्यता का कारण बनता है।
  • किडनी की खराब स्थिति क्योंकि इससे बॉडी में तरल पदार्थ का हाइपोग्लाइसीमिया या रिटेंशन की ओर जाता है। इससे कैल्शियम और एड्रेनालाईन के लेवल में वृद्धि होती है, जो सेरोटोनिन के संश्लेषण में हस्तक्षेप करती है।

विटामिन बी की कमी। यह बॉडी में एस्ट्रोजेन के अतिरिक्त लेवल की ओर जाता है और प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन के बीच अनुपात में असामान्यता का कारण बनता है। किडनी की खराब स्थिति। यह बॉडी में तरल पदार्थ का हाइपोग्लाइसीमिया या रिटेंशन की ओर जाता है। इससे कैल्शियम और एड्रेनालाईन के लेवल में वृद्धि होती है, जो सेरोटोनिन के संश्लेषण में हस्तक्षेप करती है। प्रोस्टाग्लैंडिन की असामान्य एक्टिविटी। बायोजेनिक अमीन न्यूरॉन्स को प्रभावित करने वाले हार्मोन में बदलना। यह एक शारीरिक और मानसिक स्थिति है, जो महिलाओं में पीरियड्स से आठ-दस दिन पहले हो जाती है। इसके लक्षण अलग-अलग महिलाओं में भिन्न-भिन्न प्रकार के होते हैं। हालांकि यह बहुत ही पुरानी समस्या है फिर भी इसे कभी भी बीमारी नहीं समझा गया। वहीं कुछ महिलाओं में इसके लक्षण ज्यादा देखे जाते हैं तो कुछ महिलाओं में इसके लक्षण बेहद कम देखने को मिलते हैं। इसमें अकसर कार्बोहाइड्रेट और चॉकलेट्स खाने की इच्छा होती है।

खानपान में अनदेखी, विटामिन्स की कमी, कैल्शीयम और मैग्निशियम की कमी के कारण पीएमएस के लक्षण ज्यादा देखने को मिलते हैं क्योंकि पीरियड्स के समय रक्त का स्त्राव होता है, जिसके लिए शरीर अपनी तैयारी कर लेता है। हर महिला में इसके अलग प्रभाव देखे जाते हैं। कुछ महिलाओं को ज्यादा परेशानी नहीं होती मगर कुछ महिलाओं को एक रिपोर्ट के अनुसार बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कुछ महिलाओं के लिए यह लक्षण इतने गंभीर हो सकते हैं कि वे काम तक करने में असमर्थ हो जाती हैं। औसतन उनके 30 के दशक की महिलाओं में पीएमएस होने की सबसे अधिक संभावना होती है। हालांकि महिलाओं को 21 की उम्र से ही पीएमएस के लक्षण दिखने लगते हैं। 

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 पीएमएस के लक्षणों में कुछ यह लक्षण भी शामिल हैं। जैसे-

  • मूड स्विंग होना
  • सेक्स इच्छा में बदलाव होना 
  • गुस्सा और चिड़चिड़ाहट का बढ़ना
  • समाजिकता से दूरी बना लेना 
  •  एकाग्रता में कमी होना 
  • भूख में बदलाव होना 
  • किसी काम में मन ना लगना 

माहवारी में एक महिला अनेकों मानसिक और स्वास्थ्य संबंधित बदलावों से गुज़रती है, जिसमें से एक है पीएमएस जो एक हार्मोनल बदलाव है।

यह सब मानसिक स्तर से जुड़े कुछ लक्षण हैं। इसके साथ शारीरिक स्थिति में भी बदलाव देखा जाता है। जैसे- 

  • ब्रेस्ट में सुजन होना 
  • सर दर्द
  • मांस पेशियों में दर्द होना 
  • चेहरे पर झांइयों और पिंपल्स का बढ़ना
  • खाना पचने में परेशानी होना आदि। 

मेरी कई दोस्तों को प्रीमेंस्ट्रूअल सिंड्रोम होते हैं और कभी-कभी यह मुझे भी बहुत हद तक प्रभावित करते हैं, जिससे मेरे मूड में अनेकों बदलाव बार-बार होते हैं। इससे कामकाज पर तो असर पड़ता ही है, साथ ही डिप्रेशन भी महसूस होने लगता है। ऐसे कई अनुभवों से हम दो-चार होते हैं, जिसमें पीएमएस से जुड़ी बातों को शामिल होते देखते हैं। मेरे फ्रेंड ने एक रोज़ मुझसे एक किस्सा शेयर किया था कि उसकी गर्लफ्रेंड आजकल बहुत जल्दी गुस्सा हो जाती है और बात-बात पर चिड़चिड़ाने लगती है। साथ ही छोटी-छोटी बातों पर रोने भी लग रही है। मैंने अपने फ्रेंड से पूछा कि क्या उसके पीरियड्स आने वाले हैं तो उसने कहा हां मगर तुम्हें कैसे पता कि उसके पीरियड्स आने वाले हैं। 

इसपर मैंने उससे पूछा कि क्या तुम्हें याद है, एकबार जब मैं बहुत गुस्सा हो गई थी। उसने कहा, हां, मुझे याद है। उस वक्त ही मैंने तुम्हें बताया था कि पीरियड्स के पहले होने वाले इस मूड स्विंग को पीएमएस कहते हैं और तुम्हारी गर्लफ्रेंड भी अभी इसी दौर से गुज़र रही है इसलिए बेहतर है कि तुम उसके साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताओ और उससे प्यार से बात करो ताकि उसे अच्छा और इमोशनली बेहतर महसूस हो। इस तरह की परेशानियां भी पीएमएस से जुड़ी देखी जाती हैं। अधिकांश कप्लस इससे गुज़र रहें हैं, जिन्हें इसकी जानकारी नहीं है।

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 पीएमएस के दौरान ज्यादा तकलीफ ना हो उसके लिए कुछ उपाय भी बतलाए गए हैं, जैसे- 

  • हेल्‍दी डाइट- डाइट में हेल्‍दी चीज़ों जैसे फल और सब्जियों, फिश, होल ग्रेन्‍स, नट्स और कच्‍चे बीज को शामिल करें। यह बॉडी को वे सभी पोषक तत्‍व प्रदान करते हैं, जो बॉडी को विभिन्‍न मेटाबॉलिक प्रोसेस को प्रभावी ढंग से करने के लिए ज़रूरी हैं। 
  • डाइट में ओटमील को शामिल करें क्योंकि ओटमील धीरे-धीरे चीनी के मेटाबॉल्जिम में हेल्‍प करता है। साथ ही प्रक्रिया पीएमएस के दौरान होने वाली चीनी की लालसा को कम करता है।
  • सेरो‍टोनिन से भरपूर फूड्स क्योंकि यह मूड में आने वाले बदलाव जैसे- डिप्रेशन, चिंता और उदासी से राहत पहुंचाता है। 
  • सोडियम फूड का सेवन कम करें जिसमें नमक के ज़्यादा सेवन से ब्‍लोटिंग की समस्‍या होती है। ब्रेस्‍ट में पेन, बॉडी में वॉटर रिटेंशन और पीएमएस के अन्‍य लक्षणों का कारण बनती है।  

इस तरह से हेल्दी डाइट लेकर आप अपने पीएमएस में राहत महसूस कर सकती हैं। साथ ही डॉक्टर का परामर्श लेना बहुत ज़रुरी है।

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तस्वीर साभार : thenewsminute

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