समाजखेल नाओमी ओसाका का अपने मानसिक स्वास्थ्य को अहमियत देना एक अहम फैसला क्यों

नाओमी ओसाका का अपने मानसिक स्वास्थ्य को अहमियत देना एक अहम फैसला क्यों

नाओमी आसोका के इस निर्णय ने हम स्पोर्ट्स में मानसिक स्वास्थ्य को कितनी अहमियत देते हैं इस मुद्दे को भी प्रमुखता से उठाया।

जैसा की आप सब इस बात से वाकिफ़ होंगे की कैसे हम अपनें शारीरिक स्वास्थ्य को लेकर हमेशा परेशान रहते है। हमें जरा सी शारीरिक चोट भी लग जाती है तो हम तुरंत डॉक्टर के पास जाने की सोचते हैं लेकिन क्या हमनें कभी अपने मानसिक स्वास्थ्य को इतनी प्राथमिकता दी है जितनी हम अपने शारीरिक स्वास्थ्य को देते हैं? शायद सबका जवाब नहीं होगा। मानसिक स्वास्थ्य के बारे में न सोचना जैसे अब एक सामान्य बात हो गई है। हम कभी भी अपने मानसिक स्वास्थ्य के बारे में बात नहीं करते हैं और अगर कोई करता भी है, तो हम उसे ‘असामान्य’ ठहराने से पीछे नहीं रहते है, या यह कहकर उसकी बातों को नजरअंदाज करते हैं कि यह सबके साथ होता है।  हमेशा से ही हम शारीरिक स्वास्थ्य को मानसिक स्वास्थ्य से आगे रखते आए हैं।

हाल ही में, नाओमी ओसाका का नाम चर्चा में है। नाओमी ओसाका एक जापानी टेनिस खिलाड़ी हैं। वह एकल में शीर्ष रैंकिंग हासिल करने वाली पहली एशियाई खिलाड़ी हैं। उन्होंने अपने नाम कई खिताब किए हैं। वह चार बार की ग्रैंड स्लैम (सिंगल्स) चैंपियन हैं। यूएस ओपन और ऑस्ट्रेलियन ओपन जैसे खिताब भी अपने नाम किए हैं। ताज्जुब की बात तो यह है कि नाओमी आज अपने खिताबों के लिए चर्चा में नहीं हैं बल्कि वह इसलिए चर्चा में हैं क्योंकि उन्होंने एक घोषणा की कि वह अपने मानसिक स्वास्थ्य के लिए मौजूदा फ्रेंच टूर्नामेंट के दौरान मीडिया से बात नहीं करने का फैसला किया था। उन्होंने अपने बयान में कहा था कि लोगों को एथलीटों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए कोई सम्मान नहीं है। उन्होंने इस पर भी ज़ोर दिया कि कई बार उन्हें बार-बार एक ही सवालों का जवाब देना पड़ता है।

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वहीं, फ्रेंच ओपन के अधिकारियों और अन्य लोगों ने शुरू में चिंता के साथ नहीं बल्कि अपने दायित्वों को पूरा नहीं करने के लिए उनकी आलोचना करते हुए प्रतिक्रिया व्यक्त की। एक संयुक्त बयान में, उन्होंने चेतावनी दी कि अगर ओसाका ने मीडिया को संबोधित करने से इनकार करना जारी रखा, तो उन पर 15,000 डॉलर का जुर्माना लगाया जाएगा और उन्हें आचार संहिता का उल्लंघन करने के लिए भविष्य के टूर्नामेंट से निलंबन का सामना करना पड़ सकता है जबकि नाओमी ओसाका ने मीडिया से बात न करने का फैसला टूर्नामेंट में पहले राउंड में जीत हासिल करने के बाद लिया था। उनके इस फैसले को समर्थन और आलोचनाओं दोंनो का ही सामना करना पड़ा। साथ ही नाओमी ने फ्रेंच ओपन के साथ-साथ अब बर्लिन ओपन से भी अपना नाम वापस ले लिया है।

नाओमी आसोका के इस निर्णय ने ना सिर्फ दुनिया का ध्यान मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी जागरूकता की ओर आकर्षित किया बल्कि हम स्पोर्ट्स में मानसिक स्वास्थ्य को कितनी अहमियत देते हैं इस मुद्दे को भी प्रमुखता से उठाया। एक खिलाड़ी की शारीरिक चोट को हमेशा ही सहजता के साथ स्वीकार किया जाता है, लेकिन एक खिलाड़ी द्वारा अपनी मानसिक या भावनात्मक परेशानी व्यक्त करने पर यह रवैया परेशान करने वाला है। उदाहरण के तौर पर जब भी कोई खिलाड़ी अपनी शारीरिक चोट के कारण किसी टूर्नामेंट से अलग होता है या बीच में ही छोड़ देता है तो उसके द्वारा लिए गए फैसले को ऐसी आलोचनाओं का सामना नहीं करना पड़ता।

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ग्रैंड स्लैम टूर्नामेंट के बयान को देखा जाए तो वे मीडिया से जुड़ना खिलाड़ियों की मुख्य जिम्मेदारी के रूप में रखते हैं। वे यह साफ शब्दों में स्पष्ट करते हैं कि मीडिया के साथ जुड़ना खिलाड़ियों की जिम्मेदारी है, चाहे उनके मैच का परिणाम कुछ भी रहा हो। लेकिन नाओमी ओसाका का इस बात को खारिज करने का रुख साहसी है क्योंकि यह खिलाड़ियों के मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे को उठाता है। हमारा यह समझना भी ज़रूरी होगा कि हार के बाद खिलाड़ियों का आगे आकर मीडिया को जवाब देना,कितना मानसिक तनाव से भरा हुआ होगा लेकिन तब भी उन्हें अपने मानसिक स्वास्थ्य को परे रखकर मीडिया को जवाब ज़रूरी होती है। ओसाका का यह कदम न जाने कितनी खिलाड़ियों की बात को आखे रखता है। खिलाड़ियों की जीत या हार दोनों में मीडिया के सामने प्रस्तुत होने का फैसला खुद का होना चाहिए, ना कि किसी प्रणाली का। वहीं, यह फैसला हमें खेल जगत के कड़वे सच से रूबरू भी करता है कि कैसे खेल जगत में खिलाड़ियों के शारीरिक स्वास्थ्य पर पूरा ध्यान रखा जाता है, लेकिन जब बात मानसिक स्वास्थ्य की आती है तो कैसे सारी प्रणाली अपना पल्ला झाड़ देती है। ओसाका का फैसला और उस फैसले पर आ रही प्रतिक्रियाएं हमारा ध्यान टाक्सिक वर्क कल्चर की ओर आकर्षित करने में भी सक्षम रहीं। ओसाका के इस निर्णय को तमाम खिलाड़ियों की तरफ से सकारात्मक समर्थन भी मिला। यह बताता है कि ओसाका कितनी खिलाड़ियों की बात को आगे रखने में सक्षम रहीं।

देखा जाए तो अक्सर हमें जीवन में चीजों के बारे में सकारात्मक होने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। यह जितना आवश्यक है, उतना ही हमें दमन की ओर भी ले जाता है। हम वास्तव में अपने भीतर कैसा महसूस करते हैं, इसके बारे में सोचना भूल जाते हैं। चूंकि हमें केवल अपनी ज़िंदगी के सकारात्मक पक्ष पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा जाता है और हम उसी पर ज्यादा ध्यान भी देते हैं। अक्सर हमें हमारी मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखने के लिए पेशेवर सहायता की आवश्यकता होती है, लेकिन जब मानसिक स्वास्थ्य की बात आती है तो मदद मांगने में हमारी लापरवाही इस बात का प्रमाण है कि हम सभी मानसिक स्वास्थ्य के बारे में क्या सोचते है। वहीं,  खेल जगत में खिलाड़ियों से उम्मीद करना कि वे मानसिक तौर पर हमेशा ही सकारात्मक फैसले लेंगे सही नहीं होगा। साथ ही खेल जगत में खिलाड़ियों की मानसिक स्थिति पर खेल असोसिएशनंस का कभी भी ध्यान नहीं देना इस बात की और ध्यान आकर्षित करता है कि मानसिक स्वास्थ्य को लेकर हम कितने जागरूक हैं। वहीं, आज के समय में इस बात पर ज़ोर देना ज़रूरी हो जाता है कि मानसिक और शारीरिक समस्या दोनों ही बराबर हैं फिर चाहे वह खिलाड़ियों की बात हो या किसी कंपनी में काम करने वाले एक कर्मचारी की या फिर स्कूल में पढ़ने वाले किसी बच्चे की। आज के समय की भयानक परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए, हमें अपने या दूसरे के मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना, हमारा पहला कदम होना चाहिए।

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तस्वीर साभार : Vanity Fair

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