कोरोना की दूसरी लहर के दौरान कोविड से संक्रमित हुई पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर की 40 वर्षीय कविता का कहना है, “लगभग एक साल बीत गया है, आज भी जोड़ों का दर्द नहीं गया है। कोविड के बाद से शरीर में बहुत कमज़ोरी आई है जिस वजह से पहले जैसी फुर्ती नहीं रही। आज भी सिर के बाल बहुत झड़ रहे हैं। इन सब वजहों से ज़िंदगी पर बहुत असर पड़ रहा है।” कविता जैसे अनेक लोग हैं जो पोस्ट कोविड के बाद से अपने शरीर में हुए बदलाव की वजह से परेशानियों का सामना कर रहे हैं। हाल ही में अमेरिका में हुए एक सर्वे में भी यह बात सामने निकलकर आई है कि लॉन्ग कोविड पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक प्रभावित कर रहा है।
सीएनबीसी में छपी ख़बर के मुताबिक़ लॉन्ग कोविड पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में ज्यादा देखने को मिल रहा है। अमेरिकी सेंसस ब्यूरो और नैशनल सेंटर फॉर हेल्थ स्टेटिस्टिक्स द्वारा किए गए सर्वे में यह बात सामने आई है। पुरुषों के मुकाबले महिलाएं 17 फीसदी अधिक लंबे समय तक कोविड से प्रभावित हैं। ऑनलाइन हुए इस सर्वे में 41,000 व्यस्कों शामिल थे। सर्वे के अनुसार अमेरिका के 14 प्रतिशत से अधिक व्यस्कों ने लॉन्ग कोविड का सामना किया था।
लॉन्ग कोविड क्या है?
इंग्लैंड के नैशनल हेल्थ सर्विस की वेबसाइट के अनुसार अधिकतर लोग कोविड पॉज़िटिव होने के कुछ समय बाद ही ठीक हो गए। लेकिन, कुछ लोगों में कोविड के लक्षण लंबे समय तक बने रहे हैं। यह लॉन्ग कोविड या पोस्ट कोविड सिंड्रोम कहलाता है। लंबे समय तक कोविड के लक्षणों का शरीर में होना एक स्थिति है जिसका अभी अध्ययन किया जा रहा है। लंबे समय तक कोविड के लक्षणों में अधिक थकावट, सांस लेने में कठिनाई, मांसपेशियों में दर्द आदि शामिल हैं।
अमेरिकी सेंसस ब्यूरो और नैशनल सेंटर फॉर हेल्थ स्टेटिस्टिक्स द्वारा किए गए सर्वे में यह बात सामने आई है। पुरुषों के मुकाबले महिलाएं 17 फीसदी अधिक लंबे समय तक कोविड से प्रभावित हैं। ऑनलाइन हुए इस सर्वे में 41,000 व्यस्कों शामिल थे। सर्वे के अनुसार अमेरिका के 14 प्रतिशत से अधिक व्यस्कों ने लॉन्ग कोविड का सामना किया था।
लाइव मिंट में प्रकाशित लेख के मुताबिक विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट में कहा गया है कि लॉन्ग कोविड से महिलाएं पुरुषों के मुकाबले ज्यादा प्रभावित है। रिपोर्ट बताती है कि पुरुषों की तुलना में, महिलाओं में लॉन्ग कोविड होने की संभावना दोगुनी है। इसके अलावा, गंभीर कोविड की वजह से अस्तपाल में भर्ती होने की ज़रूरत भी महिला मरीजों में अधिक हैं। लॉन्ग कोविड की वजह से हर तीन में से एक महिला और हर पांच में से एक पुरुष के साथ ऐसा होने की संभावना होती है। यूनिवर्सिटी ऑफ मिनेसोटा की रिसर्च के अनुसार लॉन्ग कोविड की वजह से महिलाओं में कई तरह के लक्षण दिखते हैं। इसमें नाक, कान और गले की समस्याएं, न्यूरोलॉजिकल समस्याएं, त्वचा और थकान के लक्षण आदि शामिल हो सकते हैं।
पोस्ट कोविड का महिलाओं के स्वास्थ्य पर असर
दिल्ली में रहने वाली रागिनी ( बदला हुआ नाम) का कहना है, “मुझे दो बार कोविड हो चुका है। सबसे पहले 2020 में हुआ था जो बहुत गंभीर था। दूसरी लहर में भी कोविड हुआ था, हालांकि उस दौरान ज्यादा लक्षण नहीं थे। लेकिन पोस्ट कोविड लक्षणों की बात करें तो सबसे ज्यादा असर जो देखने को मिला वह यह है कि मेरे आधे से ज्यादा बाल बिल्कुल सफेद होने शुरू हो गए और बालों का झड़ना भी बेहद तेज़ हो गया। इसके इलाज के लिए जब डॉक्टर के पास गई तो उन्होंने सबसे पहले मुझसे यही पूछा था कि आपको कोविड हुआ था क्या और कब हुआ था। डॉक्टर ने भी इसे कोविड का प्रभाव बताया था। दूसरा यह कि कोविड के बाद से किसी भी तरह के शारीरिक काम में अब पहले के मुकाबले ज्यादा सांस फूलती है। थकावट लंबे समय तक रह जाती है। कोविड के बाद से ये दो बड़े असर मेरे शरीर पर देखने को मिले हैं।”
इंग्लैंड के नैशनल हेल्थ सर्विस की वेबसाइट के अनुसार अधिकतर लोग कोविड पॉज़िटिव होने के कुछ समय बाद ही ठीक हो गए। लेकिन, कुछ लोगों में कोविड के लक्षण लंबे समय तक बने रहे हैं। यह लॉन्ग कोविड या पोस्ट कोविड सिंड्रोम कहलाता है। लंबे समय तक कोविड के लक्षणों का शरीर में होना एक स्थिति है जिसका अभी अध्ययन किया जा रहा है। लंबे समय तक कोविड के लक्षणों में अधिक थकावट, सांस लेने में कठिनाई, मांसपेशियों में दर्द आदि शामिल हैं।
हर संकट महिलाओं के स्वास्थ्य को अलग तरह से प्रभावित करता है। येल स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ में प्रकाशित लेख के मुताबिक़ महामारी के दौरान महिलाओं के स्वास्थ्य पर कई तरह से प्रभाव पड़ा है। पोषण में कमी से लेकर अधिक तनाव का महिलाओं ने सामना किया है। समाज में कम महत्व दिए जाने और रूढ़िवादी सोच की वजह से भी महिलाओं के यौन प्रजनन स्वास्थ्य पर भी गहरा असर पड़ा है। लॉकडाउन की वजह से हुई स्वास्थ्य सेवाओं में आई बाधा के कारण महिलाओं के लिए ज़रूरी स्वास्थ्य सुविधाएं भी बेहद प्रभावित हुई हैं।
ठीक इसी तरह दूसरी लहर में कोविड से संक्रमित होने वाली मेरठ की रहनेवाली डिम्पल ने हमसे बात करते हए कहा है, “कोविड होने के बाद से पहला तो बालों का झड़ना सबसे ज्यादा हो गया है। मतलब अब तक मेरे बाल झड़ना बंद नहीं हुए हैं। मेरे बालों पर तो सबसे बुरा असर पड़ा है। दूसरा मैंने बहुत लंबे समय तक अपने मूड में भी बदलाव महसूस किया था। कोविड होने के बाद कमज़ीरी से होनेवाली थकावट के बाद से मैं बहुत चिड़चिड़ा भी महसूस करने लगी थी। कमज़ोरी की वजह से काम करने में सबसे ज्यादा परेशानी होती है। अब थोड़ा भी काम करने पर थकावट महसूस होने लगती है।”
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट में कहा गया है कि लॉन्ग कोविड से महिलाएं पुरुषों के मुकाबले ज्यादा प्रभावित है। रिपोर्ट बताती है कि पुरुषों की तुलना में, महिलाओं में लॉन्ग कोविड होने की संभावना दोगुनी है। इसके अलावा, गंभीर कोविड की वजह से अस्तपाल में भर्ती होने की ज़रूरत भी महिला मरीजों में अधिक हैं।
टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित ख़बर के अनुसार कोविड-19 महामारी की वजह से महिलाओं का न सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित हुआ है। एक रिसर्च के अनुसार बेटियों वाली महिलाओं को अवसाद और चिंता का अधिक सामना करना पड़ा। इसी तरह महिलाओं के नेतृत्व वाले घरों में रहनेवाली महिलाओं ने भी मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानी अधिक महसूस की । रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई है कि महामारी की वजह से ग्रामीण भारत की महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित किया है।
क्यों महिलाओं पर है लंबे समय तक कोविड का असर
महिलाओं को अधिक समय तक कोविड होने का खतरा क्यों रहता है इस सवाल का जवाब ढूंढने में दुनियाभर के अनेक वैज्ञानिक लगे हुए हैं। द गार्डियन में प्रकाशित लेख के अनुसार महिलाओं के शरीर की अनुवांशिक संरचना है। पूर्व के अध्ययन में यह बात आई है कि महिलाओं में ऑटोइम्न्यून से जुड़ी बीमारियां होने की ज्यादा संभावना बनी रहती है। नयी एलर्जी से लेकर जोड़ों में दर्द भी लंबे समय तक कोविड होने समान लक्षण हैं।
प्रोफेसर अकीको इवासाकी एक अध्ययन में यह जांच रहे हैं कि क्या ऑटोएंटीबॉडी लॉन्ग कोविड की महिला मरीजों के शरीर में ज्यादा मौजूद हैं। अगर ऐसा साबित होता है तो यह पूरी तरह से आश्चर्य की बात नहीं होगी। वायरस लंबे समय से टाइप 1 मधुमेह से लेकर गठिया जैसी ऑटोइम्यून बीमारियों की शुरुआत से जुड़े हुए हैं। ये स्थिति महिलाओं में ज्यादा प्रचलित है।